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1 इतिहास

लेखक

1 इतिहास की पुस्तक में लेखक का नाम प्रगट नहीं है, यहूदी परम्परा के अनुसार एज्रा इसका लेखक है। 1 इतिहास की पुस्तक का आरम्भ इस्राएलियों के परिवारों की सूची से होता है। तदोपरान्त संगठित राज्य इस्राएल पर राजा दाऊद के राज्यकाल का वृतान्त दिया गया है। यह पुस्तक राजा दाऊद की कहानी की निकट झलक है जो पुराने नियम का एक महत्वपूर्ण नायक था। इसका व्यापक परिदृश्य प्राचीन इस्राएल का राजनीतिक एवं धार्मिक इतिहास है।

लेखन तिथि एवं स्थान

लगभग 450-400 ई. पू.

यह स्पष्ट है कि इसका समय बाबेल की बन्धुआई से लौटने के बाद का है। 1 इति. 3:19-24 में दाऊद के वंश को जरुब्बाबेल के बाद तक, छठी पीढ़ी तक दर्शाया गया है।

प्रापक

प्राचीनकाल के यहूदी तथा सब बाइबल पाठक

उद्देश्य

1 इतिहास की पुस्तक बन्धुआई से लौटने वाले यहूदियों के लिए लिखी गई थी कि वे परमेश्वर की उपासना कैसे करें। इसका इतिहास दक्षिणी राज्य-यहूदा, बिन्यामीन और लेवी के गोत्रों, पर केन्द्रित है। ये गोत्र परमेश्वर के अधिक स्वामिभक्त प्रतीत होते थे। परमेश्वर ने दाऊद के परिवार या राज्य को सदा के लिए स्थिर रखने की वाचा बांधी थी, जिसके प्रति वह विश्वासयोग्य रहा। सांसारिक राजा ऐसा नहीं कर सकते थे, दाऊद और सुलैमान के द्वारा परमेश्वर ने अपना मन्दिर बनवाया जहाँ लोग आराधना के लिए आ सकते थे। सुलैमान द्वारा निर्मित मन्दिर बाबेल की सेना ने नष्ट कर दिया था।

रूपरेखा

1. वंशावली (1:1-9:44)

2. शाऊल की मृत्यु (10:1-14)

3. दाऊद का अभिषेक और सत्ता (11:1-29:30)

आदम से अब्राहम तक की वंशावली

1  1 \zaln-s | x-strong="H0121" x-lemma="אָדָם" x-morph="He,Np" x-occurrence="1" x-occurrences="1" x-content="אָדָ֥ם"\*आदम\zaln-e\*, शेत, एनोश;

2 केनान, महललेल, येरेद;

3 हनोक, मतूशेलह, लेमेक;

4 नूह, शेम, हाम और येपेत। (लूका 3:36-38)

5 येपेत के पुत्र: गोमेर, मागोग, मादै, यावान, तूबल, मेशेक और तीरास।

6 गोमेर के पुत्र: अश्कनज, दीपत और तोगर्मा

7 यावान के पुत्र: एलीशा, तर्शीश, और कित्ती और रोदानी लोग।

8 हाम के पुत्र: कूश, मिस्र पूत और कनान थे।

9 कूश के पुत्र: सबा, हवीला, सबता, रामाह और सब्तका थे। और रामाह के पुत्र: शेबा और ददान थे।

10 और कूश से निम्रोद उत्पन्न हुआ; पृथ्वी पर पहला वीर वही हुआ।

11 और मिस्र से लूदी, अनामी, लहाबी, नप्तूही,

12 पत्रूसी, कसलूही (जिनसे पलिश्ती उत्पन्न हुए) और कप्तोरी उत्पन्न हुए।

13 कनान से उसका जेठा सीदोन और हित्त,

14 और यबूसी, एमोरी, गिर्गाशी,

15 हिब्बी, अर्की, सीनी,

16 अर्वदी, समारी और हमाती उत्पन्न हुए।

17 शेम के पुत्र: एलाम, अश्शूर, अर्पक्षद, लूद, अराम, ऊस, हूल, गेतेर और मेशेक थे।

18 और अर्पक्षद से शेलह और शेलह से एबेर उत्पन्न हुआ।

19 एबेर के दो पुत्र उत्पन्न हुए: एक का नाम पेलेग इस कारण रखा गया कि उसके दिनों में पृथ्वी बाँटी गई; और उसके भाई का नाम योक्तान था।

20 और योक्तान से अल्मोदाद, शेलेप, हसर्मावेत, येरह,

21 हदोराम, ऊजाल, दिक्ला,

22 एबाल, अबीमाएल, शेबा,

23 ओपीर, हवीला और योबाब उत्पन्न हुए; ये ही सब योक्तान के पुत्र थे।

24 शेम, अर्पक्षद, शेलह,

25 एबेर, पेलेग, रू,

26 सरूग, नाहोर, तेरह,

27 अब्राम, वह अब्राहम भी कहलाता है।

28 अब्राहम के पुत्र इसहाक और इश्माएल[fn] *।

इश्माएल की वंशावली

29 इनकी वंशावलियाँ ये हैं। इश्माएल का जेठा नबायोत, फिर केदार, अदबएल, मिबसाम,

30 मिश्मा, दूमा, मस्सा, हदद, तेमा,

31 यतूर, नापीश, केदमा। ये इश्माएल के पुत्र हुए।

कतूरा के सन्तान

32 फिर कतूरा जो अब्राहम की रखैल थी, उसके ये पुत्र उत्पन्न हुए, अर्थात् उससे जिम्रान, योक्षान, मदान, मिद्यान, यिशबाक और शूह उत्पन्न हुए। योक्षान के पुत्र: शेबा और ददान।

33 और मिद्यान के पुत्र: एपा, एपेर, हनोक, अबीदा और एल्दा, ये सब कतूरा के वंशज हैं।

इसहाक की वंशावली

34 अब्राहम से इसहाक उत्पन्न हुआ। इसहाक के पुत्र: एसाव और इस्राएल। (मत्ती 1:2)

35 एसाव के पुत्र: एलीपज, रूएल, यूश, यालाम और कोरह थे।

36 एलीपज के ये पुत्र हुए: तेमान, ओमार, सपी, गाताम, कनज, तिम्ना और अमालेक।

37 रूएल के पुत्र: नहत, जेरह, शम्मा और मिज्जा।

सेईर की वंशावली

38 फिर सेईर के पुत्र: लोतान, शोबाल, सिबोन, अना, दीशोन, एसेर और दीशान हुए।

39 और लोतान के पुत्र: होरी और होमाम, और लोतान की बहन तिम्ना थीं।

40 शोबाल के पुत्र: अल्यान, मानहत, एबाल, शपी और ओनाम। और सिबोन के पुत्र: अय्या, और अना।

41 अना का पुत्र: दीशोन। और दीशोन के पुत्र: हम्रान, एशबान, यित्रान और करान।

42 एसेर के पुत्र: बिल्हान, जावान और याकान। और दीशान के पुत्र: ऊस और अरान।

एदोमियों के राजा

43 जब किसी राजा ने इस्राएलियों पर राज्य न किया था, तब एदोम के देश में ये राजा हुए अर्थात् बोर का पुत्र बेला और उसकी राजधानी का नाम दिन्हाबा था।

44 बेला के मरने पर, बोस्राई जेरह का पुत्र योबाब, उसके स्थान पर राजा हुआ।

45 और योबाब के मरने पर, तेमानियों के देश का हूशाम उसके स्थान पर राजा हुआ।

46 फिर हूशाम के मरने पर, बदद का पुत्र हदद, उसके स्थान पर राजा हुआ: यह वही है जिस ने मिद्यानियों को मोआब के देश में मार दिया; और उसकी राजधानी का नाम अबीत था।

47 और हदद के मरने पर, मस्रेकाई सम्ला उसके स्थान पर राजा हुआ।

48 फिर सम्ला के मरने पर शाऊल, जो महानद के तट पर के रहोबोत नगर का था, वह उसके स्थान पर राजा हुआ।

49 और शाऊल के मरने पर अकबोर का पुत्र बाल्हानान उसके स्थान पर राजा हुआ।

50 और बाल्हानान के मरने पर, हदद उसके स्थान पर राजा हुआ; और उसकी राजधानी का नाम पाऊ हुआ, उसकी पत्नी का नाम महेतबेल था जो मेज़ाहाब की नातिनी और मत्रेद की बेटी थी।

51 और हदद मर गया। फिर एदोम के अधिपति ये थे: अर्थात् अधिपति तिम्ना, अधिपति अल्वा, अधिपति यतेत,

52 अधिपति ओहोलीबामा, अधिपति एला, अधिपति पीनोन,

53 अधिपति कनज, अधिपति तेमान, अधिपति मिबसार,

54 अधिपति मग्दीएल, अधिपति ईराम। एदोम के ये अधिपति हुए।

2  1 इस्राएल के ये पुत्र हुए[fn] *; रूबेन, शिमोन, लेवी, यहूदा, इस्साकार, जबूलून,

2 दान, यूसुफ, बिन्यामीन, नप्ताली, गाद और आशेर।

यहूदा से दाऊद तक की वंशावली

3 यहूदा के ये पुत्र हुए एर, ओनान और शेला, उसके ये तीनों पुत्र, शूआ नामक एक कनानी स्त्री की बेटी से उत्पन्न हुए। और यहूदा का जेठा एर, यहोवा की दृष्टि में बुरा था, इस कारण उसने उसको मार डाला।

4 यहूदा की बहू तामार से पेरेस और जेरह उत्पन्न हुए। यहूदा के कुल पाँच पुत्र हुए।

5 पेरेस के पुत्र: हेस्रोन और हामूल।

6 और जेरह के पुत्र: जिम्री, एतान, हेमान, कलकोल और दारा सब मिलकर पाँच पुत्र हुए।

7 फिर कर्मी का पुत्र: आकार जो अर्पण की हुई वस्तु के विषय में विश्वासघात करके इस्राएलियों को कष्ट देनेवाला हुआ।

8 और एतान का पुत्र: अजर्याह।

9 हेस्रोन के जो पुत्र उत्पन्न हुए यरहमेल, राम और कलूबै। (मत्ती 1:3)

10 और राम से अम्मीनादाब और अम्मीनादाब से नहशोन उत्पन्न हुआ जो यहूदा वंशियों का प्रधान बना।

11 और नहशोन से सल्मा और सल्मा से बोअज;

12 और बोअज से ओबेद और ओबेद से यिशै उत्पन्न हुआ। (मत्ती 1:4, 5)

13 और यिशै से उसका जेठा एलीआब और दूसरा अबीनादाब तीसरा शिमा,

14 चौथा नतनेल और पाँचवाँ रद्दैं।

15 छठा ओसेम और सातवाँ दाऊद उत्पन्न हुआ। (लूका 3:31-32)

16 इनकी बहनें सरूयाह और अबीगैल थीं। और सरूयाह के पुत्र अबीशै, योआब और असाहेल ये तीन थे।

17 और अबीगैल से अमासा उत्पन्न हुआ, और अमासा का पिता इश्माएली येतेर था।

हेस्रोन के वंशज

18 हेस्रोन के पुत्र कालेब के अजूबा नाम एक स्त्री से, और यरीओत से, बेटे उत्पन्न हुए; और इसके पुत्र ये हूए; अर्थात् येशेर, शोबाब और अर्दोन।

19 जब अजूबा मर गई, तब कालेब ने एप्राता को ब्याह लिया; और जिससे हूर उत्पन्न हुआ।

20 और हूर से ऊरी और ऊरी से बसलेल उत्पन्न हुआ।

21 इसके बाद हेस्रोन गिलाद के पिता माकीर की बेटी के पास गया, जिसे उसने तब ब्याह लिया, जब वह साठ वर्ष का था; और उससे सगूब उत्पन्न हुआ।

22 और सगूब से याईर जन्मा, जिसके गिलाद देश में तेईस नगर थे।

23 और गशूर और अराम ने याईर की बस्तियों को और गाँवों समेत कनात को, उनसे ले लिया; ये सब नगर मिलकर साठ थे। ये सब गिलाद के पिता माकीर के पुत्र थे[fn] *।

24 और जब हेस्रोन कालेब एप्राता में मर गया, तब उसकी अबिय्याह नाम स्त्री से अशहूर उत्पन्न हुआ जो तकोआ का पिता हुआ।

यरहमेल के वंशज

25 और हेस्रोन के जेठे यरहमेल के ये पुत्र हुए अर्थात् राम जो उसका जेठा था; और बूना, ओरेन, ओसेम और अहिय्याह।

26 और यरहमेल की एक और पत्नी थी, जिसका नाम अतारा था; वह ओनाम की माता थी।

27 और यरहमेल के जेठे राम के ये पुत्र हुए, अर्थात् मास, यामीन और एकेर।

28 और ओनाम के पुत्र शम्मै और यादा हुए। और शम्मै के पुत्र नादाब और अबीशूर हुए।

29 और अबीशूर की पत्नी का नाम अबीहैल था, और उससे अहबान और मोलीद उत्पन्न हुए।

30 और नादाब के पुत्र सेलेद और अप्पैम हुए; सेलेद तो निःसन्तान मर गया।

31 और अप्पैम का पुत्र यिशी और यिशी का पुत्र शेशान और शेशान का पुत्र: अहलै।

32 फिर शम्मै के भाई यादा के पुत्र: येतेर और योनातान हुए; येतेर तो निःसन्तान मर गया।

33 योनातान के पुत्र पेलेत और जाजा; यरहमेल के पुत्र ये हुए।

34 शेशान के तो बेटा न हुआ, केवल बेटियाँ हुई। शेशान के पास यर्हा नाम एक मिस्री दास था।

35 और शेशान ने उसको अपनी बेटी ब्याह दी, और उससे अत्तै उत्पन्न हुआ।

36 और अत्तै से नातान, नातान से जाबाद,

37 जाबाद से एपलाल, एपलाल से ओबेद,

38 ओबेद से येहू, येहू से अजर्याह,

39 अजर्याह से हेलेस, हेलेस से एलासा,

40 एलासा से सिस्मै, सिस्मै से शल्लूम,

41 शल्लूम से यकम्याह और यकम्याह से एलीशामा उत्पन्न हुए।

कालेब के वंशज

42 फिर यरहमेल के भाई कालेब के ये पुत्र हुए अर्थात् उसका जेठा मेशा जो जीप का पिता हुआ। और मारेशा का पुत्र हेब्रोन भी उसी के वंश में हुआ।

43 और हेब्रोन के पुत्र कोरह, तप्पूह, रेकेम और शेमा।

44 और शेमा से योर्काम का पिता रहम और रेकेम से शम्मै उत्पन्न हुआ था।

45 और शम्मै का पुत्र माओन हुआ; और माओन बेतसूर का पिता हुआ।

46 फिर एपा जो कालेब की रखैल थी, उससे हारान, मोसा और गाजेज उत्पन्न हुए; और हारान से गाजेज उत्पन्न हुआ।

47 फिर याहदै के पुत्र रेगेम, योताम, गेशान, पेलेत, एपा और श्राप।

48 और माका जो कालेब की रखैल थी, उससे शेबेर और तिर्हाना उत्पन्न हुए।

49 फिर उससे मदमन्ना का पिता श्राप और मकबेना और गिबा का पिता शवा उत्पन्न हुए। और कालेब की बेटी अकसा थी। कालेब के वंश में ये हुए।

50 एप्राता के जेठे हूर का पुत्र : किर्यत्यारीम का पिता शोबाल,

51 बैतलहम का पिता सल्मा और बेतगादेर का पिता हारेप।

52 और किर्यत्यारीम के पिता शोबाल के वंश में हारोए आधे मनुहोतवासी,

53 और किर्यत्यारीम के कुल अर्थात् येतेरी, पूती, शूमाती और मिश्राई और इनसे सोराई और एश्ताओली निकले।

54 फिर सल्मा के वंश में बैतलहम और नतोपाई, अत्रोतबेत्योआब और आधे मानहती, सोरी।

55 याबेस में रहनेवाले लेखकों के कुल अर्थात् तिराती, शिमाती और सूकाती हुए। ये रेकाब के घराने के मूलपुरुष हम्मत के वंशवाले केनी हैं।

दाऊद की वंशावली

3  1 दाऊद के पुत्र जो हेब्रोन में उससे उत्पन्न हुए वे ये हैं: जेठा अम्नोन जो यिज्रेली अहीनोअम से, दूसरा दानिय्येल जो कर्मेली अबीगैल से उत्पन्न हुआ।

2 तीसरा अबशालोम जो गशूर के राजा तल्मै की बेटी माका का पुत्र था, चौथा अदोनिय्याह जो हग्गीत का पुत्र था।

