; TITLE: हिन्दी (Hindi) ; ABBREVIATION: HI-IRV ; HAS ITALICS ; HAS FOOTNOTES ; HAS REDLETTER $$ JHN 1:1 ¶ | x-strong="" x-lemma="" x-morph="" x-occurrence="1" x-occurrences="1" x-content="ἀρχῇ"आदि में वचन था और वचन परमेश्वर के साथ था और वचन परमेश्वर था $$ JHN 1:2 यही आदि में परमेश्वर के साथ था $$ JHN 1:3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है उसमें से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई $$ JHN 1:4 उसमें जीवन था और वह जीवन मनुष्यों की ज्योति था $$ JHN 1:5 और ज्योति अंधकार में चमकती है और अंधकार ने उसे ग्रहण न किया $$ JHN 1:6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिसका नाम यूहन्ना था $$ JHN 1:7 यह गवाही देने आया कि ज्योति की गवाही दे ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएँ $$ JHN 1:8 वह आप तो वह ज्योति न था परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था $$ JHN 1:9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है जगत में आनेवाली थी $$ JHN 1:10 वह जगत में था और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ और जगत ने उसे नहीं पहचाना $$ JHN 1:11 वह अपने घर में आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया $$ JHN 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं $$ JHN 1:13 वे न तो लहू से न शरीर की इच्छा से न मनुष्य की इच्छा से परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं $$ JHN 1:14 और वचन देहधारी हुआ और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया और हमने उसकी ऐसी महिमा देखी जैसी पिता के एकलौते की महिमा $$ JHN 1:15 यूहन्ना ने उसके विषय में गवाही दी और पुकारकर कहा यह वही है जिसका मैंने वर्णन किया कि जो मेरे बाद आ रहा है वह मुझसे बढ़कर है क्योंकि वह मुझसे पहले था $$ JHN 1:16 क्योंकि उसकी परिपूर्णता से हम सब ने प्राप्त किया अर्थात् अनुग्रह पर अनुग्रह $$ JHN 1:17 इसलिए कि व्यवस्था तो मूसा के द्वारा दी गई परन्तु अनुग्रह और सच्चाई यीशु मसीह के द्वारा पहुँची $$ JHN 1:18 परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में हैं उसी ने उसे प्रगट किया $$ JHN 1:19 यूहन्ना की गवाही यह है कि जब यहूदियों ने यरूशलेम से याजकों और लेवियों को उससे यह पूछने के लिये भेजा तू कौन है $$ JHN 1:20 तो उसने यह मान लिया और इन्कार नहीं किया परन्तु मान लिया मैं मसीह नहीं हूँ $$ JHN 1:21 तब उन्होंने उससे पूछा तो फिर कौन है क्या तू एलिय्याह है उसने कहा मैं नहीं हूँ तो क्या तू वह भविष्यद्वक्ता है उसने उत्तर दिया नहीं $$ JHN 1:22 तब उन्होंने उससे पूछा फिर तू है कौन ताकि हम अपने भेजनेवालों को उत्तर दें तू अपने विषय में क्या कहता है $$ JHN 1:23 उसने कहा जैसा यशायाह भविष्यद्वक्ता ने कहा है मैं जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द हूँ कि तुम प्रभु का मार्ग सीधा करो $$ JHN 1:24 ये फरीसियों की ओर से भेजे गए थे $$ JHN 1:25 उन्होंने उससे यह प्रश्न पूछा यदि तू न मसीह है और न एलिय्याह और न वह भविष्यद्वक्ता है तो फिर बपतिस्मा क्यों देता है $$ JHN 1:26 यूहन्ना ने उनको उत्तर दिया मैं तो जल से बपतिस्मा देता हूँ परन्तु तुम्हारे बीच में एक व्यक्ति खड़ा है जिसे तुम नहीं जानते $$ JHN 1:27 अर्थात् मेरे बाद आनेवाला है जिसकी जूती का फीता मैं खोलने के योग्य नहीं $$ JHN 1:28 ये बातें यरदन के पार बैतनिय्याह में हुई जहाँ यूहन्ना बपतिस्मा देता था $$ JHN 1:29 दूसरे दिन उसने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा देखो यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत के पाप हरता है $$ JHN 1:30 यह वही है जिसके विषय में मैंने कहा था कि एक पुरुष मेरे पीछे आता है जो मुझसे श्रेष्ठ है क्योंकि वह मुझसे पहले था $$ JHN 1:31 और मैं तो उसे पहचानता न था परन्तु इसलिए मैं जल से बपतिस्मा देता हुआ आया कि वह इस्राएल पर प्रगट हो जाए $$ JHN 1:32 और यूहन्ना ने यह गवाही दी मैंने आत्मा को कबूतर के रूप में आकाश से उतरते देखा है और वह उस पर ठहर गया $$ JHN 1:33 और मैं तो उसे पहचानता नहीं था परन्तु जिस ने मुझे जल से बपतिस्मा देने को भेजा उसी ने मुझसे कहा जिस पर तू आत्मा को उतरते और ठहरते देखे वही पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देनेवाला है $$ JHN 1:34 और मैंने देखा और गवाही दी है कि यही परमेश्वर का पुत्र है $$ JHN 1:35 दूसरे दिन फिर यूहन्ना और उसके चेलों में से दो जन खड़े हुए थे $$ JHN 1:36 और उसने यीशु पर जो जा रहा था दृष्टि करके कहा देखो यह परमेश्वर का मेम्ना है $$ JHN 1:37 तब वे दोनों चेले उसकी सुनकर यीशु के पीछे हो लिए $$ JHN 1:38 यीशु ने मुड़कर और उनको पीछे आते देखकर उनसे कहा तुम किस की खोज में हो उन्होंने उससे कहा हे रब्बी अर्थात् हे गुरु तू कहाँ रहता है $$ JHN 1:39 उसने उनसे कहा चलो तो देख लोगे तब उन्होंने आकर उसके रहने का स्थान देखा और उस दिन उसी के साथ रहे और यह दसवें घंटे के लगभग था $$ JHN 1:40 उन दोनों में से जो यूहन्ना की बात सुनकर यीशु के पीछे हो लिए थे एक शमौन पतरस का भाई अन्द्रियास था $$ JHN 1:41 उसने पहले अपने सगे भाई शमौन से मिलकर उससे कहा हमको ख्रिस्त अर्थात् मसीह मिल गया $$ JHN 1:42 वह उसे यीशु के पास लाया यीशु ने उस पर दृष्टि करके कहा तू यूहन्ना का पुत्र शमौन है तू कैफा अर्थात् पतरस कहलाएगा $$ JHN 1:43 दूसरे दिन यीशु ने गलील को जाना चाहा और फिलिप्पुस से मिलकर कहा मेरे पीछे हो ले $$ JHN 1:44 फिलिप्पुस तो अन्द्रियास और पतरस के नगर बैतसैदा का निवासी था $$ JHN 1:45 फिलिप्पुस ने नतनएल से मिलकर उससे कहा जिसका वर्णन मूसा ने व्यवस्था में और भविष्यद्वक्ताओं ने किया है वह हमको मिल गया वह यूसुफ का पुत्र यीशु नासरी है $$ JHN 1:46 नतनएल ने उससे कहा क्या कोई अच्छी वस्तु भी नासरत से निकल सकती है फिलिप्पुस ने उससे कहा चलकर देख ले $$ JHN 1:47 यीशु ने नतनएल को अपनी ओर आते देखकर उसके विषय में कहा देखो यह सचमुच इस्राएली है इसमें कपट नहीं $$ JHN 1:48 नतनएल ने उससे कहा तू मुझे कैसे जानता है यीशु ने उसको उत्तर दिया इससे पहले कि फिलिप्पुस ने तुझे बुलाया जब तू अंजीर के पेड़ के तले था तब मैंने तुझे देखा था $$ JHN 1:49 नतनएल ने उसको उत्तर दिया हे रब्बी तू परमेश्वर का पुत्र हे तू इस्राएल का महाराजा है $$ JHN 1:50 यीशु ने उसको उत्तर दिया मैंने जो तुझ से कहा कि मैंने तुझे अंजीर के पेड़ के तले देखा क्या तू इसलिए विश्वास करता है तू इससे भी बड़ेबड़े काम देखेगा $$ JHN 1:51 फिर उससे कहा मैं तुम से सचसच कहता हूँ कि तुम स्वर्ग को खुला हुआ और परमेश्वर के स्वर्गदूतों को मनुष्य के पुत्र के ऊपर उतरते और ऊपर जाते देखोगे $$ JHN 2:1 ¶ फिर तीसरे दिन गलील के काना में किसी का विवाह था और यीशु की माता भी वहाँ थी $$ JHN 2:2 यीशु और उसके चेले भी उस विवाह में निमंत्रित थे $$ JHN 2:3 जब दाखरस खत्म हो गया तो यीशु की माता ने उससे कहा उनके पास दाखरस नहीं रहा $$ JHN 2:4 यीशु ने उससे कहा हे महिला मुझे तुझ से क्या काम अभी मेरा समय नहीं आया $$ JHN 2:5 उसकी माता ने सेवकों से कहा जो कुछ वह तुम से कहे वही करना $$ JHN 2:6 वहाँ यहूदियों के शुद्धीकरण के लिए पत्थर के छः मटके रखे थे जिसमें दोदो तीनतीन मन समाता था $$ JHN 2:7 यीशु ने उनसे कहा मटको में पानी भर दो तब उन्होंने उन्हें मुहाँमुहँ भर दिया $$ JHN 2:8 तब उसने उनसे कहा अब निकालकर भोज के प्रधान के पास ले जाओ और वे ले गए $$ JHN 2:9 जब भोज के प्रधान ने वह पानी चखा जो दाखरस बन गया था और नहीं जानता था कि वह कहाँ से आया हैं परन्तु जिन सेवकों ने पानी निकाला था वे जानते थे तो भोज के प्रधान ने दूल्हे को बुलाकर उससे कहा $$ JHN 2:10 हर एक मनुष्य पहले अच्छा दाखरस देता है और जब लोग पीकर छक जाते हैं तब मध्यम देता है परन्तु तूने अच्छा दाखरस अब तक रख छोड़ा है $$ JHN 2:11 यीशु ने गलील के काना में अपना यह पहला चिन्ह दिखाकर अपनी महिमा प्रगट की और उसके चेलों ने उस पर विश्वास किया $$ JHN 2:12 इसके बाद वह और उसकी माता उसके भाई उसके चेले कफरनहूम को गए और वहाँ कुछ दिन रहे $$ JHN 2:13 यहूदियों का फसह का पर्व निकट था और यीशु यरूशलेम को गया $$ JHN 2:14 और उसने मन्दिर में बैल और भेड़ और कबूतर के बेचनेवालों ओर सर्राफों को बैठे हुए पाया $$ JHN 2:15 तब उसने रस्सियों का कोड़ा बनाकर सब भेड़ों और बैलों को मन्दिर से निकाल दिया और सर्राफों के पैसे बिखेर दिये और मेज़ें उलट दीं $$ JHN 2:16 और कबूतर बेचनेवालों से कहा इन्हें यहाँ से ले जाओ मेरे पिता के भवन को व्यापार का घर मत बनाओ $$ JHN 2:17 तब उसके चेलों को स्मरण आया कि लिखा है तेरे घर की धुन मुझे खा जाएगी $$ JHN 2:18 इस पर यहूदियों ने उससे कहा तू जो यह करता है तो हमें कौन सा चिन्ह दिखाता हैं $$ JHN 2:19 यीशु ने उनको उत्तर दिया इस मन्दिर को ढा दो और मैं इसे तीन दिन में खड़ा कर दूँगा $$ JHN 2:20 यहूदियों ने कहा इस मन्दिर के बनाने में छियालीस वर्ष लगे हैं और क्या तू उसे तीन दिन में खड़ा कर देगा $$ JHN 2:21 परन्तु उसने अपनी देह के मन्दिर के विषय में कहा था $$ JHN 2:22 फिर जब वह मुर्दों में से जी उठा फिर उसके चेलों को स्मरण आया कि उसने यह कहा था और उन्होंने पवित्रशास्त्र और उस वचन की जो यीशु ने कहा था विश्वास किया $$ JHN 2:23 जब वह यरूशलेम में फसह के समय पर्व में था तो बहुतों ने उन चिन्हों को जो वह दिखाता था देखकर उसके नाम पर विश्वास किया $$ JHN 2:24 परन्तु यीशु ने अपने आप को उनके भरोसे पर नहीं छोड़ा क्योंकि वह सब को जानता था $$ JHN 2:25 और उसे प्रयोजन न था कि मनुष्य के विषय में कोई गवाही दे क्योंकि वह आप जानता था कि मनुष्य के मन में क्या है $$ JHN 3:1 ¶ फरीसियों में से नीकुदेमुस नाम का एक मनुष्य था जो यहूदियों का सरदार था $$ JHN 3:2 उसने रात को यीशु के पास आकर उससे कहा हे रब्बी हम जानते हैं कि तू परमेश्वर की ओर से गुरु होकर आया है क्योंकि कोई इन चिन्हों को जो तू दिखाता है यदि परमेश्वर उसके साथ न हो तो नहीं दिखा सकता $$ JHN 3:3 यीशु ने उसको उत्तर दिया मैं तुझ से सचसच कहता हूँ यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता $$ JHN 3:4 नीकुदेमुस ने उससे कहा मनुष्य जब बूढ़ा हो गया तो कैसे जन्म ले सकता है क्या वह अपनी माता के गर्भ में दूसरी बार प्रवेश करके जन्म ले सकता है $$ JHN 3:5 यीशु ने उत्तर दिया मैं तुझ से सचसच कहता हूँ जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता $$ JHN 3:6 क्योंकि जो शरीर से जन्मा है वह शरीर है और जो आत्मा से जन्मा है वह आत्मा है $$ JHN 3:7 अचम्भा न कर कि मैंने तुझ से कहा तुझे नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है $$ JHN 3:8 हवा जिधर चाहती है उधर चलती है और तू उसकी आवाज़ सुनता है परन्तु नहीं जानता कि वह कहाँ से आती और किधर को जाती है जो कोई आत्मा से जन्मा है वह ऐसा ही है $$ JHN 3:9 नीकुदेमुस ने उसको उत्तर दिया ये बातें कैसे हो सकती हैं $$ JHN 3:10 यह सुनकर यीशु ने उससे कहा तू इस्राएलियों का गुरु होकर भी क्या इन बातों को नहीं समझता $$ JHN 3:11 मैं तुझ से सचसच कहता हूँ कि हम जो जानते हैं वह कहते हैं और जिसे हमने देखा है उसकी गवाही देते हैं और तुम हमारी गवाही ग्रहण नहीं करते $$ JHN 3:12 जब मैंने तुम से पृथ्वी की बातें कहीं और तुम विश्वास नहीं करते तो यदि मैं तुम से स्वर्ग की बातें कहूँ तो फिर क्यों विश्वास करोगे $$ JHN 3:13 कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा केवल वहीं जो स्वर्ग से उतरा अर्थात् मनुष्य का पुत्र जो स्वर्ग में है $$ JHN 3:14 और जिस तरह से मूसा ने जंगल में साँप को ऊँचे पर चढ़ाया उसी रीती से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊँचे पर चढ़ाया जाए $$ JHN 3:15 ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह अनन्त जीवन पाए $$ JHN 3:16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो परन्तु अनन्त जीवन पाए $$ JHN 3:17 परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिए नहीं भेजा कि जगत पर दण्ड की आज्ञा दे परन्तु इसलिए कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए $$ JHN 3:18 जो उस पर विश्वास करता है उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता वह दोषी ठहराया जा चुका है इसलिए कि उसने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया $$ JHN 3:19 और दण्ड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है और मनुष्यों ने अंधकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उनके काम बुरे थे $$ JHN 3:20 क्योंकि जो कोई बुराई करता है वह ज्योति से बैर रखता है और ज्योति के निकट नहीं आता ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए $$ JHN 3:21 परन्तु जो सच्चाई पर चलता है वह ज्योति के निकट आता है ताकि उसके काम प्रगट हों कि वह परमेश्वर की ओर से किए गए हैं $$ JHN 3:22 इसके बाद यीशु और उसके चेले यहूदिया देश में आए और वह वहाँ उनके साथ रहकर बपतिस्मा देने लगा $$ JHN 3:23 और यूहन्ना भी सालेम के निकट ऐनोन में बपतिस्मा देता था क्योंकि वहाँ बहुत जल था और लोग आकर बपतिस्मा लेते थे $$ JHN 3:24 क्योंकि यूहन्ना उस समय तक जेलखाने में नहीं डाला गया था $$ JHN 3:25 वहाँ यूहन्ना के चेलों का किसी यहूदी के साथ शुद्धि के विषय में वादविवाद हुआ $$ JHN 3:26 और उन्होंने यूहन्ना के पास आकर उससे कहा हे रब्बी जो व्यक्ति यरदन के पार तेरे साथ था और जिसकी तूने गवाही दी है देख वह बपतिस्मा देता है और सब उसके पास आते हैं $$ JHN 3:27 यूहन्ना ने उत्तर दिया जब तक मनुष्य को स्वर्ग से न दिया जाए तब तक वह कुछ नहीं पा सकता $$ JHN 3:28 तुम तो आप ही मेरे गवाह हो कि मैंने कहा मैं मसीह नहीं परन्तु उसके आगे भेजा गया हूँ $$ JHN 3:29 जिसकी दुल्हिन है वही दूल्हा है परन्तु दूल्हे का मित्र जो खड़ा हुआ उसकी सुनता है दूल्हे के शब्द से बहुत हर्षित होता है अब मेरा यह हर्ष पूरा हुआ है $$ JHN 3:30 अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूँ $$ JHN 3:31 जो ऊपर से आता है वह सर्वोत्तम है जो पृथ्वी से आता है वह पृथ्वी का है और पृथ्वी की ही बातें कहता है जो स्वर्ग से आता है वह सब के ऊपर है $$ JHN 3:32 जो कुछ उसने देखा और सुना है उसी की गवाही देता है और कोई उसकी गवाही ग्रहण नहीं करता $$ JHN 3:33 जिसने उसकी गवाही ग्रहण कर ली उसने इस बात पर छाप दे दी कि परमेश्वर सच्चा है $$ JHN 3:34 क्योंकि जिसे परमेश्वर ने भेजा है वह परमेश्वर की बातें कहता है क्योंकि वह आत्मा नाप नापकर नहीं देता $$ JHN 3:35 पिता पुत्र से प्रेम रखता है और उसने सब वस्तुएँ उसके हाथ में दे दी हैं $$ JHN 3:36 जो पुत्र पर विश्वास करता है अनन्त जीवन उसका है परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता वह जीवन को नहीं देखेगा परन्तु परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है $$ JHN 4:1 ¶ फिर जब प्रभु को मालूम हुआ कि फरीसियों ने सुना है कि यीशु यूहन्ना से अधिक चेले बनाता और उन्हें बपतिस्मा देता है $$ JHN 4:2 यद्यपि यीशु स्वयं नहीं वरन् उसके चेले बपतिस्मा देते