; TITLE: हिन्दी (Hindi) ; ABBREVIATION: HI-IRV ; HAS ITALICS ; HAS FOOTNOTES ; HAS REDLETTER $$ JOB 1:1 ¶ ऊस देश में अय्यूब नामक एक पुरुष था; वह खरा और सीधा * था और परमेश्वर का भय मानता और बुराई से परे रहता था। (अय्यू. 1:8) $$ JOB 1:2 ¶ उसके सात बेटे और तीन बेटियाँ उत्पन्न हुई। $$ JOB 1:3 ¶ फिर उसके सात हजार भेड़-बकरियाँ, तीन हजार ऊँट, पाँच सौ जोड़ी बैल, और पाँच सौ गदहियाँ, और बहुत ही दास-दासियाँ थीं; वरन् उसके इतनी सम्पत्ति थी, कि पूर्वी देशों में वह सबसे बड़ा था। $$ JOB 1:4 ¶ उसके बेटे बारी-बारी दिन पर एक दूसरे के घर में खाने-पीने को जाया करते थे; और अपनी तीनों बहनों को अपने संग खाने-पीने के लिये बुलवा भेजते थे। $$ JOB 1:5 ¶ और जब-जब दावत के दिन पूरे हो जाते, तब-तब अय्यूब उन्हें बुलवाकर पवित्र करता *, और बड़ी भोर को उठकर उनकी गिनती के अनुसार होमबलि चढ़ाता था; क्योंकि अय्यूब सोचता था, “कदाचित् मेरे बच्चों ने पाप करके परमेश्वर को छोड़ दिया हो।” इसी रीति अय्यूब सदैव किया करता था। $$ JOB 1:6 ¶ एक दिन यहोवा परमेश्वर के पुत्र उसके सामने उपस्थित हुए, और उनके बीच शैतान भी आया *। $$ JOB 1:7 ¶ यहोवा ने शैतान से पूछा, “तू कहाँ से आता है?” शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “पृथ्वी पर इधर-उधर घूमते-फिरते और डोलते-डालते आया हूँ।” $$ JOB 1:8 ¶ यहोवा ने शैतान से पूछा, “क्या तूने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है? क्योंकि उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है।” $$ JOB 1:9 ¶ शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “क्या अय्यूब परमेश्वर का भय बिना लाभ के मानता है? (प्रका. 12:10) $$ JOB 1:10 ¶ क्या तूने उसकी, और उसके घर की, और जो कुछ उसका है उसके चारों ओर बाड़ा नहीं बाँधा? तूने तो उसके काम पर आशीष दी है, $$ JOB 1:11 ¶ और उसकी सम्पत्ति देश भर में फैल गई है। परन्तु अब अपना हाथ बढ़ाकर जो कुछ उसका है, उसे छू; तब वह तेरे मुँह पर तेरी निन्दा करेगा।” (प्रका. 12:10) $$ JOB 1:12 ¶ यहोवा ने शैतान से कहा, “सुन, जो कुछ उसका है, वह सब तेरे हाथ में है; केवल उसके शरीर पर हाथ न लगाना।” तब शैतान यहोवा के सामने से चला गया। $$ JOB 1:13 ¶ एक दिन अय्यूब के बेटे-बेटियाँ बड़े भाई के घर में खाते और दाखमधु पी रहे थे; $$ JOB 1:14 ¶ तब एक दूत अय्यूब के पास आकर कहने लगा, “हम तो बैलों से हल जोत रहे थे और गदहियाँ उनके पास चर रही थीं $$ JOB 1:15 ¶ कि शेबा के लोग धावा करके उनको ले गए, और तलवार से तेरे सेवकों को मार डाला; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।” $$ JOB 1:16 ¶ वह अभी यह कह ही रहा था कि दूसरा भी आकर कहने लगा, “ परमेश्वर की आग * आकाश से गिरी और उससे भेड़-बकरियाँ और सेवक जलकर भस्म हो गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।” $$ JOB 1:17 ¶ वह अभी यह कह ही रहा था, कि एक और भी आकर कहने लगा, “कसदी लोग तीन दल बाँधकर ऊँटों पर धावा करके उन्हें ले गए, और तलवार से तेरे सेवकों को मार डाला; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।” $$ JOB 1:18 ¶ वह अभी यह कह ही रहा था, कि एक और भी आकर कहने लगा, “तेरे बेटे-बेटियाँ बड़े भाई के घर में खाते और दाखमधु पीते थे, $$ JOB 1:19 ¶ कि जंगल की ओर से बड़ी प्रचण्ड वायु चली, और घर के चारों कोनों को ऐसा झोंका मारा, कि वह जवानों पर गिर पड़ा और वे मर गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूँ।” $$ JOB 1:20 ¶ तब अय्यूब उठा, और बागा फाड़, सिर मुँड़ाकर भूमि पर गिरा और दण्डवत् करके कहा, (एज्रा 9:3, 1 पत. 5:6) $$ JOB 1:21 ¶ “मैं अपनी माँ के पेट से नंगा निकला और वहीं नंगा लौट जाऊँगा; यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है।” (सभो. 5:15) $$ JOB 1:22 ¶ इन सब बातों में भी अय्यूब ने न तो पाप किया *, और न परमेश्वर पर मूर्खता से दोष लगाया। अध्याय 2 $$ JOB 2:1 ¶ फिर एक और दिन यहोवा परमेश्वर के पुत्र उसके सामने उपस्थित हुए, और उनके बीच शैतान भी उसके सामने उपस्थित हुआ। $$ JOB 2:2 ¶ यहोवा ने शैतान से पूछा, “तू कहाँ से आता है?” शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “इधर-उधर घूमते-फिरते और डोलते-डालते आया हूँ।” $$ JOB 2:3 ¶ यहोवा ने शैतान से पूछा, “क्या तूने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है कि पृथ्वी पर उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है? और यद्यपि तूने मुझे उसको बिना कारण सत्यानाश करने को उभारा, तो भी वह अब तक अपनी खराई पर बना है।” (अय्यू. 1:8) $$ JOB 2:4 ¶ शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “खाल के बदले खाल, परन्तु प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है। $$ JOB 2:5 ¶ इसलिए केवल अपना हाथ बढ़ाकर उसकी हड्डियाँ और माँस छू, तब वह तेरे मुँह पर तेरी निन्दा करेगा।” $$ JOB 2:6 ¶ यहोवा ने शैतान से कहा, “सुन, वह तेरे हाथ में है, केवल उसका प्राण छोड़ देना *।” (2 कुरि. 10:3) $$ JOB 2:7 ¶ तब शैतान यहोवा के सामने से निकला, और अय्यूब को पाँव के तलवे से लेकर सिर की चोटी तक बड़े-बड़े फोड़ों से पीड़ित किया। $$ JOB 2:8 ¶ तब अय्यूब खुजलाने के लिये एक ठीकरा लेकर राख पर बैठ गया। $$ JOB 2:9 ¶ तब उसकी पत्नी उससे कहने लगी, “क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा।” $$ JOB 2:10 ¶ उसने उससे कहा, “तू एक मूर्ख स्त्री के समान बातें करती है, क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दुःख न लें *?” इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुँह से कोई पाप नहीं किया। $$ JOB 2:11 ¶ जब तेमानी एलीपज, और शूही बिल्दद, और नामाती सोपर, अय्यूब के इन तीन मित्रों ने इस सब विपत्ति का समाचार पाया जो उस पर पड़ी थीं, तब वे आपस में यह ठानकर कि हम अय्यूब के पास जाकर उसके संग विलाप करेंगे, और उसको शान्ति देंगे, अपने-अपने यहाँ से उसके पास चले। $$ JOB 2:12 ¶ जब उन्होंने दूर से आँख उठाकर अय्यूब को देखा और उसे न पहचान सके, तब चिल्लाकर रो उठे; और अपना-अपना बागा फाड़ा, और आकाश की और धूलि उड़ाकर अपने-अपने सिर पर डाली। (यहे. 27:30, 31) $$ JOB 2:13 ¶ तब वे सात दिन और सात रात उसके संग भूमि पर बैठे रहे, परन्तु उसका दुःख बहुत ही बड़ा जानकर किसी ने उससे एक भी बात न कही। $$ JOB 3:1 ¶ इसके बाद अय्यूब मुँह खोलकर अपने जन्मदिन को धिक्कारने $$ JOB 3:2 और कहने लगा, $$ JOB 3:3 “वह दिन नाश हो जाए जिसमें मैं उत्पन्न हुआ, और वह रात भी जिसमें कहा गया, ‘बेटे का गर्भ रहा।’ $$ JOB 3:4 वह दिन अंधियारा हो जाए! ऊपर से परमेश्वर उसकी सुधि न ले, और न उसमें प्रकाश होए। $$ JOB 3:5 अंधियारा और मृत्यु की छाया उस पर रहे।* बादल उस पर छाए रहें; और दिन को अंधेरा कर देनेवाली चीजें उसे डराएँ। $$ JOB 3:6 घोर अंधकार उस रात को पकड़े; वर्षा के दिनों के बीच वह आनन्द न करने पाए, और न महीनों में उसकी गिनती की जाए। $$ JOB 3:7 सुनो, वह रात बाँझ हो जाए; उसमें गाने का शब्द न सुन पड़े $$ JOB 3:8 जो लोग किसी दिन को धिक्कारते हैं, और लिव्यातान को छेड़ने में निपुण हैं, उसे धिक्कारें। $$ JOB 3:9 उसकी संध्या के तारे प्रकाश न दें; वह उजियाले की बाट जोहे पर वह उसे न मिले, वह भोर की पलकों को भी देखने न पाए; $$ JOB 3:10 क्योंकि उसने मेरी माता की कोख को बन्द न किया और कष्ट को मेरी दृष्टि से न छिपाया। $$ JOB 3:11 “मैं गर्भ ही में क्यों न मर गया? पेट से निकलते ही मेरा प्राण क्यों न छूटा? $$ JOB 3:12 मैं घुटनों पर क्यों लिया गया? मैं छातियों को क्यों पीने पाया? $$ JOB 3:13 ऐसा न होता तो मैं चुपचाप पड़ा रहता, मैं सोता रहता और विश्राम करता *, $$ JOB 3:14 और मैं पृथ्वी के उन राजाओं और मंत्रियों के साथ * होता जिन्होंने अपने लिये सुनसान स्थान बनवा लिए, $$ JOB 3:15 या मैं उन राजकुमारों के साथ होता जिनके पास सोना था जिन्होंने अपने घरों को चाँदी से भर लिया था; $$ JOB 3:16 या मैं असमय गिरे हुए गर्भ के समान हुआ होता, या ऐसे बच्चों के समान होता जिन्होंने उजियाले को कभी देखा ही न हो। $$ JOB 3:17 उस दशा में दुष्ट लोग फिर दुःख नहीं देते, और थके-माँदे विश्राम पाते हैं। $$ JOB 3:18 उसमें बन्धुए एक संग सुख से रहते हैं; और परिश्रम करानेवाले का शब्द नहीं सुनते। $$ JOB 3:19 उसमें छोटे बड़े सब रहते हैं *, और दास अपने स्वामी से स्वतन्त्र रहता है। $$ JOB 3:20 “दुःखियों को उजियाला, और उदास मनवालों को जीवन क्यों दिया जाता है? $$ JOB 3:21 वे मृत्यु की बाट जोहते हैं पर वह आती नहीं; और गड़े हुए धन से अधिक उसकी खोज करते हैं; (प्रका. 9:6) $$ JOB 3:22 वे कब्र को पहुँचकर आनन्दित और अत्यन्त मगन होते हैं। $$ JOB 3:23 उजियाला उस पुरुष को क्यों मिलता है जिसका मार्ग छिपा है, जिसके चारों ओर परमेश्वर ने घेरा बाँध दिया है? $$ JOB 3:24 मुझे तो रोटी खाने के बदले लम्बी-लम्बी साँसें आती हैं, और मेरा विलाप धारा के समान बहता रहता है। $$ JOB 3:25 क्योंकि जिस डरावनी बात से मैं डरता हूँ, वही मुझ पर आ पड़ती है, और जिस बात से मैं भय खाता हूँ वही मुझ पर आ जाती है। $$ JOB 3:26 मुझे न तो चैन, न शान्ति, न विश्राम मिलता है; परन्तु दुःख ही दुःख आता है।” अध्याय 4 $$ JOB 4:1 ¶ तब तेमानी एलीपज ने कहा, $$ JOB 4:2 “यदि कोई तुझ से कुछ कहने लगे, तो क्या तुझे बुरा लगेगा? परन्तु बोले बिना कौन रह सकता है? $$ JOB 4:3 सुन, तूने बहुतों को शिक्षा दी है, और निर्बल लोगों को बलवन्त किया है *। $$ JOB 4:4 गिरते हुओं को तूने अपनी बातों से सम्भाल लिया, और लड़खड़ाते हुए लोगों को तूने बलवन्त किया *। $$ JOB 4:5 परन्तु अब विपत्ति तो तुझी पर आ पड़ी, और तू निराश हुआ जाता है; उसने तुझे छुआ और तू घबरा उठा। $$ JOB 4:6 क्या परमेश्वर का भय ही तेरा आसरा नहीं? और क्या तेरी चालचलन जो खरी है तेरी आशा नहीं? $$ JOB 4:7 “क्या तुझे मालूम है कि कोई निर्दोष भी कभी नाश हुआ है? या कहीं सज्जन भी काट डाले गए? $$ JOB 4:8 मेरे देखने में तो* जो पाप को जोतते और दुःख बोते हैं, वही उसको काटते हैं। $$ JOB 4:9 वे तो परमेश्वर की श्वास से नाश होते, और उसके क्रोध के झोके से भस्म होते हैं। (2 थिस्स. 2:8, यशा. 30:33) $$ JOB 4:10 सिंह का गरजना और हिंसक सिंह का दहाड़ना बन्द हो जाता है। और जवान सिंहों के दाँत तोड़े जाते हैं। $$ JOB 4:11 शिकार न पाकर बूढ़ा सिंह मर जाता है, और सिंहनी के बच्चे तितर बितर हो जाते हैं। $$ JOB 4:12 “एक बात चुपके से मेरे पास पहुँचाई गई, और उसकी कुछ भनक मेरे कान में पड़ी। $$ JOB 4:13 रात के स्वप्नों की चिन्ताओं के बीच जब मनुष्य गहरी निद्रा में रहते हैं, $$ JOB 4:14 मुझे ऐसी थरथराहट और कँपकँपी लगी कि मेरी सब हड्डियाँ तक हिल उठी। $$ JOB 4:15 तब एक आत्मा मेरे सामने से होकर चली; और मेरी देह के रोएँ खड़े हो गए। $$ JOB 4:16 वह चुपचाप ठहर गई और मैं उसकी आकृति को पहचान न सका। परन्तु मेरी आँखों के सामने कोई रूप था; पहले सन्नाटा छाया रहा, फिर मुझे एक शब्द सुन पड़ा, $$ JOB 4:17 ‘क्या नाशवान मनुष्य परमेश्वर से अधिक धर्मी होगा? क्या मनुष्य अपने सृजनहार से अधिक पवित्र हो सकता है? $$ JOB 4:18 देख, वह अपने सेवकों पर भरोसा नहीं रखता, और अपने स्वर्गदूतों को दोषी ठहराता है; $$ JOB 4:19 फिर जो मिट्टी के घरों में रहते हैं, और जिनकी नींव मिट्टी में डाली गई है, और जो पतंगे के समान पिस जाते हैं, उनकी क्या गणना। (2 कुरि. 5:1) $$ JOB 4:20 वे भोर से सांझ तक नाश किए जाते हैं *, वे सदा के लिये मिट जाते हैं, और कोई उनका विचार भी नहीं करता। $$ JOB 4:21 क्या उनके डेरे की डोरी उनके अन्दर ही अन्दर नहीं कट जाती? वे बिना बुद्धि के ही मर जाते हैं?’ अध्याय 5 $$ JOB 5:1 “पुकारकर देख; क्या कोई है जो तुझे उत्तर देगा? और पवित्रों में से तू किस की ओर फिरेगा? $$ JOB 5:2 क्योंकि मूर्ख तो खेद करते-करते नाश हो जाता है, और निर्बुद्धि जलते-जलते मर मिटता है। $$ JOB 5:3 मैंने मूर्ख को जड़ पकड़ते देखा है *; परन्तु अचानक मैंने उसके वासस्थान को धिक्कारा। $$ JOB 5:4 उसके बच्चे सुरक्षा से दूर हैं, और वे फाटक में पीसे जाते हैं, और कोई नहीं है जो उन्हें छुड़ाए। $$ JOB 5:5 उसके खेत की उपज भूखे लोग खा लेते हैं, वरन् कटीली बाड़ में से भी निकाल लेते हैं; और प्यासा उनके धन के लिये फंदा लगाता है। $$ JOB 5:6 क्योंकि विपत्ति धूल से उत्पन्न नहीं होती, और न कष्ट भूमि में से उगता है; $$ JOB 5:7 परन्तु जैसे चिंगारियाँ ऊपर ही ऊपर को उड़ जाती हैं, वैसे ही मनुष्य कष्ट ही भोगने के लिये उत्पन्न हुआ है। $$ JOB 5:8 “परन्तु मैं तो परमेश्वर ही को खोजता रहूँगा और अपना मुकद्दमा परमेश्वर पर छोड़ दूँगा, $$ JOB 5:9 वह तो ऐसे बड़े काम करता है जिनकी थाह नहीं लगती, और इतने आश्चर्यकर्म करता है, जो गिने नहीं जाते। $$ JOB 5:10 वही पृथ्वी के ऊपर वर्षा करता, और खेतों पर जल बरसाता है। $$ JOB 5:11 इसी रीति वह नम्र लोगों को ऊँचे स्थान पर बैठाता है, और शोक का पहरावा पहने हुए लोग ऊँचे पर पहुँचकर बचते हैं। (लूका 1:52, 53, याकू. 4:10) $$ JOB 5:12 वह तो धूर्त लोगों की कल्पनाएँ व्यर्थ कर देता है *, और उनके हाथों से कुछ भी बन नहीं पड़ता। $$ JOB 5:13 वह बुद्धिमानों को उनकी धूर्तता ही में फँसाता है; और कुटिल लोगों की युक्ति दूर की जाती है। (1 कुरि. 3:19, 20) $$ JOB 5:14 उन पर दिन को अंधेरा छा जाता है, और दिन दुपहरी में वे रात के समान टटोलते फिरते हैं। $$ JOB 5:15 परन्तु वह दरिद्रों को उनके वचनरुपी तलवार से और बलवानों के हाथ से बचाता है। $$ JOB 5:16 इसलिए कंगालों को आशा होती है, और कुटिल मनुष्यों का मुँह बन्द हो जाता है। $$ JOB 5:17 “देख, क्या ही धन्य वह मनुष्य, जिसको परमेश्वर ताड़ना देता है; इसलिए तू सर्वशक्तिमान की ताड़ना को तुच्छ मत जान। $$ JOB 5:18 क्योंकि वही घायल करता, और वही पट्टी भी बाँधता है; वही मारता है, और वही अपने हाथों से चंगा भी करता है। $$ JOB 5:19 वह तुझे छः विपत्तियों से छुड़ाएगा *; वरन् सात से भी तेरी कुछ हानि न होने पाएगी। $$ JOB 5:20 अकाल में वह तुझे मृत्यु से, और युद्ध में तलवार की धार से बचा लेगा। $$ JOB 5:21 तू वचनरूपी कोड़े से बचा रहेगा और जब विनाश आए, तब भी तुझे भय न होगा। $$ JOB 5:22 तू उजाड़ और अकाल के दिनों में हँसमुख रहेगा, और तुझे जंगली जन्तुओं से डर न लगेगा। $$ JOB 5:23 वरन् मैदान के पत्थर भी तुझ से वाचा बाँधे रहेंगे, और वन पशु तुझ से मेल रखेंगे। $$ JOB 5:24 और तुझे निश्चय होगा, कि तेरा डेरा कुशल से है, और जब तू अपने निवास में देखे तब कोई वस्तु खोई न होगी। $$ JOB 5:25 तुझे यह भी निश्चित होगा, कि मेरे बहुत वंश होंगे, और मेरी सन्तान पृथ्वी की घास के तुल्य बहुत होंगी। $$ JOB 5:26 जैसे पूलियों का ढेर समय पर खलिहान में रखा जाता है, वैसे ही तू पूरी अवस्था का होकर कब्र को पहुँचेगा। $$ JOB 5:27 देख, हमने खोज खोजकर ऐसा ही पाया है; इसे तू सुन, और अपने लाभ के लिये ध्यान में रख।” $$ JOB 6:1 ¶ फिर अय्यूब ने उत्तर देकर कहा, $$ JOB 6:2 “भला होता कि मेरा खेद तौला जाता, और मेरी सारी विपत्ति तराजू में रखी जाती! $$ JOB 6:3 क्योंकि वह समुद्र की रेत से भी भारी ठहरती; इसी कारण मेरी बातें उतावली से हुई हैं। $$ JOB 6:4 क्योंकि सर्वशक्तिमान के तीर मेरे अन्दर चुभे हैं *; और उनका विष मेरी आत्मा में पैठ गया है; परमेश्वर की भयंकर बात मेरे विरुद्ध पाँति बाँधे हैं। $$ JOB 6:5 जब जंगली गदहे को घास मिलती, तब क्या वह रेंकता है? और बैल चारा पाकर क्या डकारता है? $$ JOB 6:6 जो फीका है क्या वह बिना नमक खाया जाता है? क्या अण्डे की सफेदी में भी कुछ स्वाद होता है? $$ JOB 6:7 जिन वस्तुओं को मैं छूना भी नहीं चाहता वही मानो मेरे लिये घिनौना आहार ठहरी हैं। $$ JOB 6:8 “भला होता कि मुझे मुँह माँगा वर मिलता और जिस बात की मैं आशा करता हूँ वह परमेश्वर मुझे दे देता *! $$ JOB 6:9 कि परमेश्वर प्रसन्न होकर मुझे कुचल डालता, और हाथ बढ़ाकर मुझे काट डालता! $$ JOB 6:10 यही मेरी शान्ति का कारण; वरन् भारी पीड़ा में भी मैं इस कारण से उछल पड़ता; क्योंकि मैंने उस पवित्र के वचनों का कभी इन्कार नहीं किया। $$ JOB 6:11 मुझ में बल ही क्या है कि मैं आशा रखूँ? और मेरा अन्त ही क्या होगा, कि मैं धीरज धरूँ? $$ JOB 6:12 क्या मेरी दृढ़ता पत्थरों के समान है? क्या मेरा शरीर पीतल का है? $$ JOB 6:13 क्या मैं निराधार नहीं हूँ? क्या काम करने की शक्ति मुझसे दूर नहीं हो गई? $$ JOB 6:14 “जो पड़ोसी पर कृपा नहीं करता वह सर्वशक्तिमान का भय मानना छोड़ देता है। $$ JOB 6:15 मेरे भाई नाले के समान विश्वासघाती हो गए हैं, वरन् उन नालों के समान जिनकी धार सूख जाती है; $$ JOB 6:16 और वे बर्फ के कारण काले से हो जाते हैं, और उनमें हिम छिपा रहता है। $$ JOB 6:17 परन्तु जब गरमी होने लगती तब उनकी धाराएँ लोप हो जाती हैं, और जब कड़ी धूप पड़ती है तब वे अपनी जगह से उड़ जाते हैं $$ JOB 6:18 वे घूमते-घूमते सूख जातीं, और सुनसान स्थान में बहकर नाश होती हैं। $$ JOB 6:19 तेमा के बंजारे देखते रहे और शेबा के काफिलेवालों ने उनका रास्ता देखा। $$ JOB 6:20 वे लज्जित हुए क्योंकि उन्होंने भरोसा रखा था; और वहाँ पहुँचकर उनके मुँह सूख गए। $$ JOB 6:21 उसी प्रकार अब तुम भी कुछ न रहे; मेरी विपत्ति देखकर तुम डर गए हो। $$ JOB 6:22 क्या मैंने तुम से कहा था, ‘मुझे कुछ दो?’ या ‘अपनी सम्पत्ति में से मेरे लिये कुछ दो?’ $$ JOB 6:23 या ‘मुझे सतानेवाले के हाथ से बचाओ?’ या ‘उपद्रव करनेवालों के वश से छुड़ा लो?’ $$ JOB 6:24 “ मुझे शिक्षा दो और मैं चुप रहूँगा *; और मुझे समझाओ, कि मैंने किस बात में चूक की है। $$ JOB 6:25 सच्चाई के वचनों में कितना प्रभाव होता है, परन्तु तुम्हारे विवाद से क्या लाभ होता है? $$ JOB 6:26 क्या तुम बातें पकड़ने की कल्पना करते हो? निराश जन की बातें तो वायु के समान हैं। $$ JOB 6:27 तुम अनाथों पर चिट्ठी डालते, और अपने मित्र को बेचकर लाभ उठानेवाले हो। $$ JOB 6:28 “इसलिए अब कृपा करके मुझे देखो; निश्चय मैं तुम्हारे सामने कदापि झूठ न बोलूँगा। $$ JOB 6:29 फिर कुछ अन्याय न होने पाए; फिर इस मुकद्दमें में मेरा धर्म ज्यों का त्यों बना है, मैं सत्य पर हूँ। $$ JOB 6:30 क्या मेरे वचनों में कुछ कुटिलता है? क्या मैं दुष्टता नहीं पहचान सकता? $$ JOB 7:1 “क्या मनुष्य को पृथ्वी पर कठिन सेवा करनी नहीं पड़ती? क्या उसके दिन मजदूर के से नहीं होते? (अय्यू. 14:5, 13, 14) $$ JOB 7:2 जैसा कोई दास छाया की अभिलाषा करे, या मजदूर अपनी मजदूरी की आशा रखे; $$ JOB 7:3 वैसा ही मैं अनर्थ के महीनों का स्वामी बनाया गया हूँ, और मेरे लिये क्लेश से भरी रातें ठहराई गई हैं। (अय्यू. 15:31) $$ JOB 7:4 जब मैं लेट जाता, तब कहता हूँ, ‘मैं कब उठूँगा?’ और रात कब बीतेगी? और पौ फटने तक छटपटाते-छटपटाते थक जाता हूँ। $$ JOB 7:5 मेरी देह कीड़ों और मिट्टी के ढेलों से ढकी हुई है *; मेरा चमड़ा सिमट जाता, और फिर गल जाता है। (यशा. 14:11) $$ JOB 7:6 मेरे दिन जुलाहे की ढरकी से अधिक फुर्ती से चलनेवाले हैं और निराशा में बीते जाते हैं। $$ JOB 7:7 “ याद कर * कि मेरा जीवन वायु ही है; और मैं अपनी आँखों से कल्याण फिर न देखूँगा। $$ JOB 7:8 जो मुझे अब देखता है उसे मैं फिर दिखाई न दूँगा; तेरी आँखें मेरी ओर होंगी परन्तु मैं न मिलूँगा। $$ JOB 7:9 जैसे बादल छटकर लोप हो जाता है, वैसे ही अधोलोक में उतरनेवाला फिर वहाँ से नहीं लौट सकता; $$ JOB 7:10 वह अपने घर को फिर लौट न आएगा, और न अपने स्थान में फिर मिलेगा। $$ JOB 7:11 “इसलिए मैं अपना मुँह बन्द न रखूँगा; अपने मन का खेद खोलकर कहूँगा; और अपने जीव की कड़वाहट के कारण कुड़कुड़ाता रहूँगा। $$ JOB 7:12 क्या मैं समुद्र हूँ, या समुद्री अजगर हूँ, कि तू मुझ पर पहरा बैठाता है? $$ JOB 7:13 जब-जब मैं सोचता हूँ कि मुझे खाट पर शान्ति मिलेगी, और बिछौने पर मेरा खेद कुछ हलका होगा; $$ JOB 7:14 तब-तब तू मुझे स्वप्नों से घबरा देता, और दर्शनों से भयभीत कर देता है; $$ JOB 7:15 यहाँ तक कि मेरा जी फांसी को, और जीवन से मृत्यु को अधिक चाहता है। $$ JOB 7:16 मुझे अपने जीवन से घृणा आती है; मैं सर्वदा जीवित रहना नहीं चाहता। मेरा जीवनकाल साँस सा है, इसलिए मुझे छोड़ दे। $$ JOB 7:17 मनुष्य क्या है, कि तू उसे महत्व दे *, और अपना मन उस पर लगाए, $$ JOB 7:18 और प्रति भोर को उसकी सुधि ले, और प्रति क्षण उसे जाँचता रहे? $$ JOB 7:19 तू कब तक मेरी ओर आँख लगाए रहेगा, और इतनी देर के लिये भी मुझे न छोड़ेगा कि मैं अपना थूक निगल लूँ? $$ JOB 7:20 हे मनुष्यों के ताकनेवाले, मैंने पाप तो किया होगा, तो मैंने तेरा क्या बिगाड़ा? तूने क्यों मुझ को अपना निशाना बना लिया है, यहाँ तक कि मैं अपने ऊपर आप ही बोझ हुआ हूँ? $$ JOB 7:21 और तू क्यों मेरा अपराध क्षमा नहीं करता? और मेरा अधर्म क्यों दूर नहीं करता? अब तो मैं मिट्टी में सो जाऊँगा, और तू मुझे यत्न से ढूँढ़ेगा पर मेरा पता नहीं मिलेगा।” $$ JOB 8:1 ¶ तब शूही बिल्दद ने कहा, $$ JOB 8:2 “तू कब तक ऐसी-ऐसी बातें करता रहेगा? और तेरे मुँह की बातें कब तक प्रचण्ड वायु सी रहेगी? $$ JOB 8:3 क्या परमेश्वर अन्याय करता है? और क्या सर्वशक्तिमान धार्मिकता को उलटा करता है? $$ JOB 8:4 यदि तेरे बच्चों ने उसके विरुद्ध पाप किया है *, तो उसने उनको उनके अपराध का फल भुगताया है। $$ JOB 8:5 तो भी यदि तू आप परमेश्वर को यत्न से ढूँढ़ता, और सर्वशक्तिमान से गिड़गिड़ाकर विनती करता, $$ JOB 8:6 और यदि तू निर्मल और धर्मी रहता, तो निश्चय वह तेरे लिये जागता; और तेरी धार्मिकता का निवास फिर ज्यों का त्यों कर देता। $$ JOB 8:7 चाहे तेरा भाग पहले छोटा ही रहा हो परन्तु अन्त में तेरी बहुत बढ़ती होती। $$ JOB 8:8 “पिछली पीढ़ी के लोगों से तो पूछ, और जो कुछ उनके पुरखाओं ने जाँच पड़ताल की है उस पर ध्यान दे। $$ JOB 8:9 क्योंकि हम तो कल ही के हैं, और कुछ नहीं जानते; और पृथ्वी पर हमारे दिन छाया के समान बीतते जाते हैं। $$ JOB 8:10 क्या वे लोग तुझ से शिक्षा की बातें न कहेंगे? क्या वे अपने मन से बात न निकालेंगे? $$ JOB 8:11 “क्या कछार की घास पानी बिना बढ़ सकती है? क्या सरकण्डा जल बिना बढ़ता है? $$ JOB 8:12 चाहे वह हरी हो, और काटी भी न गई हो, तो भी वह और सब भाँति की घास से पहले ही सूख जाती है। $$ JOB 8:13 परमेश्वर के सब बिसरानेवालों की गति ऐसी ही होती है और भक्तिहीन की आशा टूट जाती है। $$ JOB 8:14 उसकी आशा का मूल कट जाता है; और जिसका वह भरोसा करता है, वह मकड़ी का जाला ठहरता है। $$ JOB 8:15 चाहे वह अपने घर पर टेक लगाए परन्तु वह न ठहरेगा; वह उसे दृढ़ता से थामेगा परन्तु वह स्थिर न रहेगा। $$ JOB 8:16 वह धूप पाकर हरा भरा हो जाता है, और उसकी डालियाँ बगीचे में चारों ओर फैलती हैं। $$ JOB 8:17 उसकी जड़ कंकड़ों के ढेर में लिपटी हुई रहती है, और वह पत्थर के स्थान को देख लेता है। $$ JOB 8:18 परन्तु जब वह अपने स्थान पर से नाश किया जाए, तब वह स्थान उससे यह कहकर मुँह मोड़ लेगा, ‘मैंने उसे कभी देखा ही नहीं।’ $$ JOB 8:19 देख, उसकी आनन्द भरी चाल यही है; फिर उसी मिट्टी में से दूसरे उगेंगे। $$ JOB 8:20 “देख, परमेश्वर न तो खरे मनुष्य को निकम्मा जानकर छोड़ देता है *, और न बुराई करनेवालों को संभालता है। $$ JOB 8:21 वह तो तुझे हँसमुख करेगा; और तुझ से जयजयकार कराएगा। $$ JOB 8:22 तेरे बैरी लज्जा का वस्त्र पहनेंगे, और दुष्टों का डेरा कहीं रहने न पाएगा।” $$ JOB 9:1 ¶ तब अय्यूब ने कहा, $$ JOB 9:2 “मैं निश्चय जानता हूँ, कि बात ऐसी ही है; परन्तु मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में कैसे धर्मी ठहर सकता है *? $$ JOB 9:3 चाहे वह उससे मुकद्दमा लड़ना भी चाहे तो भी मनुष्य हजार बातों में से एक का भी उत्तर न दे सकेगा। $$ JOB 9:4 परमेश्वर बुद्धिमान और अति सामर्थी है: उसके विरोध में हठ करके कौन कभी प्रबल हुआ है? $$ JOB 9:5 वह तो पर्वतों को अचानक हटा देता है * और उन्हें पता भी नहीं लगता, वह क्रोध में आकर उन्हें उलट-पुलट कर देता है। $$ JOB 9:6 वह पृथ्वी को हिलाकर उसके स्थान से अलग करता है, और उसके खम्भे काँपने लगते हैं। $$ JOB 9:7 उसकी आज्ञा बिना सूर्य उदय होता ही नहीं; और वह तारों पर मुहर लगाता है; $$ JOB 9:8 वह आकाशमण्डल को अकेला ही फैलाता है, और समुद्र की ऊँची-ऊँची लहरों पर चलता है; $$ JOB 9:9 वह सप्तर्षि, मृगशिरा और कचपचिया और दक्षिण के नक्षत्रों का बनानेवाला है। $$ JOB 9:10 वह तो ऐसे बड़े कर्म करता है, जिनकी थाह नहीं लगती; और इतने आश्चर्यकर्म करता है, जो गिने नहीं जा सकते। $$ JOB 9:11 देखो, वह मेरे सामने से होकर तो चलता है परन्तु मुझ को नहीं दिखाई पड़ता; और आगे को बढ़ जाता है, परन्तु मुझे सूझ ही नहीं पड़ता है। $$ JOB 9:12 देखो, जब वह छीनने लगे, तब उसको कौन रोकेगा *? कौन उससे कह सकता है कि तू यह क्या करता है? $$ JOB 9:13 “परमेश्वर अपना क्रोध ठण्डा नहीं करता। रहब के सहायकों को उसके पाँव तले झुकना पड़ता है। $$ JOB 9:14 फिर मैं क्या हूँ, जो उसे उत्तर दूँ, और बातें छाँट छाँटकर उससे विवाद करूँ? $$ JOB 9:15 चाहे मैं निर्दोष भी होता परन्तु उसको उत्तर न दे सकता; मैं अपने मुद्दई से गिड़गिड़ाकर विनती करता। $$ JOB 9:16 चाहे मेरे पुकारने से वह उत्तर भी देता, तो भी मैं इस बात पर विश्वास न करता, कि वह मेरी बात सुनता है। $$ JOB 9:17 वह आँधी चलाकर मुझे तोड़ डालता है, और बिना कारण मेरी चोट पर चोट लगाता है। $$ JOB 9:18 वह मुझे साँस भी लेने नहीं देता है, और मुझे कड़वाहट से भरता है। $$ JOB 9:19 यदि सामर्थ्य की चर्चा हो, तो देखो, वह बलवान है और यदि न्याय की चर्चा हो, तो वह कहेगा मुझसे कौन मुकद्दमा लड़ेगा? $$ JOB 9:20 चाहे मैं निर्दोष ही क्यों न हूँ, परन्तु अपने ही मुँह से दोषी ठहरूँगा; खरा होने पर भी वह मुझे कुटिल ठहराएगा। $$ JOB 9:21 मैं खरा तो हूँ, परन्तु अपना भेद नहीं जानता; अपने जीवन से मुझे घृणा आती है। $$ JOB 9:22 बात तो एक ही है, इससे मैं यह कहता हूँ कि परमेश्वर खरे और दुष्ट दोनों को नाश करता है। $$ JOB 9:23 जब लोग विपत्ति से अचानक मरने लगते हैं तब वह निर्दोष लोगों के जाँचे जाने पर हँसता है। $$ JOB 9:24 देश दुष्टों के हाथ में दिया गया है। परमेश्वर उसके न्यायियों की आँखों को मून्द देता है; इसका करनेवाला वही न हो तो कौन है? $$ JOB 9:25 “मेरे दिन हरकारे से भी अधिक वेग से चले जाते हैं; वे भागे जाते हैं और उनको कल्याण कुछ भी दिखाई नहीं देता। $$ JOB 9:26 वे तेजी से सरकण्डों की नावों के समान चले जाते हैं, या अहेर पर झपटते हुए उकाब के समान। $$ JOB 9:27 यदि मैं कहूँ, ‘विलाप करना भूल जाऊँगा, और उदासी छोड़कर अपना मन प्रफुल्लित कर लूँगा,’ $$ JOB 9:28 तब मैं अपने सब दुःखों से डरता हूँ *। मैं तो जानता हूँ, कि तू मुझे निर्दोष न ठहराएगा। $$ JOB 9:29 मैं तो दोषी ठहरूँगा; फिर व्यर्थ क्यों परिश्रम करूँ? $$ JOB 9:30 चाहे मैं हिम के जल में स्नान करूँ, और अपने हाथ खार से निर्मल करूँ, $$ JOB 9:31 तो भी तू मुझे गड्ढे में डाल ही देगा, और मेरे वस्त्र भी मुझसे घिन करेंगे। $$ JOB 9:32 क्योंकि परमेश्वर मेरे तुल्य मनुष्य नहीं है कि मैं उससे वाद-विवाद कर सकूँ, और हम दोनों एक दूसरे से मुकद्दमा लड़ सके। $$ JOB 9:33 हम दोनों के बीच कोई बिचवई नहीं है, जो हम दोनों पर अपना हाथ रखे। $$ JOB 9:34 वह अपना सोंटा मुझ पर से दूर करे और उसकी भय देनेवाली बात मुझे न घबराए। $$ JOB 9:35 तब मैं उससे निडर होकर कुछ कह सकूँगा, क्योंकि मैं अपनी दृष्टि में ऐसा नहीं हूँ। $$ JOB 10:1 “मेरा प्राण जीवित रहने से उकताता है; मैं स्वतंत्रता पूर्वक कुड़कुड़ाऊँगा; और मैं अपने मन की कड़वाहट के मारे बातें करूँगा। $$ JOB 10:2 मैं परमेश्वर से कहूँगा, मुझे दोषी न ठहरा *; मुझे बता दे, कि तू किस कारण मुझसे मुकद्दमा लड़ता है? $$ JOB 10:3 क्या तुझे अंधेर करना, और दुष्टों की युक्ति को सफल करके अपने हाथों के बनाए हुए को निकम्मा जानना भला लगता है? $$ JOB 10:4 क्या तेरी देहधारियों की सी आँखें हैं? और क्या तेरा देखना मनुष्य का सा है? $$ JOB 10:5 क्या तेरे दिन मनुष्य के दिन के समान हैं, या तेरे वर्ष पुरुष के समयों के तुल्य हैं, $$ JOB 10:6 कि तू मेरा अधर्म ढूँढ़ता, और मेरा पाप पूछता है? $$ JOB 10:7 तुझे तो मालूम ही है, कि मैं दुष्ट नहीं हूँ *, और तेरे हाथ से कोई छुड़ानेवाला नहीं! $$ JOB 10:8 तूने अपने हाथों से मुझे ठीक रचा है और जोड़कर बनाया है; तो भी तू मुझे नाश किए डालता है। $$ JOB 10:9 स्मरण कर, कि तूने मुझ को गुँधी हुई मिट्टी के समान बनाया, क्या तू मुझे फिर धूल में मिलाएगा? $$ JOB 10:10 क्या तूने मुझे दूध के समान उण्डेलकर, और दही के समान जमाकर नहीं बनाया? $$ JOB 10:11 फिर तूने मुझ पर चमड़ा और माँस चढ़ाया और हड्डियाँ और नसें गूँथकर मुझे बनाया है। $$ JOB 10:12 तूने मुझे जीवन दिया, और मुझ पर करुणा की है; और तेरी चौकसी से मेरे प्राण की रक्षा हुई है। $$ JOB 10:13 तो भी तूने ऐसी बातों को अपने मन में छिपा रखा; मैं तो जान गया, कि तूने ऐसा ही करने को ठाना था। $$ JOB 10:14 कि यदि मैं पाप करूँ, तो तू उसका लेखा लेगा; और अधर्म करने पर मुझे निर्दोष न ठहराएगा। $$ JOB 10:15 यदि मैं दुष्टता करूँ तो मुझ पर हाय! और यदि मैं धर्मी बनूँ तो भी मैं सिर न उठाऊँगा, क्योंकि मैं अपमान से भरा हुआ हूँ और अपने दुःख पर ध्यान रखता हूँ। $$ JOB 10:16 और चाहे सिर उठाऊँ तो भी तू सिंह के समान मेरा अहेर करता है *, और फिर मेरे विरुद्ध आश्चर्यकर्मों को करता है। $$ JOB 10:17 तू मेरे सामने अपने नये-नये साक्षी ले आता है, और मुझ पर अपना क्रोध बढ़ाता है; और मुझ पर सेना पर सेना चढ़ाई करती है। $$ JOB 10:18 “तूने मुझे गर्भ से क्यों निकाला? नहीं तो मैं वहीं प्राण छोड़ता, और कोई मुझे देखने भी न पाता। $$ JOB 10:19 मेरा होना न होने के समान होता, और पेट ही से कब्र को पहुँचाया जाता। $$ JOB 10:20 क्या मेरे दिन थोड़े नहीं? मुझे छोड़ दे, और मेरी ओर से मुँह फेर ले, कि मेरा मन थोड़ा शान्त हो जाए $$ JOB 10:21 इससे पहले कि मैं वहाँ जाऊँ, जहाँ से फिर न लौटूँगा, अर्थात् घोर अंधकार के देश में, और मृत्यु की छाया में; $$ JOB 10:22 और मृत्यु के अंधकार का देश जिसमें सब कुछ गड़बड़ है; और जहाँ प्रकाश भी ऐसा है जैसा अंधकार।” $$ JOB 11:1 ¶ तब नामाती सोपर ने कहा, $$ JOB 11:2 “बहुत सी बातें जो कही गई हैं, क्या उनका उत्तर देना न चाहिये? क्या यह बकवादी मनुष्य धर्मी ठहराया जाए? $$ JOB 11:3 क्या तेरे बड़े बोल के कारण लोग चुप रहें? और जब तू ठट्ठा करता है, तो क्या कोई तुझे लज्जित न करे? $$ JOB 11:4 तू तो यह कहता है, ‘मेरा सिद्धान्त शुद्ध है और मैं परमेश्वर की दृष्टि में पवित्र हूँ।’ $$ JOB 11:5 परन्तु भला हो, कि परमेश्वर स्वयं बातें करें *, और तेरे विरुद्ध मुँह खोले, $$ JOB 11:6 और तुझ पर बुद्धि की गुप्त बातें प्रगट करे, कि उनका मर्म तेरी बुद्धि से बढ़कर है। इसलिए जान ले, कि परमेश्वर तेरे अधर्म में से बहुत कुछ भूल जाता है। $$ JOB 11:7 “क्या तू परमेश्वर का गूढ़ भेद पा सकता है? और क्या तू सर्वशक्तिमान का मर्म पूरी रीति से जाँच सकता है? $$ JOB 11:8 वह आकाश सा ऊँचा है; तू क्या कर सकता है? वह अधोलोक से गहरा है, तू कहाँ समझ सकता है? $$ JOB 11:9 उसकी माप पृथ्वी से भी लम्बी है और समुद्र से चौड़ी है। $$ JOB 11:10 जब परमेश्वर बीच से गुजरे, बन्दी बना ले और अदालत में बुलाए, तो कौन उसको रोक सकता है? $$ JOB 11:11 क्योंकि वह पाखण्डी मनुष्यों का भेद जानता है *, और अनर्थ काम को बिना सोच विचार किए भी जान लेता है। $$ JOB 11:12 निर्बुद्धि मनुष्य बुद्धिमान हो सकता है; यद्यपि मनुष्य जंगली गदहे के बच्चा के समान जन्म ले; $$ JOB 11:13 “ यदि तू अपना मन शुद्ध करे *, और परमेश्वर की ओर अपने हाथ फैलाए, $$ JOB 11:14 और यदि कोई अनर्थ काम तुझ से हुए हो उसे दूर करे, और अपने डेरों में कोई कुटिलता न रहने दे, $$ JOB 11:15 तब तो तू निश्चय अपना मुँह निष्कलंक दिखा सकेगा; और तू स्थिर होकर कभी न डरेगा। $$ JOB 11:16 तब तू अपना दुःख भूल जाएगा, तू उसे उस पानी के समान स्मरण करेगा जो बह गया हो। $$ JOB 11:17 और तेरा जीवन दोपहर से भी अधिक प्रकाशमान होगा; और चाहे अंधेरा भी हो तो भी वह भोर सा हो जाएगा। $$ JOB 11:18 और तुझे आशा होगी, इस कारण तू निर्भय रहेगा; और अपने चारों ओर देख-देखकर तू निर्भय विश्राम कर सकेगा। $$ JOB 11:19 और जब तू लेटेगा, तब कोई तुझे डराएगा नहीं; और बहुत लोग तुझे प्रसन्न करने का यत्न करेंगे। $$ JOB 11:20 परन्तु दुष्ट लोगों की आँखें धुँधली हो जाएँगी, और उन्हें कोई शरणस्थान न मिलेगा और उनकी आशा यही होगी कि प्राण निकल जाए।” $$ JOB 12:1 ¶ तब अय्यूब ने कहा; $$ JOB 12:2 “निःसन्देह मनुष्य तो तुम ही हो और जब तुम मरोगे तब बुद्धि भी जाती रहेगी। $$ JOB 12:3 परन्तु तुम्हारे समान मुझ में भी समझ है, मैं तुम लोगों से कुछ नीचा नहीं हूँ कौन ऐसा है जो ऐसी बातें न जानता हो? $$ JOB 12:4 मैं परमेश्वर से प्रार्थना करता था, और वह मेरी सुन लिया करता था; परन्तु अब मेरे मित्र मुझ पर हँसते हैं; जो धर्मी और खरा मनुष्य है, वह हँसी का कारण हो गया है। $$ JOB 12:5 दुःखी लोग तो सुखी लोगों की समझ में तुच्छ जाने जाते हैं; और जिनके पाँव फिसलते हैं उनका अपमान अवश्य ही होता है। $$ JOB 12:6 डाकुओं के डेरे कुशल क्षेम से रहते हैं, और जो परमेश्वर को क्रोध दिलाते हैं, वह बहुत ही निडर रहते हैं; अर्थात् उनका ईश्वर उनकी मुट्ठी में रहता हैं; $$ JOB 12:7 “पशुओं से तो पूछ और वे तुझे सिखाएँगे; और आकाश के पक्षियों से, और वे तुझे बता देंगे। $$ JOB 12:8 पृथ्वी पर ध्यान दे, तब उससे तुझे शिक्षा मिलेगी; और समुद्र की मछलियाँ भी तुझ से वर्णन करेंगी। $$ JOB 12:9 कौन इन बातों को नहीं जानता, कि यहोवा ही ने अपने हाथ से इस संसार को बनाया है? (रोम. 1:20) $$ JOB 12:10 उसके हाथ में एक-एक जीवधारी का प्राण *, और एक-एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है। $$ JOB 12:11 जैसे जीभ से भोजन चखा जाता है, क्या वैसे ही कान से वचन नहीं परखे जाते? $$ JOB 12:12 बूढ़ों में बुद्धि पाई जाती है, और लम्बी आयु वालों में समझ होती तो है। $$ JOB 12:13 “परमेश्वर में पूरी बुद्धि और पराक्रम पाए जाते हैं; युक्ति और समझ उसी में हैं। $$ JOB 12:14 देखो, जिसको वह ढा दे, वह फिर बनाया नहीं जाता; जिस मनुष्य को वह बन्द करे, वह फिर खोला नहीं जाता। (प्रका. 3:7) $$ JOB 12:15 देखो, जब वह वर्षा को रोक रखता है तो जल सूख जाता है; फिर जब वह जल छोड़ देता है तब पृथ्वी उलट जाती है। $$ JOB 12:16 उसमें सामर्थ्य और खरी बुद्धि पाई जाती है; धोखा देनेवाला और धोखा खानेवाला दोनों उसी के हैं *। $$ JOB 12:17 वह मंत्रियों को लूटकर बँधुआई में ले जाता, और न्यायियों को मूर्ख बना देता है। $$ JOB 12:18 वह राजाओं का अधिकार तोड़ देता है; और उनकी कमर पर बन्धन बन्धवाता है। $$ JOB 12:19 वह याजकों को लूटकर बँधुआई में ले जाता और सामर्थियों को उलट देता है। $$ JOB 12:20 वह विश्वासयोग्य पुरुषों से बोलने की शक्ति और पुरनियों से विवेक की शक्ति हर लेता है। $$ JOB 12:21 वह हाकिमों को अपमान से लादता, और बलवानों के हाथ ढीले कर देता है। $$ JOB 12:22 वह अंधियारे की गहरी बातें प्रगट करता, और मृत्यु की छाया को भी प्रकाश में ले आता है। $$ JOB 12:23 वह जातियों को बढ़ाता, और उनको नाश करता है; वह उनको फैलाता, और बँधुआई में ले जाता है। $$ JOB 12:24 वह पृथ्वी के मुख्य लोगों की बुद्धि उड़ा देता, और उनको निर्जन स्थानों में जहाँ रास्ता नहीं है, भटकाता है। $$ JOB 12:25 वे बिन उजियाले के अंधेरे में टटोलते फिरते हैं *; और वह उन्हें ऐसा बना देता है कि वे मतवाले के समान डगमगाते हुए चलते हैं। $$ JOB 13:1 “सुनो, मैं यह सब कुछ अपनी आँख से देख चुका, और अपने कान से सुन चुका, और समझ भी चुका हूँ। $$ JOB 13:2 जो कुछ तुम जानते हो वह मैं भी जानता हूँ; मैं तुम लोगों से कुछ कम नहीं हूँ। $$ JOB 13:3 मैं तो सर्वशक्तिमान से बातें करूँगा, और मेरी अभिलाषा परमेश्वर से वाद-विवाद करने की है। $$ JOB 13:4 परन्तु तुम लोग झूठी बात के गढ़नेवाले हो; तुम सबके सब निकम्मे वैद्य हो *। $$ JOB 13:5 भला होता, कि तुम बिल्कुल चुप रहते, और इससे तुम बुद्धिमान ठहरते। $$ JOB 13:6 मेरा विवाद सुनो, और मेरी विनती की बातों पर कान लगाओ। $$ JOB 13:7 क्या तुम परमेश्वर के निमित्त टेढ़ी बातें कहोगे, और उसके पक्ष में कपट से बोलोगे? $$ JOB 13:8 क्या तुम उसका पक्षपात करोगे? और परमेश्वर के लिये मुकद्दमा चलाओगे। $$ JOB 13:9 क्या यह भला होगा, कि वह तुम को जाँचे? क्या जैसा कोई मनुष्य को धोखा दे, वैसा ही तुम क्या उसको भी धोखा दोगे? $$ JOB 13:10 यदि तुम छिपकर पक्षपात करो, तो वह निश्चय तुम को डाँटेगा। $$ JOB 13:11 क्या तुम उसके माहात्म्य से भय न खाओगे? क्या उसका डर तुम्हारे मन में न समाएगा? $$ JOB 13:12 तुम्हारे स्मरणयोग्य नीतिवचन राख के समान हैं; तुम्हारे गढ़ मिट्टी ही के ठहरे हैं। $$ JOB 13:13 “मुझसे बात करना छोड़ो, कि मैं भी कुछ कहने पाऊँ; फिर मुझ पर जो चाहे वह आ पड़े। $$ JOB 13:14 मैं क्यों अपना माँस अपने दाँतों से चबाऊँ? और क्यों अपना प्राण हथेली पर रखूँ? $$ JOB 13:15 वह मुझे घात करेगा *, मुझे कुछ आशा नहीं; तो भी मैं अपनी चाल-चलन का पक्ष लूँगा। $$ JOB 13:16 और यह ही मेरे बचाव का कारण होगा, कि भक्तिहीन जन उसके सामने नहीं जा सकता। $$ JOB 13:17 चित्त लगाकर मेरी बात सुनो, और मेरी विनती तुम्हारे कान में पड़े। $$ JOB 13:18 देखो, मैंने अपने मुकद्दमें की पूरी तैयारी की है; मुझे निश्चय है कि मैं निर्दोष ठहरूँगा। $$ JOB 13:19 कौन है जो मुझसे मुकद्दमा लड़ सकेगा? ऐसा कोई पाया जाए, तो मैं चुप होकर प्राण छोड़ूँगा। $$ JOB 13:20 दो ही काम मेरे लिए कर, तब मैं तुझ से नहीं छिपूँगाः $$ JOB 13:21 अपनी ताड़ना मुझसे दूर कर ले, और अपने भय से मुझे भयभीत न कर। $$ JOB 13:22 तब तेरे बुलाने पर मैं बोलूँगा; या मैं प्रश्न करूँगा, और तू मुझे उत्तर दे। $$ JOB 13:23 मुझसे कितने अधर्म के काम और पाप हुए हैं? मेरे अपराध और पाप मुझे जता दे। $$ JOB 13:24 तू किस कारण अपना मुँह फेर लेता है, और मुझे अपना शत्रु गिनता है? $$ JOB 13:25 क्या तू उड़ते हुए पत्ते को भी कँपाएगा? और सूखे डंठल के पीछे पड़ेगा? $$ JOB 13:26 तू मेरे लिये कठिन दुःखों की आज्ञा देता है, और मेरी जवानी के अधर्म का फल * मुझे भुगता देता है। $$ JOB 13:27 और मेरे पाँवों को काठ में ठोंकता, और मेरी सारी चाल-चलन देखता रहता है; और मेरे पाँवों की चारों ओर सीमा बाँध लेता है। $$ JOB 13:28 और मैं सड़ी-गली वस्तु के तुल्य हूँ जो नाश हो जाती है, और कीड़ा खाए कपड़े के तुल्य हूँ। $$ JOB 14:1 “ मनुष्य जो स्त्री से उत्पन्न होता है *, उसके दिन थोड़े और दुःख भरे है। $$ JOB 14:2 वह फूल के समान खिलता, फिर तोड़ा जाता है; वह छाया की रीति पर ढल जाता, और कहीं ठहरता नहीं। $$ JOB 14:3 फिर क्या तू ऐसे पर दृष्टि लगाता है? क्या तू मुझे अपने साथ कचहरी में घसीटता है? $$ JOB 14:4 अशुद्ध वस्तु से शुद्ध वस्तु को कौन निकाल सकता है? कोई नहीं। $$ JOB 14:5 मनुष्य के दिन नियुक्त किए गए हैं, और उसके महीनों की गिनती तेरे पास लिखी है, और तूने उसके लिये ऐसा सीमा बाँधा है जिसे वह पार नहीं कर सकता, $$ JOB 14:6 इस कारण उससे अपना मुँह फेर ले, कि वह आराम करे, जब तक कि वह मजदूर के समान अपना दिन पूरा न कर ले। $$ JOB 14:7 “वृक्ष के लिये तो आशा रहती है, कि चाहे वह काट डाला भी जाए, तो भी फिर पनपेगा और उससे नर्म-नर्म डालियाँ निकलती ही रहेंगी। $$ JOB 14:8 चाहे उसकी जड़ भूमि में पुरानी भी हो जाए, और उसका ठूँठ मिट्टी में सूख भी जाए, $$ JOB 14:9 तो भी वर्षा की गन्ध पाकर वह फिर पनपेगा, और पौधे के समान उससे शाखाएँ फूटेंगी। $$ JOB 14:10 परन्तु मनुष्य मर जाता, और पड़ा रहता है; जब उसका प्राण छूट गया, तब वह कहाँ रहा? $$ JOB 14:11 जैसे नदी का जल घट जाता है, और जैसे महानद का जल सूखते-सूखते सूख जाता है *, $$ JOB 14:12 वैसे ही मनुष्य लेट जाता और फिर नहीं उठता; जब तक आकाश बना रहेगा तब तक वह न जागेगा, और न उसकी नींद टूटेगी। $$ JOB 14:13 भला होता कि तू मुझे अधोलोक में छिपा लेता, और जब तक तेरा कोप ठण्डा न हो जाए तब तक मुझे छिपाए रखता, और मेरे लिये समय नियुक्त करके फिर मेरी सुधि लेता। $$ JOB 14:14 यदि मनुष्य मर जाए तो क्या वह फिर जीवित होगा? जब तक मेरा छुटकारा न होता तब तक मैं अपनी कठिन सेवा के सारे दिन आशा लगाए रहता। $$ JOB 14:15 तू मुझे पुकारता, और मैं उत्तर देता हूँ; तुझे अपने हाथ के बनाए हुए काम की अभिलाषा होती है। $$ JOB 14:16 परन्तु अब तू मेरे पग-पग को गिनता है, क्या तू मेरे पाप की ताक में लगा नहीं रहता? $$ JOB 14:17 मेरे अपराध छाप लगी हुई थैली में हैं, और तूने मेरे अधर्म को सी रखा है। $$ JOB 14:18 “और निश्चय पहाड़ भी गिरते-गिरते नाश हो जाता है, और चट्टान अपने स्थान से हट जाती है; $$ JOB 14:19 और पत्थर जल से घिस जाते हैं, और भूमि की धूलि उसकी बाढ़ से बहाई जाती है; उसी प्रकार तू मनुष्य की आशा को मिटा देता है। $$ JOB 14:20 तू सदा उस पर प्रबल होता, और वह जाता रहता है; तू उसका चेहरा बिगाड़कर उसे निकाल देता है। $$ JOB 14:21 उसके पुत्रों की बड़ाई होती है, और यह उसे नहीं सूझता; और उनकी घटी होती है, परन्तु वह उनका हाल नहीं जानता। $$ JOB 14:22 केवल उसकी अपनी देह को दुःख होता है; और केवल उसका अपना प्राण ही अन्दर ही अन्दर शोकित होता है।” $$ JOB 15:1 ¶ तब तेमानी एलीपज ने कहा $$ JOB 15:2 “क्या बुद्धिमान को उचित है कि अज्ञानता के साथ उत्तर दे, या अपने अन्तःकरण को पूर्वी पवन से भरे? $$ JOB 15:3 क्या वह निष्फल वचनों से, या व्यर्थ बातों से वाद-विवाद करे? $$ JOB 15:4 वरन् तू परमेश्वर का भय मानना छोड़ देता, और परमेश्वर की भक्ति करना औरों से भी छुड़ाता है। $$ JOB 15:5 तू अपने मुँह से अपना अधर्म प्रगट करता है, और धूर्त लोगों के बोलने की रीति पर बोलता है। $$ JOB 15:6 मैं तो नहीं परन्तु तेरा मुँह ही तुझे दोषी ठहराता है; और तेरे ही वचन तेरे विरुद्ध साक्षी देते हैं। $$ JOB 15:7 “क्या पहला मनुष्य तू ही उत्पन्न हुआ? क्या तेरी उत्पत्ति पहाड़ों से भी पहले हुई? $$ JOB 15:8 क्या तू परमेश्वर की सभा में बैठा सुनता था? क्या बुद्धि का ठेका तू ही ने ले रखा है (यिर्म. 23:18, 1 कुरि. 2:16) $$ JOB 15:9 तू ऐसा क्या जानता है जिसे हम नहीं जानते? तुझ में ऐसी कौन सी समझ है जो हम में नहीं? $$ JOB 15:10 हम लोगों में तो पक्के बालवाले और अति पुरनिये मनुष्य हैं, जो तेरे पिता से भी बहुत आयु के हैं। $$ JOB 15:11 परमेश्वर की शान्तिदायक बातें, और जो वचन तेरे लिये कोमल हैं, क्या ये तेरी दृष्टि में तुच्छ हैं? $$ JOB 15:12 तेरा मन क्यों तुझे खींच ले जाता है? और तू आँख से क्यों इशारे करता है? $$ JOB 15:13 तू भी अपनी आत्मा परमेश्वर के विरुद्ध करता है, और अपने मुँह से व्यर्थ बातें निकलने देता है। $$ JOB 15:14 मनुष्य है क्या कि वह निष्कलंक हो? और जो स्त्री से उत्पन्न हुआ वह है क्या कि निर्दोष हो सके? $$ JOB 15:15 देख, वह अपने पवित्रों पर भी विश्वास नहीं करता, और स्वर्ग भी उसकी दृष्टि में निर्मल नहीं है। $$ JOB 15:16 फिर मनुष्य अधिक घिनौना और भ्रष्ट है जो कुटिलता को पानी के समान पीता है। $$ JOB 15:17 “मैं तुझे समझा दूँगा, इसलिए मेरी सुन ले, जो मैंने देखा है, उसी का वर्णन मैं करता हूँ। $$ JOB 15:18 (वे ही बातें जो बुद्धिमानों ने अपने पुरखाओं से सुनकर बिना छिपाए बताया है। $$ JOB 15:19 केवल उन्हीं को देश दिया गया था, और उनके मध्य में कोई विदेशी आता-जाता नहीं था।) $$ JOB 15:20 दुष्ट जन जीवन भर पीड़ा से तड़पता है, और उपद्रवी के वर्षों की गिनती ठहराई हुई है। $$ JOB 15:21 उसके कान में डरावना शब्द गूँजता रहता है, कुशल के समय भी नाश करनेवाला उस पर आ पड़ता है। $$ JOB 15:22 उसे अंधियारे में से फिर निकलने की कुछ आशा नहीं होती, और तलवार उसकी घात में रहती है। $$ JOB 15:23 वह रोटी के लिये मारा-मारा फिरता है, कि कहाँ मिलेगी? उसे निश्चय रहता है, कि अंधकार का दिन मेरे पास ही है। $$ JOB 15:24 संकट और दुर्घटना से उसको डर लगता रहता है, ऐसे राजा के समान जो युद्ध के लिये तैयार हो *, वे उस पर प्रबल होते हैं। $$ JOB 15:25 उसने तो परमेश्वर के विरुद्ध हाथ बढ़ाया है, और सर्वशक्तिमान के विरुद्ध वह ताल ठोंकता है, $$ JOB 15:26 और सिर उठाकर और अपनी मोटी-मोटी ढालें दिखाता हुआ घमण्ड से उस पर धावा करता है; $$ JOB 15:27 इसलिए कि उसके मुँह पर चिकनाई छा गई है, और उसकी कमर में चर्बी जमी है। $$ JOB 15:28 और वह उजाड़े हुए नगरों में बस गया है, और जो घर रहने योग्य नहीं, और खण्डहर होने को छोड़े गए हैं, उनमें बस गया है। $$ JOB 15:29 वह धनी न रहेगा, ओर न उसकी सम्पत्ति बनी रहेगी, और ऐसे लोगों के खेत की उपज भूमि की ओर न झुकने पाएगी। $$ JOB 15:30 वह अंधियारे से कभी न निकलेगा, और उसकी डालियाँ आग की लपट से झुलस जाएँगी, और परमेश्वर के मुँह की श्वास से वह उड़ जाएगा। $$ JOB 15:31 वह अपने को धोखा देकर व्यर्थ बातों का भरोसा न करे, क्योंकि उसका प्रतिफल धोखा ही होगा। $$ JOB 15:32 वह उसके नियत दिन से पहले पूरा हो जाएगा; उसकी डालियाँ हरी न रहेंगी। $$ JOB 15:33 दाख के समान उसके कच्चे फल झड़ जाएँगे, और उसके फूल जैतून के वृक्ष के समान गिरेंगे। $$ JOB 15:34 क्योंकि भक्तिहीन के परिवार से कुछ बन न पड़ेगा, और जो घूस लेते हैं, उनके तम्बू आग से जल जाएँगे। $$ JOB 15:35 उनको उपद्रव का गर्भ रहता, और वे अनर्थ को जन्म देते है * और वे अपने अन्तःकरण में छल की बातें गढ़ते हैं।” $$ JOB 16:1 ¶ तब अय्यूब ने कहा, $$ JOB 16:2 “ऐसी बहुत सी बातें मैं सुन चुका हूँ, तुम सब के सब निकम्मे शान्तिदाता हो। $$ JOB 16:3 क्या व्यर्थ बातों का अन्त कभी होगा? तू कौन सी बात से झिड़ककर ऐसे उत्तर देता है? $$ JOB 16:4 यदि तुम्हारी दशा मेरी सी होती, तो मैं भी तुम्हारी सी बातें कर सकता; मैं भी तुम्हारे विरुद्ध बातें जोड़ सकता, और तुम्हारे विरुद्ध सिर हिला सकता। $$ JOB 16:5 वरन् मैं अपने वचनों से तुम को हियाव दिलाता, और बातों से शान्ति देकर तुम्हारा शोक घटा देता। $$ JOB 16:6 “चाहे मैं बोलूँ तो भी मेरा शोक न घटेगा, चाहे मैं चुप रहूँ, तो भी मेरा दुःख कुछ कम न होगा। $$ JOB 16:7 परन्तु अब उसने मुझे थका दिया है *; उसने मेरे सारे परिवार को उजाड़ डाला है। $$ JOB 16:8 और उसने जो मेरे शरीर को सूखा डाला है, वह मेरे विरुद्ध साक्षी ठहरा है, और मेरा दुबलापन मेरे विरुद्ध खड़ा होकर मेरे सामने साक्षी देता है। $$ JOB 16:9 उसने क्रोध में आकर मुझ को फाड़ा और मेरे पीछे पड़ा है; वह मेरे विरुद्ध दाँत पीसता; और मेरा बैरी मुझ को आँखें दिखाता है। (विला. 2:16) $$ JOB 16:10 अब लोग मुझ पर मुँह पसारते हैं, और मेरी नामधराई करके मेरे गाल पर थप्पड़ मारते, और मेरे विरुद्ध भीड़ लगाते हैं। $$ JOB 16:11 परमेश्वर ने मुझे कुटिलों के वश में कर दिया, और दुष्ट लोगों के हाथ में फेंक दिया है। $$ JOB 16:12 मैं सुख से रहता था, और उसने मुझे चूर-चूर कर डाला; उसने मेरी गर्दन पकड़कर मुझे टुकड़े-टुकड़े कर दिया; फिर उसने मुझे अपना निशाना बनाकर खड़ा किया है। $$ JOB 16:13 उसके तीर मेरे चारों ओर उड़ रहे हैं, वह निर्दय होकर मेरे गुर्दों को बेधता है, और मेरा पित्त भूमि पर बहाता है। $$ JOB 16:14 वह शूर के समान मुझ पर धावा करके मुझे चोट पर चोट पहुँचाकर घायल करता है। $$ JOB 16:15 मैंने अपनी खाल पर टाट को सी लिया है, और अपना बल मिट्टी में मिला दिया है। $$ JOB 16:16 रोते-रोते मेरा मुँह सूज गया है, और मेरी आँखों पर घोर अंधकार छा गया है; $$ JOB 16:17 तो भी मुझसे कोई उपद्रव नहीं हुआ है, और मेरी प्रार्थना पवित्र है। $$ JOB 16:18 “हे पृथ्वी, तू मेरे लहू को न ढाँपना, और मेरी दुहाई कहीं न रुके। $$ JOB 16:19 अब भी स्वर्ग में मेरा साक्षी है *, और मेरा गवाह ऊपर है। $$ JOB 16:20 मेरे मित्र मुझसे घृणा करते हैं, परन्तु मैं परमेश्वर के सामने आँसू बहाता हूँ, $$ JOB 16:21 कि कोई परमेश्वर के सामने सज्जन का, और आदमी का मुकद्दमा उसके पड़ोसी के विरुद्ध लड़े। (अय्यू. 