3 पाँचवाँ शपत्याह जो अबीतल से, और छठवाँ यित्राम जो उसकी स्त्री एग्ला से उत्पन्न हुआ।

4 दाऊद से हेब्रोन में छः पुत्र उत्पन्न हुए, और वहाँ उसने साढ़े सात वर्ष राज्य किया; यरूशलेम में तैंतीस वर्ष राज्य किया।

5 यरूशलेम में उसके ये पुत्र उत्पन्न हुए: अर्थात् शिमा, शोबाब, नातान और सुलैमान, ये चारों अम्मीएल की बेटी बतशेबा से उत्पन्न हुए।

6 और यिभार, एलीशामा एलीपेलेत,

7 नोगह, नेपेग, यापी,

8 एलीशामा, एल्यादा और एलीपेलेत, ये नौ पुत्र थे।

9 ये सब दाऊद के पुत्र थे; और इनको छोड़ रखेलों के भी पुत्र थे, और इनकी बहन तामार थी।

सुलैमान के वंशज

10 फिर सुलैमान का पुत्र रहबाम उत्पन्न हुआ; रहबाम का अबिय्याह, अबिय्याह का आसा, आसा का यहोशापात,

11 यहोशापात का योराम, योराम का अहज्याह, अहज्याह का योआश;

12 योआश का अमस्याह, अमस्याह का अजर्याह, अजर्याह का योताम;

13 योताम का आहाज, आहाज का हिजकिय्याह, हिजकिय्याह का मनश्शे;

14 मनश्शे का आमोन, और आमोन का योशिय्याह पुत्र हुआ। (मत्ती 1:7-10)

15 और योशिय्याह के पुत्र: उसका जेठा योहानान, दूसरा यहोयाकीम; तीसरा सिदकिय्याह, चौथा शल्लूम।

16 यहोयाकीम का पुत्र यकोन्याह, इसका पुत्र सिदकिय्याह। (मत्ती 1:11)

17 और यकोन्याह का पुत्र अस्सीर, उसका पुत्र शालतीएल; (मत्ती 1:12, लूका 3:27)

18 और मल्कीराम, पदायाह, शेनस्सर, यकम्याह, होशामा और नदब्याह;

19 और पदायाह के पुत्र जरुब्बाबेल और शिमी हुए; और जरुब्बाबेल[fn] * के पुत्र मशुल्लाम और हनन्याह, जिनकी बहन शलोमीत थी;

20 और हशूबा, ओहेल, बेरेक्याह, हसद्याह और यूशब-हेसेद, पाँच।

21 और हनन्याह के पुत्र: पलत्याह और यशायाह, और उसका पुत्र रपायाह, उसका पुत्र अर्नान, उसका पुत्र ओबद्याह, उसका पुत्र शकन्याह।

22 और शकन्याह का पुत्र शमायाह, और शमायाह के पुत्र हत्तूश और यिगाल, बारीह, नार्याह और शापात, छः।

23 और नार्याह के पुत्र एल्योएनै, हिजकिय्याह और अज्रीकाम, तीन।

24 और एल्योएनै के पुत्र होदव्याह, एल्याशीब, पलायाह, अक्कूब, योहानान, दलायाह और अनानी, सात।

यहूदा की वंशावली

4  1 यहूदा के पुत्र: पेरेस, हेस्रोन, कर्मी, हूर और शोबाल।

2 और शोबाल के पुत्र: रायाह से यहत और यहत से अहूमै और लहद उत्पन्न हुए, ये सोराई कुल हैं।

3 एताम के पिता के ये पुत्र हुए अर्थात् यिज्रेल, यिश्मा और यिद्वाश, जिनकी बहन का नाम हस्सलेलपोनी था;

4 और गदोर का पिता पनूएल, और हूशाह का पिता एजेर। ये एप्राता के जेठे हूर के सन्तान थे, जो बैतलहम का पिता हुआ।

5 और तकोआ के पिता अशहूर के हेला और नारा नामक दो स्त्रियाँ थीं।

6 नारा से अहुज्जाम, हेपेर, तेमनी और हाहशतारी उत्पन्न हुए, नारा के ये ही पुत्र हुए।

7 और हेला के पुत्र, सेरेत, यिसहार और एत्ना।

8 कोस से आनूब और सोबेबा उत्पन्न हुए और उसके वंश में हारूम के पुत्र अहर्हेल के कुल भी उत्पन्न हुए।

9 और याबेस अपने भाइयों से अधिक प्रतिष्ठित हुआ, और उसकी माता ने यह कहकर उसका नाम याबेस[fn] * रखा, “मैंने इसे पीड़ित होकर उत्पन्न किया।”

10 और याबेस ने इस्राएल के परमेश्वर को यह कहकर पुकारा, “भला होता, कि तू मुझे सचमुच आशीष देता, और मेरा देश बढ़ाता, और तेरा हाथ मेरे साथ रहता, और तू मुझे बुराई से ऐसा बचा रखता कि मैं उससे पीड़ित न होता!” और जो कुछ उसने माँगा, वह परमेश्वर ने उसे दिया।

11 फिर शूहा के भाई कलूब से एशतोन का पिता महीर उत्पन्न हुआ।

12 एशतोन के वंश में बेतरापा का घराना, और पासेह और ईर्नाहाश का पिता तहिन्ना उत्पन्न हुए, रेका के लोग ये ही हैं।

13 कनज के पुत्र: ओत्नीएल और सरायाह, और ओत्नीएल का पुत्र हतत।

14 मोनोतै से ओप्रा और सरायाह से योआब जो गेहराशीम का पिता हुआ; वे कारीगर थे।

15 और यपुन्ने के पुत्र कालेब के पुत्र: ईरू, एला और नाम; और एला के पुत्र: कनज।

16 यहलेल के पुत्र, जीप, जीपा, तीरया और असरेल।

17 और एज्रा के पुत्र: येतेर, मेरेद, एपेर और यालोन, और उसकी स्त्री से मिर्याम, शम्मै और एश्तमो का पिता यिशबह उत्पन्न हुए[fn] *।

18 उसकी यहूदिन स्त्री से गदोर का पिता येरेद, सोको के पिता हेबेर और जानोह के पिता यकूतीएल उत्पन्न हुए, ये फ़िरौन की बेटी बित्या के पुत्र थे जिसे मेरेद ने ब्याह लिया था।

19 और होदिय्याह की स्त्री जो नहम की बहन थी, उसके पुत्र: कीला का पिता एक गेरेमी और एश्तमो का पिता एक माकाई।

20 और शीमोन के पुत्र: अम्नोन, रिन्ना, बेन्हानान और तोलोन; और यिशी के पुत्र: जोहेत और बेनजोहेत।

21 यहूदा के पुत्र शेला के पुत्र: लेका का पिता एर, मारेशा का पिता लादा और बेत-अशबे में उस घराने के कुल जिसमें सन के कपड़े का काम होता था;

22 और योकीम और कोजेबा के मनुष्य और योआश और साराप जो मोआब[fn] * में प्रभुता करते थे और याशूब, लेहेम इनका वृत्तान्त प्राचीन है।

23 ये कुम्हार थे, और नताईम और गदेरा में रहते थे जहाँ वे राजा का काम-काज करते हुए उसके पास रहते थे।

शिमोन के वंशज

24 शिमोन के पुत्र: नमूएल, यामीन, यारीब, जेरह और शाऊल;

25 और शाऊल का पुत्र शल्लूम, शल्लूम का पुत्र मिबसाम और मिबसाम का मिश्मा हुआ।

26 और मिश्मा का पुत्र हम्मूएल, उसका पुत्र जक्कूर, और उसका पुत्र शिमी।

27 शिमी के सोलह बेटे और छः बेटियाँ हुई परन्तु उसके भाइयों के बहुत बेटे न हुए; और उनका सारा कुल यहूदियों के बराबर न बढ़ा।

28 वे बेर्शेबा, मोलादा, हसर्शूआल,

29 बिल्हा, एसेम, तोलाद,

30 बतूएल, होर्मा, सिकलग,

31 बेत्मर्काबोत, हसर्सूसीम, बेतबिरी और शारैंम में बस गए; दाऊद के राज्य के समय तक उनके ये ही नगर रहे।

32 और उनके गाँव एताम, ऐन, रिम्मोन, तोकेन और आशान नामक पाँच नगर;

33 और बाल तक जितने गाँव इन नगरों के आस-पास थे, उनके बसने के स्थान ये ही थे, और यह उनकी वंशावली हैं।

34 फिर मशोबाब और यम्लेक और अमस्याह का पुत्र योशा,

35 और योएल और योशिब्याह का पुत्र येहू, जो सरायाह का पोता, और असीएल का परपोता था,

36 और एल्योएनै और याकोबा, यशोहायाह और असायाह और अदीएल और यसीमीएल और बनायाह,

37 और शिपी का पुत्र जीजा जो अल्लोन का पुत्र, यह यदायाह का पुत्र, यह शिम्री का पुत्र, यह शमायाह का पुत्र था।

38 ये जिनके नाम लिखें हुए हैं, अपने-अपने कुल में प्रधान थे; और उनके पितरों के घराने बहुत बढ़ गए।

39 ये अपनी भेड़-बकरियों के लिये चराई ढूँढ़ने को गदोर की घाटी की तराई की पूर्व ओर तक गए।

40 और उनको उत्तम से उत्तम चराई मिली, और देश लम्बा-चौड़ा, चैन और शान्ति का था; क्योंकि वहाँ के पहले रहनेवाले हाम के वंश के थे।

41 और जिनके नाम ऊपर लिखे हैं, उन्होंने यहूदा के राजा हिजकिय्याह के दिनों में वहाँ आकर जो मूनी वहाँ मिले, उनको डेरों समेत मारकर ऐसा सत्यानाश कर डाला कि आज तक उनका पता नहीं है, और वे उनके स्थान में रहने लगे, क्योंकि वहाँ उनकी भेड़-बकरियों के लिये चराई थीं।

42 और उनमें से अर्थात् शिमोनियों में से पाँच सौ पुरुष अपने ऊपर पलत्याह, नार्याह, रपायाह और उज्जीएल नाम यिशी के पुत्रों को अपना प्रधान ठहराया;

43 तब वे सेईद पहाड़ को गए, और जो अमालेकी बचकर रह गए थे उनको मारा, और आज के दिन तक वहाँ रहते हैं।

रूबेन के वंशज

5  1 इस्राएल का जेठा तो रूबेन था, परन्तु उसने जो अपने पिता के बिछौने को अशुद्ध किया, इस कारण जेठे का अधिकार इस्राएल के पुत्र यूसुफ के पुत्रों को दिया गया। वंशावली जेठे के अधिकार के अनुसार नहीं ठहरी।

2 यद्यपि यहूदा अपने भाइयों पर प्रबल हो गया, और प्रधान उसके वंश से हुआ परन्तु जेठे का अधिकार यूसुफ का था

3 इस्राएल के जेठे पुत्र रूबेन के पुत्र ये हुए: अर्थात् हनोक, पल्लू, हेस्रोन और कर्मी।

4 योएल का पुत्र शमायाह, शमायाह का गोग, गोग का शिमी,

5 शिमी का मीका, मीका का रायाह, रायाह का बाल,

6 और बाल का पुत्र बएराह, इसको अश्शूर का राजा तिग्लत्पिलेसेर बन्दी बनाकर ले गया; और वह रूबेनियों का प्रधान था।

7 और उसके भाइयों की वंशावली के लिखते समय वे अपने-अपने कुल के अनुसार ये ठहरे, अर्थात् मुख्य तो यीएल, फिर जकर्याह,

8 और अजाज का पुत्र बेला जो शेमा का पोता और योएल का परपोता था, वह अरोएर में और नबो और बालमोन तक रहता था।

9 और पूर्व ओर वह उस जंगल की सीमा तक रहा[fn] * जो फरात महानद तक पहुँचाता है, क्योंकि उनके पशु गिलाद देश में बढ़ गए थे।

10 और शाऊल के दिनों में उन्होंने हग्रियों से युद्ध किया, और हग्री उनके हाथ से मारे गए; तब वे गिलाद के सम्पूर्ण पूर्वी भाग में अपने डेरों में रहने लगे।

गाद के वंशज

11 गादी उनके सामने सल्का तक बाशान देश में रहते थे।

12 अर्थात् मुख्य तो योएल और दूसरा शापाम फिर यानै और शापात, ये बाशान में रहते थे।

13 और उनके भाई अपने-अपने पितरों के घरानों के अनुसार मीकाएल, मशुल्लाम, शेबा, योरै, याकान, जीअ और एबेर, सात थे।

14 ये अबीहैल के पुत्र थे, जो हूरी का पुत्र था, यह योराह का पुत्र, यह गिलाद का पुत्र, यह मीकाएल का पुत्र, यह यशीशै का पुत्र, यह यहदो का पुत्र, यह बूज का पुत्र था।

15 इनके पितरों के घरानों का मुख्य पुरुष अब्दीएल का पुत्र, और गूनी का पोता अही था।

16 ये लोग बाशान में, गिलाद और उसके गाँवों में, और शारोन की सब चराइयों में उसकी दूसरी ओर तक रहते थे।

17 इन सभी की वंशावली यहूदा के राजा योताम के दिनों और इस्राएल के राजा यारोबाम के दिनों में लिखी गई।

18 रूबेनियों, गादियों और मनश्शे के आधे गोत्र के योद्धा जो ढाल बांधने, तलवार चलाने, और धनुष के तीर छोड़ने के योग्य और युद्ध करना सीखे हुए थे, वे चौवालीस हजार सात सौ साठ थे, जो युद्ध में जाने के योग्य थे।

19 इन्होंने हग्रियों और यतूर नापीश और नोदाब से युद्ध किया था।

20 उनके विरुद्ध इनको सहायता मिली, और हग्री उन सब समेत जो उनके साथ थे उनके हाथ में कर दिए गए, क्योंकि युद्ध में इन्होंने परमेश्वर की दुहाई दी थी और उसने उनकी विनती इस कारण सुनी, कि इन्होंने उस पर भरोसा रखा था।

21 और इन्होंने उनके पशु हर लिए, अर्थात् ऊँट तो पचास हजार, भेड़-बकरी ढाई लाख, गदहे दो हजार, और मनुष्य एक लाख बन्धुए करके ले गए।

22 और बहुत से मरे पड़े थे क्योंकि वह लड़ाई परमेश्वर की ओर से हुई। और ये उनके स्थान में बँधुआई के समय तक बसे रहे।

मनश्शे के वंशज (पूर्व में रहनेवाले)

23 फिर मनश्शे के आधे गोत्र की सन्तान उस देश में बसे, और वे बाशान से ले बालहेर्मोन, और सनीर और हेर्मोन पर्वत तक फैल गए।

24 और उनके पितरों के घरानों के मुख्य पुरुष ये थे, अर्थात् एपेर, यिशी, एलीएल, अज्रीएल, यिर्मयाह, होदव्याह और यहदीएल, ये बड़े वीर और नामी और अपने पितरों के घरानों के मुख्य पुरुष थे।

25 परन्तु उन्होंने अपने पितरों के परमेश्वर से विश्वासघात किया, और उस देश के लोग जिनको परमेश्वर ने उनके सामने से विनाश किया था, उनके देवताओं के पीछे व्यभिचारिण के समान हो लिए।

26 इसलिए इस्राएल के परमेश्वर ने अश्शूर के राजा पूल और अश्शूर के राजा तिग्लत्पिलेसेर का मन उभारा, और इन्होंने उन्हें अर्थात् रूबेनियों, गादियों और मनश्शे के आधे गोत्र के लोगों को बन्धुआ करके हलह, हाबोर[fn] * और हारा और गोजान नदी के पास पहुँचा दिया; और वे आज के दिन तक वहीं रहते हैं।

लेवी की वंशावली

6  1 लेवी के पुत्र गेर्शोन, कहात और मरारी।

2 और कहात के पुत्र, अम्राम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल।

3 और अम्राम की सन्तान हारून, मूसा और मिर्याम, और हारून के पुत्र, नादाब, अबीहू, एलीआजर और ईतामार।

4 एलीआजर से पीनहास, पीनहास से अबीशू,

5 अबीशू से बुक्की, बुक्की से उज्जी,

6 उज्जी से जरहयाह, जरहयाह से मरायोत,

7 मरायोत से अमर्याह, अमर्याह से अहीतूब,

8 अहीतूब से सादोक, सादोक से अहीमास,

9 अहीमास से अजर्याह, अजर्याह से योहानान,

10 और योहानान से अजर्याह उत्पन्न हुआ (जो सुलैमान के यरूशलेम में बनाए हुए भवन में याजक का काम करता था)।