थे $$ JHN 4:3 तब वह यहूदिया को छोड़कर फिर गलील को चला गया $$ JHN 4:4 और उसको सामरिया से होकर जाना अवश्य था $$ JHN 4:5 इसलिए वह सूखार नामक सामरिया के एक नगर तक आया जो उस भूमि के पास है जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था $$ JHN 4:6 और याकूब का कुआँ भी वहीं था यीशु मार्ग का थका हुआ उस कुएँ पर यों ही बैठ गया और यह बात लगभग दोपहर के समय हुई $$ JHN 4:7 इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई यीशु ने उससे कहा मुझे पानी पिला $$ JHN 4:8 क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे $$ JHN 4:9 उस सामरी स्त्री ने उससे कहा तू यहूदी होकर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों माँगता है क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते $$ JHN 4:10 यीशु ने उत्तर दिया यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है मुझे पानी पिला तो तू उससे माँगती और वह तुझे जीवन का जल देता $$ JHN 4:11 स्त्री ने उससे कहा हे स्वामी तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं और कुआँ गहरा है तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहाँ से आया $$ JHN 4:12 क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है जिस ने हमें यह कुआँ दिया और आपही अपने सन्तान और अपने पशुओं समेत उसमें से पीया $$ JHN 4:13 यीशु ने उसको उत्तर दिया जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा $$ JHN 4:14 परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा वरन् जो जल मैं उसे दूँगा वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा $$ JHN 4:15 स्त्री ने उससे कहा हे प्रभु वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊँ और न जल भरने को इतनी दूर आऊँ $$ JHN 4:16 यीशु ने उससे कहा जा अपने पति को यहाँ बुला ला $$ JHN 4:17 स्त्री ने उत्तर दिया मैं बिना पति की हूँ यीशु ने उससे कहा तू ठीक कहती है मैं बिना पति की हूँ $$ JHN 4:18 क्योंकि तू पाँच पति कर चुकी है और जिसके पास तू अब है वह भी तेरा पति नहीं यह तूने सच कहा है $$ JHN 4:19 स्त्री ने उससे कहा हे प्रभु मुझे लगता है कि तू भविष्यद्वक्ता है $$ JHN 4:20 हमारे पूर्वजों ने इसी पहाड़ पर भजन किया और तुम कहते हो कि वह जगह जहाँ भजन करना चाहिए यरूशलेम में है $$ JHN 4:21 यीशु ने उससे कहा हे नारी मेरी बात का विश्वास कर कि वह समय आता है कि तुम न तो इस पहाड़ पर पिता का भजन करोगे न यरूशलेम में $$ JHN 4:22 तुम जिसे नहीं जानते उसका भजन करते हो और हम जिसे जानते हैं उसका भजन करते हैं क्योंकि उद्धार यहूदियों में से है $$ JHN 4:23 परन्तु वह समय आता है वरन् अब भी है जिसमें सच्चे भक्त पिता की आराधना आत्मा और सच्चाई से करेंगे क्योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही आराधकों को ढूँढ़ता है $$ JHN 4:24 परमेश्वर आत्मा है और अवश्य है कि उसकी आराधना करनेवाले आत्मा और सच्चाई से आराधना करें $$ JHN 4:25 स्त्री ने उससे कहा मैं जानती हूँ कि मसीह जो ख्रिस्त कहलाता है आनेवाला है जब वह आएगा तो हमें सब बातें बता देगा $$ JHN 4:26 यीशु ने उससे कहा मैं जो तुझ से बोल रहा हूँ वही हूँ $$ JHN 4:27 इतने में उसके चेले आ गए और अचम्भा करने लगे कि वह स्त्री से बातें कर रहा है फिर भी किसी ने न पूछा तू क्या चाहता है या किस लिये उससे बातें करता है $$ JHN 4:28 तब स्त्री अपना घड़ा छोड़कर नगर में चली गई और लोगों से कहने लगी $$ JHN 4:29 आओ एक मनुष्य को देखो जिस ने सब कुछ जो मैंने किया मुझे बता दिया कहीं यही तो मसीह नहीं है $$ JHN 4:30 तब वे नगर से निकलकर उसके पास आने लगे $$ JHN 4:31 इतने में उसके चेले यीशु से यह विनती करने लगे हे रब्बी कुछ खा ले $$ JHN 4:32 परन्तु उसने उनसे कहा मेरे पास खाने के लिये ऐसा भोजन है जिसे तुम नहीं जानते $$ JHN 4:33 तब चेलों ने आपस में कहा क्या कोई उसके लिये कुछ खाने को लाया है $$ JHN 4:34 यीशु ने उनसे कहा मेरा भोजन यह है कि अपने भेजनेवाले की इच्छा के अनुसार चलूँ और उसका काम पूरा करूँ $$ JHN 4:35 क्या तुम नहीं कहते कटनी होने में अब भी चार महीने पड़े हैं देखो मैं तुम से कहता हूँ अपनी आँखें उठाकर खेतों पर दृष्टि डालो कि वे कटनी के लिये पक चुके हैं $$ JHN 4:36 और काटनेवाला मजदूरी पाता और अनन्त जीवन के लिये फल बटोरता है ताकि बोनेवाला और काटनेवाला दोनों मिलकर आनन्द करें $$ JHN 4:37 क्योंकि इस पर यह कहावत ठीक बैठती है बोनेवाला और है और काटनेवाला और $$ JHN 4:38 मैंने तुम्हें वह खेत काटने के लिये भेजा जिसमें तुम ने परिश्रम नहीं किया औरों ने परिश्रम किया और तुम उनके परिश्रम के फल में भागी हुए $$ JHN 4:39 और उस नगर के बहुत से सामरियों ने उस स्त्री के कहने से यीशु पर विश्वास किया जिस ने यह गवाही दी थी कि उसने सब कुछ जो मैंने किया है मुझे बता दिया $$ JHN 4:40 तब जब ये सामरी उसके पास आए तो उससे विनती करने लगे कि हमारे यहाँ रह और वह वहाँ दो दिन तक रहा $$ JHN 4:41 और उसके वचन के कारण और भी बहुतों ने विश्वास किया $$ JHN 4:42 और उस स्त्री से कहा अब हम तेरे कहने ही से विश्वास नहीं करते क्योंकि हमने आप ही सुन लिया और जानते हैं कि यही सचमुच में जगत का उद्धारकर्ता है $$ JHN 4:43 फिर उन दो दिनों के बाद वह वहाँ से निकलकर गलील को गया $$ JHN 4:44 क्योंकि यीशु ने आप ही साक्षी दी कि भविष्यद्वक्ता अपने देश में आदर नहीं पाता $$ JHN 4:45 जब वह गलील में आया तो गलीली आनन्द के साथ उससे मिले क्योंकि जितने काम उसने यरूशलेम में पर्व के समय किए थे उन्होंने उन सब को देखा था क्योंकि वे भी पर्व में गए थे $$ JHN 4:46 तब वह फिर गलील के काना में आया जहाँ उसने पानी को दाखरस बनाया था वहाँ राजा का एक कर्मचारी था जिसका पुत्र कफरनहूम में बीमार था $$ JHN 4:47 वह यह सुनकर कि यीशु यहूदिया से गलील में आ गया है उसके पास गया और उससे विनती करने लगा कि चलकर मेरे पुत्र को चंगा कर दे क्योंकि वह मरने पर था $$ JHN 4:48 यीशु ने उससे कहा जब तक तुम चिन्ह और अद्भुत काम न देखोगे तब तक कदापि विश्वास न करोगे $$ JHN 4:49 राजा के कर्मचारी ने उससे कहा हे प्रभु मेरे बालक की मृत्यु होने से पहले चल $$ JHN 4:50 यीशु ने उससे कहा जा तेरा पुत्र जीवित है उस मनुष्य ने यीशु की कही हुई बात पर विश्वास किया और चला गया $$ JHN 4:51 वह मार्ग में जा ही रहा था कि उसके दास उससे आ मिले और कहने लगे तेरा लड़का जीवित है $$ JHN 4:52 उसने उनसे पूछा किस घड़ी वह अच्छा होने लगा उन्होंने उससे कहा कल सातवें घण्टे में उसका ज्वर उतर गया $$ JHN 4:53 तब पिता जान गया कि यह उसी घड़ी हुआ जिस घड़ी यीशु ने उससे कहा तेरा पुत्र जीवित है और उसने और उसके सारे घराने ने विश्वास किया $$ JHN 4:54 यह दूसरा चिन्ह था जो यीशु ने यहूदिया से गलील में आकर दिखाया $$ JHN 5:1 ¶ इन बातों के पश्चात् यहूदियों का एक पर्व हुआ और यीशु यरूशलेम को गया $$ JHN 5:2 यरूशलेम में भेड़फाटक के पास एक कुण्ड है जो इब्रानी भाषा में बैतहसदा कहलाता है और उसके पाँच ओसारे हैं $$ JHN 5:3 इनमें बहुत से बीमार अंधे लँगड़े और सूखे अंगवाले पानी के हिलने की आशा में पड़े रहते थे $$ JHN 5:4 क्योंकि नियुक्त समय पर परमेश्‍वर के स्वर्गदूत कुण्ड में उतरकर पानी को हिलाया करते थे: पानी हिलते ही जो कोई पहले उतरता, वह चंगा हो जाता था, चाहे उसकी कोई बीमारी क्यों न हो। $$ JHN 5:5 वहाँ एक मनुष्य था जो अड़तीस वर्ष से बीमारी में पड़ा था $$ JHN 5:6 यीशु ने उसे पड़ा हुआ देखकर और यह जानकर कि वह बहुत दिनों से इस दशा में पड़ा है उससे पूछा क्या तू चंगा होना चाहता है $$ JHN 5:7 उस बीमार ने उसको उत्तर दिया हे स्वामी मेरे पास कोई मनुष्य नहीं कि जब पानी हिलाया जाए तो मुझे कुण्ड में उतारे परन्तु मेरे पहुँचतेपहुँचते दूसरा मुझसे पहले उतर जाता है $$ JHN 5:8 यीशु ने उससे कहा उठ अपनी खाट उठा और चल फिर $$ JHN 5:9 वह मनुष्य तुरन्त चंगा हो गया और अपनी खाट उठाकर चलने फिरने लगा $$ JHN 5:10 वह सब्त का दिन था इसलिए यहूदी उससे जो चंगा हुआ था कहने लगे आज तो सब्त का दिन है तुझे खाट उठानी उचित नहीं $$ JHN 5:11 उसने उन्हें उत्तर दिया जिस ने मुझे चंगा किया उसी ने मुझसे कहा अपनी खाट उठाकर चल फिर $$ JHN 5:12 उन्होंने उससे पूछा वह कौन मनुष्य है जिस ने तुझ से कहा खाट उठा और चल फिर $$ JHN 5:13 परन्तु जो चंगा हो गया था वह नहीं जानता था कि वह कौन है क्योंकि उस जगह में भीड़ होने के कारण यीशु वहाँ से हट गया था $$ JHN 5:14 इन बातों के बाद वह यीशु को मन्दिर में मिला तब उसने उससे कहा देख तू तो चंगा हो गया है फिर से पाप मत करना ऐसा न हो कि इससे कोई भारी विपत्ति तुझ पर आ पड़े $$ JHN 5:15 उस मनुष्य ने जाकर यहूदियों से कह दिया कि जिस ने मुझे चंगा किया वह यीशु है $$ JHN 5:16 इस कारण यहूदी यीशु को सताने लगे क्योंकि वह ऐसेऐसे काम सब्त के दिन करता था $$ JHN 5:17 इस पर यीशु ने उनसे कहा मेरा पिता अब तक काम करता है और मैं भी काम करता हूँ $$ JHN 5:18 इस कारण यहूदी और भी अधिक उसके मार डालने का प्रयत्न करने लगे कि वह न केवल सब्त के दिन की विधि को तोड़ता परन्तु परमेश्वर को अपना पिता कहकर अपने आप को परमेश्वर के तुल्य ठहराता था $$ JHN 5:19 इस पर यीशु ने उनसे कहा मैं तुम से सचसच कहता हूँ पुत्र आप से कुछ नहीं कर सकता केवल वह जो पिता को करते देखता है क्योंकि जिनजिन कामों को वह करता है उन्हें पुत्र भी उसी रीति से करता है $$ JHN 5:20 क्योंकि पिता पुत्र से प्यार करता है और जोजो काम वह आप करता है वह सब उसे दिखाता है और वह इनसे भी बड़े काम उसे दिखाएगा ताकि तुम अचम्भा करो $$ JHN 5:21 क्योंकि जैसा पिता मरे हुओं को उठाता और जिलाता है वैसा ही पुत्र भी जिन्हें चाहता है उन्हें जिलाता है $$ JHN 5:22 पिता किसी का न्याय भी नहीं करता परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है $$ JHN 5:23 इसलिए कि सब लोग जैसे पिता का आदर करते हैं वैसे ही पुत्र का भी आदर करें जो पुत्र का आदर नहीं करता वह पिता का जिसने उसे भेजा है आदर नहीं करता $$ JHN 5:24 मैं तुम से सचसच कहता हूँ जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है अनन्त जीवन उसका है और उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है $$ JHN 5:25 मैं तुम से सचसच कहता हूँ वह समय आता है और अब है जिसमें मृतक परमेश्वर के पुत्र का शब्द सुनेंगे और जो सुनेंगे वे जीएँगे $$ JHN 5:26 क्योंकि जिस रीति से पिता अपने आप में जीवन रखता है उसी रीति से उसने पुत्र को भी यह अधिकार दिया है कि अपने आप में जीवन रखे $$ JHN 5:27 वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है इसलिए कि वह मनुष्य का पुत्र है $$ JHN 5:28 इससे अचम्भा मत करो क्योंकि वह समय आता है कि जितने कब्रों में हैं उसका शब्द सुनकर निकलेंगे $$ JHN 5:29 जिन्होंने भलाई की है वे जीवन के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे और जिन्होंने बुराई की है वे दण्ड के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे $$ JHN 5:30 मैं अपने आप से कुछ नहीं कर सकता जैसा सुनता हूँ वैसा न्याय करता हूँ और मेरा न्याय सच्चा है क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं परन्तु अपने भेजनेवाले की इच्छा चाहता हूँ $$ JHN 5:31 यदि मैं आप ही अपनी गवाही दूँ तो मेरी गवाही सच्ची नहीं $$ JHN 5:32 एक और है जो मेरी गवाही देता है और मैं जानता हूँ कि मेरी जो गवाही वह देता है वह सच्ची है $$ JHN 5:33 तुम ने यूहन्ना से पुछवाया और उसने सच्चाई की गवाही दी है $$ JHN 5:34 परन्तु मैं अपने विषय में मनुष्य की गवाही नहीं चाहता फिर भी मैं ये बातें इसलिए कहता हूँ कि तुम्हें उद्धार मिले $$ JHN 5:35 वह तो जलता और चमकता हुआ दीपक था और तुम्हें कुछ देर तक उसकी ज्योति में मगन होना अच्छा लगा $$ JHN 5:36 परन्तु मेरे पास जो गवाही है वह यूहन्ना की गवाही से बड़ी है क्योंकि जो काम पिता ने मुझे पूरा करने को सौंपा है अर्थात् यही काम जो मैं करता हूँ वे मेरे गवाह हैं कि पिता ने मुझे भेजा है $$ JHN 5:37 और पिता जिस ने मुझे भेजा है उसी ने मेरी गवाही दी है तुम ने न कभी उसका शब्द सुना और न उसका रूप देखा है $$ JHN 5:38 और उसके वचन को मन में स्थिर नहीं रखते क्योंकि जिसे उसने भेजा तुम उस पर विश्वास नहीं करते $$ JHN 5:39 तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है और यह वही है जो मेरी गवाही देता है $$ JHN 5:40 फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते $$ JHN 5:41 मैं मनुष्यों से आदर नहीं चाहता $$ JHN 5:42 परन्तु मैं तुम्हें जानता हूँ कि तुम में परमेश्वर का प्रेम नहीं $$ JHN 5:43 मैं अपने पिता के नाम से आया हूँ और तुम मुझे ग्रहण नहीं करते यदि कोई और अपने ही नाम से आए तो उसे ग्रहण कर लोगे $$ JHN 5:44 तुम जो एक दूसरे से आदर चाहते हो और वह आदर जो एकमात्र परमेश्वर की ओर से है नहीं चाहते किस प्रकार विश्वास कर सकते हो $$ JHN 5:45 यह न समझो कि मैं पिता के सामने तुम पर दोष लगाऊँगा तुम पर दोष लगानेवाला तो है अर्थात् मूसा है जिस पर तुम ने भरोसा रखा है $$ JHN 5:46 क्योंकि यदि तुम मूसा पर विश्वास करते तो मुझ पर भी विश्वास करते इसलिए कि उसने मेरे विषय में लिखा है $$ JHN 5:47 परन्तु यदि तुम उसकी लिखी हुई बातों पर विश्वास नहीं करते तो मेरी बातों पर क्यों विश्वास करोगे $$ JHN 6:1 ¶ इन बातों के बाद यीशु गलील की झील अर्थात् तिबिरियुस की झील के पार गया $$ JHN 6:2 और एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली क्योंकि जो आश्चर्यकर्म वह बीमारों पर दिखाता था वे उनको देखते थे $$ JHN 6:3 तब यीशु पहाड़ पर चढ़कर अपने चेलों के साथ वहाँ बैठा $$ JHN 6:4 और यहूदियों के फसह का पर्व निकट था $$ JHN 6:5 तब यीशु ने अपनी आँखें उठाकर एक बड़ी भीड़ को अपने पास आते देखा और फिलिप्पुस से कहा हम इनके भोजन के लिये कहाँ से रोटी मोल लाएँ $$ JHN 6:6 परन्तु उसने यह बात उसे परखने के लिये कही क्योंकि वह स्वयं जानता था कि वह क्या करेगा $$ JHN 6:7 फिलिप्पुस ने उसको उत्तर दिया दो सौ दीनार की रोटी भी उनके लिये पूरी न होंगी कि उनमें से हर एक को थोड़ीथोड़ी मिल जाए $$ JHN 6:8 उसके चेलों में से शमौन पतरस के भाई अन्द्रियास ने उससे कहा $$ JHN 6:9 यहाँ एक लड़का है जिसके पास जौ की पाँच रोटी और दो मछलियाँ हैं परन्तु इतने लोगों के लिये वे क्या हैं $$ JHN 6:10 यीशु ने कहा लोगों को बैठा दो उस जगह बहुत घास थी तब वे लोग जो गिनती में लगभग पाँच हजार के थे बैठ गए $$ JHN 6:11 तब यीशु ने रोटियाँ लीं और धन्यवाद करके बैठनेवालों को बाँट दी और वैसे ही मछलियों में से जितनी वे चाहते थे बाँट दिया $$ JHN 6:12 जब वे खाकर तृप्त हो गए तो उसने अपने चेलों से कहा बचे हुए टुकड़े बटोर लो कि कुछ फेंका न जाए $$ JHN 6:13 इसलिए उन्होंने बटोरा और जौ की पाँच रोटियों के टुकड़े जो खानेवालों से बच रहे थे उनकी बारह टोकरियाँ भरीं $$ JHN 6:14 तब जो आश्चर्यकर्म उसने कर दिखाया उसे वे लोग देखकर कहने लगे कि वह भविष्यद्वक्ता जो जगत में आनेवाला था निश्चय यही है $$ JHN 6:15 यीशु यह जानकर कि वे उसे राजा बनाने के लिये आकर पकड़ना चाहते हैं फिर पहाड़ पर अकेला चला गया $$ JHN 6:16 फिर जब