31:35) $$ JOB 16:22 क्योंकि थोड़े ही वर्षों के बीतने पर मैं उस मार्ग से चला जाऊँगा, जिससे मैं फिर वापिस न लौटूँगा। (अय्यू. 10:21) $$ JOB 17:1 “मेरा प्राण निकलने पर है, मेरे दिन पूरे हो चुके हैं; मेरे लिये कब्र तैयार है। $$ JOB 17:2 निश्चय जो मेरे संग हैं वह ठट्ठा करनेवाले हैं, और उनका झगड़ा-रगड़ा मुझे लगातार दिखाई देता है। $$ JOB 17:3 “जमानत दे, अपने और मेरे बीच में तू ही जामिन हो; कौन है जो मेरे हाथ पर हाथ मारे? $$ JOB 17:4 तूने उनका मन समझने से रोका है *, इस कारण तू उनको प्रबल न करेगा। $$ JOB 17:5 जो अपने मित्रों को चुगली खाकर लूटा देता, उसके बच्चों की आँखें रह जाएँगी। $$ JOB 17:6 “उसने ऐसा किया कि सब लोग मेरी उपमा देते हैं; और लोग मेरे मुँह पर थूकते हैं। $$ JOB 17:7 खेद के मारे मेरी आँखों में धुंधलापन छा गया है, और मेरे सब अंग छाया के समान हो गए हैं। $$ JOB 17:8 इसे देखकर सीधे लोग चकित होते हैं, और जो निर्दोष हैं, वह भक्तिहीन के विरुद्ध भड़क उठते हैं। $$ JOB 17:9 तो भी धर्मी लोग अपना मार्ग पकड़े रहेंगे, और शुद्ध काम करनेवाले सामर्थ्य पर सामर्थ्य पाते जाएँगे। $$ JOB 17:10 तुम सब के सब मेरे पास आओ तो आओ, परन्तु मुझे तुम लोगों में एक भी बुद्धिमान न मिलेगा। $$ JOB 17:11 मेरे दिन तो बीत चुके, और मेरी मनसाएँ मिट गई, और जो मेरे मन में था, वह नाश हुआ है। $$ JOB 17:12 वे रात को दिन ठहराते; वे कहते हैं, अंधियारे के निकट उजियाला है। $$ JOB 17:13 यदि मेरी आशा यह हो कि अधोलोक मेरा धाम होगा, यदि मैंने अंधियारे में अपना बिछौना बिछा लिया है, $$ JOB 17:14 यदि मैंने सड़ाहट से कहा, ‘तू मेरा पिता है,’ और कीड़े से, ‘तू मेरी माँ,’ और ‘मेरी बहन है,’ $$ JOB 17:15 तो मेरी आशा कहाँ रही? और मेरी आशा किस के देखने में आएगी? $$ JOB 17:16 वह तो अधोलोक में उतर जाएगी *, और उस समेत मुझे भी मिट्टी में विश्राम मिलेगा।” $$ JOB 18:1 ¶ तब शूही बिल्दद ने कहा, $$ JOB 18:2 “तुम कब तक फंदे लगा-लगाकर वचन पकड़ते रहोगे? चित्त लगाओ, तब हम बोलेंगे। $$ JOB 18:3 हम लोग तुम्हारी दृष्टि में क्यों पशु के तुल्य समझे जाते, और मूर्ख ठहरे हैं। $$ JOB 18:4 हे अपने को क्रोध में फाड़नेवाले क्या तेरे निमित्त पृथ्वी उजड़ जाएगी, और चट्टान अपने स्थान से हट जाएगी? $$ JOB 18:5 “तो भी दुष्टों का दीपक बुझ जाएगा, और उसकी आग की लौ न चमकेगी। $$ JOB 18:6 उसके डेरे में का उजियाला अंधेरा हो जाएगा, और उसके ऊपर का दिया बुझ जाएगा। $$ JOB 18:7 उसके बड़े-बड़े फाल छोटे हो जाएँगे और वह अपनी ही युक्ति के द्वारा गिरेगा। $$ JOB 18:8 वह अपना ही पाँव जाल में फँसाएगा *, वह फंदों पर चलता है। $$ JOB 18:9 उसकी एड़ी फंदे में फंस जाएगी, और वह जाल में पकड़ा जाएगा *। $$ JOB 18:10 फंदे की रस्सियाँ उसके लिये भूमि में, और जाल रास्ते में छिपा दिया गया है। $$ JOB 18:11 चारों ओर से डरावनी वस्तुएँ उसे डराएँगी और उसके पीछे पड़कर उसको भगाएँगी। $$ JOB 18:12 उसका बल दुःख से घट जाएगा, और विपत्ति उसके पास ही तैयार रहेगी। $$ JOB 18:13 वह उसके अंग को खा जाएगी, वरन् मृत्यु का पहलौठा उसके अंगों को खा लेगा। $$ JOB 18:14 अपने जिस डेरे का भरोसा वह करता है, उससे वह छीन लिया जाएगा; और वह भयंकरता के राजा के पास पहुँचाया जाएगा। $$ JOB 18:15 जो उसके यहाँ का नहीं है वह उसके डेरे में वास करेगा, और उसके घर पर गन्धक छितराई जाएगी *। $$ JOB 18:16 उसकी जड़ तो सूख जाएगी, और डालियाँ कट जाएँगी। $$ JOB 18:17 पृथ्वी पर से उसका स्मरण मिट जाएगा, और बाजार में उसका नाम कभी न सुन पड़ेगा। $$ JOB 18:18 वह उजियाले से अंधियारे में ढकेल दिया जाएगा, और जगत में से भी भगाया जाएगा। $$ JOB 18:19 उसके कुटुम्बियों में उसके कोई पुत्र-पौत्र न रहेगा, और जहाँ वह रहता था, वहाँ कोई बचा न रहेगा। (अय्यू. 27:14) $$ JOB 18:20 उसका दिन देखकर पश्चिम के लोग भयाकुल होंगे, और पूर्व के निवासियों के रोएँ खड़े हो जाएँगे। (भज. 37:13) $$ JOB 18:21 निःसन्देह कुटिल लोगों के निवास ऐसे हो जाते हैं, और जिसको परमेश्वर का ज्ञान नहीं रहता, उसका स्थान ऐसा ही हो जाता है।” $$ JOB 19:1 ¶ तब अय्यूब ने कहा, $$ JOB 19:2 “तुम कब तक मेरे प्राण को दुःख देते रहोगे; और बातों से मुझे चूर-चूर करोगे *? $$ JOB 19:3 इन दसों बार तुम लोग मेरी निन्दा ही करते रहे, तुम्हें लज्जा नहीं आती, कि तुम मेरे साथ कठोरता का बर्ताव करते हो? $$ JOB 19:4 मान लिया कि मुझसे भूल हुई, तो भी वह भूल तो मेरे ही सिर पर रहेगी। $$ JOB 19:5 यदि तुम सचमुच मेरे विरुद्ध अपनी बड़ाई करते हो और प्रमाण देकर मेरी निन्दा करते हो, $$ JOB 19:6 तो यह जान लो कि परमेश्वर ने मुझे गिरा दिया है, और मुझे अपने जाल में फसा लिया है। $$ JOB 19:7 देखो, मैं उपद्रव! उपद्रव! चिल्लाता रहता हूँ, परन्तु कोई नहीं सुनता; मैं सहायता के लिये दुहाई देता रहता हूँ, परन्तु कोई न्याय नहीं करता। $$ JOB 19:8 उसने मेरे मार्ग को ऐसा रूंधा है * कि मैं आगे चल नहीं सकता, और मेरी डगरें अंधेरी कर दी हैं। $$ JOB 19:9 मेरा वैभव उसने हर लिया है, और मेरे सिर पर से मुकुट उतार दिया है। $$ JOB 19:10 उसने चारों ओर से मुझे तोड़ दिया, बस मैं जाता रहा, और मेरी आशा को उसने वृक्ष के समान उखाड़ डाला है। $$ JOB 19:11 उसने मुझ पर अपना क्रोध भड़काया है और अपने शत्रुओं में मुझे गिनता है। $$ JOB 19:12 उसके दल इकट्ठे होकर मेरे विरुद्ध मोर्चा बाँधते हैं, और मेरे डेरे के चारों ओर छावनी डालते हैं। $$ JOB 19:13 “उसने मेरे भाइयों को मुझसे दूर किया है, और जो मेरी जान-पहचान के थे, वे बिलकुल अनजान हो गए हैं। $$ JOB 19:14 मेरे कुटुम्बी मुझे छोड़ गए हैं, और मेरे प्रिय मित्र मुझे भूल गए हैं। $$ JOB 19:15 जो मेरे घर में रहा करते थे, वे, वरन् मेरी दासियाँ भी मुझे अनजान गिनने लगीं हैं; उनकी दृष्टि में मैं परदेशी हो गया हूँ। $$ JOB 19:16 जब मैं अपने दास को बुलाता हूँ, तब वह नहीं बोलता; मुझे उससे गिड़गिड़ाना पड़ता है। $$ JOB 19:17 मेरी साँस मेरी स्त्री को और मेरी गन्ध मेरे भाइयों की दृष्टि में घिनौनी लगती है। $$ JOB 19:18 बच्चे भी मुझे तुच्छ जानते हैं; और जब मैं उठने लगता, तब वे मेरे विरुद्ध बोलते हैं। $$ JOB 19:19 मेरे सब परम मित्र मुझसे द्वेष रखते हैं, और जिनसे मैंने प्रेम किया वे पलटकर मेरे विरोधी हो गए हैं। $$ JOB 19:20 मेरी खाल और माँस मेरी हड्डियों से सट गए हैं, और मैं बाल-बाल बच गया हूँ। $$ JOB 19:21 हे मेरे मित्रों! मुझ पर दया करो, दया करो, क्योंकि परमेश्वर ने मुझे मारा है। $$ JOB 19:22 तुम परमेश्वर के समान क्यों मेरे पीछे पड़े हो? और मेरे माँस से क्यों तृप्त नहीं हुए? $$ JOB 19:23 “भला होता, कि मेरी बातें लिखी जातीं; भला होता, कि वे पुस्तक में लिखी जातीं, $$ JOB 19:24 और लोहे की टाँकी और सीसे से वे सदा के लिये चट्टान पर खोदी जातीं। $$ JOB 19:25 मुझे तो निश्चय है, कि मेरा छुड़ानेवाला जीवित है, और वह अन्त में पृथ्वी पर खड़ा होगा। (1 यूह. 2:28, यशा. 54: 5) $$ JOB 19:26 और अपनी खाल के इस प्रकार नाश हो जाने के बाद भी, मैं शरीर में होकर परमेश्वर का दर्शन पाऊँगा। $$ JOB 19:27 उसका दर्शन मैं आप अपनी आँखों से अपने लिये करूँगा, और न कोई दूसरा। यद्यपि मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर चूर-चूर भी हो जाए, $$ JOB 19:28 तो भी मुझ में तो धर्म का मूल पाया जाता है! और तुम जो कहते हो हम इसको क्यों सताएँ! $$ JOB 19:29 तो तुम तलवार से डरो, क्योंकि जलजलाहट से तलवार का दण्ड मिलता है, जिससे तुम जान लो कि न्याय होता है।” $$ JOB 20:1 ¶ तब नामाती सोपर ने कहा, $$ JOB 20:2 “मेरा जी चाहता है कि उत्तर दूँ, और इसलिए बोलने में फुर्ती करता हूँ। $$ JOB 20:3 मैंने ऐसी डाँट सुनी जिससे मेरी निन्दा हुई, और मेरी आत्मा अपनी समझ के अनुसार तुझे उत्तर देती है। $$ JOB 20:4 क्या तू यह नियम नहीं जानता जो प्राचीन और उस समय का है *, जब मनुष्य पृथ्वी पर बसाया गया, $$ JOB 20:5 दुष्टों की विजय क्षण भर का होता है, और भक्तिहीनों का आनन्द पल भर का होता है? $$ JOB 20:6 चाहे ऐसे मनुष्य का माहात्म्य आकाश तक पहुँच जाए, और उसका सिर बादलों तक पहुँचे, $$ JOB 20:7 तो भी वह अपनी विष्ठा के समान सदा के लिये नाश हो जाएगा; और जो उसको देखते थे वे पूछेंगे कि वह कहाँ रहा? $$ JOB 20:8 वह स्वप्न के समान लोप हो जाएगा और किसी को फिर न मिलेगा; रात में देखे हुए रूप के समान वह रहने न पाएगा। $$ JOB 20:9 जिस ने उसको देखा हो फिर उसे न देखेगा, और अपने स्थान पर उसका कुछ पता न रहेगा। $$ JOB 20:10 उसके बच्चे कंगालों से भी विनती करेंगे, और वह अपना छीना हुआ माल फेर देगा। $$ JOB 20:11 उसकी हड्डियों में जवानी का बल भरा हुआ है परन्तु वह उसी के साथ मिट्टी में मिल जाएगा। $$ JOB 20:12 “ चाहे बुराई उसको मीठी लगे *, और वह उसे अपनी जीभ के नीचे छिपा रखे, $$ JOB 20:13 और वह उसे बचा रखे और न छोड़े, वरन् उसे अपने तालू के बीच दबा रखे, $$ JOB 20:14 तो भी उसका भोजन उसके पेट में पलटेगा, वह उसके अन्दर नाग का सा विष बन जाएगा। $$ JOB 20:15 उसने जो धन निगल लिया है उसे वह फिर उगल देगा; परमेश्वर उसे उसके पेट में से निकाल देगा। $$ JOB 20:16 वह नागों का विष चूस लेगा, वह करैत के डसने से मर जाएगा। $$ JOB 20:17 वह नदियों अर्थात् मधु और दही की नदियों को देखने न पाएगा। $$ JOB 20:18 जिसके लिये उसने परिश्रम किया, उसको उसे लौटा देना पड़ेगा, और वह उसे निगलने न पाएगा; उसकी मोल ली हुई वस्तुओं से जितना आनन्द होना चाहिये, उतना तो उसे न मिलेगा। $$ JOB 20:19 क्योंकि उसने कंगालों को पीसकर छोड़ दिया, उसने घर को छीन लिया, जिसे उसने नहीं बनाया। $$ JOB 20:20 “लालसा के मारे उसको कभी शान्ति नहीं मिलती थी, इसलिए वह अपनी कोई मनभावनी वस्तु बचा न सकेगा। $$ JOB 20:21 कोई वस्तु उसका कौर बिना हुए न बचती थी; इसलिए उसका कुशल बना न रहेगा $$ JOB 20:22 पूरी सम्पत्ति रहते भी वह सकेती में पड़ेगा; तब सब दुःखियों के हाथ उस पर उठेंगे। $$ JOB 20:23 ऐसा होगा, कि उसका पेट भरने पर होगा, परमेश्वर अपना क्रोध उस पर भड़काएगा, और रोटी खाने के समय वह उस पर पड़ेगा। $$ JOB 20:24 वह लोहे के हथियार से भागेगा, और पीतल के धनुष से मारा जाएगा। $$ JOB 20:25 वह उस तीर को खींचकर अपने पेट से निकालेगा, उसकी चमकीली नोंक उसके पित्त से होकर निकलेगी, भय उसमें समाएगा। $$ JOB 20:26 उसके गड़े हुए धन पर घोर अंधकार छा जाएगा। वह ऐसी आग से भस्म होगा, जो मनुष्य की फूंकी हुई न हो; और उसी से उसके डेरे में जो बचा हो वह भी भस्म हो जाएगा। $$ JOB 20:27 आकाश उसका अधर्म प्रगट करेगा, और पृथ्वी उसके विरुद्ध खड़ी होगी। $$ JOB 20:28 उसके घर की बढ़ती जाती रहेगी, वह परमेश्वर के क्रोध के दिन बह जाएगी। $$ JOB 20:29 परमेश्वर की ओर से दुष्ट मनुष्य का अंश, और उसके लिये परमेश्वर का ठहराया हुआ भाग यही है।” (अय्यू. 27:13) $$ JOB 21:1 ¶ तब अय्यूब ने कहा, $$ JOB 21:2 “चित्त लगाकर मेरी बात सुनो; और तुम्हारी शान्ति यही ठहरे। $$ JOB 21:3 मेरी कुछ तो सहो, कि मैं भी बातें करूँ *; और जब मैं बातें कर चुकूँ, तब पीछे ठट्ठा करना। $$ JOB 21:4 क्या मैं किसी मनुष्य की दुहाई देता हूँ? फिर मैं अधीर क्यों न होऊँ? $$ JOB 21:5 मेरी ओर चित्त लगाकर चकित हो, और अपनी-अपनी उँगली दाँत तले दबाओ। $$ JOB 21:6 जब मैं कष्टों को स्मरण करता तब मैं घबरा जाता हूँ, और मेरी देह काँपने लगती है। $$ JOB 21:7 क्या कारण है कि दुष्ट लोग जीवित रहते हैं, वरन् बूढ़े भी हो जाते, और उनका धन बढ़ता जाता है? (अय्यू. 12:6) $$ JOB 21:8 उनकी सन्तान उनके संग, और उनके बाल-बच्चे उनकी आँखों के सामने बने रहते हैं। $$ JOB 21:9 उनके घर में भयरहित कुशल रहता है, और परमेश्वर की छड़ी उन पर नहीं पड़ती। $$ JOB 21:10 उनका सांड गाभिन करता और चूकता नहीं, उनकी गायें बियाती हैं और बच्चा कभी नहीं गिराती। (निर्ग. 23:26) $$ JOB 21:11 वे अपने लड़कों को झुण्ड के झुण्ड बाहर जाने देते हैं, और उनके बच्चे नाचते हैं। $$ JOB 21:12 वे डफ और वीणा बजाते हुए गाते, और बांसुरी के शब्द से आनन्दित होते हैं। $$ JOB 21:13 वे अपने दिन सुख से बिताते, और पल भर ही में अधोलोक में उतर जाते हैं। $$ JOB 21:14 तो भी वे परमेश्वर से कहते थे, ‘हम से दूर हो! तेरी गति जानने की हमको इच्छा नहीं है। $$ JOB 21:15 सर्वशक्तिमान क्या है, कि हम उसकी सेवा करें? और यदि हम उससे विनती भी करें तो हमें क्या लाभ होगा?’ $$ JOB 21:16 देखो, उनका कुशल उनके हाथ में नहीं रहता, दुष्ट लोगों का विचार मुझसे दूर रहे। $$ JOB 21:17 “कितनी बार ऐसे होता है कि दुष्टों का दीपक बुझ जाता है, या उन पर विपत्ति आ पड़ती है; और परमेश्वर क्रोध करके उनके हिस्से में शोक देता है, $$ JOB 21:18 वे वायु से उड़ाए हुए भूसे की, और बवण्डर से उड़ाई हुई भूसी के समान होते हैं। $$ JOB 21:19 तुम कहते हो ‘परमेश्वर उसके अधर्म का दण्ड उसके बच्चों के लिये रख छोड़ता है,’ वह उसका बदला उसी को दे, ताकि वह जान ले। $$ JOB 21:20 दुष्ट अपना नाश अपनी ही आँखों से देखे, और सर्वशक्तिमान की जलजलाहट में से आप पी ले। (भज. 75:8) $$ JOB 21:21 क्योंकि जब उसके महीनों की गिनती कट चुकी, तो अपने बादवाले घराने से उसका क्या काम रहा। $$ JOB 21:22 क्या परमेश्वर को कोई ज्ञान सिखाएगा? वह तो ऊँचे पद पर रहनेवालों का भी न्याय करता है। $$ JOB 21:23 कोई तो अपने पूरे बल में बड़े चैन और सुख से रहता हुआ मर जाता है। $$ JOB 21:24 उसकी देह दूध से और उसकी हड्डियाँ गूदे से भरी रहती हैं। $$ JOB 21:25 और कोई अपने जीव में कुढ़कुढ़कर बिना सुख भोगे मर जाता है। $$ JOB 21:26 वे दोनों बराबर मिट्टी में मिल जाते हैं, और कीड़े उन्हें ढांक लेते हैं। $$ JOB 21:27 “देखो, मैं तुम्हारी कल्पनाएँ जानता हूँ, और उन युक्तियों को भी, जो तुम मेरे विषय में अन्याय से करते हो। $$ JOB 21:28 तुम कहते तो हो, ‘रईस का घर कहाँ रहा? दुष्टों के निवास के तम्बू कहाँ रहे?’ $$ JOB 21:29 परन्तु क्या तुम ने बटोहियों से कभी नहीं पूछा? क्या तुम उनके इस विषय के प्रमाणों से अनजान हो, $$ JOB 21:30 कि विपत्ति के दिन के लिये दुर्जन सुरक्षित रखा जाता है; और महाप्रलय के समय के लिये ऐसे लोग बचाए जाते हैं? (अय्यू. 20:29) $$ JOB 21:31 उसकी चाल उसके मुँह पर कौन कहेगा? और उसने जो किया है, उसका पलटा कौन देगा? $$ JOB 21:32 तो भी वह कब्र को पहुँचाया जाता है, और लोग उस कब्र की रखवाली करते रहते हैं। $$ JOB 21:33 नाले के ढेले उसको सुखदायक लगते हैं; और जैसे पूर्वकाल के लोग अनगिनत जा चुके, वैसे ही सब मनुष्य उसके बाद भी चले जाएँगे। $$ JOB 21:34 तुम्हारे उत्तरों में तो झूठ ही पाया जाता है, इसलिए तुम क्यों मुझे व्यर्थ शान्ति देते हो?” अध्याय 22 $$ JOB 22:1 ¶ तब तेमानी एलीपज ने कहा, $$ JOB 22:2 “क्या मनुष्य से परमेश्वर को लाभ पहुँच सकता है? जो बुद्धिमान है, वह स्वयं के लिए लाभदायक है। $$ JOB 22:3 क्या तेरे धर्मी होने से सर्वशक्तिमान सुख पा सकता है*? तेरी चाल की खराई से क्या उसे कुछ लाभ हो सकता है? $$ JOB 22:4 वह तो तुझे डाँटता है, और तुझ से मुकद्दमा लड़ता है, तो क्या इस दशा में तेरी भक्ति हो सकती है? $$ JOB 22:5 क्या तेरी बुराई बहुत नहीं? तेरे अधर्म के कामों का कुछ अन्त नहीं। $$ JOB 22:6 तूने तो अपने भाई का बन्धक अकारण रख लिया है, और नंगे के वस्त्र उतार लिये हैं। $$ JOB 22:7 थके हुए को तूने पानी न पिलाया, और भूखे को रोटी देने से इन्कार किया। $$ JOB 22:8 जो बलवान था उसी को भूमि मिली, और जिस पुरुष की प्रतिष्ठा हुई थी, वही उसमें बस गया। $$ JOB 22:9 तूने विधवाओं को खाली हाथ लौटा दिया*। और अनाथों की बाहें तोड़ डाली गई। $$ JOB 22:10 इस कारण तेरे चारों ओर फंदे लगे हैं, और अचानक डर के मारे तू घबरा रहा है। $$ JOB 22:11 क्या तू अंधियारे को नहीं देखता, और उस बाढ़ को जिसमें तू डूब रहा है? $$ JOB 22:12 “क्या परमेश्वर स्वर्ग के ऊँचे स्थान में नहीं है? ऊँचे से ऊँचे तारों को देख कि वे कितने ऊँचे हैं। $$ JOB 22:13 फिर तू कहता है, ‘परमेश्वर क्या जानता है? क्या वह घोर अंधकार की आड़ में होकर न्याय करेगा? $$ JOB 22:14 काली घटाओं से वह ऐसा छिपा रहता है कि वह कुछ नहीं देख सकता, वह तो आकाशमण्डल ही के ऊपर चलता फिरता है।’ $$ JOB 22:15 क्या तू उस पुराने रास्ते को पकड़े रहेगा, जिस पर वे अनर्थ करनेवाले चलते हैं? $$ JOB 22:16 वे अपने समय से पहले उठा लिए गए और उनके घर की नींव नदी बहा ले गई। $$ JOB 22:17 उन्होंने परमेश्वर से कहा था, ‘हम से दूर हो जा;’ और यह कि ‘सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमारा क्या कर सकता है?’ $$ JOB 22:18 तो भी उसने उनके घर अच्छे-अच्छे पदार्थों से भर दिए परन्तु दुष्ट लोगों का विचार मुझसे दूर रहे। $$ JOB 22:19 धर्मी लोग देखकर आनन्दित होते हैं; और निर्दोष लोग उनकी हँसी करते हैं, कि $$ JOB 22:20 ‘जो हमारे विरुद्ध उठे थे, निःसन्देह मिट गए और उनका बड़ा धन आग का कौर हो गया है।’ $$ JOB 22:21 “ परमेश्वर से मेल मिलाप कर * तब तुझे शान्ति मिलेगी; और इससे तेरी भलाई होगी। $$ JOB 22:22 उसके मुँह से शिक्षा सुन ले, और उसके वचन अपने मन में रख। $$ JOB 22:23 यदि तू सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर फिरके समीप जाए, और अपने तम्बू से कुटिल काम दूर करे, तो तू बन जाएगा। $$ JOB 22:24 तू अपनी अनमोल वस्तुओं को धूलि पर, वरन् ओपीर का कुन्दन भी नालों के पत्थरों में डाल दे, $$ JOB 22:25 तब सर्वशक्तिमान आप तेरी अनमोल वस्तु और तेरे लिये चमकीली चाँदी होगा। $$ JOB 22:26 तब तू सर्वशक्तिमान से सुख पाएगा, और परमेश्वर की ओर अपना मुँह बेखटके उठा सकेगा। $$ JOB 22:27 और तू उससे प्रार्थना करेगा, और वह तेरी सुनेगा; और तू अपनी मन्नतों को पूरी करेगा। $$ JOB 22:28 जो बात तू ठाने वह तुझ से बन भी पड़ेगी, और तेरे मार्गों पर प्रकाश रहेगा। $$ JOB 22:29 मनुष्य जब गिरता है, तो तू कहता है की वह उठाया जाएगा; क्योंकि वह नम्र मनुष्य को बचाता है। (मत्ती 23:12, 1 पत. 5:6, नीति. 29:23) $$ JOB 22:30 वरन् जो निर्दोष न हो उसको भी वह बचाता है; तेरे शुद्ध कामों के कारण तू छुड़ाया जाएगा।” $$ JOB 23:1 ¶ तब अय्यूब ने कहा, $$ JOB 23:2 “ मेरी कुड़कुड़ाहट अब भी नहीं रुक सकती *, मेरे कष्ट मेरे कराहने से भारी है। $$ JOB 23:3 भला होता, कि मैं जानता कि वह कहाँ मिल सकता है, तब मैं उसके विराजने के स्थान तक जा सकता! $$ JOB 23:4 मैं उसके सामने अपना मुकद्दमा पेश करता, और बहुत से* प्रमाण देता। $$ JOB 23:5 मैं जान लेता कि वह मुझसे उत्तर में क्या कह सकता है, और जो कुछ वह मुझसे कहता वह मैं समझ लेता। $$ JOB 23:6 क्या वह अपना बड़ा बल दिखाकर मुझसे मुकद्दमा लड़ता? नहीं, वह मुझ पर ध्यान देता। $$ JOB 23:7 सज्जन उससे विवाद कर सकते, और इस रीति मैं अपने न्यायी के हाथ से सदा के लिये छूट जाता। $$ JOB 23:8 “देखो, मैं आगे जाता हूँ परन्तु वह नहीं मिलता; मैं पीछे हटता हूँ, परन्तु वह दिखाई नहीं पड़ता; $$ JOB 23:9 जब वह बाईं ओर काम करता है तब वह मुझे दिखाई नहीं देता; वह तो दाहिनी ओर ऐसा छिप जाता है, कि मुझे वह दिखाई ही नहीं पड़ता। $$ JOB 23:10 परन्तु वह जानता है, कि मैं कैसी चाल चला हूँ; और जब वह मुझे ता लेगा तब मैं सोने के समान निकलूँगा। (1 पत. 1:7) $$ JOB 23:11 मेरे पैर उसके मार्गों में स्थिर रहे; और मैं उसी का मार्ग बिना मुड़ें थामे रहा। $$ JOB 23:12 उसकी आज्ञा का पालन करने से मैं न हटा, और मैंने उसके वचन अपनी इच्छा से कहीं अधिक काम के जानकर सुरक्षित रखे। $$ JOB 23:13 परन्तु वह एक ही बात पर अड़ा रहता है, और कौन उसको उससे फिरा सकता है? जो कुछ उसका जी चाहता है वही वह करता है *। $$ JOB 23:14 जो कुछ मेरे लिये उसने ठाना है, उसी को वह पूरा करता है; और उसके मन में ऐसी-ऐसी बहुत सी बातें हैं। $$ JOB 23:15 इस कारण मैं उसके सम्मुख घबरा जाता हूँ; जब मैं सोचता हूँ तब उससे थरथरा उठता हूँ। $$ JOB 23:16 क्योंकि मेरा मन परमेश्वर ही ने कच्चा कर दिया, और सर्वशक्तिमान ही ने मुझ को घबरा दिया है। $$ JOB 23:17 क्योंकि मैं अंधकार से घिरा हुआ हूँ, और घोर अंधकार ने मेरे मुँह को ढाँप लिया है। $$ JOB 24:1 “सर्वशक्तिमान ने दुष्टों के न्याय के लिए समय क्यों नहीं ठहराया, और जो लोग उसका ज्ञान रखते हैं वे उसके दिन क्यों देखने नहीं पाते? $$ JOB 24:2 कुछ लोग भूमि की सीमा को बढ़ाते, और भेड़-बकरियाँ छीनकर चराते हैं। $$ JOB 24:3 वे अनाथों का गदहा हाँक ले जाते *, और विधवा का बैल बन्धक कर रखते हैं। $$ JOB 24:4 वे दरिद्र लोगों को मार्ग से हटा देते, और देश के दीनों को इकट्ठे छिपना पड़ता है। $$ JOB 24:5 देखो, दीन लोग जंगली गदहों के समान अपने काम को और कुछ भोजन यत्न से* ढूँढ़ने को निकल जाते हैं; उनके बच्चों का भोजन उनको जंगल से मिलता है। $$ JOB 24:6 उनको खेत में चारा काटना, और दुष्टों की बची बचाई दाख बटोरना पड़ता है। $$ JOB 24:7 रात को उन्हें बिना वस्त्र नंगे पड़े रहना और जाड़े के समय बिना ओढ़े पड़े रहना पड़ता है। $$ JOB 24:8 वे पहाड़ों पर की वर्षा से भीगे रहते, और शरण न पाकर चट्टान से लिपट जाते हैं। $$ JOB 24:9 कुछ दुष्ट लोग अनाथ बालक को माँ की छाती पर से छीन लेते हैं, और दीन लोगों से बन्धक लेते हैं। $$ JOB 24:10 जिससे वे बिना वस्त्र नंगे फिरते हैं; और भूख के मारे, पूलियाँ ढोते हैं। $$ JOB 24:11 वे दुष्टों की दीवारों के भीतर तेल पेरते और उनके कुण्डों में दाख रौंदते हुए भी प्यासे रहते हैं। $$ JOB 24:12 वे बड़े नगर में कराहते हैं, और घायल किए हुओं का जी दुहाई देता है; परन्तु परमेश्वर मूर्खता का हिसाब नहीं लेता। $$ JOB 24:13 “फिर कुछ लोग उजियाले से बैर रखते *, वे उसके मार्गों को नहीं पहचानते, और न उसके मार्गों में बने रहते हैं। $$ JOB 24:14 खूनी, पौ फटते ही उठकर दीन दरिद्र मनुष्य को घात करता, और रात को चोर बन जाता है। $$ JOB 24:15 व्यभिचारी यह सोचकर कि कोई मुझ को देखने न पाए, दिन डूबने की राह देखता रहता है, और वह अपना मुँह छिपाए भी रखता है। $$ JOB 24:16 वे अंधियारे के समय घरों में सेंध मारते और दिन को छिपे रहते हैं; वे उजियाले को जानते भी नहीं। $$ JOB 24:17 क्योंकि उन सभी को भोर का प्रकाश घोर अंधकार सा जान पड़ता है, घोर अंधकार का भय वे जानते हैं।” $$ JOB 24:18 “वे जल के ऊपर हलकी सी वस्तु के सरीखे हैं, उनके भाग को पृथ्वी के रहनेवाले कोसते हैं, और वे अपनी दाख की बारियों में लौटने नहीं पाते। $$ JOB 24:19 जैसे सूखे और धूप से हिम का जल सूख जाता है वैसे ही पापी लोग अधोलोक में सूख जाते हैं। $$ JOB 24:20 माता भी उसको भूल जाती, और कीड़े उसे चूसते हैं, भविष्य में उसका स्मरण न रहेगा; इस रीति टेढ़ा काम करनेवाला वृक्ष के समान कट जाता है। $$ JOB 24:21 “वह बाँझ स्त्री को जो कभी नहीं जनी लूटता, और विधवा से भलाई करना नहीं चाहता है। $$ JOB 24:22 बलात्कारियों को भी परमेश्वर अपनी शक्ति से खींच लेता है, जो जीवित रहने की आशा नहीं रखता, वह भी फिर उठ बैठता है। $$ JOB 24:23 उन्हें ऐसे बेखटके कर देता है, कि वे सम्भले रहते हैं; और उसकी कृपादृष्टि उनकी चाल पर लगी रहती है। $$ JOB 24:24 वे बढ़ते हैं, तब थोड़ी देर में जाते रहते हैं *, वे दबाए जाते और सभी के समान रख लिये जाते हैं, और अनाज की बाल के समान काटे जाते हैं। $$ JOB 24:25 क्या यह सब सच नहीं! कौन मुझे झुठलाएगा? कौन मेरी बातें निकम्मी ठहराएगा?” $$ JOB 25:1 ¶ तब शूही बिल्दद ने कहा, $$ JOB 25:2 “ प्रभुता करना और डराना यह उसी का काम है *; वह अपने ऊँचे-ऊँचे स्थानों में शान्ति रखता है। $$ JOB 25:3 क्या उसकी सेनाओं की गिनती हो सकती? और कौन है जिस पर उसका प्रकाश नहीं पड़ता? $$ JOB 25:4 फिर मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी कैसे ठहर सकता है? और जो स्त्री से उत्पन्न हुआ है वह कैसे निर्मल हो सकता है? $$ JOB 25:5 देख, उसकी दृष्टि में चन्द्रमा भी अंधेरा ठहरता, और तारे भी निर्मल नहीं ठहरते। $$ JOB 25:6 फिर मनुष्य की क्या गिनती जो कीड़ा है, और आदमी कहाँ रहा जो केंचुआ है!” $$ JOB 26:1 ¶ तब अय्यूब ने कहा, $$ JOB 26:2 “निर्बल जन की तूने क्या ही बड़ी सहायता की, और जिसकी बाँह में सामर्थ्य नहीं, उसको तूने कैसे सम्भाला है? $$ JOB 26:3 निर्बुद्धि मनुष्य को तूने क्या ही अच्छी सम्मति दी, और अपनी खरी बुद्धि कैसी भली-भाँति प्रगट की है? $$ JOB 26:4 तूने किसके हित के लिये बातें कही? और किसके मन की बातें तेरे मुँह से निकलीं?” $$ JOB 26:5 “बहुत दिन के मरे हुए लोग भी जलनिधि और उसके निवासियों के तले तड़पते हैं। $$ JOB 26:6 अधोलोक उसके सामने उघड़ा रहता है, और विनाश का स्थान ढँप नहीं सकता। (भज. 139:8-11 नीति. 15:11, इब्रा. 4:13) $$ JOB 26:7 वह उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है, और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है। $$ JOB 26:8 वह जल को अपनी काली घटाओं में बाँध रखता *, और बादल उसके बोझ से नहीं फटता। $$ JOB 26:9 वह अपने सिंहासन के सामने बादल फैलाकर चाँद को छिपाए रखता है। $$ JOB 26:10 उजियाले और अंधियारे के बीच जहाँ सीमा बंधा है, वहाँ तक उसने जलनिधि का सीमा ठहरा रखा है। $$ JOB 26:11 उसकी घुड़की से आकाश के खम्भे थरथराते और चकित होते हैं। $$ JOB 26:12 वह अपने बल से समुद्र को शान्त, और अपनी बुद्धि से रहब को छेद देता है। $$ JOB 26:13 उसकी आत्मा से आकाशमण्डल स्वच्छ हो जाता है, वह अपने हाथ से वेग से भागनेवाले नाग को मार देता है। $$ JOB 26:14 देखो, ये तो उसकी गति के किनारे ही हैं; और उसकी आहट फुसफुसाहट ही सी तो सुन पड़ती है, फिर उसके पराक्रम के गरजने का भेद कौन समझ सकता है?” $$ JOB 27:1 ¶ अय्यूब ने और भी अपनी गूढ़ बात उठाई और कहा, $$ JOB 27:2 “मैं परमेश्वर के जीवन की शपथ खाता हूँ जिसने मेरा न्याय बिगाड़ दिया, अर्थात् उस सर्वशक्तिमान के जीवन की जिसने मेरा प्राण कड़वा कर दिया। $$ JOB 27:3 क्योंकि अब तक मेरी साँस बराबर आती है, और परमेश्वर का आत्मा मेरे नथुनों में बना है *। $$ JOB 27:4 मैं यह कहता हूँ कि मेरे मुँह से कोई कुटिल बात न निकलेगी, और न मैं कपट की बातें बोलूँगा। $$ JOB 27:5 परमेश्वर न करे कि मैं तुम लोगों को सच्चा ठहराऊँ, जब तक मेरा प्राण न छूटे तब तक मैं अपनी खराई से न हटूँगा। $$ JOB 27:6 मैं अपनी धार्मिकता पकड़े हुए हूँ और उसको हाथ से जाने न दूँगा; क्योंकि मेरा मन जीवन भर मुझे दोषी नहीं ठहराएगा। $$ JOB 27:7 “मेरा शत्रु दुष्टों के समान, और जो मेरे विरुद्ध उठता है वह कुटिलों के तुल्य ठहरे। $$ JOB 27:8 जब परमेश्वर भक्तिहीन मनुष्य का प्राण ले ले, तब यद्यपि उसने धन भी प्राप्त किया हो, तो भी उसकी क्या आशा रहेगी? $$ JOB 27:9 जब वह संकट में पड़े, तब क्या परमेश्वर उसकी दुहाई सुनेगा? $$ JOB 27:10 क्या वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर में सुख पा सकेगा, और हर समय परमेश्वर को पुकार सकेगा? $$ JOB 27:11 मैं तुम्हें परमेश्वर के काम के विषय शिक्षा दूँगा, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की बात मैं न छिपाऊँगा $$ JOB 27:12 देखो, तुम लोग सब के सब उसे स्वयं देख चुके हो, फिर तुम व्यर्थ विचार क्यों पकड़े रहते हो?” $$ JOB 27:13 “दुष्ट मनुष्य का भाग परमेश्वर की ओर से यह है, और उपद्रवियों का अंश जो वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के हाथ से पाते हैं, वह यह है, कि $$ JOB 27:14 चाहे उसके बच्चे गिनती में बढ़ भी जाएँ, तो भी तलवार ही के लिये बढ़ेंगे, और उसकी सन्तान पेट भर रोटी न खाने पाएगी। $$ JOB 27:15 उसके जो लोग बच जाएँ वे मरकर कब्र को पहुँचेंगे; और उसके यहाँ की विधवाएँ न रोएँगी। $$ JOB 27:16 चाहे वह रुपया धूलि के समान बटोर रखे और वस्त्र मिट्टी के किनकों के तुल्य अनगिनत तैयार कराए, $$ JOB 27:17 वह उन्हें तैयार कराए तो सही, परन्तु धर्मी उन्हें पहन लेगा, और उसका रुपया निर्दोष लोग आपस में बाँटेंगे। $$ JOB 27:18 उसने अपना घर मकड़ी का सा बनाया, और खेत के रखवाले की झोपड़ी के समान बनाया। $$ JOB 27:19 वह धनी होकर लेट जाए परन्तु वह बना न रहेगा; आँख खोलते ही वह जाता रहेगा। $$ JOB 27:20 भय की धाराएँ उसे बहा ले जाएँगी, रात को बवण्डर उसको उड़ा ले जाएगा। $$ JOB 27:21 पूर्वी वायु उसे ऐसा उड़ा ले जाएगी, और वह जाता रहेगा और उसको उसके स्थान से उड़ा ले जाएगी। $$ JOB 27:22 क्योंकि परमेश्वर उस पर विपत्तियाँ बिना तरस खाए डाल देगा *, उसके हाथ से वह भाग जाना चाहेगा। $$ JOB 27:23 लोग उस पर ताली बजाएँगे, और उस पर ऐसी सुसकारियाँ भरेंगे कि वह अपने स्थान पर न रह सकेगा। $$ JOB 28:1 “चाँदी की खानि तो होती है, और सोने के लिये भी स्थान होता है जहाँ लोग जाते हैं। $$ JOB 28:2 लोहा मिट्टी में से निकाला जाता और पत्थर पिघलाकर पीतल बनाया जाता है $$ JOB 28:3 मनुष्य अंधियारे को दूर कर, दूर-दूर तक खोद-खोद कर, अंधियारे और घोर अंधकार में पत्थर ढूँढ़ते हैं। $$ JOB 28:4 जहाँ लोग रहते हैं वहाँ से दूर वे खानि खोदते हैं वहाँ पृथ्वी पर चलनेवालों के भूले-बिसरे हुए वे मनुष्यों से दूर लटके हुए झूलते रहते हैं। $$ JOB 28:5 यह भूमि जो है, इससे रोटी तो मिलती है *, परन्तु उसके नीचे के स्थान मानो आग से उलट दिए जाते हैं। $$ JOB 28:6 उसके पत्थर नीलमणि का स्थान हैं, और उसी में सोने की धूलि भी है। $$ JOB 28:7 “उसका मार्ग कोई माँसाहारी पक्षी नहीं जानता, और किसी गिद्ध की दृष्टि उस पर नहीं पड़ी। $$ JOB 28:8 उस पर हिंसक पशुओं ने पाँव नहीं धरा, और न उससे होकर कोई सिंह कभी गया है। $$ JOB 28:9 “वह चकमक के पत्थर पर हाथ लगाता, और पहाड़ों को जड़ ही से उलट देता है। $$ JOB 28:10 वह चट्टान खोदकर नालियाँ बनाता, और उसकी आँखों को हर एक अनमोल वस्तु दिखाई देती है *। $$ JOB 28:11 वह नदियों को ऐसा रोक देता है, कि उनसे एक बूंद भी पानी नहीं टपकता और जो कुछ छिपा है उसे वह उजियाले में निकालता है। $$ JOB 28:12 “परन्तु बुद्धि कहाँ मिल सकती है? और समझ का स्थान कहाँ है? $$ JOB 28:13 उसका मोल मनुष्य को मालूम नहीं, जीवनलोक में वह कहीं नहीं मिलती! $$ JOB 28:14 अथाह सागर कहता है, ‘वह मुझ में नहीं है,’ और समुद्र भी कहता है, ‘वह मेरे पास नहीं है।’ $$ JOB 28:15 शुद्ध सोने से वह मोल लिया नहीं जाता। और न उसके दाम के लिये चाँदी तौली जाती है। $$ JOB 28:16 न तो उसके साथ ओपीर के कुन्दन की बराबरी हो सकती है; और न अनमोल सुलैमानी पत्थर या नीलमणि की। $$ JOB 28:17 न सोना, न काँच उसके बराबर ठहर सकता है, कुन्दन के गहने के बदले भी वह नहीं मिलती। (नीति. 8:10) $$ JOB 28:18 मूंगे और स्फटिकमणि की उसके आगे क्या चर्चा! बुद्धि का मोल माणिक से भी अधिक है। $$ JOB 28:19 कूश देश के पद्मराग उसके तुल्य नहीं ठहर सकते; और न उससे शुद्ध कुन्दन की बराबरी हो सकती है। (नीति. 8:19) $$ JOB 28:20 फिर बुद्धि कहाँ मिल सकती है? और समझ का स्थान कहाँ? $$ JOB 28:21 वह सब प्राणियों की आँखों से छिपी है, और आकाश के पक्षियों के देखने में नहीं आती। $$ JOB 28:22 विनाश और मृत्यु कहती हैं, ‘हमने उसकी चर्चा सुनी है।’ (प्रका. 