11 अजर्याह से अमर्याह, अमर्याह से अहीतूब,

12 अहीतूब से सादोक, सादोक से शल्लूम,

13 शल्लूम से हिल्किय्याह, हिल्किय्याह से अजर्याह,

14 अजर्याह से सरायाह, और सरायाह से यहोसादाक उत्पन्न हुआ।

15 और जब यहोवा, यहूदा और यरूशलेम को नबूकदनेस्सर के द्वारा बन्दी बना करके ले गया, तब यहोसादाक[fn] * भी बन्धुआ होकर गया।

16 लेवी के पुत्र गेर्शोम, कहात और मरारी।

17 और गेर्शोम के पुत्रों के नाम ये थे, अर्थात् लिब्नी और शिमी।

18 और कहात के पुत्र अम्राम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल।

19 और मरारी के पुत्र महली और मूशी और अपने-अपने पितरों के घरानों के अनुसार लेवियों के कुल ये हुए।

20 अर्थात्, गेर्शोम का पुत्र लिब्नी हुआ, लिब्नी का यहत, यहत का जिम्मा।

21 जिम्मा का योआह, योआह का इद्दो, इद्दो का जेरह, और जेरह का पुत्र यातरै हुआ।

22 फिर कहात का पुत्र अम्मीनादाब हुआ, अम्मीनादाब का कोरह, कोरह का अस्सीर,

23 अस्सीर का एल्काना, एल्काना का एब्यासाप, एब्यासाप का अस्सीर,

24 अस्सीर का तहत, तहत का ऊरीएल, ऊरीएल का उज्जियाह और उज्जियाह का पुत्र शाऊल हुआ।

25 फिर एल्काना के पुत्र अमासै और अहीमोत।

26 एल्काना का पुत्र सोपै, सोपै का नहत,

27 नहत का एलीआब, एलीआब का यरोहाम, और यरोहाम का पुत्र एल्काना हुआ।

28 शमूएल के पुत्र: उसका जेठा योएल और दूसरा अबिय्याह हुआ।

29 फिर मरारी का पुत्र महली, महली का लिब्नी, लिब्नी का शिमी, शिमी का उज्जा।

30 उज्जा का शिमा; शिमा का हग्गिय्याह और हग्गिय्याह का पुत्र असायाह हुआ।

परमेश्वर के भवन के संगीतकार

31 फिर जिनको दाऊद ने सन्दूक के भवन में रखे जाने के बाद, यहोवा के भवन में गाने का अधिकारी ठहरा दिया वे ये हैं।

32 जब तक सुलैमान यरूशलेम में यहोवा के भवन को बनवा न चुका, तब तक वे मिलापवाले तम्बू के निवास के सामने गाने के द्वारा सेवा करते थे[fn] *; और इस सेवा में नियम के अनुसार उपस्थित हुआ करते थे।

33 जो अपने-अपने पुत्रों समेत उपस्थित हुआ करते थे वे ये हैं, अर्थात् कहातियों में से हेमान गवैया जो योएल का पुत्र था, और योएल शमूएल का,

34 शमूएल एल्काना का, एल्काना यरोहाम का, यरोहाम एलीएल का, एलीएल तोह का,

35 तोह सूफ का, सूफ एल्काना का, एल्काना महत का, महत अमासै का,

36 अमासै एल्काना का, एल्काना योएल का, योएल अजर्याह का, अजर्याह सपन्याह का,

37 सपन्याह तहत का, तहत अस्सीर का, अस्सीर एब्यासाप का, एब्यासाप कोरह का,

38 कोरह यिसहार का, यिसहार कहात का, कहात लेवी का और लेवी इस्राएल का पुत्र था।

39 और उसका भाई आसाप जो उसके दाहिने खड़ा हुआ करता था वह बेरेक्याह का पुत्र था, और बेरेक्याह शिमा का,

40 शिमा मीकाएल का, मीकाएल बासेयाह का, बासेयाह मल्किय्याह का,

41 मल्किय्याह एत्नी का, एत्नी जेरह का, जेरह अदायाह का,

42 अदायाह एतान का, एतान जिम्मा का, जिम्मा शिमी का,

43 शिमी यहत का, यहत गेर्शोम का, गेर्शोम लेवी का पुत्र था।

44 और बाईं ओर उनके भाई मरारी खड़े होते थे, अर्थात् एतान जो कीशी का पुत्र था, और कीशी अब्दी का, अब्दी मल्लूक का,

45 मल्लूक हशब्याह का, हशब्याह अमस्याह का, अमस्याह हिल्किय्याह का,

46 हिल्किय्याह अमसी का, अमसी बानी का, बानी शेमेर का,

47 शेमेर महली का, महली मूशी का, मूशी मरारी का, और मरारी लेवी का पुत्र था;

48 और इनके भाई जो लेवीय थे वे परमेश्वर के भवन के निवास की सब प्रकार की सेवा के लिये अर्पण किए हुए थे।

हारून के पुत्र

49 परन्तु हारून और उसके पुत्र होमबलि की वेदी, और धूप की वेदी दोनों पर बलिदान चढ़ाते, और परमपवित्र स्थान का सब काम करते, और इस्राएलियों के लिये प्रायश्चित करते थे, जैसे कि परमेश्वर के दास मूसा ने आज्ञाएँ दी थीं।

50 और हारून के वंश में ये हुए: अर्थात् उसका पुत्र एलीआजर हुआ, और एलीआजर का पीनहास, पीनहास का अबीशू,

51 अबीशू का बुक्की, बुक्की का उज्जी, उज्जी का जरहयाह,

52 जरहयाह का मरायोत, मरायोत का अमर्याह, अमर्याह का अहीतूब,

53 अहीतूब का सादोक और सादोक का अहीमास पुत्र हुआ।

लेवियों के ठहराएँ हुए निवास स्थान

54 उनके भागों में उनकी छावनियों के अनुसार उनकी बस्तियाँ ये हैं अर्थात् कहात के कुलों में से पहली चिट्ठी जो हारून की सन्तान के नाम पर निकली;

55 अर्थात् चारों ओर की चराइयों समेत यहूदा देश का हेब्रोन उन्हें मिला।

56 परन्तु उस नगर के खेत और गाँव यपुन्ने के पुत्र कालेब को दिए गए।

57 और हारून की सन्तान को शरणनगर हेब्रोन, और चराइयों समेत लिब्ना, और यत्तीर और अपनी-अपनी चराइयों समेत एश्तमो;

58 अपने-अपने चराइयों समेत हीलेन और दबीर;

59 आशान और बेतशेमेश।

60 और बिन्यामीन के गोत्र में से अपनी-अपनी चराइयों समेत गेबा, आलेमेत और अनातोत दिए गए। उनके घरानों के सब नगर तेरह थे।

61 और शेष कहातियों के गोत्र के कुल, अर्थात् मनश्शे के आधे गोत्र में से चिट्ठी डालकर दस नगर दिए गए।

62 और गेर्शोमियों के कुलों के अनुसार उन्हें इस्साकार, आशेर और नप्ताली के गोत्र, और बाशान में रहनेवाले मनश्शे के गोत्र में से तेरह नगर मिले।

63 मरारियों के कुलों के अनुसार उन्हें रूबेन, गाद और जबूलून के गोत्रों में से चिट्ठी डालकर बारह नगर दिए गए।

64 इस्राएलियों ने लेवियों को ये नगर चराइयों समेत दिए।

65 उन्होंने यहूदियों, शिमोनियों और बिन्यामीनियों के गोत्रों में से वे नगर दिए, जिनके नाम ऊपर दिए गए हैं।

66 और कहातियों के कई कुलों को उनके भाग के नगर एप्रैम के गोत्र में से मिले।

67 सो उनको अपनी-अपनी चराइयों समेत एप्रैम के पहाड़ी देश का शेकेम जो शरणनगर था, फिर गेजेर,

68 योकमाम, बेथोरोन,

69 अय्यालोन और गत्रिम्मोन;

70 और मनश्शे के आधे गोत्र में से अपनी-अपनी चराइयों समेत आनेर और बिलाम शेष कहातियों के कुल को मिले।

71 फिर गेर्शोमियों को मनश्शे के आधे गोत्र के कुल में से तो अपनी-अपनी चराइयों समेत बाशान का गोलन और अश्तारोत;

72 और इस्साकार के गोत्र में से अपनी-अपनी चराइयों समेत केदेश, दाबरात,

73 रामोत और आनेम,

74 और आशेर के गोत्र में से अपनी-अपनी चराइयों समेत माशाल, अब्दोन,

75 हूकोक और रहोब;

76 और नप्ताली के गोत्र में से अपनी-अपनी चराइयों समेत गलील का केदेश हम्मोन और किर्यातैम मिले।

77 फिर शेष लेवियों अर्थात् मरारियों को जबूलून के गोत्र में से तो अपनी-अपनी चराइयों समेत रिम्मोन और ताबोर।

78 और यरीहो के पास की यरदन नदी के पूर्व ओर रूबेन के गोत्र में से तो अपनी-अपनी चराइयों समेत जंगल का बेसेर, यहस,

79 कदेमोत और मेपात;

80 और गाद के गोत्र में से अपनी-अपनी चराइयों समेत गिलाद का रामोत महनैम,

81 हेशबोन और याजेर दिए गए।

इस्साकार की वंशावली

7  1 इस्साकार के पुत्र: तोला, पूआ, याशूब और शिम्रोन, चार थे।

2 और तोला के पुत्र: उज्जी, रपायाह, यरीएल, यहमै, यिबसाम और शमूएल, ये अपने-अपने पितरों के घरानों अर्थात् तोला की सन्तान के मुख्य पुरुष और बड़े वीर थे, और दाऊद के दिनों में उनके वंश की गिनती बाईस हजार छः सौ थी।

3 और उज्जी का पुत्र: यिज्रह्याह, और यिज्रह्याह के पुत्र मीकाएल, ओबद्याह, योएल और यिश्शिय्याह पाँच थे; ये सब मुख्य पुरुष थे;

4 और उनके साथ उनकी वंशावलियों और पितरों के घरानों के अनुसार सेना के दलों के छत्तीस हजार योद्धा थे; क्योंकि उनकी बहुत सी स्त्रियाँ और पुत्र थे।

5 और उनके भाई जो इस्साकार के सब कुलों में से थे, वे सत्तासी हजार बड़े वीर थे, जो अपनी-अपनी वंशावली के अनुसार गिने गए।

बिन्यामीन और नप्ताली की वंशावली

6 बिन्यामीन के पुत्र: बेला, बेकेर और यदीएल ये तीन थे।

7 बेला के पुत्र: एसबोन, उज्जी, उज्जीएल, यरीमोत और ईरी ये पाँच थे। ये अपने-अपने पितरों के घरानों के मुख्य पुरुष और बड़े वीर थे, और अपनी-अपनी वंशावली के अनुसार उनकी गिनती बाईस हजार चौंतीस थी।

8 और बेकेर के पुत्र: जमीरा, योआश, एलीएजेर, एल्योएनै, ओम्री, यरेमोत, अबिय्याह, अनातोत और आलेमेत ये सब बेकेर के पुत्र थे।

9 ये जो अपने-अपने पितरों के घरानों के मुख्य पुरुष और बड़े वीर थे, इनके वंश की गिनती अपनी-अपनी वंशावली के अनुसार बीस हजार दो सौ थी।

10 और यदीएल का पुत्र बिल्हान, और बिल्हान के पुत्र, यूश, बिन्यामीन, एहूद, कनाना, जेतान, तर्शीश और अहीशहर थे।

11 ये सब जो यदीएल की सन्तान और अपने-अपने पितरों के घरानों में मुख्य पुरुष और बड़े वीर थे, इनके वंश से सेना में युद्ध करने के योग्य सत्रह हजार दो सौ पुरुष थे।

12 और ईर के पुत्र शुप्पीम और हुप्पीम और अहेर के पुत्र हूशीम थे।

13 नप्ताली के पुत्र, एहसीएल, गूनी, येसेर और शल्लूम थे, ये बिल्हा के पोते थे।

मनश्शे के वंशज (पश्चिम में बसे)

14 मनश्शे के पुत्र: अस्रीएल जो उसकी अरामी रखैल स्त्री से उत्पन्न हुआ था; और उस अरामी स्त्री ने गिलाद के पिता माकीर को भी जन्म दिया।

15 और माकीर (जिसकी बहन का नाम माका था) उसने हुप्पीम और शुप्पीम के लिये स्त्रियाँ ब्याह लीं, और दूसरे का नाम सलोफाद था, और सलोफाद के बेटियाँ हुईं।

16 फिर माकीर की स्त्री माका को एक पुत्र उत्पन्न हुआ और उसका नाम पेरेश रखा; और उसके भाई का नाम शेरेश था; और इसके पुत्र ऊलाम और राकेम थे।

17 और ऊलाम का पुत्र: बदान। ये गिलाद की सन्तान थे जो माकीर का पुत्र और मनश्शे का पोता था।

18 फिर उसकी बहन हम्मोलेकेत ने ईशहोद, अबीएजेर[fn] * और महला को जन्म दिया।

19 शमीदा के पुत्र अहिअन, शेकेम, लिखी और अनीआम थे।

एप्रैम के वंशज

20 एप्रैम के पुत्र शूतेलह और शूतेलह का बेरेद, बेरेद का तहत, तहत का एलादा, एलादा का तहत;

21 तहत का जाबाद और जाबाद का पुत्र शूतेलह हुआ, और एजेर और एलाद भी जिन्हें गत के मनुष्यों ने जो उस देश में उत्पन्न हुए थे इसलिए घात किया, कि वे उनके पशु हर लेने को उतर आए थे।

22 सो उनका पिता एप्रैम उनके लिये बहुत दिन शोक करता रहा, और उसके भाई उसे शान्ति देने को आए।

23 और वह अपनी पत्नी के पास गया, और उसने गर्भवती होकर एक पुत्र को जन्म दिया और एप्रैम ने उसका नाम इस कारण बरीआ रखा, कि उसके घराने में विपत्ति पड़ी थी।

24 उसकी पुत्री शेरा थी, जिसने निचले और ऊपरवाले दोनों बेथोरोन नामक नगरों को और उज्जेनशेरा को दृढ़ कराया।

25 उसका पुत्र रेपा था, और रेशेप भी, और उसका पुत्र तेलह, तेलह का तहन, तहन का लादान,

26 लादान का अम्मीहूद, अम्मीहूद का एलीशामा,

27 एलीशामा का नून, और नून का पुत्र यहोशू था।

28 उनकी निज भूमि और बस्तियाँ गाँवों समेत बेतेल और पूर्व की ओर नारान और पश्चिम की ओर गाँवों समेत गेजेर, फिर गाँवों समेत शेकेम, और गाँवों समेत अय्या थीं;

29 और मनश्शेइयों की सीमा के पास अपने-अपने गाँवों समेत बेतशान, तानाक, मगिद्दो और दोर। इनमें इस्राएल के पुत्र यूसुफ की सन्तान के लोग रहते थे।

आशेर के वंशज

30 आशेर के पुत्र: यिम्ना, यिश्वा, यिश्वी और बरीआ, और उनकी बहन सेरह हुई।

31 और बरीआ के पुत्र: हेबेर और मल्कीएल और यह बिर्जोत का पिता हुआ।

32 हेबेर ने यपलेत, शोमेर, होताम और उनकी बहन शूआ को जन्म दिया।

33 और यपलेत के पुत्र पासक बिम्हाल और अश्‍वात। यपलेत के ये ही पुत्र थे।

34 शेमेर के पुत्र: अही, रोहगा, यहुब्बा और अराम।

35 उसके भाई हेलेम के पुत्र सोपह, यिम्ना, शेलेश और आमाल।

36 सोपह के पुत्र, सूह, हर्नेपेर, शूआल, बेरी, इम्रा।

37 बेसेर, होद, शम्मा, शिलसा, यित्रान और बेरा।

38 येतेर के पुत्र: यपुन्ने, पिस्पा और अरा।

39 उल्ला के पुत्र: आरह, हन्नीएल और रिस्या।

40 ये सब आशेर के वंश में हुए, और अपने-अपने पितरों के घरानों में मुख्य पुरुष और बड़े से बड़े वीर थे और प्रधानों में मुख्य थे। ये जो अपनी-अपनी वंशावली के अनुसार सेना में युद्ध करने के लिये गिने गए, इनकी गिनती छब्बीस हजार थी।

बिन्यामीन की वंशावली

8  1 बिन्यामीन से उसका जेठा बेला, दूसरा अश्बेल, तीसरा अहृह,

2 चौथा नोहा और पाँचवाँ रापा उत्पन्न हुआ।

3 बेला के पुत्र अद्दार, गेरा, अबीहूद,

4 अबीशू, नामान, अहोह,

5 गेरा, शपूपान और हूराम थे।

6 एहूद के पुत्र ये हुए (गेबा के निवासियों के पितरों के घरानों में मुख्य पुरुष ये थे, जिन्हें बन्दी बनाकर में मानहत को ले जाया गया था)।