संध्या हुई तो उसके चेले झील के किनारे गए $$ JHN 6:17 और नाव पर चढ़कर झील के पार कफरनहूम को जाने लगे उस समय अंधेरा हो गया था और यीशु अभी तक उनके पास नहीं आया था $$ JHN 6:18 और आँधी के कारण झील में लहरें उठने लगीं $$ JHN 6:19 तब जब वे खेतेखेते तीन चार मील के लगभग निकल गए तो उन्होंने यीशु को झील पर चलते और नाव के निकट आते देखा और डर गए $$ JHN 6:20 परन्तु उसने उनसे कहा मैं हूँ डरो मत $$ JHN 6:21 तब वे उसे नाव पर चढ़ा लेने के लिये तैयार हुए और तुरन्त वह नाव उसी स्थान पर जा पहुँची जहाँ वह जाते थे $$ JHN 6:22 दूसरे दिन उस भीड़ ने जो झील के पार खड़ी थी यह देखा कि यहाँ एक को छोड़कर और कोई छोटी नाव न थी और यीशु अपने चेलों के साथ उस नाव पर न चढ़ा परन्तु केवल उसके चेले ही गए थे $$ JHN 6:23 तो भी और छोटी नावें तिबिरियुस से उस जगह के निकट आई जहाँ उन्होंने प्रभु के धन्यवाद करने के बाद रोटी खाई थी $$ JHN 6:24 जब भीड़ ने देखा कि यहाँ न यीशु है और न उसके चेले तो वे भी छोटीछोटी नावों पर चढ़ के यीशु को ढूँढ़ते हुए कफरनहूम को पहुँचे $$ JHN 6:25 और झील के पार उससे मिलकर कहा हे रब्बी तू यहाँ कब आया $$ JHN 6:26 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया मैं तुम से सचसच कहता हूँ तुम मुझे इसलिए नहीं ढूँढ़ते हो कि तुम ने अचम्भित काम देखे परन्तु इसलिए कि तुम रोटियाँ खाकर तृप्त हुए $$ JHN 6:27 नाशवान भोजन के लिये परिश्रम न करो परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा क्योंकि पिता अर्थात् परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है $$ JHN 6:28 उन्होंने उससे कहा परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्या करें $$ JHN 6:29 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया परमेश्वर का कार्य यह है कि तुम उस पर जिसे उसने भेजा है विश्वास करो $$ JHN 6:30 तब उन्होंने उससे कहा फिर तू कौन सा चिन्ह दिखाता है कि हम उसे देखकर तुझ पर विश्वास करें तू कौन सा काम दिखाता है $$ JHN 6:31 हमारे पूर्वजों ने जंगल में मन्ना खाया जैसा लिखा है उसने उन्हें खाने के लिये स्वर्ग से रोटी दी $$ JHN 6:32 यीशु ने उनसे कहा मैं तुम से सचसच कहता हूँ कि मूसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से न दी परन्तु मेरा पिता तुम्हें सच्ची रोटी स्वर्ग से देता है $$ JHN 6:33 क्योंकि परमेश्वर की रोटी वही है जो स्वर्ग से उतरकर जगत को जीवन देती है $$ JHN 6:34 तब उन्होंने उससे कहा हे स्वामी यह रोटी हमें सर्वदा दिया कर $$ JHN 6:35 यीशु ने उनसे कहा जीवन की रोटी मैं हूँ जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा वह कभी प्यासा न होगा $$ JHN 6:36 परन्तु मैंने तुम से कहा कि तुम ने मुझे देख भी लिया है तो भी विश्वास नहीं करते $$ JHN 6:37 जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा और जो कोई मेरे पास आएगा उसे मैं कभी न निकालूँगा $$ JHN 6:38 क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं वरन् अपने भेजनेवाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूँ $$ JHN 6:39 और मेरे भेजनेवाले की इच्छा यह है कि जो कुछ उसने मुझे दिया है उसमें से मैं कुछ न खोऊँ परन्तु उसे अन्तिम दिन फिर जिला उठाऊँ $$ JHN 6:40 क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है कि जो कोई पुत्र को देखे और उस पर विश्वास करे वह अनन्त जीवन पाए और मैं उसे अन्तिम दिन फिर जिला उठाऊँगा $$ JHN 6:41 तब यहूदी उस पर कुड़कुड़ाने लगे इसलिए कि उसने कहा था जो रोटी स्वर्ग से उतरी वह मैं हूँ $$ JHN 6:42 और उन्होंने कहा क्या यह यूसुफ का पुत्र यीशु नहीं जिसके मातापिता को हम जानते हैं तो वह क्यों कहता है कि मैं स्वर्ग से उतरा हूँ $$ JHN 6:43 यीशु ने उनको उत्तर दिया आपस में मत कुड़कुड़ाओ $$ JHN 6:44 कोई मेरे पास नहीं आ सकता जब तक पिता जिसने मुझे भेजा है उसे खींच न ले और मैं उसको अन्तिम दिन फिर जिला उठाऊँगा $$ JHN 6:45 भविष्यद्वक्ताओं के लेखों में यह लिखा है वे सब परमेश्वर की ओर से सिखाए हुए होंगे जिस किसी ने पिता से सुना और सीखा है वह मेरे पास आता है $$ JHN 6:46 यह नहीं कि किसी ने पिता को देखा है परन्तु जो परमेश्वर की ओर से है केवल उसी ने पिता को देखा है $$ JHN 6:47 मैं तुम से सचसच कहता हूँ कि जो कोई विश्वास करता है अनन्त जीवन उसी का है $$ JHN 6:48 जीवन की रोटी मैं हूँ $$ JHN 6:49 तुम्हारे पूर्वजों ने जंगल में मन्ना खाया और मर गए $$ JHN 6:50 यह वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरती है ताकि मनुष्य उसमें से खाए और न मरे $$ JHN 6:51 जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूँ यदि कोई इस रोटी में से खाए तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूँगा वह मेरा माँस है $$ JHN 6:52 इस पर यहूदी यह कहकर आपस में झगड़ने लगे यह मनुष्य कैसे हमें अपना माँस खाने को दे सकता है $$ JHN 6:53 यीशु ने उनसे कहा मैं तुम से सचसच कहता हूँ जब तक मनुष्य के पुत्र का माँस न खाओ और उसका लहू न पीओ तुम में जीवन नहीं $$ JHN 6:54 जो मेरा माँस खाता और मेरा लहू पीता हैं अनन्त जीवन उसी का है और मैं अन्तिम दिन फिर उसे जिला उठाऊँगा $$ JHN 6:55 क्योंकि मेरा माँस वास्तव में खाने की वस्तु है और मेरा लहू वास्तव में पीने की वस्तु है $$ JHN 6:56 जो मेरा माँस खाता और मेरा लहू पीता है वह मुझ में स्थिर बना रहता है और मैं उसमें $$ JHN 6:57 जैसा जीविते पिता ने मुझे भेजा और मैं पिता के कारण जीवित हूँ वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा $$ JHN 6:58 जो रोटी स्वर्ग से उतरी यही है पूर्वजों के समान नहीं कि खाया और मर गए जो कोई यह रोटी खाएगा वह सर्वदा जीवित रहेगा $$ JHN 6:59 ये बातें उसने कफरनहूम के एक आराधनालय में उपदेश देते समय कहीं $$ JHN 6:60 इसलिए उसके चेलों में से बहुतों ने यह सुनकर कहा यह तो कठोर शिक्षा है इसे कौन मान सकता है $$ JHN 6:61 यीशु ने अपने मन में यह जानकर कि मेरे चेले आपस में इस बात पर कुड़कुड़ाते हैं उनसे पूछा क्या इस बात से तुम्हें ठोकर लगती है $$ JHN 6:62 और यदि तुम मनुष्य के पुत्र को जहाँ वह पहले था वहाँ ऊपर जाते देखोगे तो क्या होगा $$ JHN 6:63 आत्मा तो जीवनदायक है शरीर से कुछ लाभ नहीं जो बातें मैंने तुम से कहीं हैं वे आत्मा है और जीवन भी हैं $$ JHN 6:64 परन्तु तुम में से कितने ऐसे हैं जो विश्वास नहीं करते क्योंकि यीशु तो पहले ही से जानता था कि जो विश्वास नहीं करते वे कौन हैं और कौन मुझे पकड़वाएगा $$ JHN 6:65 और उसने कहा इसलिए मैंने तुम से कहा था कि जब तक किसी को पिता की ओर से यह वरदान न दिया जाए तब तक वह मेरे पास नहीं आ सकता $$ JHN 6:66 इस पर उसके चेलों में से बहुत सारे उल्टे फिर गए और उसके बाद उसके साथ न चले $$ JHN 6:67 तब यीशु ने उन बारहों से कहा क्या तुम भी चले जाना चाहते हो $$ JHN 6:68 शमौन पतरस ने उसको उत्तर दिया हे प्रभु हम किस के पास जाएँ अनन्त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं $$ JHN 6:69 और हमने विश्वास किया और जान गए हैं कि परमेश्वर का पवित्र जन तू ही है $$ JHN 6:70 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया क्या मैंने तुम बारहों को नहीं चुन लिया तो भी तुम में से एक व्यक्ति शैतान है $$ JHN 6:71 यह उसने शमौन इस्करियोती के पुत्र यहूदा के विषय में कहा क्योंकि यही जो उन बारहों में से था उसे पकड़वाने को था $$ JHN 7:1 ¶ इन बातों के बाद यीशु गलील में फिरता रहा क्योंकि यहूदी उसे मार डालने का यत्न कर रहे थे इसलिए वह यहूदिया में फिरना न चाहता था $$ JHN 7:2 और यहूदियों का झोपड़ियों का पर्व निकट था $$ JHN 7:3 इसलिए उसके भाइयों ने उससे कहा यहाँ से कूच करके यहूदिया में चला जा कि जो काम तू करता है उन्हें तेरे चेले भी देखें $$ JHN 7:4 क्योंकि ऐसा कोई न होगा जो प्रसिद्ध होना चाहे और छिपकर काम करे यदि तू यह काम करता है तो अपने आप को जगत पर प्रगट कर $$ JHN 7:5 क्योंकि उसके भाई भी उस पर विश्वास नहीं करते थे $$ JHN 7:6 तब यीशु ने उनसे कहा मेरा समय अभी नहीं आया परन्तु तुम्हारे लिये सब समय है $$ JHN 7:7 जगत तुम से बैर नहीं कर सकता परन्तु वह मुझसे बैर करता है क्योंकि मैं उसके विरोध में यह गवाही देता हूँ कि उसके काम बुरे हैं $$ JHN 7:8 तुम पर्व में जाओ मैं अभी इस पर्व में नहीं जाता क्योंकि अभी तक मेरा समय पूरा नहीं हुआ $$ JHN 7:9 वह उनसे ये बातें कहकर गलील ही में रह गया $$ JHN 7:10 परन्तु जब उसके भाई पर्व में चले गए तो वह आप ही प्रगट में नहीं परन्तु मानो गुप्त होकर गया $$ JHN 7:11 यहूदी पर्व में उसे यह कहकर ढूँढ़ने लगे कि वह कहाँ है $$ JHN 7:12 और लोगों में उसके विषय चुपकेचुपके बहुत सी बातें हुई कितने कहते थे वह भला मनुष्य है और कितने कहते थे नहीं वह लोगों को भरमाता है $$ JHN 7:13 तो भी यहूदियों के भय के मारे कोई व्यक्ति उसके विषय में खुलकर नहीं बोलता था $$ JHN 7:14 और जब पर्व के आधे दिन बीत गए तो यीशु मन्दिर में जाकर उपदेश करने लगा $$ JHN 7:15 तब यहूदियों ने अचम्भा करके कहा इसे बिन पढ़े विद्या कैसे आ गई $$ JHN 7:16 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया मेरा उपदेश मेरा नहीं परन्तु मेरे भेजनेवाले का है $$ JHN 7:17 यदि कोई उसकी इच्छा पर चलना चाहे तो वह इस उपदेश के विषय में जान जाएगा कि वह परमेश्वर की ओर से है या मैं अपनी ओर से कहता हूँ $$ JHN 7:18 जो अपनी ओर से कुछ कहता है वह अपनी ही बढ़ाई चाहता है परन्तु जो अपने भेजनेवाले की बड़ाई चाहता है वही सच्चा है और उसमें अधर्म नहीं $$ JHN 7:19 क्या मूसा ने तुम्हें व्यवस्था नहीं दी तो भी तुम में से कोई व्यवस्था पर नहीं चलता तुम क्यों मुझे मार डालना चाहते हो $$ JHN 7:20 लोगों ने उत्तर दिया तुझ में दुष्टात्मा है कौन तुझे मार डालना चाहता है $$ JHN 7:21 यीशु ने उनको उत्तर दिया मैंने एक काम किया और तुम सब अचम्भा करते हो $$ JHN 7:22 इसी कारण मूसा ने तुम्हें खतने की आज्ञा दी है यह नहीं कि वह मूसा की ओर से है परन्तु पूर्वजों से चली आई है और तुम सब्त के दिन को मनुष्य का खतना करते हो $$ JHN 7:23 जब सब्त के दिन मनुष्य का खतना किया जाता है ताकि मूसा की व्यवस्था की आज्ञा टल न जाए तो तुम मुझ पर क्यों इसलिए क्रोध करते हो कि मैंने सब्त के दिन एक मनुष्य को पूरी रीति से चंगा किया $$ JHN 7:24 मुँह देखकर न्याय न करो परन्तु ठीकठीक न्याय करो $$ JHN 7:25 तब कितने यरूशलेमवासी कहने लगे क्या यह वह नहीं जिसके मार डालने का प्रयत्न किया जा रहा है $$ JHN 7:26 परन्तु देखो वह तो खुल्लमखुल्ला बातें करता है और कोई उससे कुछ नहीं कहता क्या सम्भव है कि सरदारों ने सचसच जान लिया है कि यही मसीह है $$ JHN 7:27 इसको तो हम जानते हैं कि यह कहाँ का है परन्तु मसीह जब आएगा तो कोई न जानेगा कि वह कहाँ का है $$ JHN 7:28 तब यीशु ने मन्दिर में उपदेश देते हुए पुकार के कहा तुम मुझे जानते हो और यह भी जानते हो कि मैं कहाँ का हूँ मैं तो आप से नहीं आया परन्तु मेरा भेजनेवाला सच्चा है उसको तुम नहीं जानते $$ JHN 7:29 मैं उसे जानता हूँ क्योंकि मैं उसकी ओर से हूँ और उसी ने मुझे भेजा है $$ JHN 7:30 इस पर उन्होंने उसे पकड़ना चाहा तो भी किसी ने उस पर हाथ न डाला क्योंकि उसका समय अब तक न आया था $$ JHN 7:31 और भीड़ में से बहुतों ने उस पर विश्वास किया और कहने लगे मसीह जब आएगा तो क्या इससे अधिक चिन्हों को दिखाएगा जो इसने दिखाए $$ JHN 7:32 फरीसियों ने लोगों को उसके विषय में ये बातें चुपकेचुपके करते सुना और प्रधान याजकों और फरीसियों ने उसे पकड़ने को सिपाही भेजे $$ JHN 7:33 इस पर यीशु ने कहा मैं थोड़ी देर तक और तुम्हारे साथ हूँ तब अपने भेजनेवाले के पास चला जाऊँगा $$ JHN 7:34 तुम मुझे ढूँढ़ोगे परन्तु नहीं पाओगे और जहाँ मैं हूँ वहाँ तुम नहीं आ सकते $$ JHN 7:35 यहूदियों ने आपस में कहा यह कहाँ जाएगा कि हम इसे न पाएँगे क्या वह उनके पास जाएगा जो यूनानियों में तितरबितर होकर रहते हैं और यूनानियों को भी उपदेश देगा $$ JHN 7:36 यह क्या बात है जो उसने कही कि तुम मुझे ढूँढ़ोगे परन्तु न पाओगे और जहाँ मैं हूँ वहाँ तुम नहीं आ सकते $$ JHN 7:37 फिर पर्व के अन्तिम दिन जो मुख्य दिन है यीशु खड़ा हुआ और पुकारकर कहा यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए $$ JHN 7:38 जो मुझ पर विश्वास करेगा जैसा पवित्रशास्त्र में आया है उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी $$ JHN 7:39 उसने यह वचन उस आत्मा के विषय में कहा जिसे उस पर विश्वास करनेवाले पाने पर थे क्योंकि आत्मा अब तक न उतरा था क्योंकि यीशु अब तक अपनी महिमा को न पहुँचा था $$ JHN 7:40 तब भीड़ में से किसीकिसी ने ये बातें सुन कर कहा सचमुच यही वह भविष्यद्वक्ता है $$ JHN 7:41 औरों ने कहा यह मसीह है परन्तु किसी ने कहा क्यों क्या मसीह गलील से आएगा $$ JHN 7:42 क्या पवित्रशास्त्र में नहीं आया कि मसीह दाऊद के वंश से और बैतलहम गाँव से आएगा जहाँ दाऊद रहता था $$ JHN 7:43 अतः उसके कारण लोगों में फूट पड़ी $$ JHN 7:44 उनमें से कितने उसे पकड़ना चाहते थे परन्तु किसी ने उस पर हाथ न डाला $$ JHN 7:45 तब सिपाही प्रधान याजकों और फरीसियों के पास आए और उन्होंने उनसे कहा तुम उसे क्यों नहीं लाए $$ JHN 7:46 सिपाहियों ने उत्तर दिया किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें न की $$ JHN 7:47 फरीसियों ने उनको उत्तर दिया क्या तुम भी भरमाए गए हो $$ JHN 7:48 क्या शासकों या फरीसियों में से किसी ने भी उस पर विश्वास किया है $$ JHN 7:49 परन्तु ये लोग जो व्यवस्था नहीं जानते श्रापित हैं $$ JHN 7:50 नीकुदेमुस ने जो पहले उसके पास आया था और उनमें से एक था उनसे कहा $$ JHN 7:51 क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति को जब तक पहले उसकी सुनकर जान न ले कि वह क्या करता है दोषी ठहराती है $$ JHN 7:52 उन्होंने उसे उत्तर दिया क्या तू भी गलील का है ढूँढ़ और देख कि गलील से कोई भविष्यद्वक्ता प्रगट नहीं होने का $$ JHN 7:53 तब सब कोई अपने-अपने घर चले गए। $$ JHN 8:1 ¶ परन्तु यीशु जैतून के पहाड़* पर गया। $$ JHN 8:2 और भोर को फिर मन्दिर में आया, और सब लोग उसके पास आए; और वह बैठकर उन्हें उपदेश देने लगा। $$ JHN 8:3 तब शास्त्री और फरीसी एक स्त्री को लाए जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी, और उसको बीच में खड़ा करके यीशु से कहा, $$ JHN 8:4 “हे गुरु, यह स्त्री व्यभिचार करते पकड़ी गई है। $$ JHN 8:5 व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्त्रियों को पत्थराव करें; अतः तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है?” (लैव्य. 20:10) $$ JHN 8:6 उन्होंने उसको परखने के लिये यह बात कही ताकि उस पर दोष लगाने के लिये कोई बात पाएँ, परन्तु यीशु झुककर उँगली से भूमि पर लिखने लगा। $$ JHN 8:7 जब वे उससे पूछते रहे, तो उसने सीधे होकर उनसे कहा, “तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे।” (रोम. 2:1) $$ JHN 8:8 और फिर झुककर भूमि पर उँगली से लिखने लगा। $$ JHN 8:9 परन्तु वे यह सुनकर बड़ों से लेकर छोटों तक एक-एक करके निकल गए, और यीशु अकेला रह गया, और स्त्री वहीं बीच में खड़ी रह गई। $$ JHN 