9:11) $$ JOB 28:23 “परन्तु परमेश्वर उसका मार्ग समझता है, और उसका स्थान उसको मालूम है। $$ JOB 28:24 वह तो पृथ्वी की छोर तक ताकता रहता है *, और सारे आकाशमण्डल के तले देखता-भालता है। (भज. 11:4) $$ JOB 28:25 जब उसने वायु का तौल ठहराया, और जल को नपुए में नापा, $$ JOB 28:26 और मेंह के लिये विधि और गर्जन और बिजली के लिये मार्ग ठहराया, $$ JOB 28:27 तब उसने बुद्धि को देखकर उसका बखान भी किया, और उसको सिद्ध करके उसका पूरा भेद बूझ लिया। $$ JOB 28:28 तब उसने मनुष्य से कहा, ‘देख, प्रभु का भय मानना यही बुद्धि है और बुराई से दूर रहना यही समझ है।’” (व्य. 4:6) $$ JOB 29:1 ¶ अय्यूब ने और भी अपनी गूढ़ बात उठाई और कहा, $$ JOB 29:2 “भला होता, कि मेरी दशा बीते हुए महीनों की सी होती, जिन दिनों में परमेश्वर मेरी रक्षा करता था, $$ JOB 29:3 जब उसके दीपक का प्रकाश मेरे सिर पर रहता था, और उससे उजियाला पाकर * मैं अंधेरे से होकर चलता था। $$ JOB 29:4 वे तो मेरी जवानी के दिन थे, जब परमेश्वर की मित्रता मेरे डेरे पर प्रगट होती थी। $$ JOB 29:5 उस समय तक तो सर्वशक्तिमान परमेश्वर मेरे संग रहता था, और मेरे बच्चे मेरे चारों ओर रहते थे। $$ JOB 29:6 तब मैं अपने पैरों को मलाई से धोता था और मेरे पास की चट्टानों से तेल की धाराएँ बहा करती थीं। $$ JOB 29:7 जब-जब मैं नगर के फाटक की ओर चलकर खुले स्थान में अपने बैठने का स्थान तैयार करता था, $$ JOB 29:8 तब-तब जवान मुझे देखकर छिप जाते, और पुरनिये उठकर खड़े हो जाते थे। $$ JOB 29:9 हाकिम लोग भी बोलने से रुक जाते, और हाथ से मुँह मूंदे रहते थे। $$ JOB 29:10 प्रधान लोग चुप रहते थे और उनकी जीभ तालू से सट जाती थी। $$ JOB 29:11 क्योंकि जब कोई मेरा समाचार सुनता, तब वह मुझे धन्य कहता था, और जब कोई मुझे देखता, तब मेरे विषय साक्षी देता था; $$ JOB 29:12 क्योंकि मैं दुहाई देनेवाले दीन जन को, और असहाय अनाथ को भी छुड़ाता था *। $$ JOB 29:13 जो नाश होने पर था मुझे आशीर्वाद देता था, और मेरे कारण विधवा आनन्द के मारे गाती थी। $$ JOB 29:14 मैं धार्मिकता को पहने रहा, और वह मुझे ढांके रहा; मेरा न्याय का काम मेरे लिये बागे और सुन्दर पगड़ी का काम देता था। $$ JOB 29:15 मैं अंधों के लिये आँखें, और लँगड़ों के लिये पाँव ठहरता था। $$ JOB 29:16 दरिद्र लोगों का मैं पिता ठहरता था, और जो मेरी पहचान का न था उसके मुकद्दमें का हाल मैं पूछ-ताछ करके जान लेता था। $$ JOB 29:17 मैं कुटिल मनुष्यों की डाढ़ें तोड़ डालता, और उनका शिकार उनके मुँह से छीनकर बचा लेता था। $$ JOB 29:18 तब मैं सोचता था, ‘मेरे दिन रेतकणों के समान अनगिनत होंगे, और अपने ही बसेरे में मेरा प्राण छूटेगा। $$ JOB 29:19 मेरी जड़ जल की ओर फैली, और मेरी डाली पर ओस रात भर पड़ी रहेगी, $$ JOB 29:20 मेरी महिमा ज्यों की त्यों बनी रहेगी, और मेरा धनुष मेरे हाथ में सदा नया होता जाएगा। $$ JOB 29:21 “लोग मेरी ही ओर कान लगाकर ठहरे रहते थे और मेरी सम्मति सुनकर चुप रहते थे। $$ JOB 29:22 जब मैं बोल चुकता था, तब वे और कुछ न बोलते थे, मेरी बातें उन पर मेंह के सामान बरसा करती थीं। $$ JOB 29:23 जैसे लोग बरसात की, वैसे ही मेरी भी बाट देखते थे *; और जैसे बरसात के अन्त की वर्षा के लिये वैसे ही वे मुँह पसारे रहते थे। $$ JOB 29:24 जब उनको कुछ आशा न रहती थी तब मैं हँसकर उनको प्रसन्न करता था; और कोई मेरे मुँह को बिगाड़ न सकता था। $$ JOB 29:25 मैं उनका मार्ग चुन लेता, और उनमें मुख्य ठहरकर बैठा करता था, और जैसा सेना में राजा या विलाप करनेवालों के बीच शान्तिदाता, वैसा ही मैं रहता था। $$ JOB 30:1 “परन्तु अब जिनकी अवस्था मुझसे कम है, वे मेरी हँसी करते हैं, वे जिनके पिताओं को मैं अपनी भेड़-बकरियों के कुत्तों के काम के योग्य भी न जानता था। $$ JOB 30:2 उनके भुजबल से मुझे क्या लाभ हो सकता था? उनका पौरुष तो जाता रहा। $$ JOB 30:3 वे दरिद्रता और काल के मारे दुबले पड़े हुए हैं, वे अंधेरे और सुनसान स्थानों में सुखी धूल फाँकते हैं। $$ JOB 30:4 वे झाड़ी के आस-पास का लोनिया साग तोड़ लेते, और झाऊ की जड़ें खाते हैं। $$ JOB 30:5 वे मनुष्यों के बीच में से निकाले जाते हैं, उनके पीछे ऐसी पुकार होती है, जैसी चोर के पीछे। $$ JOB 30:6 डरावने नालों में, भूमि के बिलों में, और चट्टानों में, उन्हें रहना पड़ता है। $$ JOB 30:7 वे झाड़ियों के बीच रेंकते, और बिच्छू पौधों के नीचे इकट्ठे पड़े रहते हैं। $$ JOB 30:8 वे मूर्खों और नीच लोगों के वंश हैं जो मार-मार के इस देश से निकाले गए थे। $$ JOB 30:9 “ऐसे ही लोग अब मुझ पर लगते गीत गाते, और मुझ पर ताना मारते हैं। $$ JOB 30:10 वे मुझसे घिन खाकर दूर रहते *, व मेरे मुँह पर थूकने से भी नहीं डरते। $$ JOB 30:11 परमेश्वर ने जो मेरी रस्सी खोलकर मुझे दुःख दिया है, इसलिए वे मेरे सामने मुँह में लगाम नहीं रखते। $$ JOB 30:12 मेरी दाहिनी ओर बाज़ारू लोग उठ खड़े होते हैं *, वे मेरे पाँव सरका देते हैं, और मेरे नाश के लिये अपने उपाय बाँधते हैं। $$ JOB 30:13 जिनके कोई सहायक नहीं, वे भी मेरे रास्तों को बिगाड़ते, और मेरी विपत्ति को बढ़ाते हैं। $$ JOB 30:14 मानो बड़े नाके से घुसकर वे आ पड़ते हैं, और उजाड़ के बीच में होकर मुझ पर धावा करते हैं। $$ JOB 30:15 मुझ में घबराहट छा गई है, और मेरा रईसपन मानो वायु से उड़ाया गया है, और मेरा कुशल बादल के समान जाता रहा। $$ JOB 30:16 “और अब मैं शोकसागर में डूबा जाता हूँ; दुःख के दिनों ने मुझे जकड़ लिया है। $$ JOB 30:17 रात को मेरी हड्डियाँ मेरे अन्दर छिद जाती हैं और मेरी नसों में चैन नहीं पड़ती $$ JOB 30:18 मेरी बीमारी की बहुतायत से मेरे वस्त्र का रूप बदल गया है; वह मेरे कुत्ते के गले के समान मुझसे लिपटी हुई है। $$ JOB 30:19 उसने मुझ को कीचड़ में फेंक दिया है, और मैं मिट्टी और राख के तुल्य हो गया हूँ। $$ JOB 30:20 मैं तेरी दुहाई देता हूँ, परन्तु तू नहीं सुनता; मैं खड़ा होता हूँ परन्तु तू मेरी ओर घूरने लगता है। $$ JOB 30:21 तू बदलकर मुझ पर कठोर हो गया है; और अपने बलवन्त हाथ से मुझे सताता हे। $$ JOB 30:22 तू मुझे वायु पर सवार करके उड़ाता है, और आँधी के पानी में मुझे गला देता है। $$ JOB 30:23 हाँ, मुझे निश्चय है, कि तू मुझे मृत्यु के वश में कर देगा *, और उस घर में पहुँचाएगा, जो सब जीवित प्राणियों के लिये ठहराया गया है। $$ JOB 30:24 “तो भी क्या कोई गिरते समय हाथ न बढ़ाएगा? और क्या कोई विपत्ति के समय दुहाई न देगा? $$ JOB 30:25 क्या मैं उसके लिये रोता नहीं था, जिसके दुर्दिन आते थे? और क्या दरिद्र जन के कारण मैं प्राण में दुःखित न होता था? $$ JOB 30:26 जब मैं कुशल का मार्ग जोहता था, तब विपत्ति आ पड़ी; और जब मैं उजियाले की आशा लगाए था, तब अंधकार छा गया। $$ JOB 30:27 मेरी अन्तड़ियाँ निरन्तर उबलती रहती हैं और आराम नहीं पातीं; मेरे दुःख के दिन आ गए हैं। $$ JOB 30:28 मैं शोक का पहरावा पहने हुए मानो बिना सूर्य की गर्मी के काला हो गया हूँ। और मैं सभा में खड़ा होकर सहायता के लिये दुहाई देता हूँ। $$ JOB 30:29 मैं गीदड़ों का भाई और शुतुर्मुर्गों का संगी हो गया हूँ। $$ JOB 30:30 मेरा चमड़ा काला होकर मुझ पर से गिरता जाता है, और ताप के मारे मेरी हड्डियाँ जल गई हैं। $$ JOB 30:31 इस कारण मेरी वीणा से विलाप और मेरी बाँसुरी से रोने की ध्वनि निकलती है। $$ JOB 31:1 “मैंने अपनी आँखों के विषय वाचा बाँधी है, फिर मैं किसी कुँवारी पर क्यों आँखें लगाऊँ? $$ JOB 31:2 क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग से कौन सा अंश और सर्वशक्तिमान ऊपर से कौन सी सम्पत्ति बाँटता है? $$ JOB 31:3 क्या वह कुटिल मनुष्यों के लिये विपत्ति और अनर्थ काम करनेवालों के लिये सत्यानाश का कारण नहीं है *? $$ JOB 31:4 क्या वह मेरी गति नहीं देखता और क्या वह मेरे पग-पग नहीं गिनता? $$ JOB 31:5 यदि मैं व्यर्थ चाल चलता हूँ, या कपट करने के लिये मेरे पैर दौड़े हों; $$ JOB 31:6 (तो मैं धर्म के तराजू में तौला जाऊँ, ताकि परमेश्वर मेरी खराई को जान ले)। $$ JOB 31:7 यदि मेरे पग मार्ग से बहक गए हों, और मेरा मन मेरी आँखों की देखी चाल चला हो, या मेरे हाथों में कुछ कलंक लगा हो; $$ JOB 31:8 तो मैं बीज बोऊँ, परन्तु दूसरा खाए; वरन् मेरे खेत की उपज उखाड़ डाली जाए। $$ JOB 31:9 “यदि मेरा हृदय किसी स्त्री पर मोहित हो गया है, और मैं अपने पड़ोसी के द्वार पर घात में बैठा हूँ; $$ JOB 31:10 तो मेरी स्त्री दूसरे के लिये पीसे, और पराए पुरुष उसको भ्रष्ट करें। $$ JOB 31:11 क्योंकि वह तो महापाप होता; और न्यायियों से दण्ड पाने के योग्य अधर्म का काम होता; $$ JOB 31:12 क्योंकि वह ऐसी आग है जो जलाकर भस्म कर देती है *, और वह मेरी सारी उपज को जड़ से नाश कर देती है। $$ JOB 31:13 “जब मेरे दास व दासी ने मुझसे झगड़ा किया, तब यदि मैंने उनका हक़ मार दिया हो; $$ JOB 31:14 तो जब परमेश्वर उठ खड़ा होगा, तब मैं क्या करूँगा? और जब वह आएगा तब मैं क्या उत्तर दूँगा? $$ JOB 31:15 क्या वह उसका बनानेवाला नहीं जिस ने मुझे गर्भ में बनाया? क्या एक ही ने हम दोनों की सूरत गर्भ में न रची थी? $$ JOB 31:16 “यदि मैंने कंगालों की इच्छा पूरी न की हो, या मेरे कारण विधवा की आँखें कभी निराश हुई हों, $$ JOB 31:17 या मैंने अपना टुकड़ा अकेला खाया हो, और उसमें से अनाथ न खाने पाए हों, $$ JOB 31:18 (परन्तु वह मेरे लड़कपन ही से मेरे साथ इस प्रकार पला जिस प्रकार पिता के साथ, और मैं जन्म ही से विधवा को पालता आया हूँ); $$ JOB 31:19 यदि मैंने किसी को वस्त्रहीन मरते हुए देखा, या किसी दरिद्र को जिसके पास ओढ़ने को न था $$ JOB 31:20 और उसको अपनी भेड़ों की ऊन के कपड़े न दिए हों, और उसने गर्म होकर मुझे आशीर्वाद न दिया हो; $$ JOB 31:21 या यदि मैंने फाटक में अपने सहायक देखकर अनाथों के मारने को अपना हाथ उठाया हो, $$ JOB 31:22 तो मेरी बाँह कंधे से उखड़कर गिर पड़े, और मेरी भुजा की हड्डी टूट जाए। $$ JOB 31:23 क्योंकि परमेश्वर के प्रताप के कारण मैं ऐसा नहीं कर सकता था, क्योंकि उसकी ओर की विपत्ति के कारण मैं भयभीत होकर थरथराता था। $$ JOB 31:24 “यदि मैंने सोने का भरोसा किया होता, या कुन्दन को अपना आसरा कहा होता, $$ JOB 31:25 या अपने बहुत से धन या अपनी बड़ी कमाई के कारण आनन्द किया होता, $$ JOB 31:26 या सूर्य को चमकते या चन्द्रमा को महाशोभा से चलते हुए देखकर $$ JOB 31:27 मैं मन ही मन मोहित हो गया होता, और अपने मुँह से अपना हाथ चूम लिया होता; $$ JOB 31:28 तो यह भी न्यायियों से दण्ड पाने के योग्य अधर्म का काम होता; क्योंकि ऐसा करके मैंने सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर का इन्कार किया होता। $$ JOB 31:29 “ यदि मैं अपने बैरी के नाश से आनन्दित होता *, या जब उस पर विपत्ति पड़ी तब उस पर हँसा होता; $$ JOB 31:30 (परन्तु मैंने न तो उसको श्राप देते हुए, और न उसके प्राणदण्ड की प्रार्थना करते हुए अपने मुँह से पाप किया है); $$ JOB 31:31 यदि मेरे डेरे के रहनेवालों ने यह न कहा होता, ‘ऐसा कोई कहाँ मिलेगा, जो इसके यहाँ का माँस खाकर तृप्त न हुआ हो?’ $$ JOB 31:32 (परदेशी को सड़क पर टिकना न पड़ता था; मैं बटोही के लिये अपना द्वार खुला रखता था); $$ JOB 31:33 यदि मैंने आदम के समान अपना अपराध छिपाकर अपने अधर्म को ढाँप लिया हो, $$ JOB 31:34 इस कारण कि मैं बड़ी भीड़ से भय खाता था, या कुलीनों से तुच्छ किए जाने से डर गया यहाँ तक कि मैं द्वार से बाहर न निकला- $$ JOB 31:35 भला होता कि मेरा कोई सुननेवाला होता! सर्वशक्तिमान परमेश्वर अभी मेरा न्याय चुकाए! देखो, मेरा दस्तखत यही है। भला होता कि जो शिकायतनामा मेरे मुद्दई ने लिखा है वह मेरे पास होता! $$ JOB 31:36 निश्चय मैं उसको अपने कंधे पर उठाए फिरता; और सुन्दर पगड़ी जानकर अपने सिर में बाँधे रहता। $$ JOB 31:37 मैं उसको अपने पग-पग का हिसाब देता; मैं उसके निकट प्रधान के समान निडर जाता। $$ JOB 31:38 “यदि मेरी भूमि मेरे विरुद्ध दुहाई देती हो, और उसकी रेघारियाँ मिलकर रोती हों; $$ JOB 31:39 यदि मैंने अपनी भूमि की उपज बिना मजदूरी दिए खाई, या उसके मालिक का प्राण लिया हो; $$ JOB 31:40 तो गेहूँ के बदले झड़बेरी, और जौ के बदले जंगली घास उगें!” अय्यूब के वचन पूरे हुए हैं। $$ JOB 32:1 ¶ तब उन तीनों पुरुषों ने यह देखकर कि अय्यूब अपनी दृष्टि में निर्दोष है * उसको उत्तर देना छोड़ दिया। $$ JOB 32:2 ¶ और बूजी बारकेल का पुत्र एलीहू * जो राम के कुल का था, उसका क्रोध भड़क उठा। अय्यूब पर उसका क्रोध इसलिए भड़क उठा, कि उसने परमेश्वर को नहीं, अपने ही को निर्दोष ठहराया। $$ JOB 32:3 ¶ फिर अय्यूब के तीनों मित्रों के विरुद्ध भी उसका क्रोध इस कारण भड़का, कि वे अय्यूब को उत्तर न दे सके, तो भी उसको दोषी ठहराया। $$ JOB 32:4 ¶ एलीहू तो अपने को उनसे छोटा जानकर अय्यूब की बातों के अन्त की बाट जोहता रहा। $$ JOB 32:5 ¶ परन्तु जब एलीहू ने देखा कि ये तीनों पुरुष कुछ उत्तर नहीं देते, तब उसका क्रोध भड़क उठा। $$ JOB 32:6 ¶ तब बूजी बारकेल का पुत्र एलीहू कहने लगा, “मैं तो जवान हूँ, और तुम बहुत बूढ़े हो; इस कारण मैं रुका रहा, और अपना विचार तुम को बताने से डरता था। $$ JOB 32:7 मैं सोचता था, ‘जो आयु में बड़े हैं वे ही बात करें, और जो बहुत वर्ष के हैं, वे ही बुद्धि सिखाएँ।’ $$ JOB 32:8 परन्तु मनुष्य में आत्मा तो है ही, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपनी दी हुई साँस से उन्हें समझने की शक्ति देता है। $$ JOB 32:9 जो बुद्धिमान हैं वे बड़े-बड़े लोग ही नहीं और न्याय के समझनेवाले बूढ़े ही नहीं होते। $$ JOB 32:10 इसलिए मैं कहता हूँ, ‘मेरी भी सुनो; मैं भी अपना विचार बताऊँगा।’ $$ JOB 32:11 “मैं तो तुम्हारी बातें सुनने को ठहरा रहा, मैं तुम्हारे प्रमाण सुनने के लिये ठहरा रहा; जब कि तुम कहने के लिये शब्द ढूँढ़ते रहे। $$ JOB 32:12 मैं चित्त लगाकर तुम्हारी सुनता रहा। परन्तु किसी ने अय्यूब के पक्ष का खण्डन नहीं किया, और न उसकी बातों का उत्तर दिया। $$ JOB 32:13 तुम लोग मत समझो कि हमको ऐसी बुद्धि मिली है, कि उसका खण्डन मनुष्य नहीं परमेश्वर ही कर सकता है *। $$ JOB 32:14 जो बातें उसने कहीं वह मेरे विरुद्ध तो नहीं कहीं, और न मैं तुम्हारी सी बातों से उसको उत्तर दूँगा। $$ JOB 32:15 “वे विस्मित हुए, और फिर कुछ उत्तर नहीं दिया; उन्होंने बातें करना छोड़ दिया। $$ JOB 32:16 इसलिए कि वे कुछ नहीं बोलते और चुपचाप खड़े हैं, क्या इस कारण मैं ठहरा रहूँ? $$ JOB 32:17 परन्तु अब मैं भी कुछ कहूँगा, मैं भी अपना विचार प्रगट करूँगा। $$ JOB 32:18 क्योंकि मेरे मन में बातें भरी हैं, और मेरी आत्मा मुझे उभार रही है। $$ JOB 32:19 मेरा मन उस दाखमधु के समान है, जो खोला न गया हो; वह नई कुप्पियों के समान फटा जाता है। $$ JOB 32:20 शान्ति पाने के लिये मैं बोलूँगा; मैं मुँह खोलकर उत्तर दूँगा। $$ JOB 32:21 न मैं किसी आदमी का पक्ष करूँगा, और न मैं किसी मनुष्य को चापलूसी की पदवी दूँगा। $$ JOB 32:22 क्योंकि मुझे तो चापलूसी करना आता ही नहीं, नहीं तो मेरा सृजनहार क्षण भर में मुझे उठा लेता*। $$ JOB 33:1 “इसलिये अब, हे अय्यूब! मेरी बातें सुन ले, और मेरे सब वचनों पर कान लगा। $$ JOB 33:2 मैंने तो अपना मुँह खोला है, और मेरी जीभ मुँह में चुलबुला रही है। $$ JOB 33:3 मेरी बातें मेरे मन की सिधाई प्रगट करेंगी; जो ज्ञान मैं रखता हूँ उसे खराई के साथ कहूँगा। $$ JOB 33:4 मुझे परमेश्वर की आत्मा ने बनाया है, और सर्वशक्तिमान की साँस से मुझे जीवन मिलता है। $$ JOB 33:5 यदि तू मुझे उत्तर दे सके, तो दे; मेरे सामने अपनी बातें क्रम से रचकर खड़ा हो जा। $$ JOB 33:6 देख, मैं परमेश्वर के सन्मुख तेरे तुल्य हूँ; मैं भी मिट्टी का बना हुआ हूँ। $$ JOB 33:7 सुन, तुझे डर के मारे घबराना न पड़ेगा, और न तू मेरे बोझ से दबेगा। $$ JOB 33:8 “निःसन्देह तेरी ऐसी बात मेरे कानों में पड़ी है और मैंने तेरे वचन सुने हैं, $$ JOB 33:9 ‘मैं तो पवित्र और निरपराध और निष्कलंक हूँ; और मुझ में अधर्म नहीं है। $$ JOB 33:10 देख, परमेश्वर मुझसे झगड़ने के दाँव ढूँढ़ता है *, और मुझे अपना शत्रु समझता है; $$ JOB 33:11 वह मेरे दोनों पाँवों को काठ में ठोंक देता है, और मेरी सारी चाल पर दृष्टि रखता है।’ $$ JOB 33:12 “देख, मैं तुझे उत्तर देता हूँ, इस बात में तू सच्चा नहीं है। क्योंकि परमेश्वर मनुष्य से बड़ा है। $$ JOB 33:13 तू उससे क्यों झगड़ता है? क्योंकि वह अपनी किसी बात का लेखा नहीं देता। $$ JOB 33:14 क्योंकि परमेश्वर तो एक क्या वरन् दो बार बोलता है, परन्तु लोग उस पर चित्त नहीं लगाते। $$ JOB 33:15 स्वप्न में, या रात को दिए हुए दर्शन में, जब मनुष्य घोर निद्रा में पड़े रहते हैं, या बिछौने पर सोते समय, $$ JOB 33:16 तब वह मनुष्यों के कान खोलता है, और उनकी शिक्षा पर मुहर लगाता है, $$ JOB 33:17 जिससे वह मनुष्य को उसके संकल्प से रोके * और गर्व को मनुष्य में से दूर करे। $$ JOB 33:18 वह उसके प्राण को गड्ढे से बचाता है , और उसके जीवन को तलवार की मार से बचाता हे। $$ JOB 33:19 “उसकी ताड़ना भी होती है, कि वह अपने बिछौने पर पड़ा-पड़ा तड़पता है, और उसकी हड्डी-हड्डी में लगातार झगड़ा होता है $$ JOB 33:20 यहाँ तक कि उसका प्राण रोटी से, और उसका मन स्वादिष्ट भोजन से घृणा करने लगता है। $$ JOB 33:21 उसका माँस ऐसा सूख जाता है कि दिखाई नहीं देता; और उसकी हड्डियाँ जो पहले दिखाई नहीं देती थीं निकल आती हैं। $$ JOB 33:22 तब वह कब्र के निकट पहुँचता है, और उसका जीवन नाश करनेवालों के वश में हो जाता है। $$ JOB 33:23 यदि उसके लिये कोई बिचवई स्वर्गदूत मिले, जो हजार में से एक ही हो, जो भावी कहे। और जो मनुष्य को बताए कि उसके लिये क्या ठीक है। $$ JOB 33:24 तो वह उस पर अनुग्रह करके कहता है, ‘उसे गड्ढे में जाने से बचा ले*, मुझे छुड़ौती मिली है। $$ JOB 33:25 तब उस मनुष्य की देह बालक की देह से अधिक स्वस्थ और कोमल हो जाएगी; उसकी जवानी के दिन फिर लौट आएँगे।’ $$ JOB 33:26 वह परमेश्वर से विनती करेगा, और वह उससे प्रसन्न होगा, वह आनन्द से परमेश्वर का दर्शन करेगा, और परमेश्वर मनुष्य को ज्यों का त्यों धर्मी कर देगा। $$ JOB 33:27 वह मनुष्यों के सामने गाने और कहने लगता है, ‘मैंने पाप किया, और सच्चाई को उलट-पुलट कर दिया, परन्तु उसका बदला मुझे दिया नहीं गया। $$ JOB 33:28 उसने मेरे प्राण कब्र में पड़ने से बचाया है, मेरा जीवन उजियाले को देखेगा।’ $$ JOB 33:29 “देख, ऐसे-ऐसे सब काम परमेश्वर मनुष्य के साथ दो बार क्या वरन् तीन बार भी करता है, $$ JOB 33:30 जिससे उसको कब्र से बचाए, और वह जीवनलोक के उजियाले का प्रकाश पाए। $$ JOB 33:31 हे अय्यूब! कान लगाकर मेरी सुन; चुप रह, मैं और बोलूँगा। $$ JOB 33:32 यदि तुझे बात कहनी हो, तो मुझे उत्तर दे; बोल, क्योंकि मैं तुझे निर्दोष ठहराना चाहता हूँ। $$ JOB 33:33 यदि नहीं, तो तू मेरी सुन; चुप रह, मैं तुझे बुद्धि की बात सिखाऊँगा।” अध्याय 34 $$ JOB 34:1 ¶ फिर एलीहू यह कहता गया; $$ JOB 34:2 “हे बुद्धिमानों! मेरी बातें सुनो, हे ज्ञानियों! मेरी बात पर कान लगाओ, $$ JOB 34:3 क्योंकि जैसे जीभ से चखा जाता है, वैसे ही वचन कान से परखे जाते हैं। $$ JOB 34:4 जो कुछ ठीक है, हम अपने लिये चुन लें; जो भला है, हम आपस में समझ-बूझ लें। $$ JOB 34:5 क्योंकि अय्यूब ने कहा है, ‘मैं निर्दोष हूँ, और परमेश्वर ने मेरा हक़ मार दिया है। $$ JOB 34:6 यद्यपि मैं सच्चाई पर हूँ, तो भी झूठा ठहरता हूँ, मैं निरपराध हूँ, परन्तु मेरा घाव* असाध्य है।’ $$ JOB 34:7 अय्यूब के तुल्य कौन शूरवीर है, जो परमेश्वर की निन्दा पानी के समान पीता है, $$ JOB 34:8 जो अनर्थ करनेवालों का साथ देता, और दुष्ट मनुष्यों की संगति रखता है? $$ JOB 34:9 उसने तो कहा है, ‘मनुष्य को इससे कुछ लाभ नहीं कि वह आनन्द से परमेश्वर की संगति रखे।’ $$ JOB 34:10 “इसलिए हे समझवालों! मेरी सुनो, यह सम्भव नहीं कि परमेश्वर दुष्टता का काम करे, और सर्वशक्तिमान बुराई करे। $$ JOB 34:11 वह मनुष्य की करनी का फल देता है, और प्रत्येक को अपनी-अपनी चाल का फल भुगताता है। $$ JOB 34:12 निःसन्देह परमेश्वर दुष्टता नहीं करता * और न सर्वशक्तिमान अन्याय करता है। $$ JOB 34:13 किस ने पृथ्वी को उसके हाथ में सौंप दिया? या किस ने सारे जगत का प्रबन्ध किया? $$ JOB 34:14 यदि वह मनुष्य से अपना मन हटाये और अपना आत्मा और श्वास अपने ही में समेट ले, $$ JOB 34:15 तो सब देहधारी एक संग नाश हो जाएँगे, और मनुष्य फिर मिट्टी में मिल जाएगा। $$ JOB 34:16 “इसलिए इसको सुनकर समझ रख, और मेरी इन बातों पर कान लगा। $$ JOB 34:17 जो न्याय का बैरी हो, क्या वह शासन करे? * जो पूर्ण धर्मी है, क्या तू उसे दुष्ट ठहराएगा? $$ JOB 34:18 वह राजा से कहता है, ‘तू नीच है’; और प्रधानों से, ‘तुम दुष्ट हो।’ $$ JOB 34:19 परमेश्वर तो हाकिमों का पक्ष नहीं करता और धनी और कंगाल दोनों को अपने बनाए हुए जानकर उनमें कुछ भेद नहीं करता। (याकू. 2:1, रोम. 2:11, नीति. 22:2) $$ JOB 34:20 आधी रात को पल भर में वे मर जाते हैं, और प्रजा के लोग हिलाए जाते और जाते रहते हैं। और प्रतापी लोग बिना हाथ लगाए उठा लिए जाते हैं। $$ JOB 34:21 “क्योंकि परमेश्वर की आँखें मनुष्य की चालचलन पर लगी रहती हैं, और वह उसकी सारी चाल को देखता रहता है। $$ JOB 34:22 ऐसा अंधियारा या घोर अंधकार कहीं नहीं है जिसमें अनर्थ करनेवाले छिप सके। $$ JOB 34:23 क्योंकि उसने मनुष्य का कुछ समय नहीं ठहराया ताकि वह परमेश्वर के सम्मुख अदालत में जाए। $$ JOB 34:24 वह बड़े-बड़े बलवानों को बिना पूछपाछ के चूर-चूर करता है, और उनके स्थान पर दूसरों को खड़ा कर देता है। $$ JOB 34:25 इसलिए कि वह उनके कामों को भली-भाँति जानता है, वह उन्हें रात में ऐसा उलट देता है कि वे चूर-चूर हो जाते हैं। $$ JOB 34:26 वह उन्हें दुष्ट जानकर सभी के देखते मारता है, $$ JOB 34:27 क्योंकि उन्होंने उसके पीछे चलना छोड़ दिया है, और उसके किसी मार्ग पर चित्त न लगाया, $$ JOB 34:28 यहाँ तक कि उनके कारण कंगालों की दुहाई उस तक पहुँची और उसने दीन लोगों की दुहाई सुनी। $$ JOB 34:29 जब वह चुप रहता है तो उसे कौन दोषी ठहरा सकता है? और जब वह मुँह फेर ले, तब कौन उसका दर्शन पा सकता है? जाति भर के साथ और अकेले मनुष्य, दोनों के साथ उसका बराबर व्यवहार है $$ JOB 34:30 ताकि भक्तिहीन राज्य करता न रहे, और प्रजा फंदे में फँसाई न जाए। $$ JOB 34:31 “क्या किसी ने कभी परमेश्वर से कहा, ‘मैंने दण्ड सहा, अब मैं भविष्य में बुराई न करूँगा, $$ JOB 34:32 जो कुछ मुझे नहीं सूझ पड़ता, वह तू मुझे सिखा दे; और यदि मैंने टेढ़ा काम किया हो, तो भविष्य में वैसा न करूँगा?’ $$ JOB 34:33 क्या वह तेरे ही मन के अनुसार बदला पाए क्योंकि तू उससे अप्रसन्न है? क्योंकि तुझे निर्णय करना है, न कि मुझे; इस कारण जो कुछ तुझे समझ पड़ता है, वह कह दे। $$ JOB 34:34 सब ज्ञानी पुरुष वरन् जितने बुद्धिमान मेरी सुनते हैं वे मुझसे कहेंगे, $$ JOB 34:35 ‘अय्यूब ज्ञान की बातें नहीं कहता, और न उसके वचन समझ के साथ होते हैं।’ $$ JOB 34:36 भला होता, कि अय्यूब अन्त तक परीक्षा में रहता, क्योंकि उसने अनर्थकारियों के समान उत्तर दिए हैं। $$ JOB 34:37 और वह अपने पाप में विरोध बढ़ाता है; और हमारे बीच ताली बजाता है, और परमेश्वर के विरुद्ध बहुत सी बातें बनाता है।” $$ JOB 35:1 ¶ फिर एलीहू इस प्रकार और भी कहता गया, $$ JOB 35:2 “क्या तू इसे अपना हक़ समझता है? क्या तू दावा करता है कि तेरी धार्मिकता परमेश्वर के धार्मिकता से अधिक है? $$ JOB 35:3 जो तू कहता है, ‘मुझे इससे क्या लाभ? और मुझे पापी होने में और न होने में कौन सा अधिक अन्तर है?’ $$ JOB 35:4 मैं तुझे और तेरे साथियों को भी एक संग उत्तर देता हूँ। $$ JOB 35:5 आकाश की ओर दृष्टि करके देख; और आकाशमण्डल को ताक, जो तुझ से ऊँचा है। $$ JOB 35:6 यदि तूने पाप किया है तो परमेश्वर का क्या बिगड़ता है *? यदि तेरे अपराध बहुत ही बढ़ जाएँ तो भी तू उसका क्या कर लेगा? $$ JOB 35:7 यदि तू धर्मी है तो उसको क्या दे देता है; या उसे तेरे हाथ से क्या मिल जाता है? $$ JOB 35:8 तेरी दुष्टता का फल तुझ जैसे पुरुष के लिये है, और तेरी धार्मिकता का फल भी मनुष्यमात्र के लिये है। $$ JOB 35:9 “बहुत अंधेर होने के कारण वे चिल्लाते हैं; और बलवान के बाहुबल के कारण वे दुहाई देते हैं। $$ JOB 35:10 तो भी कोई यह नहीं कहता, ‘मेरा सृजनेवाला परमेश्वर कहाँ है, जो रात में भी गीत गवाता है, $$ JOB 35:11 और हमें पृथ्वी के पशुओं से अधिक शिक्षा देता, और आकाश के पक्षियों से अधिक बुद्धि देता है?’ $$ JOB 35:12 वे दुहाई देते हैं परन्तु कोई उत्तर नहीं देता, यह बुरे लोगों के घमण्ड के कारण होता है। $$ JOB 35:13 निश्चय परमेश्वर व्यर्थ बातें कभी नहीं सुनता *, और न सर्वशक्तिमान उन पर चित्त लगाता है। $$ JOB 35:14 तो तू क्यों कहता है, कि वह मुझे दर्शन नहीं देता, कि यह मुकद्दमा उसके सामने है, और तू उसकी बाट जोहता हुआ ठहरा है? $$ JOB 35:15 परन्तु अभी तो उसने क्रोध करके दण्ड नहीं दिया है, और अभिमान पर चित्त बहुत नहीं लगाया *; $$ JOB 35:16 इस कारण अय्यूब व्यर्थ मुँह खोलकर अज्ञानता की बातें बहुत बनाता है।” $$ JOB 36:1 ¶ फिर एलीहू ने यह भी कहा, $$ JOB 36:2 “कुछ ठहरा रह, और मैं तुझको समझाऊँगा, क्योंकि परमेश्वर के पक्ष में मुझे कुछ और भी कहना है। $$ JOB 36:3 मैं अपने ज्ञान की बात दूर से ले आऊँगा, और अपने सृजनहार को धर्मी ठहराऊँगा। $$ JOB 36:4 निश्चय मेरी बातें झूठी न होंगी, वह जो तेरे संग है वह पूरा ज्ञानी है। $$ JOB 36:5 “देख, परमेश्वर सामर्थी है, और किसी को तुच्छ नहीं जानता; वह समझने की शक्ति में समर्थ है। $$ JOB 36:6 वह दुष्टों को जिलाए नहीं रखता, और दीनों को उनका हक़ देता है। $$ JOB 36:7 वह धर्मियों से अपनी आँखें नहीं फेरता *, वरन् उनको राजाओं के संग सदा के लिये सिंहासन पर बैठाता है, और वे ऊँचे पद को प्राप्त करते हैं। $$ JOB 36:8 और चाहे वे बेड़ियों में जकड़े जाएँ और दुःख की रस्सियों से बाँधे जाए, $$ JOB 36:9 तो भी परमेश्वर उन पर उनके काम, और उनका यह अपराध प्रगट करता है, कि उन्होंने गर्व किया है। $$ JOB 36:10 वह उनके कान शिक्षा सुनने के लिये खोलता है *, और आज्ञा देता है कि वे बुराई से दूर रहें। $$ JOB 36:11 यदि वे सुनकर उसकी सेवा करें, तो वे अपने दिन कल्याण से, और अपने वर्ष सुख से पूरे करते हैं। $$ JOB 36:12 परन्तु यदि वे न सुनें, तो वे तलवार से नाश हो जाते हैं, और अज्ञानता में मरते हैं। $$ JOB 36:13 “परन्तु वे जो मन ही मन भक्तिहीन होकर क्रोध बढ़ाते, और जब वह उनको बाँधता है, तब भी दुहाई नहीं देते, $$ JOB 36:14 वे जवानी में मर जाते हैं और उनका जीवन लुच्चों के बीच में नाश होता है। $$ JOB 36:15 वह दुःखियों को उनके दुःख से छुड़ाता है, और उपद्रव में उनका कान खोलता है। $$ JOB 36:16 परन्तु वह तुझको भी क्लेश के मुँह में से निकालकर ऐसे चौड़े स्थान में जहाँ सकेती नहीं है, पहुँचा देता है, और चिकना-चिकना भोजन तेरी मेज पर परोसता है। $$ JOB 36:17 “परन्तु तूने दुष्टों का सा निर्णय किया है इसलिए निर्णय और न्याय तुझ से लिपटे रहते है। $$ JOB 36:18 देख, तू जलजलाहट से भर के ठट्ठा मत कर, और न घूस को अधिक बड़ा जानकर मार्ग से मुड़। $$ JOB 36:19 क्या तेरा रोना या तेरा बल तुझे दुःख से छुटकारा देगा? $$ JOB 36:20 उस रात की अभिलाषा न कर *, जिसमें देश-देश के लोग अपने-अपने स्थान से मिटाएँ जाते हैं। $$ JOB 36:21 चौकस रह, अनर्थ काम की ओर मत फिर, तूने तो दुःख से अधिक इसी को चुन लिया है। $$ JOB 36:22 देख, परमेश्वर अपने सामर्थ्य से बड़े-बड़े काम करता है, उसके समान शिक्षक कौन है? $$ JOB 36:23 किस ने उसके चलने का मार्ग ठहराया है? और कौन उससे कह सकता है, ‘तूने अनुचित काम किया है?’ $$ JOB 36:24 “उसके कामों की महिमा और प्रशंसा करने को स्मरण रख, जिसकी प्रशंसा का गीत मनुष्य गाते चले आए हैं। $$ JOB 36:25 सब मनुष्य उसको ध्यान से देखते आए हैं, और मनुष्य उसे दूर-दूर से देखता है। $$ JOB 36:26 देख, परमेश्वर महान और हमारे ज्ञान से कहीं परे है, और उसके वर्ष की गिनती अनन्त है। $$ JOB 36:27 क्योंकि वह तो जल की बूँदें ऊपर को खींच लेता है वे कुहरे से मेंह होकर टपकती हैं, $$ JOB 36:28 वे ऊँचे-ऊँचे बादल उण्डेलते हैं और मनुष्यों के ऊपर बहुतायत से बरसाते हैं। $$ JOB 36:29 फिर क्या कोई बादलों का फैलना और उसके मण्डल में का गरजना समझ सकता है? $$ JOB 36:30 देख, वह अपने उजियाले को चहुँ ओर फैलाता है, और समुद्र की थाह को ढाँपता है। $$ JOB 36:31 क्योंकि वह देश-देश के लोगों का न्याय इन्हीं से करता है, और भोजनवस्‍तुएँ बहुतायत से देता है। $$ JOB 36:32 वह बिजली को अपने हाथ में लेकर उसे आज्ञा देता है कि निशाने पर गिरे। $$ JOB 36:33 इसकी कड़क उसी का समाचार देती है पशु भी प्रगट करते हैं कि अंधड़ चढ़ा आता है। $$ JOB 37:1 “फिर इस बात पर भी मेरा हृदय काँपता है, और अपने स्थान से उछल पड़ता है। $$ JOB 37:2 उसके बोलने का शब्द तो सुनो, और उस शब्द को जो उसके मुँह से निकलता है सुनो। $$ JOB 37:3 वह उसको सारे आकाश के तले, और अपनी बिजली को पृथ्वी की छोर तक भेजता है। $$ JOB 37:4 उसके पीछे गरजने का शब्द होता है; वह अपने प्रतापी शब्द से गरजता है, और जब उसका शब्द सुनाई देता है तब बिजली लगातार चमकने लगती है। $$ JOB 37:5 परमेश्वर गरजकर अपना शब्द अद्भुत रीति से सुनाता है *, और बड़े-बड़े काम करता है जिनको हम नहीं समझते। $$ JOB 37:6 वह तो हिम से कहता है, पृथ्वी पर गिर, और इसी प्रकार मेंह को भी और मूसलाधार वर्षा को भी ऐसी ही आज्ञा देता है। $$ JOB 37:7 वह सब मनुष्यों के हाथ पर मुहर कर देता है, जिससे उसके बनाए हुए सब मनुष्य उसको पहचानें। $$ JOB 37:8 तब वन पशु गुफाओं में घुस जाते, और अपनी-अपनी माँदों में रहते हैं। $$ JOB 37:9 दक्षिण दिशा से बवण्डर और उत्तर दिशा से जाड़ा आता है। $$ JOB 37:10 परमेश्वर की श्वास की फूँक से बर्फ पड़ता है, तब जलाशयों का पाट जम जाता है। $$ JOB 37:11 फिर वह घटाओं को भाप से लादता, और अपनी बिजली से भरे हुए उजियाले का बादल दूर तक फैलाता है। $$ JOB 37:12 वे उसकी बुद्धि की युक्ति से इधर-उधर फिराए जाते हैं, इसलिए कि जो आज्ञा वह उनको दे *, उसी को वे बसाई हुई पृथ्वी के ऊपर पूरी करें। $$ JOB 37:13 चाहे ताड़ना देने के लिये, चाहे अपनी पृथ्वी की भलाई के लिये या मनुष्यों पर करुणा करने के लिये वह उसे भेजे। $$ JOB 37:14 “हे अय्यूब! इस पर कान लगा और सुन ले; चुपचाप खड़ा रह, और परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों का विचार कर। $$ JOB 37:15 क्या तू जानता है, कि परमेश्वर क्यों अपने बादलों को आज्ञा देता, और अपने बादल की बिजली को चमकाता है? $$ JOB 37:16 क्या तू घटाओं का तौलना, या सर्वज्ञानी के आश्चर्यकर्मों को जानता है? $$ JOB 37:17 जब पृथ्वी पर दक्षिणी हवा ही के कारण से सन्नाटा रहता है तब तेरे वस्त्र गर्म हो जाते हैं? $$ JOB 37:18 फिर क्या तू उसके साथ आकाशमण्डल को तान सकता है, जो ढाले हुए दर्पण के तुल्य दृढ़ है? $$ JOB 37:19 तू हमें यह सिखा कि उससे क्या कहना चाहिये? क्योंकि हम अंधियारे के कारण अपना व्याख्यान ठीक नहीं रच सकते। $$ JOB 37:20 क्या उसको बताया जाए कि मैं बोलना चाहता हूँ? क्या कोई अपना सत्यानाश चाहता है? $$ JOB 37:21 “अभी तो आकाशमण्डल में का बड़ा प्रकाश देखा नहीं जाता जब वायु चलकर उसको शुद्ध करती है। $$ JOB 37:22 उत्तर दिशा से सुनहरी ज्योति आती है परमेश्वर भययोग्य तेज से विभूषित है। $$ JOB 37:23 सर्वशक्तिमान परमेश्वर जो अति सामर्थी है, और जिसका भेद हम पा नहीं सकते, वह न्याय और पूर्ण धार्मिकता को छोड़ अत्याचार नहीं कर सकता। $$ JOB 37:24 इसी कारण सज्जन उसका भय मानते हैं, और जो अपनी दृष्टि में बुद्धिमान हैं, उन पर वह दृष्टि नहीं करता।” $$ JOB 38:1 ¶ तब यहोवा ने अय्यूब को आँधी में से यूँ उत्तर दिया *, $$ JOB 38:2 “यह कौन है जो अज्ञानता की बातें कहकर युक्ति को बिगाड़ना चाहता है? $$ JOB 38:3 पुरुष के समान अपनी कमर बाँध ले, क्योंकि मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे उत्तर दे। (अय्यू. 40:7) $$ JOB 38:4 “जब मैंने पृथ्वी की नींव डाली, तब तू कहाँ था? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे। $$ JOB 38:5 उसकी नाप किस ने ठहराई, क्या तू जानता है उस पर किस ने सूत खींचा? $$ JOB 38:6 उसकी नींव कौन सी वस्तु पर रखी गई, या किस ने उसके कोने का पत्थर बैठाया, $$ JOB 38:7 जब कि भोर के तारे एक संग आनन्द से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जयजयकार करते थे? $$ JOB 38:8 “फिर जब समुद्र ऐसा फूट निकला मानो वह गर्भ से फूट निकला, तब किस ने द्वार बन्दकर उसको रोक दिया; $$ JOB 38:9 जब कि मैंने उसको बादल पहनाया और घोर अंधकार में लपेट दिया, $$ JOB 38:10 और उसके लिये सीमा बाँधा और यह कहकर बेंड़े और किवाड़ें लगा दिए, $$ JOB 38:11 ‘यहीं तक आ, और आगे न बढ़, और तेरी उमण्डनेवाली लहरें यहीं थम जाएँ।’ $$ JOB 38:12 “क्या तूने जीवन भर में कभी भोर को आज्ञा दी, और पौ को उसका स्थान जताया है, $$ JOB 38:13 ताकि वह पृथ्वी की छोरों को वश में करे, और दुष्ट लोग उसमें से झाड़ दिए जाएँ? $$ JOB 38:14 वह ऐसा बदलता है जैसा मोहर के नीचे चिकनी मिट्टी बदलती है, और सब वस्तुएँ मानो वस्त्र पहने हुए दिखाई देती हैं। $$ JOB 38:15 दुष्टों से उनका उजियाला रोक लिया जाता है, और उनकी बढ़ाई हुई बाँह तोड़ी जाती है। $$ JOB 38:16 “क्या तू कभी समुद्र के सोतों तक पहुँचा है, या गहरे सागर की थाह में कभी चला फिरा है? $$ JOB 38:17 क्या मृत्यु के फाटक तुझ पर प्रगट हुए *, क्या तू घोर अंधकार के फाटकों को कभी देखने पाया है? $$ JOB 38:18 क्या तूने पृथ्वी की चौड़ाई को पूरी रीति से समझ लिया है? यदि तू यह सब जानता है, तो बता दे। $$ JOB 38:19 “उजियाले के निवास का मार्ग कहाँ है, और अंधियारे का स्थान कहाँ है? $$ JOB 38:20 क्या तू उसे उसके सीमा तक हटा सकता है, और उसके घर की डगर पहचान सकता है? $$ JOB 38:21 निःसन्देह तू यह सब कुछ जानता होगा! क्योंकि तू तो उस समय उत्पन्न हुआ था, और तू बहुत आयु का है। $$ JOB 38:22 फिर क्या तू कभी हिम के भण्डार में पैठा, या कभी ओलों के भण्डार को तूने देखा है, $$ JOB 38:23 जिसको मैंने संकट के समय और युद्ध और लड़ाई के दिन के लिये रख छोड़ा है? $$ JOB 38:24 किस मार्ग से उजियाला फैलाया जाता है, और पूर्वी वायु पृथ्वी पर बहाई जाती है? $$ JOB 38:25 “महावृष्टि के लिये किस ने नाला काटा, और कड़कनेवाली बिजली के लिये मार्ग बनाया है, $$ JOB 38:26 कि निर्जन देश में और जंगल में जहाँ कोई मनुष्य नहीं रहता मेंह बरसाकर, $$ JOB 38:27 उजाड़ ही उजाड़ देश को सींचे, और हरी घास उगाए? $$ JOB 38:28 क्या मेंह का कोई पिता है, और ओस की बूँदें किस ने उत्पन्न की? $$ JOB 38:29 किस के गर्भ से बर्फ निकला है, और आकाश से गिरे हुए पाले को कौन उत्पन्न करता है? $$ JOB 38:30 जल पत्थर के समान जम जाता है, और गहरे पानी के ऊपर जमावट होती है। $$ JOB 38:31 “क्या तू कचपचिया का गुच्छा गूँथ सकता या मृगशिरा के बन्धन खोल सकता है? $$ JOB 38:32 क्या तू राशियों को ठीक-ठीक समय पर उदय कर सकता, या सप्तर्षि को साथियों समेत लिए चल सकता है? $$ JOB 38:33 क्या तू आकाशमण्डल की विधियाँ जानता और पृथ्वी पर उनका अधिकार ठहरा सकता है? $$ JOB 38:34 क्या तू बादलों तक अपनी वाणी पहुँचा सकता है, ताकि बहुत जल बरस कर तुझे छिपा ले? $$ JOB 38:35 क्या तू बिजली को आज्ञा दे सकता है, कि वह जाए, और तुझ से कहे, ‘मैं उपस्थित हूँ?’ $$ JOB 38:36 किस ने अन्तःकरण में बुद्धि उपजाई, और मन में समझने की शक्ति किस ने दी है? $$ JOB 38:37 कौन बुद्धि से बादलों को गिन सकता है? और कौन आकाश के कुप्पों को उण्डेल सकता है, $$ JOB 38:38 जब धूलि जम जाती है, और ढेले एक-दूसरे से सट जाते हैं? $$ JOB 38:39 “क्या तू सिंहनी के लिये अहेर पकड़ सकता, और जवान सिंहों का पेट भर सकता है, $$ JOB 38:40 जब वे मांद में बैठे हों और आड़ में घात लगाए दबक कर बैठे हों? $$ JOB 38:41 फिर जब कौवे के बच्चे परमेश्वर की दुहाई देते हुए निराहार उड़ते फिरते हैं, तब उनको आहार कौन देता है? $$ JOB 39:1 “क्या तू जानता है कि पहाड़ पर की जंगली बकरियाँ कब बच्चे देती हैं? या जब हिरनियाँ बियाती हैं, तब क्या तू देखता रहता है? $$ JOB 39:2 क्या तू उनके महीने गिन सकता है, क्या तू उनके बियाने का समय जानता है? $$ JOB 39:3 जब वे बैठकर अपने बच्चों को जनतीं, वे अपनी पीड़ाओं से छूट जाती हैं? $$ JOB 39:4 उनके बच्चे हष्ट-पुष्ट होकर मैदान में बढ़ जाते हैं; वे निकल जाते और फिर नहीं लौटते। $$ JOB 39:5 “किस ने जंगली गदहे को स्वाधीन करके छोड़ दिया है? किस ने उसके बन्धन खोले हैं? $$ JOB 39:6 उसका घर मैंने निर्जल देश को, और उसका निवास नमकीन भूमि को ठहराया है। $$ JOB 39:7 वह नगर के कोलाहल पर हँसता, और हाँकनेवाले की हाँक सुनता भी नहीं। $$ JOB 39:8 पहाड़ों पर जो कुछ मिलता है उसे वह चरता वह सब भाँति की हरियाली ढूँढ़ता फिरता है। $$ JOB 39:9 “क्या जंगली सांड तेरा काम करने को प्रसन्न होगा? क्या वह तेरी चरनी के पास रहेगा? $$ JOB 39:10 क्या तू जंगली सांड को रस्से से बाँधकर रेघारियों में चला सकता है? क्या वह नालों में तेरे पीछे-पीछे हेंगा फेरेगा? $$ JOB 39:11 क्या तू उसके बड़े बल के कारण उस पर भरोसा करेगा? या जो परिश्रम का काम तेरा हो, क्या तू उसे उस पर छोड़ेगा? $$ JOB 39:12 क्या तू उसका विश्वास करेगा, कि वह तेरा अनाज घर ले आए, और तेरे खलिहान का अन्न इकट्ठा करे? $$ JOB 39:13 “फिर शुतुर्मुर्गी अपने पंखों को आनन्द से फुलाती है, परन्तु क्या ये पंख और पर स्नेह को प्रगट करते हैं? $$ JOB 39:14 क्योंकि वह तो अपने अण्डे भूमि पर छोड़ देती * और धूलि में उन्हें गर्म करती है; $$ JOB 39:15 और इसकी सुधि नहीं रखती, कि वे पाँव से कुचले जाएँगे, या कोई वन पशु उनको कुचल डालेगा। $$ JOB 39:16 वह अपने बच्चों से ऐसी कठोरता करती है कि मानो उसके नहीं हैं; यद्यपि उसका कष्ट अकारथ होता है, तो भी वह निश्चिन्त रहती है; $$ JOB 39:17 क्योंकि परमेश्वर ने उसको बुद्धिरहित बनाया, और उसे समझने की शक्ति नहीं दी। $$ JOB 39:18 जिस समय वह सीधी होकर अपने पंख फैलाती है, तब घोड़े और उसके सवार दोनों को कुछ नहीं समझती है। $$ JOB 39:19 “क्या तूने घोड़े को उसका बल दिया है? क्या तूने उसकी गर्दन में फहराती हुई घने बाल जमाई है? $$ JOB 39:20 क्या उसको टिड्डी की सी उछलने की शक्ति तू देता है? उसके फूँक्कारने का शब्द डरावना होता है। $$ JOB 39:21 वह तराई में टाप मारता है और अपने बल से हर्षित रहता है, वह हथियारबन्दों का सामना करने को निकल पड़ता है। $$ JOB 39:22 वह डर की बात पर हँसता *, और नहीं घबराता; और तलवार से पीछे नहीं हटता। $$ JOB 39:23 तरकश और चमकता हुआ सांग और भाला उस पर खड़खड़ाता है। $$ JOB 39:24 वह रिस और क्रोध के मारे भूमि को निगलता है; जब नरसिंगे का शब्द सुनाई देता है तब वह रुकता नहीं। $$ JOB 39:25 जब-जब नरसिंगा बजता तब-तब वह हिन-हिन करता है, और लड़ाई और अफसरों की ललकार और जय-जयकार को दूर से सूंघ लेता हे। $$ JOB 39:26 “क्या तेरे समझाने से बाज उड़ता है, और दक्षिण की ओर उड़ने को अपने पंख फैलाता है? $$ JOB 39:27 क्या उकाब तेरी आज्ञा से ऊपर चढ़ जाता है, और ऊँचे स्थान पर अपना घोंसला बनाता है? $$ JOB 39:28 वह चट्टान पर रहता और चट्टान की चोटी और दृढ़ स्थान पर बसेरा करता है। $$ JOB 39:29 वह अपनी आँखों से दूर तक देखता है, वहाँ से वह अपने अहेर को ताक लेता है। $$ JOB 39:30 उसके बच्चे भी लहू चूसते हैं; और जहाँ घात किए हुए लोग होते वहाँ वह भी होता है।” (लूका 17:37, मत्ती 24: 28) $$ JOB 40:1 ¶ फिर यहोवा ने अय्यूब से यह भी कहा: $$ JOB 40:2 “क्या जो बकवास करता है वह सर्वशक्तिमान से झगड़ा करे? जो परमेश्वर से विवाद करता है वह इसका उत्तर दे।” $$ JOB 40:3 ¶ तब अय्यूब ने यहोवा को उत्तर दिया: $$ JOB 40:4 “देख, मैं तो तुच्छ हूँ, मैं तुझे क्या उत्तर दूँ? मैं अपनी उँगली दाँत तले दबाता हूँ। $$ JOB 40:5 एक बार तो मैं कह चुका *, परन्तु और कुछ न कहूँगा: हाँ दो बार भी मैं कह चुका, परन्तु अब कुछ और आगे न बढ़ूँगा।” $$ JOB 40:6 तब यहोवा ने अय्यूब को आँधी में से यह उत्तर दिया: $$ JOB 40:7 “पुरुष के समान अपनी कमर बाँध ले, मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे बता। (अय्यू. 38:3) $$ JOB 40:8 क्या तू मेरा न्याय भी व्यर्थ ठहराएगा? क्या तू आप निर्दोष ठहरने की मनसा से मुझ को दोषी ठहराएगा? $$ JOB 40:9 क्या तेरा बाहुबल परमेश्वर के तुल्य है? * क्या तू उसके समान शब्द से गरज सकता है? $$ JOB 40:10 “अब अपने को महिमा और प्रताप से संवार और ऐश्वर्य और तेज के वस्त्र पहन ले। $$ JOB 40:11 अपने अति क्रोध की बाढ़ को बहा दे, और एक-एक घमण्डी को देखते ही उसे नीचा कर। $$ JOB 40:12 हर एक घमण्डी को देखकर झुका दे, और दुष्ट लोगों को जहाँ खड़े हों वहाँ से गिरा दे। $$ JOB 40:13 उनको एक संग मिट्टी में मिला दे, और उस गुप्त स्थान में उनके मुँह बाँध दे। $$ JOB 40:14 तब मैं भी तेरे विषय में मान लूँगा, कि तेरा ही दाहिना हाथ तेरा उद्धार कर सकता है। $$ JOB 40:15 “उस जलगज को देख, जिसको मैंने तेरे साथ बनाया है, वह बैल के समान घास खाता है। $$ JOB 40:16 देख उसकी कटि में बल है, और उसके पेट के पट्ठों में उसकी सामर्थ्य रहती है। $$ JOB 40:17 वह अपनी पूँछ को देवदार के समान हिलाता है; उसकी जाँघों की नसें एक-दूसरे से मिली हुई हैं। $$ JOB 40:18 उसकी हड्डियाँ मानो पीतल की नलियाँ हैं, उसकी पसलियाँ मानो लोहे के बेंड़े हैं। $$ JOB 40:19 “वह परमेश्वर का मुख्य कार्य है; जो उसका सृजनहार हो उसके निकट तलवार लेकर आए! $$ JOB 40:20 निश्चय पहाड़ों पर उसका चारा मिलता है, जहाँ और सब वन पशु कलोल करते हैं। $$ JOB 40:21 वह कमल के पौधों के नीचे रहता नरकटों की आड़ में और कीच पर लेटा करता है $$ JOB 40:22 कमल के पौधे उस पर छाया करते हैं, वह नाले के बेंत के वृक्षों से घिरा रहता है। $$ JOB 40:23 चाहे नदी की बाढ़ भी हो तो भी वह न घबराएगा, चाहे यरदन भी बढ़कर उसके मुँह तक आए परन्तु वह निर्भय रहेगा। $$ JOB 40:24 जब वह चौकस हो तब क्या कोई उसको पकड़ सकेगा, या उसके नाथ में फंदा लगा सकेगा? अध्याय 41 $$ JOB 41:1 “फिर क्या तू लिव्यातान को बंसी के द्वारा खींच सकता है, या डोरी से उसका जबड़ा दबा सकता है? $$ JOB 41:2 क्या तू उसकी नाक में नकेल लगा सकता या उसका जबड़ा कील से बेध सकता है? $$ JOB 41:3 क्या वह तुझ से बहुत गिड़गिड़ाहट करेगा, या तुझ से मीठी बातें बोलेगा? $$ JOB 41:4 क्या वह तुझ से वाचा बाँधेगा कि वह सदा तेरा दास रहे? $$ JOB 41:5 क्या तू उससे ऐसे खेलेगा जैसे चिड़िया से, या अपनी लड़कियों का जी बहलाने को उसे बाँध रखेगा? $$ JOB 41:6 क्या मछुए के दल उसे बिकाऊ माल समझेंगे? क्या वह उसे व्यापारियों में बाँट देंगे? $$ JOB 41:7 क्या तू उसका चमड़ा भाले से, या उसका सिर मछुए के त्रिशूलों से बेध सकता है? $$ JOB 41:8 तू उस पर अपना हाथ ही धरे, तो लड़ाई को कभी न भूलेगा, और भविष्य में कभी ऐसा न करेगा। $$ JOB 41:9 देख, उसे पकड़ने की आशा निष्फल रहती है; उसके देखने ही से मन कच्चा पड़ जाता है। $$ JOB 41:10 कोई ऐसा साहसी नहीं, जो लिव्यातान को भड़काए; फिर ऐसा कौन है जो मेरे सामने ठहर सके? $$ JOB 41:11 किस ने मुझे पहले दिया है, जिसका बदला मुझे देना पड़े! देख, जो कुछ सारी धरती पर है, सब मेरा है। (रोम. 11:35, 36) $$ JOB 41:12 “मैं लिव्यातान के अंगों के विषय, और उसके बड़े बल और उसकी बनावट की शोभा के विषय चुप न रहूँगा। (उत्प. 1:25) $$ JOB 41:13 उसके ऊपर के पहरावे को कौन उतार सकता है? * उसके दाँतों की दोनों पाँतियों के अर्थात् जबड़ों के बीच कौन आएगा? $$ JOB 41:14 उसके मुख के दोनों किवाड़ कौन खोल सकता है*? उसके दाँत चारों ओर से डरावने हैं। $$ JOB 41:15 उसके छिलकों की रेखाएं घमण्ड का कारण हैं; वे मानो कड़ी छाप से बन्द किए हुए हैं। $$ JOB 41:16 वे एक-दूसरे से ऐसे जुड़े हुए हैं, कि उनमें कुछ वायु भी नहीं पैठ सकती। $$ JOB 41:17 वे आपस में मिले हुए और ऐसे सटे हुए हैं, कि अलग-अलग नहीं हो सकते। $$ JOB 41:18 फिर उसके छींकने से उजियाला चमक उठता है, और उसकी आँखें भोर की पलकों के समान हैं। $$ JOB 41:19 उसके मुँह से जलते हुए पलीते निकलते हैं, और आग की चिंगारियाँ छूटती हैं। $$ JOB 41:20 उसके नथनों से ऐसा धुआँ निकलता है, जैसा खौलती हुई हाँड़ी और जलते हुए नरकटों से। $$ JOB 41:21 उसकी साँस से कोयले सुलगते, और उसके मुँह से आग की लौ निकलती है। $$ JOB 41:22 उसकी गर्दन में सामर्थ्य बनी रहती है, और उसके सामने डर नाचता रहता है। $$ JOB 41:23 उसके माँस पर माँस चढ़ा हुआ है, और ऐसा आपस में सटा हुआ है जो हिल नहीं सकता। $$ JOB 41:24 उसका हृदय पत्थर सा दृढ़ है, वरन् चक्की के निचले पाट के समान दृढ़ है। $$ JOB 41:25 जब वह उठने लगता है, तब सामर्थी भी डर जाते हैं, और डर के मारे उनकी सुध-बुध लोप हो जाती है। $$ JOB 41:26 यदि कोई उस पर तलवार चलाए, तो उससे कुछ न बन पड़ेगा; और न भाले और न बर्छी और न तीर से। (अय्यू. 39:21-24) $$ JOB 41:27 वह लोहे को पुआल सा, और पीतल को सड़ी लकड़ी सा जानता है। $$ JOB 41:28 वह तीर से भगाया नहीं जाता, गोफन के पत्थर उसके लिये भूसे से ठहरते हैं *। $$ JOB 41:29 लाठियाँ भी भूसे के समान गिनी जाती हैं; वह बर्छी के चलने पर हँसता है। $$ JOB 41:30 उसके निचले भाग पैने ठीकरे के समान हैं, कीचड़ पर मानो वह हेंगा फेरता है। $$ JOB 41:31 वह गहरे जल को हण्डे की समान मथता है उसके कारण नील नदी मरहम की हाण्डी के समान होती है। $$ JOB 41:32 वह अपने पीछे चमकीली लीक छोड़ता जाता है। गहरा जल मानो श्वेत दिखाई देने लगता है। (अय्यू. 38:30) $$ JOB 41:33 धरती पर उसके तुल्य और कोई नहीं है, जो ऐसा निर्भय बनाया गया है। $$ JOB 41:34 जो कुछ ऊँचा है, उसे वह ताकता ही रहता है, वह सब घमण्डियों के ऊपर राजा है।” $$ JOB 42:1 ¶ तब अय्यूब ने यहोवा को उत्तर दिया; $$ JOB 42:2 “ मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है *, और तेरी युक्तियों में से कोई रुक नहीं सकती। (यशा. 14:27, नीति. 19:21, मर. 10:27) $$ JOB 42:3 तूने मुझसे पूछा, ‘तू कौन है जो ज्ञानरहित होकर युक्ति पर परदा डालता है?’ परन्तु मैंने तो जो नहीं समझता था वही कहा, अर्थात् जो बातें मेरे लिये अधिक कठिन और मेरी समझ से बाहर थीं जिनको मैं जानता भी नहीं था। $$ JOB 42:4 तूने मुझसे कहा, ‘मैं निवेदन करता हूँ सुन, मैं कुछ कहूँगा, मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, तू मुझे बता।’ $$ JOB 42:5 मैंने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आँखें तुझे देखती हैं; $$ JOB 42:6 इसलिए मुझे अपने ऊपर घृणा आती है *, और मैं धूलि और राख में पश्चाताप करता हूँ।” $$ JOB 42:7 ¶ और ऐसा हुआ कि जब यहोवा ये बातें अय्यूब से कह चुका, तब उसने तेमानी एलीपज से कहा, “मेरा क्रोध तेरे और तेरे दोनों मित्रों पर भड़का है, क्योंकि जैसी ठीक बात मेरे दास अय्यूब ने मेरे विषय कही है, वैसी तुम लोगों ने नहीं कही। $$ JOB 42:8 ¶ इसलिए अब तुम सात बैल और सात मेढ़े छाँटकर मेरे दास अय्यूब के पास जाकर अपने निमित्त होमबलि चढ़ाओ, तब मेरा दास अय्यूब तुम्हारे लिये प्रार्थना करेगा, क्योंकि उसी की प्रार्थना मैं ग्रहण करूँगा; और नहीं, तो मैं तुम से तुम्हारी मूर्खता के योग्य बर्ताव करूँगा, क्योंकि तुम लोगों ने मेरे विषय मेरे दास अय्यूब की सी ठीक बात नहीं कही।” $$ JOB 42:9 ¶ यह सुन तेमानी एलीपज, शूही बिल्दद और नामाती सोपर ने जाकर यहोवा की आज्ञा के अनुसार किया, और यहोवा ने अय्यूब की प्रार्थना ग्रहण की। $$ JOB 42:10 ¶ जब अय्यूब ने अपने मित्रों के लिये प्रार्थना की, तब यहोवा ने उसका सारा दुःख दूर किया, और जितना अय्यूब का पहले था, उसका दुगना यहोवा ने उसे दे दिया। $$ JOB 42:11 ¶ तब उसके सब भाई, और सब बहनें, और जितने पहले उसको जानते-पहचानते थे, उन सभी ने आकर उसके यहाँ उसके संग भोजन किया; और जितनी विपत्ति यहोवा ने उस पर डाली थीं, उन सब के विषय उन्होंने विलाप किया, और उसे शान्ति दी; और उसे एक-एक चाँदी का सिक्का और सोने की एक-एक बाली दी। $$ JOB 42:12 ¶ और यहोवा ने अय्यूब के बाद के दिनों में उसको पहले के दिनों से अधिक आशीष दी *; और उसके चौदह हजार भेड़-बकरियाँ, छः हजार ऊँट, हजार जोड़ी बैल, और हजार गदहियाँ हो गई। $$ JOB 42:13 ¶ और उसके सात बेटे और तीन बेटियाँ भी उत्पन्न हुई। $$ JOB 42:14 ¶ इनमें से उसने जेठी बेटी का नाम तो यमीमा, दूसरी का कसीआ और तीसरी का केरेन्हप्पूक रखा। $$ JOB 42:15 ¶ और उस सारे देश में ऐसी स्त्रियाँ कहीं न थीं, जो अय्यूब की बेटियों के समान सुन्दर हों, और उनके पिता ने उनको उनके भाइयों के संग ही सम्पत्ति दी। $$ JOB 42:16 ¶ इसके बाद अय्यूब एक सौ चालीस वर्ष जीवित रहा, और चार पीढ़ी तक अपना वंश देखने पाया। $$ JOB 42:17 ¶ अन्त में अय्यूब वृद्धावस्था में दीर्घायु होकर मर गया।