7 और नामान, अहिय्याह और गेरा (इन्हें भी बन्धुआ करके मानहत को ले गए थे), और उसने उज्जा और अहीहूद को जन्म दिया।

8 और शहरैम से हूशीम और बारा नामक अपनी स्त्रियों को छोड़ देने के बाद, मोआब देश में लड़के उत्पन्न हुए।

9 उसकी अपनी स्त्री होदेश से योबाब, सिब्या, मेशा, मल्काम, यूस, सोक्या,

10 और मिर्मा उत्पन्न हुए। उसके ये पुत्र अपने-अपने पितरों के घरानों में मुख्य पुरुष थे।

11 और हूशीम से अबीतूब और एल्पाल का जन्म हुआ।

12 एल्पाल के पुत्र एबेर, मिशाम और शामेद, इसी ने ओनो और गाँवों समेत लोद को बसाया।

13 फिर बरीआ और शेमा जो अय्यालोन के निवासियों के पितरों के घरानों में मुख्य पुरुष थे, और जिन्होंने गत के निवासियों को भगा दिया,

14 और अह्यो, शाशक, यरेमोत,

15 जबद्याह, अराद, एदेर,

16 मीकाएल, यिस्पा, योहा, जो बरीआ के पुत्र थे,

17 जबद्याह, मशुल्लाम, हिजकी, हेबेर,

18 यिशमरै, यिजलीआ, योबाब जो एल्पाल के पुत्र थे।

19 और याकीम, जिक्री, जब्दी,

20 एलीएनै, सिल्लतै, एलीएल,

21 अदायाह, बरायाह और शिम्रात जो शिमी के पुत्र थे।

22 यिशपान, एबेर, एलीएल,

23 अब्दोन, जिक्री, हानान,

24 हनन्याह, एलाम, अन्तोतिय्याह,

25 यिपदयाह और पनूएल जो शाशक के पुत्र थे।

26 और शमशरै, शहर्याह, अतल्याह,

27 योरेश्याह, एलिय्याह और जिक्री जो यरोहाम के पुत्र थे।

28 ये अपनी-अपनी पीढ़ी में अपने-अपने पितरों के घरानों में मुख्य पुरुष और प्रधान थे, ये यरूशलेम में रहते थे।

29 गिबोन में गिबोन का पिता रहता था, जिसकी पत्नी का नाम माका था।

30 और उसका जेठा पुत्र अब्दोन था, फिर सूर, कीश, बाल, नादाब,

31 गदोर; अह्यो और जेकेर हुए।

32 मिक्लोत से शिमआह उत्पन्न हुआ। और ये भी अपने भाइयों के सामने यरूशलेम में रहते थे, अपने भाइयों ही के साथ।

33 नेर से कीश उत्पन्न हुआ, कीश से शाऊल, और शाऊल से योनातान, मल्कीशूअ, अबीनादाब, और एशबाल उत्पन्न हुआ;

34 और योनातान का पुत्र मरीब्बाल हुआ, और मरीब्बाल से मीका उत्पन्न हुआ।

35 मीका के पुत्र: पीतोन, मेलेक, तारे और आहाज।

36 आहाज से यहोअद्दा उत्पन्न हुआ, और यहोअद्दा से आलेमेत, अज्मावेत और जिम्री; और जिम्री से मोसा।

37 मिस्पे से बिना उत्पन्न हुआ, और इसका पुत्र रापा हुआ, रापा का एलासा और एलासा का पुत्र आसेल हुआ।

38 और आसेल के छः पुत्र हुए जिनके ये नाम थे, अर्थात् अज्रीकाम, बोकरू, इश्माएल, शरायाह, ओबद्याह, और हानान। ये सब आसेल के पुत्र थे।

39 उसके भाई एशेक के ये पुत्र हुए, अर्थात् उसका जेठा ऊलाम, दूसरा यूश, तीसरा एलीपेलेत।

40 ऊलाम के पुत्र शूरवीर और धनुर्धारी हुए, और उनके बहुत बेटे-पोते अर्थात् डेढ़ सौ हुए[fn] *। ये ही सब बिन्यामीन के वंश के थे।

यरूशलेम में रहनेवालों का प्रबन्ध

9  1 इस प्रकार सब इस्राएली अपनी-अपनी वंशावली के अनुसार, जो इस्राएल के राजाओं के वृत्तान्त की पुस्तक में लिखी हैं, गिने गए। और यहूदी अपने विश्वासघात के कारण बन्दी बनाकर बाबेल को पहुँचाए गए।

2 बँधुआई से लौटकर जो लोग अपनी-अपनी निज भूमि अर्थात् अपने नगरों में रहते थे[fn] *, वह इस्राएली, याजक, लेवीय और मन्दिर के सेवक थे।

3 यरूशलेम में कुछ यहूदी; कुछ बिन्यामीन, और कुछ एप्रैमी, और मनश्शेई, रहते थे

4 अर्थात् यहूदा के पुत्र पेरेस के वंश में से अम्मीहूद का पुत्र ऊतै, जो ओम्री का पुत्र, और इम्री का पोता, और बानी का परपोता था।

5 और शीलोइयों में से उसका जेठा पुत्र असायाह और उसके पुत्र।

6 जेरह के वंश में से यूएल, और इनके भाई, ये छः सौ नब्बे हुए।

7 फिर बिन्यामीन के वंश में से सल्लू जो मशुल्लाम का पुत्र, होदव्याह का पोता, और हस्सनूआ का परपोता था।

8 और यिबनायाह जो यरोहाम का पुत्र था, और एला जो उज्जी का पुत्र, और मिक्री का पोता था, और मशुल्लाम जो शपत्याह का पुत्र, रूएल का पोता, और यिब्निय्याह का परपोता था;

9 और इनके भाई जो अपनी-अपनी वंशावली के अनुसार मिलकर नौ सौ छप्पन। ये सब पुरुष अपने-अपने पितरों के घरानों के अनुसार पितरों के घरानों में मुख्य थे।

यरूशलेम के निवासी याजक

10 याजकों में से यदायाह, यहोयारीब और याकीन[fn] *,

11 और अजर्याह जो परमेश्वर के भवन का प्रधान और हिल्किय्याह का पुत्र था, यह मशुल्लाम का पुत्र, यह सादोक का पुत्र, यह मरायोत का पुत्र, यह अहीतूब का पुत्र था;

12 और अदायाह जो यरोहाम का पुत्र था, यह पशहूर का पुत्र, यह मल्किय्याह का पुत्र, यह मासै का पुत्र, यह अदीएल का पुत्र, यहजेरा का पुत्र, यह मशुल्लाम का पुत्र, यह मशिल्लीत का पुत्र, यह इम्मेर का पुत्र था;

13 और इनके भाई थे जो अपने-अपने पितरों के घरानों में सत्रह सौ साठ मुख्य पुरुष थे, वे परमेश्वर के भवन की सेवा के काम में बहुत निपुण पुरुष थे।

14 फिर लेवियों में से मरारी के वंश में से शमायाह जो हश्शूब का पुत्र, अज्रीकाम का पोता, और हशब्याह का परपोता था;

15 और बकबक्कर, हेरेश और गालाल और आसाप के वंश में से मत्तन्याह जो मीका का पुत्र, और जिक्री का पोता था;

16 और ओबद्याह जो शमायाह का पुत्र, गालाल का पोता और यदूतून का परपोता था: और बेरेक्याह जो आसा का पुत्र, और एल्काना का पोता था, जो नतोपाइयों के गाँवों में रहता था।

लेवी जो द्वारपाल थे

17 द्वारपालों में से अपने-अपने भाइयों सहित शल्लूम, अक्कूब, तल्मोन और अहीमन, इनमें से मुख्य तो शल्लूम था।

18 और वह अब तक पूर्व की ओर राजा के फाटक के पास द्वारपाली करता था। लेवियों की छावनी के द्वारपाल ये ही थे।

19 और शल्लूम जो कोरे का पुत्र, एब्यासाप का पोता, और कोरह का परपोता था, और उसके भाई जो उसके मूलपुरुष के घराने के अर्थात् कोरही थे, वह इस काम के अधिकारी थे कि वे तम्बू के द्वारपाल हों। उनके पुरखा तो यहोवा की छावनी के अधिकारी, और प्रवेश-द्वार के रखवाले थे।

20 प्राचीनकाल में एलीआजर का पुत्र पीनहास, जिसके संग यहोवा रहता था, वह उनका प्रधान था।

21 मशेलेम्याह का पुत्र जकर्याह मिलापवाले तम्बू का द्वारपाल था।

22 ये सब जो द्वारपाल होने को चुने गए, वह दो सौ बारह थे। ये जिनके पुरखाओं को दाऊद और शमूएल दर्शी ने विश्वासयोग्य जानकर ठहराया था, वह अपने-अपने गाँव में अपनी-अपनी वंशावली के अनुसार गिने गए।

23 अतः वे और उनकी सन्तान यहोवा के भवन अर्थात् तम्बू के भवन के फाटकों का अधिकार बारी-बारी रखते थे।

24 द्वारपाल पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, चारों दिशा की ओर चौकी देते थे।

25 और उनके भाई जो गाँवों में रहते थे, उनको सात-सात दिन के बाद बारी-बारी से उनके संग रहने के लिये आना पड़ता था।

26 क्योंकि चारों प्रधान द्वारपाल जो लेवीय थे, वे विश्वासयोग्य जानकर परमेश्वर के भवन की कोठरियों और भण्डारों के अधिकारी ठहराए गए थे।

27 वे परमेश्वर के भवन के आस-पास इसलिए रात बिताते थे कि उसकी रक्षा उन्हें सौंपी गई थी, और प्रतिदिन भोर को उसे खोलना उन्हीं का काम था।

लेवियों की अन्य जिम्मेदारी

28 उनमें से कुछ उपासना के पात्रों के अधिकारी थे, क्योंकि ये पात्र गिनकर भीतर पहुँचाए, और गिनकर बाहर निकाले भी जाते थे।

29 और उनमें से कुछ सामान के, और पवित्रस्थान के पात्रों के, और मैदे, दाखमधु, तेल, लोबान और सुगन्ध-द्रव्यों के अधिकारी ठहराए गए थे।

30 याजकों के पुत्रों में से कुछ सुगन्ध-द्रव्यों के मिश्रण तैयार करने का काम करते थे।

31 और मत्तित्याह नामक एक लेवीय जो कोरही शल्लूम का जेठा था उसे विश्वासयोग्य जानकर तवों पर बनाई हुई वस्तुओं का अधिकारी नियुक्त किया था।

32 उसके भाइयों अर्थात् कहातियों में से कुछ तो भेंटवाली रोटी के अधिकारी थे, कि हर एक विश्रामदिन को उसे तैयार किया करें।

33 ये गवैये थे जो लेवीय पितरों के घरानों में मुख्य थे, और मन्दिर में रहते, और अन्य सेवा के काम से छूटे थे; क्योंकि वे रात-दिन अपने काम में लगे रहते थे।

34 ये ही अपनी-अपनी पीढ़ी में लेवियों के पितरों के घरानों में मुख्य पुरुष थे, ये यरूशलेम में रहते थे।

शाऊल राजा की वंशावली

35 गिबोन में गिबोन का पिता यीएल रहता था, जिसकी पत्नी का नाम माका था।

36 उसका जेठा पुत्र अब्दोन हुआ, फिर सूर, कीश, बाल, नेर, नादाब,

37 गदोर, अह्यो, जकर्याह और मिक्लोत;

38 और मिक्लोत से शिमाम उत्पन्न हुआ और ये भी अपने भाइयों के सामने अपने भाइयों के संग यरूशलेम में रहते थे।

39 नेर से कीश, कीश से शाऊल, और शाऊल से योनातान, मल्कीशूअ, अबीनादाब और एशबाल उत्पन्न हुए।

40 और योनातान का पुत्र मरीब्बाल हुआ, और मरीब्बाल से मीका उत्पन्न हुआ।

41 मीका के पुत्र पीतोन, मेलेक, तह्रे और आहाज;

42 और आहाज, से यारा, और यारा से आलेमेत, अज्मावेत और जिम्री, और जिम्री से मोसा,

43 और मोसा से बिना उत्पन्न हुआ और बिना का पुत्र रपायाह हुआ, रपायाह का एलासा, और एलासा का पुत्र आसेल हुआ।

44 और आसेल के छः पुत्र हुए जिनके ये नाम थे, अर्थात् अज्रीकाम, बोकरू, इश्माएल, शरायाह, ओबद्याह और हानान; आसेल के ये ही पुत्र हुए।

शाऊल की मृत्यु

10  1 पलिश्ती इस्राएलियों से लड़े; और इस्राएली पलिश्तियों के सामने से भागे, और गिलबो नामक पहाड़ पर मारे गए।

2 पर पलिश्ती शाऊल और उसके पुत्रों के पीछे लगे रहे, और पलिश्तियों ने शाऊल के पुत्र योनातान, अबीनादाब और मल्कीशूअ को मार डाला।

3 शाऊल के साथ घमासान युद्ध होता रहा और धनुर्धारियों ने उसे जा लिया, और वह उनके कारण व्याकुल हो गया।

4 तब शाऊल ने अपने हथियार ढोनेवाले से कहा, “अपनी तलवार खींचकर मुझे भोंक दे, कहीं ऐसा न हो कि वे खतनारहित लोग आकर मेरा उपहास करें;” परन्तु उसके हथियार ढोनेवाले ने भयभीत होकर ऐसा करने से इन्कार किया। तब शाऊल अपनी तलवार खड़ी करके उस पर गिर पड़ा।

5 यह देखकर कि शाऊल मर गया है उसका हथियार ढोनेवाला अपनी तलवार पर आप गिरकर मर गया।

6 इस तरह शाऊल और उसके तीनों पुत्र, और उसके घराने के सब लोग एक संग मर गए[fn] *।

7 यह देखकर कि वे भाग गए, और शाऊल और उसके पुत्र मर गए, उस तराई में रहनेवाले सब इस्राएली मनुष्य अपने-अपने नगर को छोड़कर भाग गए; और पलिश्ती आकर उनमें रहने लगे।

8 दूसरे दिन जब पलिश्ती मारे हुओं के माल को लूटने आए, तब उनको शाऊल और उसके पुत्र गिलबो पहाड़ पर पड़े हुए मिले।

9 तब उन्होंने उसके वस्त्रों को उतार उसका सिर और हथियार ले लिया और पलिश्तियों के देश के सब स्थानों में दूतों को इसलिए भेजा कि उनके देवताओं और साधारण लोगों में यह शुभ समाचार देते जाएँ।

10 तब उन्होंने उसके हथियार अपने मन्दिर में रखे, और उसकी खोपड़ी को दागोन के मन्दिर में लटका दिया।

11 जब गिलाद के याबेश के सब लोगों ने सुना कि पलिश्तियों ने शाऊल के साथ क्या-क्या किया है।

12 तब सब शूरवीर चले और शाऊल और उसके पुत्रों के शवों को उठाकर याबेश में ले आए, और उनकी हड्डियों को याबेश में एक बांज वृक्ष के तले गाड़ दिया और सात दिन तक उपवास किया।

13 इस तरह शाऊल उस विश्वासघात के कारण मर गया, जो उसने यहोवा से किया था[fn] ; क्योंकि उसने यहोवा का वचन टाल दिया था, फिर उसने भूत-सिद्धि करनेवाली से पूछकर सम्मति ली थी।

14 उसने यहोवा से न पूछा था, इसलिए यहोवा ने उसे मारकर राज्य को यिशै के पुत्र दाऊद को दे दिया।

दाऊद को पूरे इस्राएल का राजा ठहराया गया

11  1 तब सब इस्राएली दाऊद के पास हेब्रोन में इकट्ठे होकर कहने लगे, “सुन, हम लोग और तू एक ही हड्डी और माँस हैं।

2 पिछले दिनों में जब शाऊल राजा था, तब भी इस्राएलियों का अगुआ तू ही था, और तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझ से कहा, ‘मेरी प्रजा इस्राएल का चरवाहा, और मेरी प्रजा इस्राएल का प्रधान, तू ही होगा।’” (मत्ती 2:6, भज. 78:71)

3 इसलिए सब इस्राएली पुरनिये हेब्रोन में राजा के पास आए, और दाऊद ने उनके साथ हेब्रोन में यहोवा के सामने वाचा बाँधी; और उन्होंने यहोवा के वचन के अनुसार, जो उसने शमूएल से कहा था, इस्राएल का राजा होने के लिये दाऊद का अभिषेक किया।