8:10 यीशु ने सीधे होकर उससे कहा, “हे नारी, वे कहाँ गए? क्या किसी ने तुझ पर दण्ड की आज्ञा न दी?” $$ JHN 8:11 उसने कहा, “हे प्रभु, किसी ने नहीं।” यीशु ने कहा, “मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।” $$ JHN 8:12 ¶ तब यीशु ने फिर लोगों से कहा जगत की ज्योति मैं हूँ जो मेरे पीछे हो लेगा वह अंधकार में न चलेगा परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा $$ JHN 8:13 फरीसियों ने उससे कहा तू अपनी गवाही आप देता है तेरी गवाही ठीक नहीं $$ JHN 8:14 यीशु ने उनको उत्तर दिया यदि मैं अपनी गवाही आप देता हूँ तो भी मेरी गवाही ठीक है क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैं कहाँ से आया हूँ और कहाँ को जाता हूँ परन्तु तुम नहीं जानते कि मैं कहाँ से आता हूँ या कहाँ को जाता हूँ $$ JHN 8:15 तुम शरीर के अनुसार न्याय करते हो मैं किसी का न्याय नहीं करता $$ JHN 8:16 और यदि मैं न्याय करूँ भी तो मेरा न्याय सच्चा है क्योंकि मैं अकेला नहीं परन्तु मैं पिता के साथ हूँ जिस ने मुझे भेजा है $$ JHN 8:17 और तुम्हारी व्यवस्था में भी लिखा है कि दो जनों की गवाही मिलकर ठीक होती है $$ JHN 8:18 एक तो मैं आप अपनी गवाही देता हूँ और दूसरा पिता मेरी गवाही देता है जिस ने मुझे भेजा $$ JHN 8:19 उन्होंने उससे कहा तेरा पिता कहाँ है यीशु ने उत्तर दिया न तुम मुझे जानते हो न मेरे पिता को यदि मुझे जानते तो मेरे पिता को भी जानते $$ JHN 8:20 ये बातें उसने मन्दिर में उपदेश देते हुए भण्डार घर में कहीं और किसी ने उसे न पकड़ा क्योंकि उसका समय अब तक नहीं आया था $$ JHN 8:21 उसने फिर उनसे कहा मैं जाता हूँ और तुम मुझे ढूँढ़ोगे और अपने पाप में मरोगे जहाँ मैं जाता हूँ वहाँ तुम नहीं आ सकते $$ JHN 8:22 इस पर यहूदियों ने कहा क्या वह अपने आप को मार डालेगा जो कहता है जहाँ मैं जाता हूँ वहाँ तुम नहीं आ सकते $$ JHN 8:23 उसने उनसे कहा तुम नीचे के हो मैं ऊपर का हूँ तुम संसार के हो मैं संसार का नहीं $$ JHN 8:24 इसलिए मैंने तुम से कहा कि तुम अपने पापों में मरोगे क्योंकि यदि तुम विश्वास न करोगे कि मैं वही हूँ तो अपने पापों में मरोगे $$ JHN 8:25 उन्होंने उससे कहा तू कौन है यीशु ने उनसे कहा वही हूँ जो प्रारंभ से तुम से कहता आया हूँ $$ JHN 8:26 तुम्हारे विषय में मुझे बहुत कुछ कहना और निर्णय करना है परन्तु मेरा भेजनेवाला सच्चा है और जो मैंने उससे सुना है वही जगत से कहता हूँ $$ JHN 8:27 वे न समझे कि हम से पिता के विषय में कहता है $$ JHN 8:28 तब यीशु ने कहा जब तुम मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाओगे तो जानोगे कि मैं वही हूँ और अपने आप से कुछ नहीं करता परन्तु जैसे मेरे पिता ने मुझे सिखाया वैसे ही ये बातें कहता हूँ $$ JHN 8:29 और मेरा भेजनेवाला मेरे साथ है उसने मुझे अकेला नहीं छोड़ा क्योंकि मैं सर्वदा वही काम करता हूँ जिससे वह प्रसन्न होता है $$ JHN 8:30 वह ये बातें कह ही रहा था कि बहुतों ने उस पर विश्वास किया $$ JHN 8:31 तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्होंने उस पर विश्वास किया था कहा यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे $$ JHN 8:32 और सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा $$ JHN 8:33 उन्होंने उसको उत्तर दिया हम तो अब्राहम के वंश से हैं और कभी किसी के दास नहीं हुए फिर तू क्यों कहता है कि तुम स्वतंत्र हो जाओगे $$ JHN 8:34 यीशु ने उनको उत्तर दिया मैं तुम से सचसच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है $$ JHN 8:35 और दास सदा घर में नहीं रहता पुत्र सदा रहता है $$ JHN 8:36 इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे $$ JHN 8:37 मैं जानता हूँ कि तुम अब्राहम के वंश से हो तो भी मेरा वचन तुम्हारे हृदय में जगह नहीं पाता इसलिए तुम मुझे मार डालना चाहते हो $$ JHN 8:38 मैं वही कहता हूँ जो अपने पिता के यहाँ देखा है और तुम वही करते रहते हो जो तुम ने अपने पिता से सुना है $$ JHN 8:39 उन्होंने उसको उत्तर दिया हमारा पिता तो अब्राहम है यीशु ने उनसे कहा यदि तुम अब्राहम के सन्तान होते तो अब्राहम के समान काम करते $$ JHN 8:40 परन्तु अब तुम मुझ जैसे मनुष्य को मार डालना चाहते हो जिस ने तुम्हें वह सत्य वचन बताया जो परमेश्वर से सुना यह तो अब्राहम ने नहीं किया था $$ JHN 8:41 तुम अपने पिता के समान काम करते हो उन्होंने उससे कहा हम व्यभिचार से नहीं जन्मे हमारा एक पिता है अर्थात् परमेश्वर $$ JHN 8:42 यीशु ने उनसे कहा यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता तो तुम मुझसे प्रेम रखते क्योंकि मैं परमेश्वर में से निकलकर आया हूँ मैं आप से नहीं आया परन्तु उसी ने मुझे भेजा $$ JHN 8:43 तुम मेरी बात क्यों नहीं समझते इसलिए कि मेरा वचन सुन नहीं सकते $$ JHN 8:44 तुम अपने पिता शैतान से हो और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो वह तो आरम्भ से हत्यारा है और सत्य पर स्थिर न रहा क्योंकि सत्य उसमें है ही नहीं जब वह झूठ बोलता तो अपने स्वभाव ही से बोलता है क्योंकि वह झूठा है वरन् झूठ का पिता है $$ JHN 8:45 परन्तु मैं जो सच बोलता हूँ इसलिए तुम मेरा विश्वास नहीं करते $$ JHN 8:46 तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है और यदि मैं सच बोलता हूँ तो तुम मेरा विश्वास क्यों नहीं करते $$ JHN 8:47 जो परमेश्वर से होता है वह परमेश्वर की बातें सुनता है और तुम इसलिए नहीं सुनते कि परमेश्वर की ओर से नहीं हो $$ JHN 8:48 यह सुन यहूदियों ने उससे कहा क्या हम ठीक नहीं कहते कि तू सामरी है और तुझ में दुष्टात्मा है $$ JHN 8:49 यीशु ने उत्तर दिया मुझ में दुष्टात्मा नहीं परन्तु मैं अपने पिता का आदर करता हूँ और तुम मेरा निरादर करते हो $$ JHN 8:50 परन्तु मैं अपनी प्रतिष्ठा नहीं चाहता हाँ एक है जो चाहता है और न्याय करता है $$ JHN 8:51 मैं तुम से सचसच कहता हूँ कि यदि कोई व्यक्ति मेरे वचन पर चलेगा तो वह अनन्तकाल तक मृत्यु को न देखेगा $$ JHN 8:52 यहूदियों ने उससे कहा अब हमने जान लिया कि तुझ में दुष्टात्मा है अब्राहम मर गया और भविष्यद्वक्ता भी मर गए हैं और तू कहता है यदि कोई मेरे वचन पर चलेगा तो वह अनन्तकाल तक मृत्यु का स्वाद न चखेगा $$ JHN 8:53 हमारा पिता अब्राहम तो मर गया क्या तू उससे बड़ा है और भविष्यद्वक्ता भी मर गए तू अपने आप को क्या ठहराता है $$ JHN 8:54 यीशु ने उत्तर दिया यदि मैं आप अपनी महिमा करूँ तो मेरी महिमा कुछ नहीं परन्तु मेरी महिमा करनेवाला मेरा पिता है जिसे तुम कहते हो कि वह हमारा परमेश्वर है $$ JHN 8:55 और तुम ने तो उसे नहीं जाना परन्तु मैं उसे जानता हूँ और यदि कहूँ कि मैं उसे नहीं जानता तो मैं तुम्हारे समान झूठा ठहरूँगा परन्तु मैं उसे जानता और उसके वचन पर चलता हूँ $$ JHN 8:56 तुम्हारा पिता अब्राहम मेरा दिन देखने की आशा से बहुत मगन था और उसने देखा और आनन्द किया $$ JHN 8:57 यहूदियों ने उससे कहा अब तक तू पचास वर्ष का नहीं फिर भी तूने अब्राहम को देखा है $$ JHN 8:58 यीशु ने उनसे कहा मैं तुम से सचसच कहता हूँ कि पहले इसके कि अब्राहम उत्पन्न हुआ मैं हूँ $$ JHN 8:59 तब उन्होंने उसे मारने के लिये पत्थर उठाए परन्तु यीशु छिपकर मन्दिर से निकल गया $$ JHN 9:1 ¶ फिर जाते हुए उसने एक मनुष्य को देखा जो जन्म से अंधा था $$ JHN 9:2 और उसके चेलों ने उससे पूछा हे रब्बी किस ने पाप किया था कि यह अंधा जन्मा इस मनुष्य ने या उसके माता पिता ने $$ JHN 9:3 यीशु ने उत्तर दिया न तो इसने पाप किया था न इसके माता पिता ने परन्तु यह इसलिए हुआ कि परमेश्वर के काम उसमें प्रगट हों $$ JHN 9:4 जिस ने मुझे भेजा है हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है वह रात आनेवाली है जिसमें कोई काम नहीं कर सकता $$ JHN 9:5 जब तक मैं जगत में हूँ तब तक जगत की ज्योति हूँ $$ JHN 9:6 यह कहकर उसने भूमि पर थूका और उस थूक से मिट्टी सानी और वह मिट्टी उस अंधे की आँखों पर लगाकर $$ JHN 9:7 उससे कहा जा शीलोह के कुण्ड में धो ले शीलोह का अर्थ भेजा हुआ है अतः उसने जाकर धोया और देखता हुआ लौट आया $$ JHN 9:8 तब पड़ोसी और जिन्होंने पहले उसे भीख माँगते देखा था कहने लगे क्या यह वही नहीं जो बैठा भीख माँगा करता था $$ JHN 9:9 कुछ लोगों ने कहा यह वही है औरों ने कहा नहीं परन्तु उसके समान है उसने कहा मैं वही हूँ $$ JHN 9:10 तब वे उससे पूछने लगे तेरी आँखों कैसे खुल गई $$ JHN 9:11 उसने उत्तर दिया यीशु नामक एक व्यक्ति ने मिट्टी सानी और मेरी आँखों पर लगाकर मुझसे कहा शीलोह में जाकर धो ले तो मैं गया और धोकर देखने लगा $$ JHN 9:12 उन्होंने उससे पूछा वह कहाँ है उसने कहा मैं नहीं जानता $$ JHN 9:13 लोग उसे जो पहले अंधा था फरीसियों के पास ले गए $$ JHN 9:14 जिस दिन यीशु ने मिट्टी सानकर उसकी आँखें खोली थी वह सब्त का दिन था $$ JHN 9:15 फिर फरीसियों ने भी उससे पूछा तेरी आँखें किस रीति से खुल गई उसने उनसे कहा उसने मेरी आँखों पर मिट्टी लगाई फिर मैंने धो लिया और अब देखता हूँ $$ JHN 9:16 इस पर कई फरीसी कहने लगे यह मनुष्य परमेश्वर की ओर से नहीं क्योंकि वह सब्त का दिन नहीं मानता औरों ने कहा पापी मनुष्य कैसे ऐसे चिन्ह दिखा सकता है अतः उनमें फूट पड़ी $$ JHN 9:17 उन्होंने उस अंधे से फिर कहा उसने जो तेरी आँखें खोली तू उसके विषय में क्या कहता है उसने कहा यह भविष्यद्वक्ता है $$ JHN 9:18 परन्तु यहूदियों को विश्वास न हुआ कि यह अंधा था और अब देखता है जब तक उन्होंने उसके मातापिता को जिसकी आँखें खुल गई थी बुलाकर $$ JHN 9:19 उनसे पूछा क्या यह तुम्हारा पुत्र है जिसे तुम कहते हो कि अंधा जन्मा था फिर अब कैसे देखता है $$ JHN 9:20 उसके मातापिता ने उत्तर दिया हम तो जानते हैं कि यह हमारा पुत्र है और अंधा जन्मा था $$ JHN 9:21 परन्तु हम यह नहीं जानते हैं कि अब कैसे देखता है और न यह जानते हैं कि किस ने उसकी आँखें खोलीं वह सयाना है उसी से पूछ लो वह अपने विषय में आप कह देगा $$ JHN 9:22 ये बातें उसके मातापिता ने इसलिए कहीं क्योंकि वे यहूदियों से डरते थे क्योंकि यहूदी एकमत हो चुके थे कि यदि कोई कहे कि वह मसीह है तो आराधनालय से निकाला जाए $$ JHN 9:23 इसी कारण उसके मातापिता ने कहा वह सयाना है उसी से पूछ लो $$ JHN 9:24 तब उन्होंने उस मनुष्य को जो अंधा था दूसरी बार बुलाकर उससे कहा परमेश्वर की स्तुति कर हम तो जानते हैं कि वह मनुष्य पापी है $$ JHN 9:25 उसने उत्तर दिया मैं नहीं जानता कि वह पापी है या नहीं मैं एक बात जानता हूँ कि मैं अंधा था और अब देखता हूँ $$ JHN 9:26 उन्होंने उससे फिर कहा उसने तेरे साथ क्या किया और किस तरह तेरी आँखें खोली $$ JHN 9:27 उसने उनसे कहा मैं तो तुम से कह चुका और तुम ने न सुना अब दूसरी बार क्यों सुनना चाहते हो क्या तुम भी उसके चेले होना चाहते हो $$ JHN 9:28 तब वे उसे बुराभला कहकर बोले तू ही उसका चेला है हम तो मूसा के चेले हैं $$ JHN 9:29 हम जानते हैं कि परमेश्वर ने मूसा से बातें की परन्तु इस मनुष्य को नहीं जानते की कहाँ का है $$ JHN 9:30 उसने उनको उत्तर दिया यह तो अचम्भे की बात है कि तुम नहीं जानते की कहाँ का है तो भी उसने मेरी आँखें खोल दीं $$ JHN 9:31 हम जानते हैं कि परमेश्वर पापियों की नहीं सुनता परन्तु यदि कोई परमेश्वर का भक्त हो और उसकी इच्छा पर चलता है तो वह उसकी सुनता है $$ JHN 9:32 जगत के आरम्भ से यह कभी सुनने में नहीं आया कि किसी ने भी जन्म के अंधे की आँखें खोली हों $$ JHN 9:33 यदि यह व्यक्ति परमेश्वर की ओर से न होता तो कुछ भी नहीं कर सकता $$ JHN 9:34 उन्होंने उसको उत्तर दिया तू तो बिलकुल पापों में जन्मा है तू हमें क्या सिखाता है और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया $$ JHN 9:35 यीशु ने सुना कि उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया है और जब उससे भेंट हुई तो कहा क्या तू परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है $$ JHN 9:36 उसने उत्तर दिया हे प्रभु वह कौन है कि मैं उस पर विश्वास करूँ $$ JHN 9:37 यीशु ने उससे कहा तूने उसे देखा भी है और जो तेरे साथ बातें कर रहा है वही है $$ JHN 9:38 उसने कहा हे प्रभु मैं विश्वास करता हूँ और उसे दण्डवत् किया $$ JHN 9:39 तब यीशु ने कहा मैं इस जगत में न्याय के लिये आया हूँ ताकि जो नहीं देखते वे देखें और जो देखते हैं वे अंधे हो जाएँ $$ JHN 9:40 जो फरीसी उसके साथ थे उन्होंने ये बातें सुन कर उससे कहा क्या हम भी अंधे हैं $$ JHN 9:41 यीशु ने उनसे कहा यदि तुम अंधे होते तो पापी न ठहरते परन्तु अब कहते हो कि हम देखते हैं इसलिए तुम्हारा पाप बना रहता है $$ JHN 10:1 ¶ मैं तुम से सचसच कहता हूँ कि जो कोई द्वार से भेड़शाला में प्रवेश नहीं करता परन्तु और किसी ओर से चढ़ जाता है वह चोर और डाकू है $$ JHN 10:2 परन्तु जो द्वार से भीतर प्रवेश करता है वह भेड़ों का चरवाहा है $$ JHN 10:3 उसके लिये द्वारपाल द्वार खोल देता है और भेड़ें उसका शब्द सुनती हैं और वह अपनी भेड़ों को नाम ले लेकर बुलाता है और बाहर ले जाता है $$ JHN 10:4 और जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल चुकता है तो उनके आगेआगे चलता है और भेड़ें उसके पीछेपीछे हो लेती हैं क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं $$ JHN 10:5 परन्तु वे पराये के पीछे नहीं जाएँगी परन्तु उससे भागेंगी क्योंकि वे परायों का शब्द नहीं पहचानती $$ JHN 10:6 यीशु ने उनसे यह दृष्टान्त कहा परन्तु वे न समझे कि ये क्या बातें हैं जो वह हम से कहता है $$ JHN 10:7 तब यीशु ने उनसे फिर कहा मैं तुम से सचसच कहता हूँ कि भेड़ों का द्वार मैं हूँ $$ JHN 10:8 जितने मुझसे पहले आए वे सब चोर और डाकू हैं परन्तु भेड़ों ने उनकी न सुनी $$ JHN 10:9 द्वार मैं हूँ यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पाएगा और भीतर बाहर आयाजाया करेगा और चारा पाएगा $$ JHN 10:10 चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और हत्या करने और नष्ट करने को आता है मैं इसलिए आया कि वे जीवन पाएँ और बहुतायत से पाएँ $$ JHN 10:11 अच्छा चरवाहा मैं हूँ अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है $$ JHN 10:12 मजदूर जो न चरवाहा है और न भेड़ों का मालिक है भेड़िए को आते हुए देख भेड़ों को छोड़कर भाग जाता है और भेड़िया उन्हें पकड़ता और तितरबितर कर देता है $$ JHN 10:13 वह इसलिए भाग जाता है कि वह मजदूर है और उसको भेड़ों की चिन्ता नहीं $$ JHN 10:14 अच्छा चरवाहा मैं हूँ मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं $$ JHN 10:15 जिस तरह पिता मुझे जानता है और मैं पिता को जानता हूँ और मैं भेड़ों के लिये अपना प्राण देता हूँ $$ JHN 10:16 और मेरी और भी भेड़ें हैं जो इस भेड़शाला की नहीं मुझे उनका भी लाना अवश्य है वे मेरा शब्द सुनेंगी तब एक ही झुण्ड और एक ही चरवाहा होगा $$ JHN 10:17 पिता इसलिए मुझसे प्रेम रखता है कि मैं अपना प्राण देता हूँ कि उसे फिर ले लूँ $$ JHN 10:18 कोई उसे मुझसे छीनता नहीं वरन् मैं उसे आप ही देता हूँ मुझे उसके देने का अधिकार है और उसे फिर लेने का भी अधिकार है यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है $$ JHN 10:19 इन बातों के कारण यहूदियों में फिर फूट पड़ी $$ JHN 10:20 उनमें