4 तब सब इस्राएलियों समेत दाऊद यरूशलेम गया, जो यबूस भी कहलाता था, और वहाँ यबूसी नामक उस देश के निवासी रहते थे।

5 तब यबूस के निवासियों ने दाऊद से कहा, “तू यहाँ आने नहीं पाएगा।” तो भी दाऊद ने सिय्योन नामक गढ़ को ले लिया, वही दाऊदपुर भी कहलाता है।

6 दाऊद ने कहा, “जो कोई यबूसियों को सबसे पहले मारेगा, वह मुख्य सेनापति होगा,” तब सरूयाह का पुत्र योआब[fn] * सबसे पहले चढ़ गया, और सेनापति बन गया।

7 तब दाऊद उस गढ़ में रहने लगा, इसलिए उसका नाम दाऊदपुर पड़ा।

8 और उसने नगर के चारों ओर, अर्थात् मिल्लो से लेकर चारों ओर शहरपनाह बनवाई, और योआब ने शेष नगर के खण्डहरों को फिर बसाया।

9 और दाऊद की प्रतिष्ठा अधिक बढ़ती गई और सेनाओं का यहोवा उसके संग था।

दाऊद के शूरवीर

10 यहोवा ने इस्राएल के विषय जो वचन कहा था, उसके अनुसार दाऊद के जिन शूरवीरों ने सब इस्राएलियों समेत उसके राज्य में उसके पक्ष में होकर, उसे राजा बनाने को जोर दिया[fn] *, उनमें से मुख्य पुरुष ये हैं।

11 दाऊद के शूरवीरों की नामावली यह है, अर्थात् एक हक्मोनी का पुत्र याशोबाम जो तीसों में मुख्य था, उसने तीन सौ पुरुषों पर भाला चलाकर, उन्हें एक ही समय में मार डाला।

12 उसके बाद अहोही दोदो का पुत्र एलीआजर जो तीनों महान वीरों में से एक था।

13 वह पसदम्मीम में जहाँ जौ का एक खेत था, दाऊद के संग रहा जब पलिश्ती वहाँ युद्ध करने को इकट्ठे हुए थे, और लोग पलिश्तियों के सामने से भाग गए।

14 तब उन्होंने उस खेत के बीच में खड़े होकर उसकी रक्षा की, और पलिश्तियों को मारा, और यहोवा ने उनका बड़ा उद्धार किया।

15 तीसों मुख्य पुरुषों में से तीन दाऊद के पास चट्टान को, अर्थात् अदुल्लाम नामक गुफा में गए, और पलिश्तियों की छावनी रपाईम नामक तराई में पड़ी हुई थी।

16 उस समय दाऊद गढ़ में था, और उस समय पलिश्तियों की एक चौकी बैतलहम में थी।

17 तब दाऊद ने बड़ी अभिलाषा के साथ कहा, “कौन मुझे बैतलहम के फाटक के पास के कुएँ का पानी पिलाएगा।”

18 तब वे तीनों जन पलिश्तियों की छावनी पर टूट पड़े और बैतलहम के फाटक के कुएँ से पानी भरकर दाऊद के पास ले आए; परन्तु दाऊद ने पीने से इन्कार किया और यहोवा के सामने अर्घ करके उण्डेला:

19 और उसने कहा, “मेरा परमेश्वर मुझसे ऐसा करना दूर रखे। क्या मैं इन मनुष्यों का लहू पीऊँ जिन्होंने अपने प्राणों पर खेला है? ये तो अपने प्राण पर खेलकर उसे ले आए हैं।” इसलिए उसने वह पानी पीने से इन्कार किया। इन तीन वीरों ने ये ही काम किए।

20 अबीशै जो योआब का भाई था, वह तीनों में मुख्य था। उसने अपना भाला चलाकर तीन सौ को मार डाला और तीनों में नामी हो गया।

21 दूसरी श्रेणी के तीनों में वह अधिक प्रतिष्ठित था, और उनका प्रधान हो गया, परन्तु मुख्य तीनों के पद को न पहुँचा

22 यहोयादा का पुत्र बनायाह था, जो कबसेल के एक वीर का पुत्र था, जिस ने बड़े-बड़े काम किए थे, उसने सिंह समान दो मोआबियों को मार डाला, और हिमऋतु में उसने एक गड्ढे में उतर के एक सिंह को मार डाला।

23 फिर उसने एक डील-डौलवाले अर्थात् पाँच हाथ लम्बे मिस्री पुरुष को मार डाला, वह मिस्री हाथ में जुलाहों का ढेका-सा एक भाला लिए हुए था, परन्तु बनायाह एक लाठी ही लिए हुए उसके पास गया, और मिस्री के हाथ से भाले को छीनकर उसी के भाले से उसे घात किया।

24 ऐसे-ऐसे काम करके यहोयादा का पुत्र बनायाह उन तीनों वीरों में नामी हो गया।

25 वह तो तीसों से अधिक प्रतिष्ठित था, परन्तु मुख्य तीनों के पद को न पहुँचा। उसको दाऊद ने अपने अंगरक्षकों का प्रधान नियुक्त किया।

26 फिर दलों के वीर ये थे, अर्थात् योआब का भाई असाहेल, बैतलहमी दोदो का पुत्र एल्हनान,

27 हरोरी शम्मोत, पलोनी हेलेस,

28 तकोई इक्केश का पुत्र ईरा, अनातोती अबीएजेर,

29 सिब्बकै हूशाई, अहोही ईलै,

30 महरै नतोपाई, एक और नतोपाई बानाह का पुत्र हेलेद,

31 बिन्यामीनियों के गिबा नगरवासी रीबै का पुत्र इतै, पिरातोनी बनायाह,

32 गाश के नालों के पास रहनेवाला हूरै, अराबावासी अबीएल,

33 बहूरीमी अज्मावेत, शालबोनी एल्यहबा,

34 गीजोई हाशेम के पुत्र, फिर हरारी शागे का पुत्र योनातान,

35 हरारी साकार का पुत्र अहीआम, ऊर का पुत्र एलीपाल,

36 मकेराई हेपेर, पलोनी अहिय्याह,

37 कर्मेली हेस्रो, एज्बै का पुत्र नारै,

38 नातान का भाई योएल, हग्री का पुत्र मिभार,

39 अम्मोनी सेलेक, बेरोती नहरै जो सरूयाह के पुत्र योआब का हथियार ढोनेवाला था,

40 येतेरी ईरा और गारेब,

41 हित्ती ऊरिय्याह, अहलै का पुत्र जाबाद,

42 तीस पुरुषों समेत रूबेनी शीजा का पुत्र अदीना जो रूबेनियों का मुखिया था,

43 माका का पुत्र हानान, मेतेनी योशापात,

44 अश्तारोती उज्जियाह, अरोएरी होताम के पुत्र शामा और यीएल,

45 शिम्री का पुत्र यदीएल और उसका भाई तीसी, योहा,

46 महवीमी एलीएल, एलनाम के पुत्र यरीबै और योशव्याह, मोआबी यित्मा,

47 एलीएल, ओबेद और मसोबाई यासीएल।

सिकलग में दाऊद के बिन्यामिनी समर्थक

12  1 जब दाऊद सिकलग में कीश के पुत्र शाऊल के डर के मारे छिपा रहता था, तब ये उसके पास वहाँ आए, और ये उन वीरों में से थे जो युद्ध में उसके सहायक थे।

2 ये धनुर्धारी थे, जो दायें-बांयें, दोनों हाथों से गोफन के पत्थर और धनुष के तीर चला सकते थे; और ये शाऊल के भाइयों में से बिन्यामीनी[fn] * थे,

3 मुख्य तो अहीएजेर और दूसरा योआश था जो गिबावासी शमाआ का पुत्र था; फिर अज्मावेत के पुत्र यजीएल और पेलेत, फिर बराका और अनातोती येहू,

4 और गिबोनी यिशमायाह जो तीसों में से एक वीर और उनके ऊपर भी था; फिर यिर्मयाह, यहजीएल, योहानान, गदेरावासी योजाबाद,

5 एलूजै, यरीमोत, बाल्याह, शेमर्याह, हारूपी शपत्याह,

6 एल्काना, यिश्शिय्याह, अजरेल, योएजेर, याशोबाम, जो सब कोरहवंशी थे,

7 और गदोरवासी यरोहाम के पुत्र योएला और जबद्याह।

8 फिर जब दाऊद जंगल के गढ़ में रहता था, तब ये गादी जो शूरवीर थे, और युद्ध विद्या सीखे हुए और ढाल और भाला काम में लानेवाले थे, और उनके मुँह सिंह के से और वे पहाड़ी मृग के समान वेग से दौड़नेवाले थे, ये और गादियों से अलग होकर उसके पास आए,

9 अर्थात् मुख्य तो एजेर, दूसरा ओबद्याह, तीसरा एलीआब,

10 चौथा मिश्मन्ना, पाँचवाँ यिर्मयाह,

11 छठा अत्तै, सातवाँ एलीएल,

12 आठवाँ योहानान, नौवाँ एलजाबाद,

13 दसवाँ यिर्मयाह और ग्यारहवाँ मकबन्नै था,

14 ये गादी मुख्य योद्धा थे, उनमें से जो सबसे छोटा था वह तो एक सौ के ऊपर, और जो सबसे बड़ा था, वह हजार के ऊपर था।

15 ये ही वे हैं, जो पहले महीने में जब यरदन नदी सब किनारों के ऊपर-ऊपर बहती थी, तब उसके पार उतरे; और पूर्व और पश्चिम दोनों ओर के सब तराई के रहनेवालों को भगा दिया।

16 कई एक बिन्यामीनी और यहूदी भी दाऊद के पास गढ़ में आए।

17 उनसे मिलने को दाऊद निकला और उनसे कहा, “यदि तुम मेरे पास मित्रभाव से मेरी सहायता करने को आए हो, तब तो मेरा मन तुम से लगा रहेगा; परन्तु जो तुम मुझे धोखा देकर मेरे शत्रुओं के हाथ पकड़वाने आए हो, तो हमारे पितरों का परमेश्वर इस पर दृष्टि करके डाँटे, क्योंकि मेरे हाथ से कोई उपद्रव नहीं हुआ।”

18 तब आत्मा अमासै में समाया, जो तीसों वीरों में मुख्य था, और उसने कहा,

“हे दाऊद! हम तेरे हैं;

हे यिशै के पुत्र! हम तेरी ओर के हैं,

तेरा कुशल ही कुशल हो और तेरे सहायकों का कुशल हो,

क्योंकि तेरा परमेश्वर तेरी सहायता किया करता है।”

इसलिए दाऊद ने उनको रख लिया, और अपने दल के मुखिये ठहरा दिए।

19 फिर कुछ मनश्शेई भी उस समय दाऊद के पास भाग आए, जब वह पलिश्तियों के साथ होकर शाऊल से लड़ने को गया, परन्तु वह उसकी कुछ सहायता न कर सका, क्योंकि पलिश्तियों के सरदारों ने सम्मति लेने पर यह कहकर उसे विदा किया, “वह हमारे सिर कटवाकर अपने स्वामी शाऊल से फिर मिल जाएगा।”

20 जब वह सिकलग को जा रहा था, तब ये मनश्शेई उसके पास भाग आए; अर्थात् अदनह, योजाबाद, यदीएल, मीकाएल, योजाबाद, एलीहू और सिल्लतै जो मनश्शे के हजारों के मुखिये थे।

21 इन्होंने लुटेरों के दल के विरुद्ध दाऊद की सहायता की, क्योंकि ये सब शूरवीर थे, और सेना के प्रधान भी बन गए।

22 वरन् प्रतिदिन लोग दाऊद की सहायता करने को उसके पास आते रहे, यहाँ तक कि परमेश्वर की सेना के समान एक बड़ी सेना बन गई।

23 फिर लोग लड़ने के लिये हथियार बाँधे हुए हेब्रोन में दाऊद के पास इसलिए आए कि यहोवा के वचन के अनुसार शाऊल का राज्य उसके हाथ में कर दें: उनके मुखियों की गिनती यह है।

24 यहूदा के ढाल और भाला लिए हुए छः हजार आठ सौ हथियारबंद लड़ने को आए।

25 शिमोनी सात हजार एक सौ तैयार शूरवीर लड़ने को आए।

26 लेवीय चार हजार छः सौ आए।

27 और हारून के घराने का प्रधान यहोयादा था, और उसके साथ तीन हजार सात सौ आए।

28 और सादोक नामक एक जवान वीर भी आया, और उसके पिता के घराने के बाईस प्रधान आए।

29 और शाऊल के भाई बिन्यामीनियों में से तीन हजार आए, क्योंकि उस समय तक आधे बिन्यामीनियों से अधिक शाऊल के घराने का पक्ष करते रहे।

30 फिर एप्रैमियों में से बड़े वीर और अपने-अपने पितरों के घरानों में नामी पुरुष बीस हजार आठ सौ आए।

31 मनश्शे के आधे गोत्र में से दाऊद को राजा बनाने के लिये अठारह हजार आए, जिनके नाम बताए गए थे।

32 इस्साकारियों में से जो समय को पहचानते थे, कि इस्राएल को क्या करना उचित है, उनके प्रधान दो सौ थे; और उनके सब भाई उनकी आज्ञा में रहते थे।

33 फिर जबूलून में से युद्ध के सब प्रकार के हथियार लिए हुए लड़ने को पाँति बाँधनेवाले योद्धा पचास हजार आए, वे पाँति बाँधनेवाले थे और चंचल न थे।

34 फिर नप्ताली में से प्रधान तो एक हजार, और उनके संग ढाल और भाला लिए सैंतीस हजार आए।

35 दानियों में से लड़ने के लिये पाँति बाँधनेवाले अट्ठाईस हजार छः सौ आए।

36 और आशेर में से लड़ने को पाँति बाँधनेवाले चालीस हजार योद्धा आए।

37 और यरदन पार रहनेवाले रूबेनी, गादी और मनश्शे के आधे गोत्रियों में से युद्ध के सब प्रकार के हथियार लिए हुए एक लाख बीस हजार आए।

38 ये सब युद्ध के लिये पाँति बाँधनेवाले दाऊद को सारे इस्राएल का राजा बनाने के लिये हेब्रोन में सच्चे मन से आए, और अन्य सब इस्राएली भी दाऊद को राजा बनाने के लिये सहमत थे।

39 वे वहाँ तीन दिन दाऊद के संग खाते पीते रहे, क्योंकि उनके भाइयों ने उनके लिये तैयारी की थी,

40 और जो उनके निकट वरन् इस्साकार, जबूलून और नप्ताली तक रहते थे, वे भी गदहों, ऊँटों, खच्चरों और बैलों पर मैदा, अंजीरों और किशमिश की टिकियाँ, दाखमधु और तेल आदि भोजनवस्तु लादकर लाए, और बैल और भेड़-बकरियाँ बहुतायत से लाए; क्योंकि इस्राएल में आनन्द मनाया जा रहा था।

पवित्र सन्दूक का यरूशलेम में पहुँचाया जाना

13  1 दाऊद ने सहस्त्रपतियों, शतपतियों और सब प्रधानों[fn] * से सम्मति ली।

2 तब दाऊद ने इस्राएल की सारी मण्डली से कहा, “यदि यह तुम को अच्छा लगे और हमारे परमेश्वर की इच्छा हो, तो इस्राएल के सब देशों में जो हमारे भाई रह गए हैं और उनके साथ जो याजक और लेवीय अपने-अपने चराईवाले नगरों में रहते हैं, उनके पास भी यह सन्देश भेजें कि हमारे पास इकट्ठे हो जाओ,

3 और हम अपने परमेश्वर के सन्दूक को अपने यहाँ ले आएँ; क्योंकि शाऊल के दिनों में हम उसके समीप नहीं जाते थे।”

4 और समस्त मण्डली ने कहा, कि वे ऐसा ही करेंगे, क्योंकि यह बात उन सब लोगों की दृष्टि में उचित मालूम हुई।

5 तब दाऊद ने मिस्र के शीहोर से ले हमात की घाटी तक के सब इस्राएलियों को इसलिए इकट्ठा किया, कि परमेश्वर के सन्दूक को किर्यत्यारीम से ले आए।

6 तब दाऊद सब इस्राएलियों को संग लेकर बाला को गया, जो किर्यत्यारीम भी कहलाता था और यहूदा के भाग में था, कि परमेश्वर यहोवा का सन्दूक वहाँ से ले आए; वह तो करूबों पर विराजनेवाला है, और उसका नाम भी यही लिया जाता है।

7 तब उन्होंने परमेश्वर का सन्दूक एक नई गाड़ी पर चढ़ाकर, अबीनादाब के घर से निकाला, और उज्जा और अह्यो उस गाड़ी को हाँकने लगे।

8 दाऊद और सारे इस्राएली परमेश्वर के सामने तन मन से गीत गाते और वीणा, सारंगी, डफ, झाँझ और तुरहियां बजाते थे।

9 जब वे किदोन के खलिहान तक आए, तब उज्जा ने अपना हाथ सन्दूक थामने को बढ़ाया, क्योंकि बैलों ने ठोकर खाई थी।

10 तब यहोवा का कोप उज्जा पर भड़क उठा; और उसने उसको मारा क्योंकि उसने सन्दूक पर हाथ लगाया था; वह वहीं परमेश्वर के सामने मर गया।

11 तब दाऊद अप्रसन्न हुआ, इसलिए कि यहोवा उज्जा पर टूट पड़ा था; और उसने उस स्थान का नाम पेरेसुज्जा रखा, यह नाम आज तक बना है।

12 उस दिन दाऊद परमेश्वर से डरकर कहने लगा, “मैं परमेश्वर के सन्दूक को अपने यहाँ कैसे ले आऊँ?”

13 तब दाऊद सन्दूक को अपने यहाँ दाऊदपुर में न लाया, परन्तु ओबेदेदोम नामक गती के यहाँ ले गया।

14 और परमेश्वर का सन्दूक ओबेदेदोम के यहाँ उसके घराने के पास तीन महीने तक रहा, और यहोवा ने ओबेदेदोम के घराने पर और जो कुछ उसका था उस पर भी आशीष दी।

दाऊद का यरूशलेम में स्थिर होना

14  1 सोर के राजा हीराम ने दाऊद के पास दूत भेजे, और उसका भवन बनाने को देवदार की लकड़ी और राजमिस्त्री और बढ़ई भेजे।

2 तब दाऊद को निश्चय हो गया कि यहोवा ने उसे इस्राएल का राजा करके स्थिर किया है, क्योंकि उसकी प्रजा इस्राएल के निमित्त उसका राज्य अत्यन्त बढ़ गया था।

3 यरूशलेम में दाऊद ने और स्त्रियों से विवाह कर लिया, और उनसे और बेटे-बेटियाँ उत्पन्न हुई।

4 उसके जो सन्तान यरूशलेम में उत्पन्न हुए, उनके नाम ये हैं: शम्मू, शोबाब, नातान, सुलैमान;

5 यिभार, एलीशू, एलपेलेत;

6 नोगह, नेपेग, यापी, एलीशामा,

7 बेल्यादा और एलीपेलेत।

पलिश्तियों की पराजय

8 जब पलिश्तियों ने सुना कि पूरे इस्राएल का राजा होने के लिये दाऊद का अभिषेक हुआ, तब सब पलिश्तियों ने दाऊद की खोज में चढ़ाई की; यह सुनकर दाऊद उनका सामना करने को निकल गया।

9 पलिश्ती आए और रपाईम नामक तराई में धावा बोला।

10 तब दाऊद ने परमेश्वर से पूछा, “क्या मैं पलिश्तियों पर चढ़ाई करूँ? और क्या तू उन्हें मेरे हाथ में कर देगा?” यहोवा ने उससे कहा, “चढ़ाई कर, क्योंकि मैं उन्हें तेरे हाथ में कर दूँगा।”

11 इसलिए जब वे बालपरासीम को आए, तब दाऊद ने उनको वहीं मार लिया; तब दाऊद ने कहा, “परमेश्वर मेरे द्वारा मेरे शत्रुओं पर जल की धारा के समान टूट पड़ा है।” इस कारण उस स्थान का नाम बालपरासीम रखा गया।

12 वहाँ वे अपने देवताओं को छोड़ गए[fn] *, और दाऊद की आज्ञा से वे आग लगाकर फूँक दिए गए।

13 फिर दूसरी बार पलिश्तियों ने उसी तराई में धावा बोला।

14 तब दाऊद ने परमेश्वर से फिर पूछा, और परमेश्वर ने उससे कहा, “उनका पीछा मत कर; उनसे मुड़कर तूत के वृक्षों के सामने से उन पर छापा मार।

15 और जब तूत के वृक्षों की फुनगियों में से सेना के चलने की सी आहट तुझे सुन पड़े, तब यह जानकर युद्ध करने को निकल जाना कि परमेश्वर पलिश्तियों की सेना को मारने के लिये तेरे आगे जा रहा है।”

16 परमेश्वर की इस आज्ञा के अनुसार दाऊद ने किया, और इस्राएलियों ने पलिश्तियों की सेना को गिबोन से लेकर गेजेर तक मार लिया।

17 तब दाऊद की कीर्ति सब देशों में फैल गई, और यहोवा ने सब जातियों के मन में उसका भय भर दिया।

पवित्र सन्दूक का यरूशलेम में वापसी

15  1 तब दाऊद ने दाऊदपुर में भवन बनवाए, और परमेश्वर के सन्दूक के लिये एक स्थान तैयार करके एक तम्बू खड़ा किया[fn] *।

2 तब दाऊद ने कहा, “ लेवियों को छोड़ और किसी को परमेश्वर का सन्दूक उठाना नहीं चाहिये[fn] *, क्योंकि यहोवा ने उनको इसलिए चुना है कि वे परमेश्वर का सन्दूक उठाए और उसकी सेवा टहल सदा किया करें।”

3 तब दाऊद ने सब इस्राएलियों को यरूशलेम में इसलिए इकट्ठा किया कि यहोवा का सन्दूक उस स्थान पर पहुँचाए, जिसे उसने उसके लिये तैयार किया था।

4 इसलिए दाऊद ने हारून के सन्तानों और लेवियों को इकट्ठा किया:

5 अर्थात् कहातियों में से ऊरीएल नामक प्रधान को और उसके एक सौ बीस भाइयों को;

6 मरारियों में से असायाह नामक प्रधान को और उसके दो सौ बीस भाइयों को;

7 गेर्शोमियों में से योएल नामक प्रधान को और उसके एक सौ तीस भाइयों को;

8 एलीसापानियों में से शमायाह नामक प्रधान को और उसके दो सौ भाइयों को;

9 हेब्रोनियों में से एलीएल नामक प्रधान को और उसके अस्सी भाइयों को;

10 और उज्जीएलियों में से अम्मीनादाब नामक प्रधान को और उसके एक सौ बारह भाइयों को।

11 तब दाऊद ने सादोक और एब्यातार नामक याजकों को, और ऊरीएल, असायाह, योएल, शमायाह, एलीएल और अम्मीनादाब नामक लेवियों को बुलवाकर उनसे कहा,

12 “तुम तो लेवीय पितरों के घरानों में मुख्य पुरुष हो; इसलिए अपने भाइयों समेत अपने-अपने को पवित्र करो, कि तुम इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का सन्दूक उस स्थान पर पहुँचा सको जिसको मैंने उसके लिये तैयार किया है।

13 क्योंकि पिछली बार तुम ने उसको न उठाया था इस कारण हमारा परमेश्वर यहोवा हम पर टूट पड़ा, क्योंकि हम उसकी खोज में नियम के अनुसार न लगे थे।”

14 तब याजकों और लेवियों ने अपने-अपने को पवित्र किया, कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का सन्दूक ले जा सके।

15 तब उस आज्ञा के अनुसार जो मूसा ने यहोवा का वचन सुनकर दी थी, लेवियों ने सन्दूक को डंडों के बल अपने कंधों पर उठा लिया।

16 तब दाऊद ने प्रधान लेवियों को आज्ञा दी कि अपने भाई गवैयों[fn] * को बाजे अर्थात् सारंगी, वीणा और झाँझ देकर बजाने और आनन्द के साथ ऊँचे स्वर से गाने के लिये नियुक्त करें।

17 तब लेवियों ने योएल के पुत्र हेमान को, और उसके भाइयों में से बेरेक्याह के पुत्र आसाप को, और अपने भाई मरारियों में से कूशायाह के पुत्र एतान को ठहराया।

18 उनके साथ उन्होंने दूसरे पद के अपने भाइयों को अर्थात् जकर्याह, बेन, याजीएल, शमीरामोत, यहीएल, उन्नी, एलीआब, बनायाह, मासेयाह, मत्तित्याह, एलीपलेह, मिकनेयाह, और ओबेदेदोम और यीएल को जो द्वारपाल थे ठहराया।

19 अतः हेमान, आसाप और एतान नाम के गवैये तो पीतल की झाँझ बजा-बजाकर राग चलाने को;

20 और जकर्याह, अजीएल, शमीरामोत, यहीएल, उन्नी, एलीआब, मासेयाह, और बनायाह, अलामोत, नामक राग में सारंगी बजाने को;

21 और मत्तित्याह, एलीपलेह, मिकनेयाह ओबेदेदोम, यीएल और अजज्याह वीणा खर्ज में छेड़ने को ठहराए गए।

22 और राग उठाने का अधिकारी कनन्याह नामक लेवियों का प्रधान था, वह राग उठाने के विषय शिक्षा देता था, क्योंकि वह निपुण था।

23 और बेरेक्याह और एल्काना सन्दूक के द्वारपाल थे।

24 और शबन्याह, योशापात, नतनेल, अमासै, जकर्याह, बनायाह और एलीएजेर नामक याजक परमेश्वर के सन्दूक के आगे-आगे तुरहियां बजाते हुए चले और ओबेदेदोम और यहिय्याह उसके द्वारपाल थे;

25 दाऊद और इस्राएलियों के पुरनिये और सहस्त्रपति सब मिलकर यहोवा की वाचा का सन्दूक ओबेदेदोम के घर से आनन्द के साथ ले आने के लिए गए।

26 जब परमेश्वर ने लेवियों की सहायता की जो यहोवा की वाचा का सन्दूक उठानेवाले थे, तब उन्होंने सात बैल और सात मेढ़े बलि किए।

27 दाऊद, और यहोवा की वाचा का सन्दूक उठानेवाले सब लेवीय और गानेवाले और गानेवालों के साथ राग उठानेवाले का प्रधान कनन्याह, ये सब तो सन के कपड़े के बागे पहने थे, और दाऊद सन के कपड़े का एपोद पहने था।

28 इस प्रकार सब इस्राएली यहोवा की वाचा के सन्दूक को जयजयकार करते, और नरसिंगे, तुरहियां और झाँझ बजाते और सारंगियाँ और वीणा बजाते हुए ले चले।

29 जब यहोवा की वाचा का सन्दूक दाऊदपुर में पहुँचा तब शाऊल की बेटी मीकल ने खिड़की में से झाँककर दाऊद राजा को कूदते और खेलते हुए देखा, और उसे मन ही मन तुच्छ जाना।

सन्दूक का तम्बू में रखा जाना

16  1 तब परमेश्वर का सन्दूक ले आकर उस तम्बू में रखा गया जो दाऊद ने उसके लिये खड़ा कराया था; और परमेश्वर के सामने होमबलि और मेलबलि चढ़ाए गए।

2 जब दाऊद होमबलि और मेलबलि चढ़ा चुका, तब उसने यहोवा के नाम से प्रजा को आशीर्वाद दिया।

3 और उसने क्या पुरुष, क्या स्त्री, सब इस्राएलियों को एक-एक रोटी और एक-एक टुकड़ा माँस और किशमिश की एक-एक टिकिया बँटवा दी।

4 तब उसने कई लेवियों को इसलिए ठहरा दिया, कि यहोवा के सन्दूक के सामने सेवा टहल किया करें, और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की चर्चा और उसका धन्यवाद और स्तुति किया करें।

5 उनका मुखिया तो आसाप था, और उसके नीचे जकर्याह था, फिर यीएल, शमीरामोत, यहीएल, मत्तित्याह, एलीआब बनायाह, ओबेदेदोम और यीएल थे; ये तो सारंगियाँ और वीणाएँ लिये हुए थे, और आसाप झाँझ पर राग बजाता था।

6 बनायाह और यहजीएल नामक याजक परमेश्वर की वाचा के सन्दूक के सामने नित्य तुरहियां बजाने के लिए नियुक्त किए गए।

दाऊद के द्वारा धन्यवाद गीत

7 तब उसी दिन दाऊद ने यहोवा का धन्यवाद करने का काम आसाप और उसके भाइयों को सौंप दिया।

8 यहोवा का धन्यवाद करो[fn] *, उससे प्रार्थना करो;

देश-देश में उसके कामों का प्रचार करो।

9 उसका गीत गाओ, उसका भजन करो,

उसके सब आश्चर्यकर्मों का ध्यान करो।

10 उसके पवित्र नाम पर घमण्ड करो;

यहोवा के खोजियों का हृदय आनन्दित हो।

11 यहोवा और उसकी सामर्थ्य की खोज करो;

उसके दर्शन के लिए लगातार खोज करो।

12 उसके किए हुए आश्चर्यकर्म,

उसके चमत्कार और न्यायवचन स्मरण करो।

13 हे उसके दास इस्राएल के वंश,

हे याकूब की सन्तान तुम जो उसके चुने हुए हो!

14 वही हमारा परमेश्वर यहोवा है,

उसके न्याय के काम पृथ्वी भर में होते हैं।

15 उसकी वाचा को सदा स्मरण रखो,

यह वही वचन है जो उसने हजार पीढ़ियों के लिये ठहरा दिया।

16 वह वाचा उसने अब्राहम के साथ बाँधी

ओर उसी के विषय उसने इसहाक से शपथ खाई,

17 और उसी को उसने याकूब के लिये विधि

करके और इस्राएल के लिये सदा की वाचा बाँधकर यह कहकर दृढ़ किया,

18 “मैं कनान देश तुझी को दूँगा,

वह बाँट में तुम्हारा निज भाग होगा।”

19 उस समय तो तुम गिनती में थोड़े थे,

बल्कि बहुत ही थोड़े और उस देश में परदेशी थे।

20 और वे एक जाति से दूसरी जाति में,

और एक राज्य से दूसरे में फिरते तो रहे,

21 परन्तु उसने किसी मनुष्य को उन पर अंधेर करने न दिया;

और वह राजाओं को उनके निमित्त यह धमकी देता था,

22 “मेरे अभिषिक्तों को मत छूओ,

और न मेरे नबियों की हानि करो।”

23 हे समस्त पृथ्वी के लोगों यहोवा का गीत गाओ।

प्रतिदिन उसके किए हुए उद्धार का शुभ समाचार सुनाते रहो।

24 अन्यजातियों में उसकी महिमा का,

और देश-देश के लोगों में उसके आश्चर्यकर्मों का वर्णन करो।

25 क्योंकि यहोवा महान और स्तुति के अति योग्य है,

वह तो सब देवताओं से अधिक भययोग्य है।

26 क्योंकि देश-देश के सब देवता मूर्तियाँ ही हैं;

परन्तु यहोवा ही ने स्वर्ग को बनाया है।

27 उसके चारों ओर वैभव और ऐश्वर्य है;

उसके स्थान में सामर्थ्य और आनन्द है।

28 हे देश-देश के कुलों, यहोवा का गुणानुवाद करो,

यहोवा की महिमा और सामर्थ्य को मानो।

29 यहोवा के नाम की महिमा ऐसी मानो जो उसके नाम के योग्य है।

भेंट लेकर उसके सम्मुख आओ, पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दण्डवत् करो।

30 हे सारी पृथ्वी के लोगों उसके सामने थरथराओ!