से बहुत सारे कहने लगे उसमें दुष्टात्मा है और वह पागल है उसकी क्यों सुनते हो $$ JHN 10:21 औरों ने कहा ये बातें ऐसे मनुष्य की नहीं जिसमें दुष्टात्मा हो क्या दुष्टात्मा अंधों की आँखें खोल सकती है $$ JHN 10:22 यरूशलेम में स्थापन पर्व हुआ और जाड़े की ऋतु थी $$ JHN 10:23 और यीशु मन्दिर में सुलैमान के ओसारे में टहल रहा था $$ JHN 10:24 तब यहूदियों ने उसे आ घेरा और पूछा तू हमारे मन को कब तक दुविधा में रखेगा यदि तू मसीह है तो हम से साफ कह दे $$ JHN 10:25 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया मैंने तुम से कह दिया और तुम विश्वास करते ही नहीं जो काम मैं अपने पिता के नाम से करता हूँ वे ही मेरे गवाह हैं $$ JHN 10:26 परन्तु तुम इसलिए विश्वास नहीं करते कि मेरी भेड़ों में से नहीं हो $$ JHN 10:27 मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं और मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरे पीछेपीछे चलती हैं $$ JHN 10:28 और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ और वे कभी नाश नहीं होंगी और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा $$ JHN 10:29 मेरा पिता जिस ने उन्हें मुझ को दिया है सबसे बड़ा है और कोई उन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता $$ JHN 10:30 मैं और पिता एक हैं $$ JHN 10:31 यहूदियों ने उसे पत्थराव करने को फिर पत्थर उठाए $$ JHN 10:32 इस पर यीशु ने उनसे कहा मैंने तुम्हें अपने पिता की ओर से बहुत से भले काम दिखाए हैं उनमें से किस काम के लिये तुम मुझे पत्थराव करते हो $$ JHN 10:33 यहूदियों ने उसको उत्तर दिया भले काम के लिये हम तुझे पत्थराव नहीं करते परन्तु परमेश्वर की निन्दा के कारण और इसलिए कि तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्वर बनाता है $$ JHN 10:34 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया क्या तुम्हारी व्यवस्था में नहीं लिखा है कि मैंने कहा तुम ईश्वर हो $$ JHN 10:35 यदि उसने उन्हें ईश्वर कहा जिनके पास परमेश्वर का वचन पहुँचा और पवित्रशास्त्र की बात लोप नहीं हो सकती $$ JHN 10:36 तो जिसे पिता ने पवित्र ठहराकर जगत में भेजा है तुम उससे कहते हो तू निन्दा करता है इसलिए कि मैंने कहा मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ $$ JHN 10:37 यदि मैं अपने पिता का काम नहीं करता तो मेरा विश्वास न करो $$ JHN 10:38 परन्तु यदि मैं करता हूँ तो चाहे मेरा विश्वास न भी करो परन्तु उन कामों पर विश्वास करो ताकि तुम जानो और समझो कि पिता मुझ में है और मैं पिता में हूँ $$ JHN 10:39 तब उन्होंने फिर उसे पकड़ने का प्रयत्न किया परन्तु वह उनके हाथ से निकल गया $$ JHN 10:40 फिर वह यरदन के पार उस स्थान पर चला गया जहाँ यूहन्ना पहले बपतिस्मा दिया करता था और वहीं रहा $$ JHN 10:41 और बहुत सारे उसके पास आकर कहते थे यूहन्ना ने तो कोई चिन्ह नहीं दिखाया परन्तु जो कुछ यूहन्ना ने इसके विषय में कहा था वह सब सच था $$ JHN 10:42 और वहाँ बहुतों ने उस पर विश्वास किया $$ JHN 11:1 ¶ मरियम और उसकी बहन मार्था के गाँव बैतनिय्याह का लाज़र नाम एक मनुष्य बीमार था $$ JHN 11:2 यह वही मरियम थी जिस ने प्रभु पर इत्र डालकर उसके पाँवों को अपने बालों से पोंछा था इसी का भाई लाज़र बीमार था $$ JHN 11:3 तब उसकी बहनों ने उसे कहला भेजा हे प्रभु देख जिससे तू प्यार करता है वह बीमार है $$ JHN 11:4 यह सुनकर यीशु ने कहा यह बीमारी मृत्यु की नहीं परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिये है कि उसके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो $$ JHN 11:5 और यीशु मार्था और उसकी बहन और लाज़र से प्रेम रखता था $$ JHN 11:6 जब उसने सुना कि वह बीमार है तो जिस स्थान पर वह था वहाँ दो दिन और ठहर गया $$ JHN 11:7 फिर इसके बाद उसने चेलों से कहा आओ हम फिर यहूदिया को चलें $$ JHN 11:8 चेलों ने उससे कहा हे रब्बी अभी तो यहूदी तुझे पत्थराव करना चाहते थे और क्या तू फिर भी वहीं जाता है $$ JHN 11:9 यीशु ने उत्तर दिया क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते यदि कोई दिन को चले तो ठोकर नहीं खाता क्योंकि इस जगत का उजाला देखता है $$ JHN 11:10 परन्तु यदि कोई रात को चले तो ठोकर खाता है क्योंकि उसमें प्रकाश नहीं $$ JHN 11:11 उसने ये बातें कहीं और इसके बाद उनसे कहने लगा हमारा मित्र लाज़र सो गया है परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूँ $$ JHN 11:12 तब चेलों ने उससे कहा हे प्रभु यदि वह सो गया है तो बच जाएगा $$ JHN 11:13 यीशु ने तो उसकी मृत्यु के विषय में कहा था परन्तु वे समझे कि उसने नींद से सो जाने के विषय में कहा $$ JHN 11:14 तब यीशु ने उनसे साफ कह दिया लाज़र मर गया है $$ JHN 11:15 और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूँ कि मैं वहाँ न था जिससे तुम विश्वास करो परन्तु अब आओ हम उसके पास चलें $$ JHN 11:16 तब थोमा ने जो दिदुमुस कहलाता है अपने साथ के चेलों से कहा आओ हम भी उसके साथ मरने को चलें $$ JHN 11:17 फिर यीशु को आकर यह मालूम हुआ कि उसे कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं $$ JHN 11:18 बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था $$ JHN 11:19 और बहुत से यहूदी मार्था और मरियम के पास उनके भाई के विषय में शान्ति देने के लिये आए थे $$ JHN 11:20 जब मार्था यीशु के आने का समाचार सुनकर उससे भेंट करने को गई परन्तु मरियम घर में बैठी रही $$ JHN 11:21 मार्था ने यीशु से कहा हे प्रभु यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई कदापि न मरता $$ JHN 11:22 और अब भी मैं जानती हूँ कि जो कुछ तू परमेश्वर से माँगेगा परमेश्वर तुझे देगा $$ JHN 11:23 यीशु ने उससे कहा तेरा भाई जी उठेगा $$ JHN 11:24 मार्था ने उससे कहा मैं जानती हूँ अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा $$ JHN 11:25 यीशु ने उससे कहा पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तो भी जीएगा $$ JHN 11:26 और जो कोई जीवित है और मुझ पर विश्वास करता है वह अनन्तकाल तक न मरेगा क्या तू इस बात पर विश्वास करती है $$ JHN 11:27 उसने उससे कहा हाँ हे प्रभु मैं विश्वास कर चुकी हूँ कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था वह तू ही है $$ JHN 11:28 यह कहकर वह चली गई और अपनी बहन मरियम को चुपके से बुलाकर कहा गुरु यहीं है और तुझे बुलाता है $$ JHN 11:29 वह सुनते ही तुरन्त उठकर उसके पास आई $$ JHN 11:30 यीशु अभी गाँव में नहीं पहुँचा था परन्तु उसी स्थान में था जहाँ मार्था ने उससे भेंट की थी $$ JHN 11:31 तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे और उसे शान्ति दे रहे थे यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठके बाहर गई है और यह समझकर कि वह कब्र पर रोने को जाती है उसके पीछे हो लिये $$ JHN 11:32 जब मरियम वहाँ पहुँची जहाँ यीशु था तो उसे देखते ही उसके पाँवों पर गिरके कहा हे प्रभु यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता $$ JHN 11:33 जब यीशु ने उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा तो आत्मा में बहुत ही उदास और व्याकुल हुआ $$ JHN 11:34 और कहा तुम ने उसे कहाँ रखा है उन्होंने उससे कहा हे प्रभु चलकर देख ले $$ JHN 11:35 यीशु रोया $$ JHN 11:36 तब यहूदी कहने लगे देखो वह उससे कैसा प्यार करता था $$ JHN 11:37 परन्तु उनमें से कितनों ने कहा क्या यह जिस ने अंधे की आँखें खोली यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता $$ JHN 11:38 यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया वह एक गुफा थी और एक पत्थर उस पर धरा था $$ JHN 11:39 यीशु ने कहा पत्थर को उठाओ उस मरे हुए की बहन मार्था उससे कहने लगी हे प्रभु उसमें से अब तो दुर्गन्ध आती है क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए $$ JHN 11:40 यीशु ने उससे कहा क्या मैंने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी $$ JHN 11:41 तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया फिर यीशु ने आँखें उठाकर कहा हे पिता मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तूने मेरी सुन ली है $$ JHN 11:42 और मैं जानता था कि तू सदा मेरी सुनता है परन्तु जो भीड़ आसपास खड़ी है उनके कारण मैंने यह कहा जिससे कि वे विश्वास करें कि तूने मुझे भेजा है $$ JHN 11:43 यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा हे लाज़र निकल आ $$ JHN 11:44 जो मर गया था वह कफन से हाथ पाँव बंधे हुए निकल आया और उसका मुँह अँगोछे से लिपटा हुआ था यीशु ने उनसे कहा उसे खोलकर जाने दो $$ JHN 11:45 तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे और उसका यह काम देखा था उनमें से बहुतों ने उस पर विश्वास किया $$ JHN 11:46 परन्तु उनमें से कितनों ने फरीसियों के पास जाकर यीशु के कामों का समाचार दिया $$ JHN 11:47 इस पर प्रधान याजकों और फरीसियों ने मुख्य सभा के लोगों को इकट्ठा करके कहा हम क्या करेंगे यह मनुष्य तो बहुत चिन्ह दिखाता है $$ JHN 11:48 यदि हम उसे यों ही छोड़ दे तो सब उस पर विश्वास ले आएँगे और रोमी आकर हमारी जगह और जाति दोनों पर अधिकार कर लेंगे $$ JHN 11:49 तब उनमें से कैफा नाम एक व्यक्ति ने जो उस वर्ष का महायाजक था उनसे कहा तुम कुछ नहीं जानते $$ JHN 11:50 और न यह सोचते हो कि तुम्हारे लिये यह भला है कि लोगों के लिये एक मनुष्य मरे और न यह कि सारी जाति नाश हो $$ JHN 11:51 यह बात उसने अपनी ओर से न कही परन्तु उस वर्ष का महायाजक होकर भविष्यद्वाणी की कि यीशु उस जाति के लिये मरेगा $$ JHN 11:52 और न केवल उस जाति के लिये वरन् इसलिए भी कि परमेश्वर की तितरबितर सन्तानों को एक कर दे $$ JHN 11:53 अतः उसी दिन से वे उसके मार डालने की सम्मति करने लगे $$ JHN 11:54 इसलिए यीशु उस समय से यहूदियों में प्रगट होकर न फिरा परन्तु वहाँ से जंगल के निकटवर्ती प्रदेश के एप्रैम नाम एक नगर को चला गया और अपने चेलों के साथ वहीं रहने लगा $$ JHN 11:55 और यहूदियों का फसह निकट था और बहुत सारे लोग फसह से पहले दिहात से यरूशलेम को गए कि अपने आप को शुद्ध करें $$ JHN 11:56 वे यीशु को ढूँढ़ने और मन्दिर में खड़े होकर आपस में कहने लगे तुम क्या समझते हो क्या वह पर्व में नहीं आएगा $$ JHN 11:57 और प्रधान याजकों और फरीसियों ने भी आज्ञा दे रखी थी कि यदि कोई यह जाने कि यीशु कहाँ है तो बताए कि उसे पकड़ लें $$ JHN 12:1 ¶ फिर यीशु फसह से छः दिन पहले बैतनिय्याह में आया जहाँ लाज़र था जिसे यीशु ने मरे हुओं में से जिलाया था $$ JHN 12:2 वहाँ उन्होंने उसके लिये भोजन तैयार किया और मार्था सेवा कर रही थी और लाज़र उनमें से एक था जो उसके साथ भोजन करने के लिये बैठे थे $$ JHN 12:3 तब मरियम ने जटामांसी का आधा सेर बहुमूल्य इत्र लेकर यीशु के पाँवों पर डाला और अपने बालों से उसके पाँव पोंछे और इत्र की सुगंध से घर सुगन्धित हो गया $$ JHN 12:4 परन्तु उसके चेलों में से यहूदा इस्करियोती नाम एक चेला जो उसे पकड़वाने पर था कहने लगा $$ JHN 12:5 यह इत्र तीन सौ दीनार में बेचकर गरीबों को क्यों न दिया गया $$ JHN 12:6 उसने यह बात इसलिए न कही कि उसे गरीबों की चिन्ता थी परन्तु इसलिए कि वह चोर था और उसके पास उनकी थैली रहती थी और उसमें जो कुछ डाला जाता था वह निकाल लेता था $$ JHN 12:7 यीशु ने कहा उसे मेरे गाड़े जाने के दिन के लिये रहने दे $$ JHN 12:8 क्योंकि गरीब तो तुम्हारे साथ सदा रहते हैं परन्तु मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूँगा $$ JHN 12:9 यहूदियों में से साधारण लोग जान गए कि वह वहाँ है और वे न केवल यीशु के कारण आए परन्तु इसलिए भी कि लाज़र को देखें जिसे उसने मरे हुओं में से जिलाया था $$ JHN 12:10 तब प्रधान याजकों ने लाज़र को भी मार डालने की सम्मति की $$ JHN 12:11 क्योंकि उसके कारण बहुत से यहूदी चले गए और यीशु पर विश्वास किया $$ JHN 12:12 दूसरे दिन बहुत से लोगों ने जो पर्व में आए थे यह सुनकर कि यीशु यरूशलेम में आ रहा है $$ JHN 12:13 उन्होंने खजूर की डालियाँ लीं और उससे भेंट करने को निकले और पुकारने लगे होशाना धन्य इस्राएल का राजा जो प्रभु के नाम से आता है $$ JHN 12:14 जब यीशु को एक गदहे का बच्चा मिला तो वह उस पर बैठा जैसा लिखा है $$ JHN 12:15 हे सिय्योन की बेटी मत डर देख तेरा राजा गदहे के बच्चे पर चढ़ा हुआ चला आता है $$ JHN 12:16 उसके चेले ये बातें पहले न समझे थे परन्तु जब यीशु की महिमा प्रगट हुई तो उनको स्मरण आया कि ये बातें उसके विषय में लिखी हुई थीं और लोगों ने उससे इस प्रकार का व्यवहार किया था $$ JHN 12:17 तब भीड़ के लोगों ने जो उस समय उसके साथ थे यह गवाही दी कि उसने लाज़र को कब्र में से बुलाकर मरे हुओं में से जिलाया था $$ JHN 12:18 इसी कारण लोग उससे भेंट करने को आए थे क्योंकि उन्होंने सुना था कि उसने यह आश्चर्यकर्म दिखाया है $$ JHN 12:19 तब फरीसियों ने आपस में कहा सोचो तुम लोग कुछ नहीं कर पा रहे हो देखो संसार उसके पीछे हो चला है $$ JHN 12:20 जो लोग उस पर्व में आराधना करने आए थे उनमें से कई यूनानी थे $$ JHN 12:21 उन्होंने गलील के बैतसैदा के रहनेवाले फिलिप्पुस के पास आकर उससे विनती की श्रीमान हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं $$ JHN 12:22 फिलिप्पुस ने आकर अन्द्रियास से कहा तब अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने यीशु से कहा $$ JHN 12:23 इस पर यीशु ने उनसे कहा वह समय आ गया है कि मनुष्य के पुत्र कि महिमा हो $$ JHN 12:24 मैं तुम से सचसच कहता हूँ कि जब तक गेहूँ का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता वह अकेला रहता है परन्तु जब मर जाता है तो बहुत फल लाता है $$ JHN 12:25 जो अपने प्राण को प्रिय जानता है वह उसे खो देता है और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है वह अनन्त जीवन के लिये उसकी रक्षा करेगा $$ JHN 12:26 यदि कोई मेरी सेवा करे तो मेरे पीछे हो ले और जहाँ मैं हूँ वहाँ मेरा सेवक भी होगा यदि कोई मेरी सेवा करे तो पिता उसका आदर करेगा $$ JHN 12:27 अब मेरा जी व्याकुल हो रहा है इसलिए अब मैं क्या कहूँ हे पिता मुझे इस घड़ी से बचा परन्तु मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुँचा हूँ $$ JHN 12:28 हे पिता अपने नाम की महिमा कर तब यह आकाशवाणी हुई मैंने उसकी महिमा की है और फिर भी करूँगा $$ JHN 12:29 तब जो लोग खड़े हुए सुन रहे थे उन्होंने कहा कि बादल गरजा औरों ने कहा कोई स्वर्गदूत उससे बोला $$ JHN 12:30 इस पर यीशु ने कहा यह शब्द मेरे लिये नहीं परन्तु तुम्हारे लिये आया है $$ JHN 12:31 अब इस जगत का न्याय होता है अब इस जगत का सरदार निकाल दिया जाएगा $$ JHN 12:32 और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँगा तो सब को अपने पास खीचूँगा $$ JHN 12:33 ऐसा कहकर उसने यह प्रगट कर दिया कि वह कैसी मृत्यु से मरेगा $$ JHN 12:34 इस पर लोगों ने उससे कहा हमने व्यवस्था की यह बात सुनी है कि मसीह सर्वदा रहेगा फिर तू क्यों कहता है कि मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है यह मनुष्य का पुत्र कौन है $$ JHN 12:35 यीशु ने उनसे कहा ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो ऐसा न हो कि अंधकार तुम्हें आ घेरे जो अंधकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है $$ JHN 12:36 जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान बनो ये बातें कहकर यीशु चला गया और उनसे छिपा रहा $$ JHN 12:37 और उसने उनके सामने इतने चिन्ह दिखाए तो भी उन्होंने उस पर विश्वास न किया $$ JHN 12:38 ताकि यशायाह भविष्यद्वक्ता का वचन पूरा हो जो उसने कहा हे प्रभु हमारे समाचार पर किस ने विश्वास किया है और प्रभु का भुजबल किस पर प्रगट हुआ $$ JHN 12:39 इस कारण वे विश्वास न कर सके क्योंकि यशायाह ने यह भी कहा है $$ JHN 12:40 उसने उनकी आँखें अंधी और उनका मन कठोर किया है कहीं ऐसा न हो कि आँखों से देखें और मन से समझें और फिरें और मैं उन्हें चंगा करूँ $$ JHN 12:41 यशायाह ने ये बातें इसलिए कहीं कि उसने उसकी महिमा देखी और उसने उसके विषय में बातें की $$ JHN 12:42 तो भी सरदारों में से भी बहुतों ने उस पर विश्वास किया परन्तु फरीसियों के कारण प्रगट में नहीं मानते थे ऐसा न हो कि आराधनालय में से निकाले जाएँ $$ JHN 12:43 क्योंकि मनुष्यों की प्रशंसा उनको परमेश्वर की प्रशंसा से अधिक प्रिय लगती थी $$ JHN 12:44 यीशु ने पुकारकर कहा जो मुझ पर विश्वास करता है वह मुझ पर नहीं वरन् मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है $$ JHN 12:45 और जो मुझे देखता है वह मेरे भेजनेवाले को देखता है $$ JHN 12:46 मैं जगत में ज्योति होकर आया हूँ ताकि जो कोई मुझ पर विश्वास करे वह अंधकार में न रहे $$ JHN 12:47 यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ $$ JHN 12:48 जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है अर्थात् जो वचन मैंने कहा है वह अन्तिम दिन में उसे दोषी ठहराएगा $$ JHN 12:49 क्योंकि मैंने अपनी ओर से बातें नहीं की परन्तु पिता जिस ने मुझे भेजा है उसी ने मुझे आज्ञा दी है कि क्याक्या कहूँ और क्याक्या बोलूँ $$ JHN 12:50 और मैं जानता हूँ कि उसकी आज्ञा अनन्त जीवन है इसलिए मैं जो बोलता हूँ वह जैसा पिता ने मुझसे कहा है वैसा ही बोलता हूँ $$ JHN 13:1 ¶ फसह के पर्व से पहले जब यीशु ने जान लिया कि मेरा वह समय आ पहुँचा है कि जगत छोड़कर पिता के पास जाऊँ तो अपने लोगों से जो जगत में थे जैसा प्रेम वह रखता था अन्त तक वैसा ही प्रेम रखता रहा $$ JHN 13:2 और जब शैतान शमौन के पुत्र यहूदा इस्करियोती के मन में यह डाल चुका था कि उसे पकड़वाए तो भोजन के समय $$ JHN 13:3 यीशु ने यह जानकर कि पिता ने सब कुछ उसके हाथ में कर दिया है और मैं परमेश्वर के पास से आया हूँ और परमेश्वर के पास जाता हूँ $$ JHN 13:4 भोजन पर से उठकर अपने कपड़े उतार दिए और अँगोछा लेकर अपनी कमर बाँधी $$ JHN 13:5 तब बर्तन में पानी भरकर चेलों के पाँव धोने और जिस अँगोछे से उसकी कमर बंधी थी उसी से पोंछने लगा $$ JHN 13:6 जब वह शमौन पतरस के पास आया तब उसने उससे कहा हे प्रभु क्या तू मेरे पाँव धोता है $$ JHN 13:7 यीशु ने उसको उत्तर दिया जो मैं करता हूँ तू अभी नहीं जानता परन्तु इसके बाद समझेगा $$ JHN 13:8 पतरस ने उससे कहा तू मेरे पाँव कभी न धोने पाएगा यह सुनकर यीशु ने उससे कहा यदि मैं तुझे न धोऊँ तो मेरे साथ तेरा कुछ भी भाग नहीं $$ JHN 13:9 शमौन पतरस ने उससे कहा हे प्रभु तो मेरे पाँव ही नहीं वरन् हाथ और सिर भी धो दे $$ JHN 13:10 यीशु ने उससे कहा जो नहा चुका है उसे पाँव के सिवा और कुछ धोने का प्रयोजन नहीं परन्तु वह बिलकुल शुद्ध है और तुम शुद्ध हो परन्तु सब के सब नहीं $$ JHN 13:11 वह तो अपने पकड़वानेवाले को जानता था इसलिए उसने कहा तुम सब के सब शुद्ध नहीं $$ JHN 13:12 जब वह उनके पाँव धो चुका और अपने कपड़े पहनकर फिर बैठ गया तो उनसे कहने लगा क्या तुम समझे कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया $$ JHN 13:13 तुम मुझे गुरु और प्रभु कहते हो और भला कहते हो क्योंकि मैं वहीं हूँ $$ JHN 13:14 यदि मैंने प्रभु और गुरु होकर तुम्हारे पाँव धोए तो तुम्हें भी एक दूसरे के पाँव धोना चाहिए $$ JHN 13:15 क्योंकि मैंने तुम्हें नमूना दिखा दिया है कि जैसा मैंने तुम्हारे साथ किया है तुम भी वैसा ही किया करो $$ JHN 13:16 मैं तुम से सचसच कहता हूँ दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं और न भेजा हुआ अपने भेजनेवाले से $$ JHN 13:17 तुम तो ये बातें जानते हो और यदि उन पर चलो तो धन्य हो $$ JHN 13:18 मैं तुम सब के विषय में नहीं कहता जिन्हें मैंने चुन लिया है उन्हें मैं जानता हूँ परन्तु यह इसलिए है कि पवित्रशास्त्र का यह वचन पूरा हो जो मेरी रोटी खाता है उसने मुझ पर लात उठाई $$ JHN 13:19 अब मैं उसके होने से पहले तुम्हें जताए देता हूँ कि जब हो जाए तो तुम विश्वास करो कि मैं वहीं हूँ $$ JHN 13:20 मैं तुम से सचसच कहता हूँ कि जो मेरे भेजे हुए को ग्रहण करता है वह मुझे ग्रहण करता है और जो मुझे ग्रहण करता है वह मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है $$ JHN 13:21 ये बातें कहकर यीशु आत्मा में व्याकुल हुआ और यह गवाही दी मैं तुम से सचसच कहता हूँ कि तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा $$ JHN 13:22 चेले यह संदेह करते हुए कि वह किस के विषय में कहता है एक दूसरे की ओर देखने लगे $$ JHN 13:23 उसके चेलों में से एक जिससे यीशु प्रेम रखता था यीशु की छाती की ओर झुका हुआ बैठा था $$ JHN 13:24 तब शमौन पतरस ने उसकी ओर संकेत करके पूछा बता तो वह किस के विषय में कहता है $$ JHN 13:25 तब उसने उसी तरह यीशु की छाती की ओर झुककर पूछा हे प्रभु वह कौन है यीशु ने उत्तर दिया जिसे मैं यह रोटी का टुकड़ा डुबोकर दूँगा वही है $$ JHN 13:26 और उसने टुकड़ा डुबोकर शमौन के पुत्र यहूदा इस्करियोती को दिया $$ JHN 13:27 और टुकड़ा लेते ही शैतान उसमें समा गया तब यीशु ने उससे कहा जो तू करनेवाला है तुरन्त कर $$ JHN 13:28 परन्तु बैठनेवालों में से किसी ने न जाना कि उसने यह बात उससे किस लिये कही $$ JHN 13:29 यहूदा के पास थैली रहती थी इसलिए किसीकिसी ने समझा कि यीशु उससे कहता है कि जो कुछ हमें पर्व के लिये चाहिए वह मोल ले या यह कि गरीबों को कुछ दे $$ JHN 13:30 तब वह टुकड़ा लेकर तुरन्त बाहर चला गया और रात्रि का समय था $$ JHN 13:31 जब वह बाहर चला गया तो यीशु ने कहा अब मनुष्य के पुत्र की महिमा हुई और परमेश्वर की महिमा उसमें हुई $$ JHN 13:32 और परमेश्वर भी अपने में उसकी महिमा करेगा वरन् तुरन्त करेगा $$ JHN 13:33 हे बालकों मैं और थोड़ी देर तुम्हारे पास हूँ फिर तुम मुझे ढूँढ़ोगे और जैसा मैंने यहूदियों से कहा जहाँ मैं जाता हूँ वहाँ तुम नहीं आ सकते वैसा ही मैं अब तुम से भी कहता हूँ $$ JHN 13:34 मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूँ कि एक दूसरे से प्रेम रखो जैसा मैंने तुम से प्रेम रखा है वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो $$ JHN 13:35 यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो $$ JHN 13:36 शमौन पतरस ने उससे कहा हे प्रभु तू कहाँ जाता है यीशु ने उत्तर दिया जहाँ मैं जाता हूँ वहाँ तू अब मेरे पीछे आ नहीं सकता परन्तु इसके बाद मेरे पीछे आएगा $$ JHN 13:37 पतरस ने उससे कहा हे प्रभु अभी मैं तेरे पीछे क्यों नहीं आ सकता मैं तो तेरे लिये अपना प्राण दूँगा $$ JHN 13:38 यीशु ने उत्तर दिया क्या तू मेरे लिये अपना प्राण देगा मैं तुझ से सचसच कहता हूँ कि मुर्गा बाँग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा $$ JHN 14:1 ¶ तुम्हारा मन व्याकुल न हो तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो $$ JHN 14:2 मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं यदि न होते तो मैं तुम से कह देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ $$ JHN 14:3 और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो $$ JHN 14:4 और जहाँ मैं जाता हूँ तुम वहाँ का मार्ग जानते हो $$ JHN 14:5 थोमा ने उससे कहा हे प्रभु हम नहीं जानते कि तू कहाँ जाता है तो मार्ग कैसे जानें $$ JHN 14:6 यीशु ने उससे कहा मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता $$ JHN 14:7 यदि तुम ने मुझे जाना होता तो मेरे पिता को भी जानते और अब उसे जानते हो और उसे देखा भी है $$ JHN 14:8 फिलिप्पुस ने उससे कहा हे प्रभु पिता को हमें दिखा दे यही हमारे लिये बहुत है $$ JHN 14:9 यीशु ने उससे कहा हे फिलिप्पुस मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ और क्या तू मुझे नहीं जानता जिस ने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा $$ JHN 14:10 क्या तू विश्वास नहीं करता कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में हैं ये बातें जो मैं तुम से कहता हूँ अपनी ओर से नहीं कहता परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है $$ JHN 14:11 मेरा ही विश्वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है नहीं तो कामों ही के कारण मेरा विश्वास करो $$ JHN 14:12 मैं तुम से सचसच कहता हूँ कि जो मुझ पर विश्वास रखता है ये काम जो मैं करता हूँ वह भी करेगा वरन् इनसे भी बड़े काम करेगा क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूँ $$ JHN 14:13 और जो कुछ तुम मेरे नाम से माँगोगे वही मैं करूँगा कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो $$ JHN 14:14 यदि तुम मुझसे मेरे नाम से कुछ माँगोगे तो मैं उसे करूँगा $$ JHN 14:15 यदि तुम मुझसे प्रेम रखते हो तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे $$ JHN 14:16 और मैं पिता से विनती करूँगा और वह तुम्हें एक और सहायक देगा कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे $$ JHN 14:17 अर्थात् सत्य की आत्मा जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है तुम उसे जानते हो क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है और वह तुम में होगा $$ JHN 14:18 मैं तुम्हें अनाथ न छोडूँगा मैं तुम्हारे पास वापस आता हूँ $$ JHN 14:19 और थोड़ी देर रह गई है कि संसार मुझे न देखेगा परन्तु तुम मुझे देखोगे इसलिए कि मैं जीवित हूँ तुम भी जीवित रहोगे $$ JHN 14:20 उस दिन तुम जानोगे कि मैं अपने पिता में हूँ और तुम मुझ में और मैं तुम में $$ JHN 14:21 जिसके पास मेरी आज्ञा है और वह उन्हें मानता है वही मुझसे प्रेम रखता है और जो मुझसे प्रेम रखता है उससे मेरा पिता प्रेम रखेगा और मैं उससे प्रेम रखूँगा और अपने आप को उस पर प्रगट करूँगा $$ JHN 14:22 उस यहूदा ने जो इस्करियोती न था उससे कहा हे प्रभु क्या हुआ कि तू अपने आप को हम पर प्रगट करना चाहता है और संसार पर नहीं $$ JHN 14:23 यीशु ने उसको उत्तर दिया यदि कोई मुझसे प्रेम रखे तो वह मेरे वचन को मानेगा और मेरा पिता उससे प्रेम रखेगा और हम उसके पास आएँगे और उसके साथ वास करेंगे $$ JHN 14:24 जो मुझसे प्रेम नहीं रखता वह मेरे वचन नहीं मानता और जो वचन तुम सुनते हो वह मेरा नहीं वरन् पिता का है जिस ने मुझे भेजा $$ JHN 14:25 ये बातें मैंने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कही $$ JHN 14:26 परन्तु सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा और जो कुछ मैंने तुम से कहा है वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा $$ JHN 14:27 मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूँ अपनी शान्ति तुम्हें देता हूँ जैसे संसार देता है मैं तुम्हें नहीं देता तुम्हारा मन न घबराए और न डरे $$ JHN 14:28 तुम ने सुना कि मैंने तुम से कहा मैं जाता हूँ और तुम्हारे पास फिर आता हूँ यदि तुम मुझसे प्रेम रखते तो इस बात से आनन्दित होते कि मैं पिता के पास जाता हूँ क्योंकि पिता मुझसे बड़ा है $$ JHN 14:29 और मैंने अब इसके होने से पहले तुम से कह दिया है कि जब वह हो जाए तो तुम विश्वास करो $$ JHN 14:30 मैं अब से तुम्हारे साथ और बहुत बातें न करूँगा क्योंकि इस संसार का सरदार आता है और मुझ पर उसका कुछ अधिकार नहीं $$ JHN 14:31 परन्तु यह इसलिए होता है कि संसार जाने कि मैं पिता से प्रेम रखता हूँ और जिस तरह पिता ने मुझे आज्ञा दी मैं वैसे ही करता हूँ उठो यहाँ से चलें $$ JHN 15:1 ¶ सच्ची दाखलता मैं हूँ और मेरा पिता किसान है $$ JHN 15:2 जो डाली मुझ में है और नहीं फलती उसे वह काट डालता है और जो फलती है उसे वह छाँटता है ताकि और फले $$ JHN 15:3 तुम तो उस वचन के कारण जो मैंने तुम से कहा है शुद्ध हो $$ JHN 15:4 तुम मुझ में बने रहो और मैं तुम में जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे तो अपने आप से नहीं फल सकती वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते $$ JHN 15:5 मैं दाखलता हूँ तुम डालियाँ हो जो मुझ में बना रहता है और मैं उसमें वह बहुत फल फलता है क्योंकि मुझसे अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते $$ JHN 15:6 यदि कोई मुझ में बना न रहे तो वह डाली के समान फेंक दिया जाता और सूख जाता है और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं और वे जल जाती हैं $$ JHN 15:7 यदि तुम मुझ में बने रहो और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो माँगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा $$ JHN 15:8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है कि तुम बहुत सा फल लाओ तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे $$ JHN 15:9 जैसा पिता ने मुझसे प्रेम रखा वैसे ही मैंने तुम से प्रेम रखा मेरे प्रेम में बने रहो $$ JHN 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे तो मेरे प्रेम में बने रहोगे जैसा कि मैंने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है और उसके प्रेम में बना रहता हूँ $$ JHN 15:11 मैंने ये बातें तुम से इसलिए कही हैं कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए $$ JHN 15:12 मेरी आज्ञा यह है कि जैसा मैंने तुम से प्रेम रखा वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो $$ JHN 15:13 इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे $$ JHN 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूँ यदि उसे करो तो तुम मेरे मित्र हो $$ JHN 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूँगा क्योंकि दास नहीं जानता कि उसका स्वामी क्या करता है परन्तु मैंने तुम्हें मित्र कहा है क्योंकि मैंने जो बातें अपने पिता से सुनीं वे सब तुम्हें बता दीं $$ JHN 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैंने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जाकर फल लाओ और तुम्हारा फल बना रहे कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से माँगो वह तुम्हें दे $$ JHN 15:17 इन बातों की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिए देता हूँ कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो $$ JHN 15:18 यदि संसार तुम से बैर रखता है तो तुम जानते हो कि उसने तुम से पहले मुझसे भी बैर रखा $$ JHN 15:19 यदि तुम संसार के होते तो संसार अपनों से प्रेम रखता परन्तु इस कारण कि तुम संसार के नहीं वरन् मैंने तुम्हें संसार में से चुन लिया है इसलिए संसार तुम से बैर रखता है $$ JHN 15:20 