जगत ऐसा स्थिर है, कि वह टलने का नहीं।

31 आकाश आनन्द करे और पृथ्वी मगन हो,

और जाति-जाति में लोग कहें, “यहोवा राजा हुआ है।”

32 समुद्र और उसमें की सब वस्तुएँ गरज उठें,

मैदान और जो कुछ उसमें है सो प्रफुल्लित हों।

33 उसी समय वन के वृक्ष यहोवा के सामने जयजयकार करें,

क्योंकि वह पृथ्वी का न्याय करने को आनेवाला है।

34 यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है;

उसकी करुणा सदा की है।

35 और यह कहो, “हे हमारे उद्धार करनेवाले परमेश्वर हमारा उद्धार कर,

और हमको इकट्ठा करके अन्यजातियों से छुड़ा,

कि हम तेरे पवित्र नाम का धन्यवाद करें,

और तेरी स्तुति करते हुए तेरे विषय बड़ाई करें। (भज. 106:47)

36 अनादिकाल से अनन्तकाल तक इस्राएल का

परमेश्वर यहोवा धन्य है।”

तब सब प्रजा ने “आमीन” कहा: और यहोवा की स्तुति की। (भज. 106:48)

37 तब उसने वहाँ अर्थात् यहोवा की वाचा के सन्दूक के सामने आसाप और उसके भाइयों को छोड़ दिया, कि प्रतिदिन के प्रयोजन के अनुसार वे सन्दूक के सामने नित्य सेवा टहल किया करें,

38 और अड़सठ भाइयों समेत ओबेदेदोम को, और द्वारपालों के लिये यदूतून के पुत्र ओबेदेदोम और होसा को छोड़ दिया।

39 फिर उसने सादोक याजक और उसके भाई याजकों को यहोवा के निवास के सामने, जो गिबोन के ऊँचे स्थान में था, ठहरा दिया,

40 कि वे नित्य सवेरे और सांझ को होमबलि की वेदी पर[fn] * यहोवा को होमबलि चढ़ाया करें, और उन सब के अनुसार किया करें, जो यहोवा की व्यवस्था में लिखा है, जिसे उसने इस्राएल को दिया था।

41 और उनके संग उसने हेमान और यदूतून और दूसरों को भी जो नाम लेकर चुने गए थे ठहरा दिया, कि यहोवा की सदा की करुणा के कारण उसका धन्यवाद करें।

42 और उनके संग उसने हेमान और यदूतून को बजानेवालों के लिये तुरहियां और झाँझें और परमेश्वर के गीत गाने के लिये बाजे दिए, और यदूतून के बेटों को फाटक की रखवाली करने को ठहरा दिया।

43 तब प्रजा के सब लोग अपने-अपने घर चले गए, और दाऊद अपने घराने को आशीर्वाद देने लौट गया।

दाऊद के साथ परमेश्वर की वाचा

17  1 जब दाऊद अपने भवन में रहने लगा, तब दाऊद ने नातान नबी से कहा, “देख, मैं तो देवदार के बने हुए घर में रहता हूँ, परन्तु यहोवा की वाचा का सन्दूक तम्बू में रहता है।”

2 नातान ने दाऊद से कहा, “जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर, क्योंकि परमेश्वर तेरे संग है।”

3 उसी दिन-रात को परमेश्वर का यह वचन नातान के पास पहुँचा, “जाकर मेरे दास दाऊद से कह,

4 ‘यहोवा यह कहता है: मेरे निवास के लिये तू घर बनवाने न पाएगा।

5 क्योंकि जिस दिन से मैं इस्राएलियों को मिस्र से ले आया, आज के दिन तक मैं कभी घर में नहीं रहा; परन्तु एक तम्बू से दूसरे तम्बू को और एक निवास से दूसरे निवास को आया-जाया करता हूँ।

6 जहाँ-जहाँ मैंने सब इस्राएलियों के बीच आना जाना किया, क्या मैंने इस्राएल के न्यायियों में से जिनको मैंने अपनी प्रजा की चरवाही करने को ठहराया था, किसी से ऐसी बात कभी कहीं कि तुम लोगों ने मेरे लिये देवदार का घर क्यों नहीं बनवाया?

7 अत: अब तू मेरे दास दाऊद से ऐसा कह, कि सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि मैंने तो तुझको भेड़शाला से और भेड़-बकरियों के पीछे-पीछे फिरने से इस मनसा से बुला लिया, कि तू मेरी प्रजा इस्राएल का प्रधान हो जाए;

8 और जहाँ कहीं तू आया और गया, वहाँ मैं तेरे संग रहा, और तेरे सब शत्रुओं को तेरे सामने से नष्ट किया है। अब मैं तेरे नाम को पृथ्वी के बड़े-बड़े लोगों के नामों के समान बड़ा कर दूँगा।

9 और मैं अपनी प्रजा इस्राएल के लिये एक स्थान ठहराऊँगा, और उसको स्थिर करूँगा कि वह अपने ही स्थान में बसी रहे और कभी चलायमान न हो; और कुटिल लोग उनको नाश न करने पाएँगे, जैसे कि पहले दिनों में करते थे,

10 वरन् उस समय भी जब मैं अपनी प्रजा इस्राएल के ऊपर न्यायी ठहराता था; अतः मैं तेरे सब शत्रुओं को दबा दूँगा। फिर मैं तुझे यह भी बताता हूँ, कि यहोवा तेरा घर बनाये रखेगा।

11 जब तेरी आयु पूरी हो जाएगी और तुझे अपने पितरों के संग जाना पड़ेगा, तब मैं तेरे बाद तेरे वंश को जो तेरे पुत्रों में से होगा, खड़ा करके उसके राज्य को स्थिर करूँगा। (1 राजा. 2:10, 11, 2 शमू. 7:12)

12 मेरे लिये एक घर वही बनाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्थिर रखूँगा।

13 मैं उसका पिता ठहरूँगा और वह मेरा पुत्र ठहरेगा; और जैसे मैंने अपनी करुणा उस पर से जो तुझ से पहले था हटाई, वैसे मैं उस पर से न हटाऊँगा, (2 शमू. 7:14)

14 वरन् मैं उसको अपने घर और अपने राज्य में सदैव स्थिर रखूँगा और उसकी राजगद्दी सदैव अटल रहेगी।’” (2 शमू. 7:16)

15 इन सब बातों और इस दर्शन के अनुसार नातान ने दाऊद को समझा दिया।

दाऊद द्वारा धन्यवाद की प्रार्थना

16 तब दाऊद राजा भीतर जाकर यहोवा के सम्मुख बैठा, और कहने लगा, “हे यहोवा परमेश्वर! मैं क्या हूँ? और मेरा घराना क्या है? कि तूने मुझे यहाँ तक पहुँचाया है?

17 हे परमेश्वर! यह तेरी दृष्टि में छोटी सी बात हुई, क्योंकि तूने अपने दास के घराने के विषय भविष्य के बहुत दिनों तक की चर्चा की है, और हे यहोवा परमेश्वर! तूने मुझे ऊँचे पद का मनुष्य[fn] * सा जाना है।

18 जो महिमा तेरे दास पर दिखाई गई है, उसके विषय दाऊद तुझ से और क्या कह सकता है? तू तो अपने दास को जानता है।

19 हे यहोवा! तूने अपने दास के निमित्त और अपने मन के अनुसार यह बड़ा काम किया है, कि तेरा दास उसको जान ले।

20 हे यहोवा! जो कुछ हमने अपने कानों से सुना है, उसके अनुसार तेरे तुल्य कोई नहीं, और न तुझे छोड़ और कोई परमेश्वर है।

21 फिर तेरी प्रजा इस्राएल के भी तुल्य कौन है? वह तो पृथ्वी भर में एक ही जाति है, उसे परमेश्वर ने जाकर अपनी निज प्रजा करने को छुड़ाया, इसलिए कि तू बड़े और डरावने काम करके अपना नाम करे, और अपनी प्रजा के सामने से जो तूने मिस्र से छुड़ा ली थी, जाति-जाति के लोगों को निकाल दे।

22 क्योंकि तूने अपनी प्रजा इस्राएल को अपनी सदा की प्रजा होने के लिये ठहराया, और हे यहोवा! तू आप उसका परमेश्वर ठहरा।

23 इसलिए, अब हे यहोवा, तूने जो वचन अपने दास के और उसके घराने के विषय दिया है, वह सदैव अटल रहे, और अपने वचन के अनुसार ही कर।

24 और तेरा नाम सदैव अटल रहे, और यह कहकर तेरी बड़ाई सदा की जाए[fn] *, कि सेनाओं का यहोवा इस्राएल का परमेश्वर है, वरन् वह इस्राएल ही के लिये परमेश्वर है, और तेरा दास दाऊद का घराना तेरे सामने स्थिर रहे।

25 क्योंकि हे मेरे परमेश्वर, तूने यह कहकर अपने दास पर प्रगट किया है कि मैं तेरा घर बनाए रखूँगा, इस कारण तेरे दास को तेरे सम्मुख प्रार्थना करने का हियाव हुआ है।

26 और अब हे यहोवा तू ही परमेश्वर है, और तूने अपने दास को यह भलाई करने का वचन दिया है;

27 और अब तूने प्रसन्न होकर, अपने दास के घराने पर ऐसी आशीष दी है, कि वह तेरे सम्मुख सदैव बना रहे, क्योंकि हे यहोवा, तू आशीष दे चुका है, इसलिए वह सदैव आशीषित बना रहे।”

दाऊद के विजयों का वर्णन

18  1 इसके बाद दाऊद ने पलिश्तियों को जीतकर अपने अधीन कर लिया, और गाँवों समेत गत नगर को पलिश्तियों के हाथ से छीन लिया।

2 फिर उसने मोआबियों को भी जीत लिया[fn] *, और मोआबी दाऊद के अधीन होकर भेंट लाने लगे।

3 फिर जब सोबा का राजा हदादेजेर फरात महानद के पास अपने राज्य स्थिर करने को जा रहा था, तब दाऊद ने उसको हमात के पास जीत लिया।

4 दाऊद ने उससे एक हजार रथ, सात हजार सवार, और बीस हजार प्यादे हर लिए, और दाऊद ने सब रथवाले घोड़ों के घुटनों के पीछे की नस कटवाई, परन्तु एक सौ रथवाले घोड़े बचा रखे।

5 जब दमिश्क के अरामी, सोबा के राजा हदादेजेर की सहायता करने को आए, तब दाऊद ने अरामियों में से बाईस हजार पुरुष मारे।

6 तब दाऊद ने दमिश्क के अराम में सिपाहियों की चौकियाँ बैठाईं; अतः अरामी दाऊद के अधीन होकर भेंट ले आने लगे। और जहाँ-जहाँ दाऊद जाता, वहाँ-वहाँ यहोवा उसको जय दिलाता था।

7 और हदादेजेर के कर्मचारियों के पास सोने की जो ढालें थीं, उन्हें दाऊद लेकर यरूशलेम को आया।

8 और हदादेजेर के तिभत और कून नामक नगरों से दाऊद बहुत सा पीतल ले आया; और उसी से सुलैमान ने पीतल के हौद और खम्भों और पीतल के पात्रों को बनवाया।

9 जब हमात के राजा तोऊ ने सुना कि दाऊद ने सोबा के राजा हदादेजेर की समस्त सेना को जीत लिया है,

10 तब उसने हदोराम नामक अपने पुत्र को दाऊद राजा के पास उसका कुशल क्षेम पूछने और उसे बधाई देने को भेजा, इसलिए कि उसने हदादेजेर से लड़कर उसे जीत लिया था; (क्योंकि हदादेजेर तोऊ से लड़ा करता था) और हदोराम सोने चाँदी और पीतल के सब प्रकार के पात्र लिये हुए आया।

11 इनको दाऊद राजा ने यहोवा के लिये पवित्र करके रखा, और वैसा ही उस सोने- चाँदी से भी किया जिसे सब जातियों से, अर्थात् एदोमियों, मोआबियों, अम्मोनियों, पलिश्तियों, और अमालेकियों से प्राप्त किया था।

12 फिर सरूयाह के पुत्र अबीशै ने नमक की तराई में अठारह हजार एदोमियों को मार लिया।

13 तब उसने एदोम में सिपाहियों की चौकियाँ बैठाईं; और सब एदोमी दाऊद के अधीन हो गए। और दाऊद जहाँ-जहाँ जाता था वहाँ-वहाँ यहोवा उसको जय दिलाता था।

14 दाऊद समस्त इस्राएल पर राज्य करता था, और वह अपनी सब प्रजा के साथ न्याय और धार्मिकता के काम करता था।

15 प्रधान सेनापति सरूयाह का पुत्र योआब था; इतिहास का लिखनेवाला अहीलूद का पुत्र यहोशापात था;

16 प्रधान याजक, अहीतूब का पुत्र सादोक और एब्यातार का पुत्र अबीमेलेक थे, मंत्री शबशा था;

17 करेतियों और पलेतियों का प्रधान यहोयादा का पुत्र बनायाह था; और दाऊद के पुत्र राजा के पास मुखिये होकर रहते थे।

अम्मोनियों पर विजय

19  1 इसके बाद अम्मोनियों का राजा नाहाश मर गया, और उसका पुत्र उसके स्थान पर राजा हुआ।

2 तब दाऊद ने यह सोचा, “हानून के पिता नाहाश ने जो मुझ पर प्रीति दिखाई थी, इसलिए मैं भी उस पर प्रीति दिखाऊँगा।” तब दाऊद ने उसके पिता के विषय शान्ति देने के लिये दूत भेजे। और दाऊद के कर्मचारी अम्मोनियों के देश में हानून के पास उसे शान्ति देने को आए।

3 परन्तु अम्मोनियों के हाकिम हानून से कहने लगे, “दाऊद ने जो तेरे पास शान्ति देनेवाले भेजे हैं, वह क्या तेरी समझ में तेरे पिता का आदर करने की मनसा से भेजे हैं? क्या उसके कर्मचारी इसी मनसा से तेरे पास नहीं आए, कि ढूँढ़-ढाँढ़ करें और नष्ट करें, और देश का भेद लें?”

4 इसलिए हानून ने दाऊद के कर्मचारियों को पकड़ा, और उनके बाल मुड़वाए, और आधे वस्त्र अर्थात् नितम्ब तक कटवाकर उनको जाने दिया।

5 तब कुछ लोगों ने जाकर दाऊद को बता दिया कि उन पुरुषों के साथ कैसा बर्ताव किया गया, अतः उसने लोगों को उनसे मिलने के लिये भेजा क्योंकि वे पुरुष बहुत लज्जित थे, और राजा ने कहा, “जब तक तुम्हारी दाढ़ियाँ बढ़ न जाएँ, तब तक यरीहो में ठहरे रहो, और बाद को लौट आना।”

6 जब अम्मोनियों ने देखा, कि हम दाऊद को घिनौने लगते हैं, तब हानून और अम्मोनियों ने एक हजार किक्कार चाँदी[fn] *, अरम्नहरैम और अरम्माका और सोबा को भेजी, कि रथ और सवार किराये पर बुलाए।

7 सो उन्होंने बत्तीस हजार रथ, और माका के राजा और उसकी सेना को किराये पर बुलाया, और इन्होंने आकर मेदबा के सामने, अपने डेरे खड़े किए। और अम्मोनी अपने-अपने नगर में से इकट्ठे होकर लड़ने को आए।

8 यह सुनकर दाऊद ने योआब और शूरवीरों की पूरी सेना को भेजा।

9 तब अम्मोनी निकले और नगर के फाटक के पास पाँति बाँधी, और जो राजा आए थे, वे उनसे अलग मैदान में थे।

10 यह देखकर कि आगे पीछे दोनों ओर हमारे विरुद्ध पाँति बंधी हैं, योआब ने सब बड़े-बड़े इस्राएली वीरों में से कुछ को छांटकर अरामियों के सामने उनकी पाँति बँधाई;

11 और शेष लोगों को अपने भाई अबीशै के हाथ सौंप दिया, और उन्होंने अम्मोनियों के सामने पाँति बाँधी।

12 और उसने कहा, “यदि अरामी मुझ पर प्रबल होने लगें, तो तू मेरी सहायता करना; और यदि अम्मोनी तुझ पर प्रबल होने लगें, तो मैं तेरी सहायता करूँगा।

13 तू हियाव बाँध और हम सब अपने लोगों और अपने परमेश्वर के नगरों के निमित्त पुरुषार्थ करें; और यहोवा जैसा उसको अच्छा लगे, वैसा ही करेगा।”

14 तब योआब और जो लोग उसके साथ थे, अरामियों से युद्ध करने को उनके सामने गए, और वे उसके सामने से भागे।

15 यह देखकर कि अरामी भाग गए हैं, अम्मोनी भी उसके भाई अबीशै के सामने से भागकर नगर के भीतर घुसे। तब योआब यरूशलेम को लौट आया।

16 फिर यह देखकर कि वे इस्राएलियों से हार गए हैं, अरामियों ने दूत भेजकर फरात के पार के अरामियों को बुलवाया, और हदादेजेर के सेनापति शोपक को अपना प्रधान बनाया।

17 इसका समाचार पाकर दाऊद ने सब इस्राएलियों को इकट्ठा किया, और यरदन पार होकर उन पर चढ़ाई की और उनके विरुद्ध पाँति बँधाई, तब वे उससे लड़ने लगे।

18 परन्तु अरामी इस्राएलियों से भागे, और दाऊद ने उनमें से सात हजार रथियों और चालीस हजार प्यादों को मार डाला, और शोपक सेनापति को भी मार डाला।

19 यह देखकर कि वे इस्राएलियों से हार गए हैं, हदादेजेर के कर्मचारियों ने दाऊद से संधि की और उसके अधीन हो गए; और अरामियों ने अम्मोनियों की सहायता फिर करनी न चाही।

रब्बाह पर विजय

20  1 फिर नये वर्ष के आरम्भ में जब राजा लोग युद्ध करने को निकला करते हैं[fn] *, तब योआब ने भारी सेना संग ले जाकर अम्मोनियों का देश उजाड़ दिया और आकर रब्बाह को घेर लिया; परन्तु दाऊद यरूशलेम में रह गया; और योआब ने रब्बाह को जीतकर ढा दिया।