जो बात मैंने तुम से कही थी दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता उसको याद रखो यदि उन्होंने मुझे सताया तो तुम्हें भी सताएँगे यदि उन्होंने मेरी बात मानी तो तुम्हारी भी मानेंगे $$ JHN 15:21 परन्तु यह सब कुछ वे मेरे नाम के कारण तुम्हारे साथ करेंगे क्योंकि वे मेरे भेजनेवाले को नहीं जानते $$ JHN 15:22 यदि मैं न आता और उनसे बातें न करता तो वे पापी न ठहरते परन्तु अब उन्हें उनके पाप के लिये कोई बहाना नहीं $$ JHN 15:23 जो मुझसे बैर रखता है वह मेरे पिता से भी बैर रखता है $$ JHN 15:24 यदि मैं उनमें वे काम न करता जो और किसी ने नहीं किए तो वे पापी नहीं ठहरते परन्तु अब तो उन्होंने मुझे और मेरे पिता दोनों को देखा और दोनों से बैर किया $$ JHN 15:25 और यह इसलिए हुआ कि वह वचन पूरा हो जो उनकी व्यवस्था में लिखा है उन्होंने मुझसे व्यर्थ बैर किया $$ JHN 15:26 परन्तु जब वह सहायक आएगा जिसे मैं तुम्हारे पास पिता की ओर से भेजूँगा अर्थात् सत्य का आत्मा जो पिता की ओर से निकलता है तो वह मेरी गवाही देगा $$ JHN 15:27 और तुम भी गवाह हो क्योंकि तुम आरम्भ से मेरे साथ रहे हो $$ JHN 16:1 ¶ ये बातें मैंने तुम से इसलिए कहीं कि तुम ठोकर न खाओ $$ JHN 16:2 वे तुम्हें आराधनालयों में से निकाल देंगे वरन् वह समय आता है कि जो कोई तुम्हें मार डालेगा यह समझेगा कि मैं परमेश्वर की सेवा करता हूँ $$ JHN 16:3 और यह वे इसलिए करेंगे कि उन्होंने न पिता को जाना है और न मुझे जानते हैं $$ JHN 16:4 परन्तु ये बातें मैंने इसलिए तुम से कहीं कि जब उनके पूरे होने का समय आए तो तुम्हें स्मरण आ जाए कि मैंने तुम से पहले ही कह दिया था $$ JHN 16:5 अब मैं अपने भेजनेवाले के पास जाता हूँ और तुम में से कोई मुझसे नहीं पूछता तू कहाँ जाता हैं $$ JHN 16:6 परन्तु मैंने जो ये बातें तुम से कही हैं इसलिए तुम्हारा मन शोक से भर गया $$ JHN 16:7 फिर भी मैं तुम से सच कहता हूँ कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है क्योंकि यदि मैं न जाऊँ तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा परन्तु यदि मैं जाऊँगा तो उसे तुम्हारे पास भेज दूँगा $$ JHN 16:8 और वह आकर संसार को पाप और धार्मिकता और न्याय के विषय में निरुत्तर करेगा $$ JHN 16:9 पाप के विषय में इसलिए कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते $$ JHN 16:10 और धार्मिकता के विषय में इसलिए कि मैं पिता के पास जाता हूँ और तुम मुझे फिर न देखोगे $$ JHN 16:11 न्याय के विषय में इसलिए कि संसार का सरदार दोषी ठहराया गया है $$ JHN 16:12 मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते $$ JHN 16:13 परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा $$ JHN 16:14 वह मेरी महिमा करेगा क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा $$ JHN 16:15 जो कुछ पिता का है वह सब मेरा है इसलिए मैंने कहा कि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा $$ JHN 16:16 थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे $$ JHN 16:17 तब उसके कितने चेलों ने आपस में कहा यह क्या है जो वह हम से कहता है थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे और यह इसलिए कि मैं पिता के पास जाता हूँ $$ JHN 16:18 तब उन्होंने कहा यह थोड़ी देर जो वह कहता है क्या बात है हम नहीं जानते कि क्या कहता है $$ JHN 16:19 यीशु ने यह जानकर कि वे मुझसे पूछना चाहते हैं उनसे कहा क्या तुम आपस में मेरी इस बात के विषय में पूछताछ करते हो थोड़ी देर में तुम मुझे न देखोगे और फिर थोड़ी देर में मुझे देखोगे $$ JHN 16:20 मैं तुम से सचसच कहता हूँ कि तुम रोओगे और विलाप करोगे परन्तु संसार आनन्द करेगा तुम्हें शोक होगा परन्तु तुम्हारा शोक आनन्द बन जाएगा $$ JHN 16:21 जब स्त्री जनने लगती है तो उसको शोक होता है क्योंकि उसकी दुःख की घड़ी आ पहुँची परन्तु जब वह बालक को जन्म दे चुकी तो इस आनन्द से कि जगत में एक मनुष्य उत्पन्न हुआ उस संकट को फिर स्मरण नहीं करती $$ JHN 16:22 और तुम्हें भी अब तो शोक है परन्तु मैं तुम से फिर मिलूँगा और तुम्हारे मन में आनन्द होगा और तुम्हारा आनन्द कोई तुम से छीन न लेगा $$ JHN 16:23 उस दिन तुम मुझसे कुछ न पूछोगे मैं तुम से सचसच कहता हूँ यदि पिता से कुछ माँगोगे तो वह मेरे नाम से तुम्हें देगा $$ JHN 16:24 अब तक तुम ने मेरे नाम से कुछ नहीं माँगा माँगो तो पाओगे ताकि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए $$ JHN 16:25 मैंने ये बातें तुम से दृष्टान्तों में कही हैं परन्तु वह समय आता है कि मैं तुम से दृष्टान्तों में और फिर नहीं कहूँगा परन्तु खोलकर तुम्हें पिता के विषय में बताऊँगा $$ JHN 16:26 उस दिन तुम मेरे नाम से माँगोगे और मैं तुम से यह नहीं कहता कि मैं तुम्हारे लिये पिता से विनती करूँगा $$ JHN 16:27 क्योंकि पिता तो स्वयं ही तुम से प्रेम रखता है इसलिए कि तुम ने मुझसे प्रेम रखा है और यह भी विश्वास किया कि मैं पिता कि ओर से आया $$ JHN 16:28 मैं पिता कि ओर से जगत में आया हूँ फिर जगत को छोड़कर पिता के पास वापस जाता हूँ $$ JHN 16:29 उसके चेलों ने कहा देख अब तो तू खुलकर कहता है और कोई दृष्टान्त नहीं कहता $$ JHN 16:30 अब हम जान गए कि तू सब कुछ जानता है और जरूरत नहीं की कोई तुझ से प्रश्न करे इससे हम विश्वास करते हैं कि तू परमेश्वर की ओर से आया है $$ JHN 16:31 यह सुन यीशु ने उनसे कहा क्या तुम अब विश्वास करते हो $$ JHN 16:32 देखो वह घड़ी आती है वरन् आ पहुँची कि तुम सब तितरबितर होकर अपनाअपना मार्ग लोगे और मुझे अकेला छोड़ दोगे फिर भी मैं अकेला नहीं क्योंकि पिता मेरे साथ है $$ JHN 16:33 मैंने ये बातें तुम से इसलिए कही हैं कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले संसार में तुम्हें क्लेश होता है परन्तु ढाढ़स बाँधो मैंने संसार को जीत लिया है $$ JHN 17:1 ¶ यीशु ने ये बातें कहीं और अपनी आँखें आकाश की ओर उठाकर कहा हे पिता वह घड़ी आ पहुँची अपने पुत्र की महिमा कर कि पुत्र भी तेरी महिमा करे $$ JHN 17:2 क्योंकि तूने उसको सब प्राणियों पर अधिकार दिया कि जिन्हें तूने उसको दिया है उन सब को वह अनन्त जीवन दे $$ JHN 17:3 और अनन्त जीवन यह है कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को जिसे तूने भेजा है जाने $$ JHN 17:4 जो काम तूने मुझे करने को दिया था उसे पूरा करके मैंने पृथ्वी पर तेरी महिमा की है $$ JHN 17:5 और अब हे पिता तू अपने साथ मेरी महिमा उस महिमा से कर जो जगत की सृष्टि पहले मेरी तेरे साथ थी $$ JHN 17:6 मैंने तेरा नाम उन मनुष्यों पर प्रगट किया जिन्हें तूने जगत में से मुझे दिया वे तेरे थे और तूने उन्हें मुझे दिया और उन्होंने तेरे वचन को मान लिया है $$ JHN 17:7 अब वे जान गए हैं कि जो कुछ तूने मुझे दिया है सब तेरी ओर से है $$ JHN 17:8 क्योंकि जो बातें तूने मुझे पहुँचा दीं मैंने उन्हें उनको पहुँचा दिया और उन्होंने उनको ग्रहण किया और सचसच जान लिया है कि मैं तेरी ओर से आया हूँ और यह विश्वास किया है की तू ही ने मुझे भेजा $$ JHN 17:9 मैं उनके लिये विनती करता हूँ संसार के लिये विनती नहीं करता हूँ परन्तु उन्हीं के लिये जिन्हें तूने मुझे दिया है क्योंकि वे तेरे हैं $$ JHN 17:10 और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा है और जो तेरा है वह मेरा है और इनसे मेरी महिमा प्रगट हुई है $$ JHN 17:11 मैं आगे को जगत में न रहूँगा परन्तु ये जगत में रहेंगे और मैं तेरे पास आता हूँ हे पवित्र पिता अपने उस नाम से जो तूने मुझे दिया है उनकी रक्षा कर कि वे हमारे समान एक हों $$ JHN 17:12 जब मैं उनके साथ था तो मैंने तेरे उस नाम से जो तूने मुझे दिया है उनकी रक्षा की मैंने उनकी देखरेख की और विनाश के पुत्र को छोड़ उनमें से कोई नाश न हुआ इसलिए कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो $$ JHN 17:13 परन्तु अब मैं तेरे पास आता हूँ और ये बातें जगत में कहता हूँ कि वे मेरा आनन्द अपने में पूरा पाएँ $$ JHN 17:14 मैंने तेरा वचन उन्हें पहुँचा दिया है और संसार ने उनसे बैर किया क्योंकि जैसा मैं संसार का नहीं वैसे ही वे भी संसार के नहीं $$ JHN 17:15 मैं यह विनती नहीं करता कि तू उन्हें जगत से उठा ले परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्ट से बचाए रख $$ JHN 17:16 जैसे मैं संसार का नहीं वैसे ही वे भी संसार के नहीं $$ JHN 17:17 सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर तेरा वचन सत्य है $$ JHN 17:18 जैसे तूने जगत में मुझे भेजा वैसे ही मैंने भी उन्हें जगत में भेजा $$ JHN 17:19 और उनके लिये मैं अपने आप को पवित्र करता हूँ ताकि वे भी सत्य के द्वारा पवित्र किए जाएँ $$ JHN 17:20 मैं केवल इन्हीं के लिये विनती नहीं करता परन्तु उनके लिये भी जो इनके वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे $$ JHN 17:21 कि वे सब एक हों जैसा तू हे पिता मुझ में हैं और मैं तुझ में हूँ वैसे ही वे भी हम में हों इसलिए कि जगत विश्वास करे कि तू ही ने मुझे भेजा $$ JHN 17:22 और वह महिमा जो तूने मुझे दी मैंने उन्हें दी है कि वे वैसे ही एक हों जैसे कि हम एक हैं $$ JHN 17:23 मैं उनमें और तू मुझ में कि वे सिद्ध होकर एक हो जाएँ और जगत जाने कि तू ही ने मुझे भेजा और जैसा तूने मुझसे प्रेम रखा वैसा ही उनसे प्रेम रखा $$ JHN 17:24 हे पिता मैं चाहता हूँ कि जिन्हें तूने मुझे दिया है जहाँ मैं हूँ वहाँ वे भी मेरे साथ हों कि वे मेरी उस महिमा को देखें जो तूने मुझे दी है क्योंकि तूने जगत की उत्पत्ति से पहले मुझसे प्रेम रखा $$ JHN 17:25 हे धार्मिक पिता संसार ने मुझे नहीं जाना परन्तु मैंने तुझे जाना और इन्होंने भी जाना कि तू ही ने मुझे भेजा $$ JHN 17:26 और मैंने तेरा नाम उनको बताया और बताता रहूँगा कि जो प्रेम तुझको मुझसे था वह उनमें रहे और मैं उनमें रहूँ $$ JHN 18:1 ¶ यीशु ये बातें कहकर अपने चेलों के साथ किद्रोन के नाले के पार गया वहाँ एक बारी थी जिसमें वह और उसके चेले गए $$ JHN 18:2 और उसका पकड़वानेवाला यहूदा भी वह जगह जानता था क्योंकि यीशु अपने चेलों के साथ वहाँ जाया करता था $$ JHN 18:3 तब यहूदा सैन्यदल को और प्रधान याजकों और फरीसियों की ओर से प्यादों को लेकर दीपकों और मशालों और हथियारों को लिए हुए वहाँ आया $$ JHN 18:4 तब यीशु उन सब बातों को जो उस पर आनेवाली थीं जानकर निकला और उनसे कहने लगा किसे ढूँढ़ते हो $$ JHN 18:5 उन्होंने उसको उत्तर दिया यीशु नासरी को यीशु ने उनसे कहा मैं हूँ और उसका पकड़वानेवाला यहूदा भी उनके साथ खड़ा था $$ JHN 18:6 उसके यह कहते ही मैं हूँ वे पीछे हटकर भूमि पर गिर पड़े $$ JHN 18:7 तब उसने फिर उनसे पूछा तुम किस को ढूँढ़ते हो वे बोले यीशु नासरी को $$ JHN 18:8 यीशु ने उत्तर दिया मैं तो तुम से कह चुका हूँ कि मैं हूँ यदि मुझे ढूँढ़ते हो तो इन्हें जाने दो $$ JHN 18:9 यह इसलिए हुआ कि वह वचन पूरा हो जो उसने कहा था जिन्हें तूने मुझे दिया उनमें से मैंने एक को भी न खोया $$ JHN 18:10 शमौन पतरस ने तलवार जो उसके पास थी खींची और महायाजक के दास पर चलाकर उसका दाहिना कान काट दिया उस दास का नाम मलखुस था $$ JHN 18:11 तब यीशु ने पतरस से कहा अपनी तलवार काठी में रख जो कटोरा पिता ने मुझे दिया है क्या मैं उसे न पीऊँ $$ JHN 18:12 तब सिपाहियों और उनके सूबेदार और यहूदियों के प्यादों ने यीशु को पकड़कर बाँध लिया $$ JHN 18:13 और पहले उसे हन्ना के पास ले गए क्योंकि वह उस वर्ष के महायाजक कैफा का ससुर था $$ JHN 18:14 यह वही कैफा था जिसने यहूदियों को सलाह दी थी कि हमारे लोगों के लिये एक पुरुष का मरना अच्छा है $$ JHN 18:15 शमौन पतरस और एक और चेला भी यीशु के पीछे हो लिए यह चेला महायाजक का जाना पहचाना था और यीशु के साथ महायाजक के आँगन में गया $$ JHN 18:16 परन्तु पतरस बाहर द्वार पर खड़ा रहा तब वह दूसरा चेला जो महायाजक का जाना पहचाना था बाहर निकला और द्वारपालिन से कहकर पतरस को भीतर ले आया $$ JHN 18:17 उस दासी ने जो द्वारपालिन थी पतरस से कहा क्या तू भी इस मनुष्य के चेलों में से है उसने कहा मैं नहीं हूँ $$ JHN 18:18 दास और प्यादे जाड़े के कारण कोयले धधकाकर खड़े आग ताप रहे थे और पतरस भी उनके साथ खड़ा आग ताप रहा था $$ JHN 18:19 तब महायाजक ने यीशु से उसके चेलों के विषय में और उसके उपदेश के विषय में पूछा $$ JHN 18:20 यीशु ने उसको उत्तर दिया मैंने जगत से खुलकर बातें की मैंने आराधनालयों और मन्दिर में जहाँ सब यहूदी इकट्ठा हुआ करते हैं सदा उपदेश किया और गुप्त में कुछ भी नहीं कहा $$ JHN 18:21 तू मुझसे क्यों पूछता है सुननेवालों से पूछ कि मैंने उनसे क्या कहा देख वे जानते हैं कि मैंने क्याक्या कहा $$ JHN 18:22 जब उसने यह कहा तो प्यादों में से एक ने जो पास खड़ा था यीशु को थप्पड़ मारकर कहा क्या तू महायाजक को इस प्रकार उत्तर देता है $$ JHN 18:23 यीशु ने उसे उत्तर दिया यदि मैंने बुरा कहा तो उस बुराई पर गवाही दे परन्तु यदि भला कहा तो मुझे क्यों मारता है $$ JHN 18:24 हन्ना ने उसे बंधे हुए कैफा महायाजक के पास भेज दिया $$ JHN 18:25 शमौन पतरस खड़ा हुआ आग ताप रहा था तब उन्होंने उससे कहा क्या तू भी उसके चेलों में से है उसने इन्कार करके कहा मैं नहीं हूँ $$ JHN 18:26 महायाजक के दासों में से एक जो उसके कुटुम्ब में से था जिसका कान पतरस ने काट डाला था बोला क्या मैंने तुझे उसके साथ बारी में न देखा था $$ JHN 18:27 पतरस फिर इन्कार कर गया और तुरन्त मुर्गे ने बाँग दी $$ JHN 18:28 और वे यीशु को कैफा के पास से किले को ले गए और भोर का समय था परन्तु वे स्वयं किले के भीतर न गए ताकि अशुद्ध न हों परन्तु फसह खा सके $$ JHN 18:29 तब पिलातुस उनके पास बाहर निकल आया और कहा तुम इस मनुष्य पर किस बात का दोषारोपण करते हो $$ JHN 18:30 उन्होंने उसको उत्तर दिया यदि वह कुकर्मी न होता तो हम उसे तेरे हाथ न सौंपते $$ JHN 18:31 पिलातुस ने उनसे कहा तुम ही इसे ले जाकर अपनी व्यवस्था के अनुसार उसका न्याय करो यहूदियों ने उससे कहा हमें अधिकार नहीं कि किसी का प्राण लें $$ JHN 18:32 यह इसलिए हुआ कि यीशु की वह बात पूरी हो जो उसने यह दर्शाते हुए कही थी कि उसका मरना कैसा होगा $$ JHN 18:33 तब पिलातुस फिर किले के भीतर गया और यीशु को बुलाकर उससे पूछा क्या तू यहूदियों का राजा है $$ JHN 18:34 यीशु ने उत्तर दिया क्या तू यह बात अपनी ओर से कहता है या औरों ने मेरे विषय में तुझ से कही $$ JHN 18:35 पिलातुस ने उत्तर दिया क्या मैं यहूदी हूँ तेरी ही जाति और प्रधान याजकों ने तुझे मेरे हाथ सौंपा तूने क्या किया है $$ JHN 18:36 यीशु ने उत्तर दिया मेरा राज्य इस जगत का नहीं यदि मेरा राज्य इस जगत का होता तो मेरे सेवक लड़ते कि मैं यहूदियों के हाथ सौंपा न जाता परन्तु अब मेरा राज्य यहाँ का नहीं $$ JHN 18:37 पिलातुस ने उससे कहा तो क्या तू राजा है यीशु ने उत्तर दिया तू कहता है कि मैं राजा हूँ मैंने इसलिए जन्म लिया और इसलिए जगत में आया हूँ कि सत्य पर गवाही दूँ जो कोई सत्य का है वह मेरा शब्द सुनता है $$ JHN 18:38 पिलातुस ने उससे कहा सत्य क्या है और यह कहकर वह फिर यहूदियों के पास निकल गया और उनसे कहा मैं तो उसमें कुछ दोष नहीं पाता $$ JHN 18:39 पर तुम्हारी यह रीति है कि मैं फसह में तुम्हारे लिये एक व्यक्ति को छोड़ दूँ तो क्या तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये यहूदियों के राजा को छोड़ दूँ $$ JHN 18:40 तब उन्होंने फिर चिल्लाकर कहा इसे नहीं परन्तु हमारे लिये बरअब्बा को छोड़ दे और बरअब्बा डाकू था $$ JHN 19:1 ¶ इस पर पिलातुस ने यीशु को लेकर कोड़े लगवाए $$ JHN 19:2 और सिपाहियों ने काँटों का मुकुट गूँथकर उसके सिर पर रखा और उसे बैंगनी वस्त्र पहनाया $$ JHN 19:3 और उसके पास आ आकर कहने लगे हे यहूदियों के राजा प्रणाम और उसे थप्पड़ मारे $$ JHN 19:4 तब पिलातुस ने फिर बाहर निकलकर लोगों से कहा देखो मैं उसे तुम्हारे पास फिर बाहर लाता हूँ ताकि तुम जानो कि मैं कुछ भी दोष नहीं पाता $$ JHN 19:5 तब यीशु काँटों का मुकुट और बैंगनी वस्त्र पहने हुए बाहर निकला और पिलातुस ने उनसे कहा देखो यह पुरुष $$ JHN 19:6 जब प्रधान याजकों और प्यादों ने उसे देखा तो चिल्लाकर कहा उसे क्रूस पर चढ़ा क्रूस पर पिलातुस ने उनसे कहा तुम ही उसे लेकर क्रूस पर चढ़ाओ क्योंकि मैं उसमें दोष नहीं पाता $$ JHN 19:7 यहूदियों ने उसको उत्तर दिया हमारी भी व्यवस्था है और उस व्यवस्था के अनुसार वह मारे जाने के योग्य है क्योंकि उसने अपने आप को परमेश्वर का पुत्र बताया $$ JHN 19:8 जब पिलातुस ने यह बात सुनी तो और भी डर गया $$ JHN 19:9 और फिर किले के भीतर गया और यीशु से कहा तू कहाँ का है परन्तु यीशु ने उसे कुछ भी उत्तर न दिया $$ JHN 19:10 पिलातुस ने उससे कहा मुझसे क्यों नहीं बोलता क्या तू नहीं जानता कि तुझे छोड़ देने का अधिकार मुझे है और तुझे क्रूस पर चढ़ाने का भी मुझे अधिकार है $$ JHN 19:11 यीशु ने उत्तर दिया यदि तुझे ऊपर से न दिया जाता तो तेरा मुझ पर कुछ अधिकार न होता इसलिए जिस ने मुझे तेरे हाथ पकड़वाया है उसका पाप अधिक है $$ JHN 19:12 इससे पिलातुस ने उसे छोड़ देना चाहा परन्तु यहूदियों ने चिल्ला चिल्लाकर कहा यदि तू इसको छोड़ देगा तो तू कैसर का मित्र नहीं जो कोई अपने आप को राजा बनाता है वह कैसर का सामना करता है $$ JHN 19:13 ये बातें सुनकर पिलातुस यीशु को बाहर लाया और उस जगह एक चबूतरा था जो इब्रानी में गब्बता कहलाता है और न्याय आसन पर बैठा $$ JHN 19:14 यह फसह की तैयारी का दिन था और छठे घंटे के लगभग था तब उसने यहूदियों से कहा देखो यही है तुम्हारा राजा $$ JHN 19:15 परन्तु वे चिल्लाए ले जा ले जा उसे क्रूस पर चढ़ा पिलातुस ने उनसे कहा क्या मैं तुम्हारे राजा को क्रूस पर चढ़ाऊँ प्रधान याजकों ने उत्तर दिया कैसर को छोड़ हमारा और कोई राजा नहीं $$ JHN 19:16 तब उसने उसे उनके हाथ सौंप दिया ताकि वह क्रूस पर चढ़ाया जाए $$ JHN 19:17 तब वे यीशु को ले गए और वह अपना क्रूस उठाए हुए उस स्थान तक बाहर गया जो खोपड़ी का स्थान कहलाता है और इब्रानी में गुलगुता $$ JHN 19:18 वहाँ उन्होंने उसे और उसके साथ और दो मनुष्यों को क्रूस पर चढ़ाया एक को इधर और एक को उधर और बीच में यीशु को $$ JHN 19:19 और पिलातुस ने एक दोषपत्र लिखकर क्रूस पर लगा दिया और उसमें यह लिखा हुआ था यीशु नासरी यहूदियों का राजा $$ JHN 19:20 यह दोषपत्र बहुत यहूदियों ने पढ़ा क्योंकि वह स्थान जहाँ यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था नगर के पास था और पत्र इब्रानी और लतीनी और यूनानी में लिखा हुआ था $$ JHN 19:21 तब यहूदियों के प्रधान याजकों ने पिलातुस से कहा यहूदियों का राजा मत लिख परन्तु यह कि उसने कहा मैं यहूदियों का राजा हूँ $$ JHN 19:22 पिलातुस ने उत्तर दिया मैंने जो लिख दिया वह लिख दिया $$ JHN 19:23 जब सिपाही यीशु को क्रूस पर चढ़ा चुके तो उसके कपड़े लेकर चार भाग किए हर सिपाही के लिये एक भाग और कुर्ता भी लिया परन्तु कुर्ता बिन सीअन ऊपर से नीचे तक बुना हुआ था $$ JHN 19:24 इसलिए उन्होंने आपस में कहा हम इसको न फाड़े परन्तु इस पर चिट्ठी डालें कि वह किस का होगा यह इसलिए हुआ कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो उन्होंने मेरे कपड़े आपस में बाँट लिए और मेरे वस्त्र पर चिट्ठी डाली $$ JHN 19:25 अतः सिपाहियों ने ऐसा ही किया परन्तु यीशु के क्रूस के पास उसकी माता और उसकी माता की बहन मरियम क्लोपास की पत्नी और मरियम मगदलीनी खड़ी थी $$ JHN 19:26 यीशु ने अपनी माता और उस चेले को जिससे वह प्रेम रखता था पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा हे नारी देख यह तेरा पुत्र है $$ JHN 19:27 तब उस चेले से कहा यह तेरी माता है और उसी समय से वह चेला उसे अपने घर ले गया $$ JHN 19:28 इसके बाद यीशु ने यह जानकर कि अब सब कुछ हो चुका इसलिए कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो कहा मैं प्यासा हूँ $$ JHN 19:29 वहाँ एक सिरके से भरा हुआ बर्तन धरा था इसलिए उन्होंने सिरके के भिगोए हुए पनसोख्ता को जूफे पर रखकर उसके मुँह से लगाया $$ JHN 19:30 जब यीशु ने वह सिरका लिया तो कहा पूरा हुआ और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिए $$ JHN 19:31 और इसलिए कि वह तैयारी का दिन था यहूदियों ने पिलातुस से विनती की कि उनकी टाँगें तोड़ दी जाएँ और वे उतारे जाएँ ताकि सब्त के दिन वे क्रूसों पर न रहें क्योंकि वह सब्त का दिन बड़ा दिन था मर $$ JHN 19:32 इसलिए सिपाहियों ने आकर पहले की टाँगें तोड़ी तब दूसरे की भी जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे $$ JHN 19:33 परन्तु जब यीशु के पास आकर देखा कि वह मर चुका है तो उसकी टाँगें न तोड़ी $$ JHN 19:34 परन्तु सिपाहियों में से एक ने बरछे से उसका पंजर बेधा और उसमें से तुरन्त लहू और पानी निकला $$ JHN 19:35 जिस ने यह देखा उसी ने गवाही दी है और उसकी गवाही सच्ची है और वह जानता है कि सच कहता है कि तुम भी विश्वास करो $$ JHN 19:36 ये बातें इसलिए हुईं कि पवित्रशास्त्र की यह बात पूरी हो उसकी कोई हड्डी तोड़ी न जाएगी $$ JHN 19:37 फिर एक और स्थान पर यह लिखा है जिसे उन्होंने बेधा है उस पर दृष्टि करेंगे $$ JHN 19:38 इन बातों के बाद अरिमतियाह के यूसुफ ने जो यीशु का चेला था परन्तु यहूदियों के डर से इस बात को छिपाए रखता था पिलातुस से विनती की कि मैं यीशु के शव को ले जाऊँ और पिलातुस ने उसकी विनती सुनी और वह आकर उसका शव ले गया $$ JHN 19:39 नीकुदेमुस भी जो पहले यीशु के पास रात को गया था पचास सेर के लगभग मिला हुआ गन्धरस और एलवा ले आया $$ JHN 19:40 तब उन्होंने यीशु के शव को लिया और यहूदियों के गाड़ने की रीति के अनुसार उसे सुगन्ध द्रव्य के साथ कफन में लपेटा $$ JHN 19:41 उस स्थान पर जहाँ यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था एक बारी थी और उस बारी में एक नई कब्र थी जिसमें कभी कोई न रखा गया था $$ JHN 19:42 अतः यहूदियों की तैयारी के दिन के कारण उन्होंने यीशु को उसी में रखा क्योंकि वह कब्र निकट थी $$ JHN 20:1 ¶ सप्ताह के पहले दिन मरियम मगदलीनी भोर को अंधेरा रहते ही कब्र पर आई और पत्थर को कब्र से हटा हुआ देखा $$ JHN 20:2 तब वह दौड़ी और शमौन पतरस और उस दूसरे चेले के पास जिससे यीशु प्रेम रखता था आकर कहा वे प्रभु को कब्र में से निकाल ले गए हैं और हम नहीं जानतीं कि उसे कहाँ रख दिया है $$ JHN 20:3 तब पतरस और वह दूसरा चेला निकलकर कब्र की ओर चले $$ JHN 20:4 और दोनों साथसाथ दौड़ रहे थे परन्तु दूसरा चेला पतरस से आगे बढ़कर कब्र पर पहले पहुँचा $$ JHN 20:5 और झुककर कपड़े पड़े देखे तो भी वह भीतर न गया $$ JHN 20:6 तब शमौन पतरस उसके पीछेपीछे पहुँचा और कब्र के भीतर गया और कपड़े पड़े देखे $$ JHN 20:7 और वह अँगोछा जो उसके सिर पर बन्धा हुआ था कपड़ों के साथ पड़ा हुआ नहीं परन्तु अलग एक जगह लपेटा हुआ देखा $$ JHN 20:8 तब दूसरा चेला भी जो कब्र पर पहले पहुँचा था भीतर गया और देखकर विश्वास किया $$ JHN 20:9 वे तो अब तक पवित्रशास्त्र की वह बात न समझते थे कि उसे मरे हुओं में से जी उठना होगा $$ JHN 20:10 तब ये चेले अपने घर लौट गए $$ JHN 20:11 परन्तु मरियम रोती हुई कब्र के पास ही बाहर खड़ी रही और रोतेरोते कब्र की ओर झुककर $$ JHN 20:12 दो स्वर्गदूतों को उज्ज्वल कपड़े पहने हुए एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने बैठे देखा जहाँ यीशु का शव पड़ा था $$ JHN 20:13 उन्होंने उससे कहा हे नारी तू क्यों रोती है उसने उनसे कहा वे मेरे प्रभु को उठा ले गए और मैं नहीं जानती कि उसे कहाँ रखा है $$ JHN 20:14 यह कहकर वह पीछे फिरी और यीशु को खड़े देखा और न पहचाना कि यह यीशु है $$ JHN 20:15 यीशु ने उससे कहा हे नारी तू क्यों रोती है किस को ढूँढ़ती है उसने माली समझकर उससे कहा हे श्रीमान यदि तूने उसे उठा लिया है तो मुझसे कह कि उसे कहाँ रखा है और मैं उसे ले जाऊँगी $$ JHN 20:16 यीशु ने उससे कहा मरियम उसने पीछे फिरकर उससे इब्रानी में कहा रब्बूनी अर्थात् हे गुरु $$ JHN 20:17 यीशु ने उससे कहा मुझे मत छू क्योंकि मैं अब तक पिता के पास ऊपर नहीं गया परन्तु मेरे भाइयों के पास जाकर उनसे कह दे कि मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता और अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जाता हूँ $$ JHN 20:18 मरियम मगदलीनी ने जाकर चेलों को बताया मैंने प्रभु को देखा और उसने मुझसे बातें कहीं $$ JHN 20:19 उसी दिन जो सप्ताह का पहला दिन था संध्या के समय जब वहाँ के द्वार जहाँ चेले थे यहूदियों के डर के मारे बन्द थे तब यीशु आया और बीच में खड़ा होकर उनसे कहा तुम्हें शान्ति मिले $$ JHN 20:20 और यह कहकर उसने अपना हाथ और अपना पंजर उनको दिखाए तब चेले प्रभु को देखकर आनन्दित हुए $$ JHN 20:21 यीशु ने फिर उनसे कहा तुम्हें शान्ति मिले जैसे पिता ने मुझे भेजा है वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूँ $$ JHN 20:22 यह कहकर उसने उन पर फूँका और उनसे कहा पवित्र आत्मा लो $$ JHN 20:23 जिनके पाप तुम क्षमा करो वे उनके लिये क्षमा किए गए हैं जिनके तुम रखो वे रखे गए हैं $$ JHN 20:24 परन्तु बारहों में से एक व्यक्ति अर्थात् थोमा जो दिदुमुस कहलाता है जब यीशु आया तो उनके साथ न था $$ JHN 20:25 जब और चेले उससे कहने लगे हमने प्रभु को देखा है तब उसने उनसे कहा जब तक मैं उसके हाथों में कीलों के छेद न देख लूँ और कीलों के छेदों में अपनी उँगली न डाल लूँ तब तक मैं विश्वास नहीं करूँगा $$ JHN 20:26 आठ दिन के बाद उसके चेले फिर घर के भीतर थे और थोमा उनके साथ था और द्वार बन्द थे तब यीशु ने आकर और बीच में खड़ा होकर कहा तुम्हें शान्ति मिले $$ JHN 20:27 तब उसने थोमा से कहा अपनी उँगली यहाँ लाकर मेरे हाथों को देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो $$ JHN 20:28 यह सुन थोमा ने उत्तर दिया हे मेरे प्रभु हे मेरे परमेश्वर $$ JHN 20:29 यीशु ने उससे कहा तूने तो मुझे देखकर विश्वास किया है धन्य हैं वे जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया $$ JHN 20:30 यीशु ने और भी बहुत चिन्ह चेलों के सामने दिखाए जो इस पुस्तक में लिखे नहीं गए $$ JHN 20:31 परन्तु ये इसलिए लिखे गए हैं कि तुम विश्वास करो कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ $$ JHN 21:1 ¶ इन बातों के बाद यीशु ने अपने आप को तिबिरियुस झील के किनारे चेलों पर प्रगट किया और इस रीति से प्रगट किया $$ JHN 21:2 शमौन पतरस और थोमा जो दिदुमुस कहलाता है और गलील के काना नगर का नतनएल और जब्दी के पुत्र और उसके चेलों में से दो और जन इकट्ठे थे $$ JHN 21:3 शमौन पतरस ने उनसे कहा मैं मछली पकड़ने जाता हूँ उन्होंने उससे कहा हम भी तेरे साथ चलते हैं इसलिए वे निकलकर नाव पर चढ़े परन्तु उस रात कुछ न पकड़ा $$ JHN 21:4 भोर होते ही यीशु किनारे पर खड़ा हुआ फिर भी चेलों ने न पहचाना कि यह यीशु है $$ JHN 21:5 तब यीशु ने उनसे कहा हे बालकों क्या तुम्हारे पास कुछ खाने को है उन्होंने उत्तर दिया नहीं $$ JHN 21:6 उसने उनसे कहा नाव की दाहिनी ओर जाल डालो तो पाओगे तब उन्होंने जाल डाला और अब मछलियों की बहुतायत के कारण उसे खींच न सके $$ JHN 21:7 इसलिए उस चेले ने जिससे यीशु प्रेम रखता था पतरस से कहा यह तो प्रभु है शमौन पतरस ने यह सुनकर कि प्रभु है कमर में अंगरखा कस लिया क्योंकि वह नंगा था और झील में कूद पड़ा $$ JHN 21:8 परन्तु और चेले डोंगी पर मछलियों से भरा हुआ जाल खींचते हुए आए क्योंकि वे किनारे से अधिक दूर नहीं कोई दो सौ हाथ पर थे $$ JHN 21:9 जब किनारे पर उतरे तो उन्होंने कोयले की आग और उस पर मछली रखी हुई और रोटी देखी $$ JHN 21:10 यीशु ने उनसे कहा जो मछलियाँ तुम ने अभी पकड़ी हैं उनमें से कुछ लाओ $$ JHN 21:11 शमौन पतरस ने डोंगी पर चढ़कर एक सौ तिरपन बड़ी मछलियों से भरा हुआ जाल किनारे पर खींचा और इतनी मछलियाँ होने पर भी जाल न फटा $$ JHN 21:12 यीशु ने उनसे कहा आओ भोजन करो और चेलों में से किसी को साहस न हुआ कि उससे पूछे तू कौन है क्योंकि वे जानते थे कि यह प्रभु है $$ JHN 21:13 यीशु आया और रोटी लेकर उन्हें दी और वैसे ही मछली भी $$ JHN 21:14 यह तीसरी बार है कि यीशु ने मरे हुओं में से जी उठने के बाद चेलों को दर्शन दिए $$ JHN 21:15 भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा हे शमौन यूहन्ना के पुत्र क्या तू इनसे बढ़कर मुझसे प्रेम रखता है उसने उससे कहा हाँ प्रभु तू तो जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूँ उसने उससे कहा मेरे मेम्नों को चरा $$ JHN 21:16 उसने फिर दूसरी बार उससे कहा हे शमौन यूहन्ना के पुत्र क्या तू मुझसे प्रेम रखता है उसने उनसे कहा हाँ प्रभु तू जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूँ उसने उससे कहा मेरी भेड़ों की रखवाली कर $$ JHN 21:17 उसने तीसरी बार उससे कहा हे शमौन यूहन्ना के पुत्र क्या तू मुझसे प्रीति रखता है पतरस उदास हुआ कि उसने उसे तीसरी बार ऐसा कहा क्या तू मुझसे प्रीति रखता है और उससे कहा हे प्रभु तू तो सब कुछ जानता है तू यह जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूँ यीशु ने उससे कहा मेरी भेड़ों को चरा $$ JHN 21:18 मैं तुझ से सचसच कहता हूँ जब तू जवान था तो अपनी कमर बाँधकर जहाँ चाहता था वहाँ फिरता था परन्तु जब तू बूढ़ा होगा तो अपने हाथ लम्बे करेगा और दूसरा तेरी कमर बाँधकर जहाँ तू न चाहेगा वहाँ तुझे ले जाएगा $$ JHN 21:19 उसने इन बातों से दर्शाया कि पतरस कैसी मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेगा और यह कहकर उससे कहा मेरे पीछे हो ले $$ JHN 21:20 पतरस ने फिरकर उस चेले को पीछे आते देखा जिससे यीशु प्रेम रखता था और जिस ने भोजन के समय उसकी छाती की और झुककर पूछा हे प्रभु तेरा पकड़वानेवाला कौन है $$ JHN 21:21 उसे देखकर पतरस ने यीशु से कहा हे प्रभु इसका क्या हाल होगा $$ JHN 21:22 यीशु ने उससे कहा यदि मैं चाहूँ कि वह मेरे आने तक ठहरा रहे तो तुझे क्या तू मेरे पीछे हो ले $$ JHN 21:23 इसलिए भाइयों में यह बात फैल गई कि वह चेला न मरेगा तो भी यीशु ने उससे यह नहीं कहा कि यह न मरेगा परन्तु यह कि यदि मैं चाहूँ कि यह मेरे आने तक ठहरा रहे तो तुझे इससे क्या $$ JHN 21:24 यह वही चेला है जो इन बातों की गवाही देता है और जिस ने इन बातों को लिखा है और हम जानते हैं कि उसकी गवाही सच्ची है $$ JHN 21:25 और भी बहुत से काम हैं जो यीशु ने किए यदि वे एकएक करके लिखे जाते तो मैं समझता हूँ कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे जगत में भी न समातीं