2 तब दाऊद ने उनके राजा का मुकुट उसके सिर से उतारकर क्या देखा, कि उसका तौल किक्कार भर सोने का है, और उसमें मणि भी जड़े थे; और वह दाऊद के सिर पर रखा गया। फिर उसे नगर से बहुत सामान लूट में मिला।

3 उसने उनमें रहनेवालों को निकालकर आरों और लोहे के हेंगों और कुल्हाड़ियों से कटवाया; और अम्मोनियों के सब नगरों के साथ भी दाऊद ने वैसा ही किया। तब दाऊद सब लोगों समेत यरूशलेम को लौट गया।

पलिश्ती दानवों का विनाश

4 इसके बाद गेजेर में पलिश्तियों के साथ युद्ध हुआ; उस समय हूशाई सिब्बकै[fn] * ने सिप्पै को, जो रापा की सन्तान था, मार डाला; और वे दब गए।

5 पलिश्तियों के साथ फिर युद्ध हुआ; उसमें याईर के पुत्र एल्हनान ने गती गोलियत के भाई लहमी को मार डाला, जिसके बर्छे की छड़, जुलाहे की डोंगी के समान थी।

6 फिर गत में भी युद्ध हुआ, और वहाँ एक बड़े डील-डौल का पुरुष था, जो रापा की सन्तान था, और उसके एक-एक हाथ पाँव में छः-छः उँगलियाँ अर्थात् सब मिलाकर चौबीस उँगलियाँ थीं।

7 जब उसने इस्राएलियों को ललकारा, तब दाऊद के भाई शिमा के पुत्र योनातान ने उसको मारा।

8 ये ही गत में रापा से उत्पन्न हुए थे, और वे दाऊद और उसके सेवकों के हाथ से मार डालें गए।

दाऊद के द्वारा इस्राएल की जनगणना

21  1 और शैतान[fn] * ने इस्राएल के विरुद्ध उठकर, दाऊद को उकसाया कि इस्राएलियों की गिनती ले।

2 तब दाऊद ने योआब और प्रजा के हाकिमों से कहा, “तुम जाकर बेर्शेबा से ले दान तक के इस्राएल की गिनती लेकर मुझे बताओ, कि मैं जान लूँ कि वे कितने हैं।”

3 योआब ने कहा, “यहोवा की प्रजा के कितने ही क्यों न हों, वह उनको सौ गुना बढ़ा दे; परन्तु हे मेरे प्रभु! हे राजा! क्या वे सब राजा के अधीन नहीं हैं? मेरा प्रभु ऐसी बात क्यों चाहता है? वह इस्राएल पर दोष लगने का कारण क्यों बने?”

4 तो भी राजा की आज्ञा योआब पर प्रबल हुई। तब योआब विदा होकर सारे इस्राएल में घूमकर यरूशलेम को लौट आया।

5 तब योआब ने प्रजा की गिनती का जोड़, दाऊद को सुनाया और सब तलवार चलानेवाले पुरुष इस्राएल के तो ग्यारह लाख, और यहूदा के चार लाख सत्तर हजार ठहरे।

6 परन्तु उनमें योआब ने लेवी और बिन्यामीन को न गिना, क्योंकि वह राजा की आज्ञा से घृणा करता था

7 और यह बात परमेश्वर को बुरी लगी, इसलिए उसने इस्राएल को मारा।

8 और दाऊद ने परमेश्वर से कहा, “यह काम जो मैंने किया, वह महापाप है। परन्तु अब अपने दास का अधर्म दूर कर; मुझसे तो बड़ी मूर्खता हुई है।”

9 तब यहोवा ने दाऊद के दर्शी गाद से कहा,

10 “जाकर दाऊद से कह, ‘यहोवा यह कहता है कि मैं तुझको तीन विपत्तियाँ दिखाता हूँ, उनमें से एक को चुन ले, कि मैं उसे तुझ पर डालूँ।’”

11 तब गाद ने दाऊद के पास जाकर उससे कहा, “यहोवा यह कहता है, कि जिसको तू चाहे उसे चुन ले:

12 या तो तीन वर्ष का अकाल पड़े; या तीन महीने तक तेरे विरोधी तुझे नाश करते रहें, और तेरे शत्रुओं की तलवार तुझ पर चलती रहे; या तीन दिन तक यहोवा की तलवार चले, अर्थात् मरी देश में फैले और यहोवा का दूत इस्राएली देश में चारों ओर विनाश करता रहे। अब सोच, कि मैं अपने भेजनेवाले को क्या उत्तर दूँ।”

13 दाऊद ने गाद से कहा, “मैं बड़े संकट में पड़ा हूँ; मैं यहोवा के हाथ में पड़ूँ, क्योंकि उसकी दया बहुत बड़ी है; परन्तु मनुष्य के हाथ में मुझे पड़ना न पड़े।”

14 तब यहोवा ने इस्राएल में मरी फैलाई, और इस्राएल में सत्तर हजार पुरुष मर मिटे।

15 फिर परमेश्वर ने एक दूत यरूशलेम को भी उसका नाश करने को भेजा; और वह नाश करने ही पर था, कि यहोवा दुःख देने से खेदित हुआ, और नाश करनेवाले दूत से कहा, “बस कर; अब अपना हाथ खींच ले।” और यहोवा का दूत यबूसी ओर्नान के खलिहान के पास खड़ा था।

16 और दाऊद ने आँखें उठाकर देखा कि यहोवा का दूत हाथ में खींची हुई और यरूशलेम के ऊपर बढ़ाई हुई एक तलवार लिये हुए आकाश के बीच खड़ा है, तब दाऊद और पुरनिये टाट पहने हुए मुँह के बल गिरे।

17 तब दाऊद ने परमेश्वर से कहा, “जिस ने प्रजा की गिनती लेने की आज्ञा दी थी, वह क्या मैं नहीं हूँ? हाँ, जिस ने पाप किया और बहुत बुराई की है, वह तो मैं ही हूँ। परन्तु इन भेड़-बकरियों ने क्या किया है? इसलिए हे मेरे परमेश्वर यहोवा! तेरा हाथ मेरे पिता के घराने के विरुद्ध हो, परन्तु तेरी प्रजा के विरुद्ध न हो, कि वे मारे जाएँ।”

18 तब यहोवा के दूत ने[fn] * गाद को दाऊद से यह कहने की आज्ञा दी कि दाऊद चढ़कर यबूसी ओर्नान के खलिहान में यहोवा की एक वेदी बनाए।

19 गाद के इस वचन के अनुसार जो उसने यहोवा के नाम से कहा था, दाऊद चढ़ गया।

20 तब ओर्नान ने पीछे फिर के दूत को देखा, और उसके चारों बेटे जो उसके संग थे छिप गए, ओर्नान तो गेहूँ दाँवता था।

21 जब दाऊद ओर्नान के पास आया, तब ओर्नान ने दृष्टि करके दाऊद को देखा और खलिहान से बाहर जाकर भूमि तक झुककर दाऊद को दण्डवत् किया।

22 तब दाऊद ने ओर्नान से कहा, “इस खलिहान का स्थान मुझे दे दे, कि मैं इस पर यहोवा के लिए एक वेदी बनाऊँ, उसका पूरा दाम लेकर उसे मुझ को दे, कि यह विपत्ति प्रजा पर से दूर की जाए।”

23 ओर्नान ने दाऊद से कहा, “इसे ले ले, और मेरे प्रभु राजा को जो कुछ भाए वह वही करे; सुन, मैं तुझे होमबलि के लिये बैल और ईंधन के लिये दाँवने के हथियार और अन्नबलि के लिये गेहूँ, यह सब मैं देता हूँ।”

24 राजा दाऊद ने ओर्नान से कहा, “नहीं, मैं अवश्य इसका पूरा दाम ही देकर इसे मोल लूंगा; जो तेरा है, उसे मैं यहोवा के लिये नहीं लूंगा, और न सेंत-मेंत का होमबलि चढ़ाऊँगा।”

25 तब दाऊद ने उस स्थान के लिये ओर्नान को छः सौ शेकेल सोना तौलकर दिया।

26 तब दाऊद ने वहाँ यहोवा की एक वेदी बनाई और होमबलि और मेलबलि चढ़ाकर यहोवा से प्रार्थना की, और उसने होमबलि की वेदी पर स्वर्ग से आग गिराकर उसकी सुन ली।

27 तब यहोवा ने दूत को आज्ञा दी; और उसने अपनी तलवार फिर म्यान में कर ली।

28 यह देखकर कि यहोवा ने यबूसी ओर्नान के खलिहान में मेरी सुन ली है, दाऊद ने उसी समय वहाँ बलिदान किया।

29 यहोवा का निवास जो मूसा ने जंगल में बनाया था, और होमबलि की वेदी, ये दोनों उस समय गिबोन के ऊँचे स्थान पर थे।

30 परन्तु दाऊद परमेश्वर के पास उसके सामने न जा सका, क्योंकि वह यहोवा के दूत की तलवार से डर गया था[fn] *।

22  1 तब दाऊद कहने लगा, “ यहोवा परमेश्वर का भवन यही है[fn] *, और इस्राएल के लिये होमबलि की वेदी यही है।”

मन्दिर के बनाने की तैयारी

2 तब दाऊद ने इस्राएल के देश में जो परदेशी थे उनको इकट्ठा करने की आज्ञा दी, और परमेश्वर का भवन बनाने को पत्थर गढ़ने के लिये संगतराश ठहरा दिए।

3 फिर दाऊद ने फाटकों के किवाड़ों की कीलों और जोड़ों के लिये बहुत सा लोहा, और तौल से बाहर बहुत पीतल,

4 और गिनती से बाहर देवदार के पेड़ इकट्ठे किए; क्योंकि सीदोन और सोर के लोग दाऊद के पास बहुत से देवदार के पेड़ लाए थे।

5 और दाऊद ने कहा, “मेरा पुत्र सुलैमान सुकुमार और लड़का है, और जो भवन यहोवा के लिये बनाना है, उसे अत्यन्त तेजोमय और सब देशों में प्रसिद्ध और शोभायमान होना चाहिये; इसलिए मैं उसके लिये तैयारी करूँगा।” अतः दाऊद ने मरने से पहले बहुत तैयारी की।

6 फिर उसने अपने पुत्र सुलैमान को बुलाकर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये भवन बनाने की आज्ञा दी।

7 दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान से कहा, “मेरी मनसा तो थी कि अपने परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनाऊँ।

8 परन्तु यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा, ‘तूने लहू बहुत बहाया और बड़े-बड़े युद्ध किए हैं, इसलिए तू मेरे नाम का भवन न बनाने पाएगा, क्योंकि तूने भूमि पर मेरी दृष्टि में बहुत लहू बहाया है।

9 देख, तुझ से एक पुत्र उत्पन्न होगा, जो शान्त पुरुष होगा; और मैं उसको चारों ओर के शत्रुओं से शान्ति दूँगा; उसका नाम तो सुलैमान होगा, और उसके दिनों में मैं इस्राएल को शान्ति और चैन दूँगा।

10 वही मेरे नाम का भवन बनाएगा। और वही मेरा पुत्र ठहरेगा और मैं उसका पिता ठहरूँगा, और उसकी राजगद्दी को मैं इस्राएल के ऊपर सदा के लिये स्थिर रखूँगा।’

11 अब हे मेरे पुत्र, यहोवा तेरे संग रहे, और तू कृतार्थ होकर उस वचन के अनुसार जो तेरे परमेश्वर यहोवा ने तेरे विषय कहा है, उसका भवन बनाना।

12 अब यहोवा तुझे बुद्धि और समझ दे और इस्राएल का अधिकारी ठहरा दे, और तू अपने परमेश्वर यहोवा की व्यवस्था को मानता रहे।

13 तू तब ही कृतार्थ होगा जब उन विधियों और नियमों पर चलने की चौकसी करेगा, जिनकी आज्ञा यहोवा ने इस्राएल के लिये मूसा को दी थी। हियाव बाँध और दृढ़ हो[fn] *। मत डर; और तेरा मन कच्चा न हो।

14 सुन, मैंने अपने क्लेश के समय[fn] * यहोवा के भवन के लिये एक लाख किक्कार सोना, और दस लाख किक्कार चाँदी, और पीतल और लोहा इतना इकट्ठा किया है, कि बहुतायत के कारण तौल से बाहर है; और लकड़ी और पत्थर मैंने इकट्ठे किए हैं, और तू उनको बढ़ा सकेगा।

15 और तेरे पास बहुत कारीगर हैं, अर्थात् पत्थर और लकड़ी के काटने और गढ़नेवाले वरन् सब भाँति के काम के लिये सब प्रकार के प्रवीण पुरुष हैं।

16 सोना, चाँदी, पीतल और लोहे की तो कुछ गिनती नहीं है, सो तू उस काम में लग जा! यहोवा तेरे संग नित रहे।”

17 फिर दाऊद ने इस्राएल के सब हाकिमों को अपने पुत्र सुलैमान की सहायता करने की आज्ञा यह कहकर दी,

18 “क्या तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे संग नहीं है? क्या उसने तुम्हें चारों ओर से विश्राम नहीं दिया? उसने तो देश के निवासियों को मेरे वश में कर दिया है; और देश यहोवा और उसकी प्रजा के सामने दबा हुआ है।

19 अब तन मन से अपने परमेश्वर यहोवा के पास जाया करो, और जी लगाकर यहोवा परमेश्वर का पवित्रस्थान बनाना, कि तुम यहोवा की वाचा का सन्दूक और परमेश्वर के पवित्र पात्र उस भवन में लाओ जो यहोवा के नाम का बननेवाला है।”

लेवियों को जिम्मेदारियां बाँटा जाना

23  1 दाऊद तो बूढ़ा वरन् बहुत बूढ़ा हो गया था, इसलिए उसने अपने पुत्र सुलैमान को इस्राएल पर राजा नियुक्त कर दिया।

2 तब उसने इस्राएल के सब हाकिमों और याजकों और लेवियों को इकट्ठा किया।

3 जितने लेवीय तीस वर्ष के और उससे अधिक अवस्था के थे, वे गिने गए, और एक-एक पुरुष के गिनने से उनकी गिनती अड़तीस हजार हुई।

4 इनमें से चौबीस हजार तो यहोवा के भवन का काम चलाने के लिये नियुक्त हुए, और छः हजार सरदार और न्यायी।

5 और चार हजार द्वारपाल नियुक्त हुए, और चार हजार उन बाजों से यहोवा की स्तुति करने के लिये ठहराए गए जो दाऊद ने स्तुति करने के लिये बनाए थे।

6 फिर दाऊद ने उनको गेर्शोन, कहात और मरारी नामक लेवी के पुत्रों के अनुसार दलों में अलग-अलग कर दिया।

7 गेर्शोनियों में से तो लादान और शिमी थे।

8 और लादान के पुत्र: सरदार यहीएल, फिर जेताम और योएल ये तीन थे।

9 शिमी के पुत्र: शलोमीत, हजीएल और हारान ये तीन थे। लादान के कुल के पूर्वजों के घरानों के मुख्य पुरुष ये ही थे।

10 फिर शिमी के पुत्र: यहत, जीना, यूश, और बरीआ, शिमी के यही चार पुत्र थे।

11 यहत मुख्य था, और जीजा दूसरा; यूश और बरीआ के बहुत बेटे न हुए, इस कारण वे सब मिलकर पितरों का एक ही घराना ठहरे।

12 कहात के पुत्र: अम्राम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल चार। अम्राम के पुत्र: हारून और मूसा।

13 हारून तो इसलिए अलग किया गया, कि वह और उसके सन्तान सदा परमपवित्र वस्तुओं को पवित्र ठहराएँ, और सदा यहोवा के सम्मुख धूप जलाया करें और उसकी सेवा टहल करें, और उसके नाम से आशीर्वाद दिया करें।

14 परन्तु परमेश्वर के भक्त मूसा के पुत्रों के नाम लेवी के गोत्र के बीच गिने गए।

15 मूसा के पुत्र, गेर्शोम और एलीएजेर।

16 और गेर्शोम का पुत्र शबूएल मुख्य था।

17 एलीएजेर के पुत्र: रहब्याह मुख्य; और एलीएजेर के और कोई पुत्र न हुआ, परन्तु रहब्याह के बहुत से बेटे हुए।

18 यिसहार के पुत्रों में से शलोमीत मुख्य ठहरा।

19 हेब्रोन के पुत्र: यरिय्याह मुख्य, दूसरा अमर्याह, तीसरा यहजीएल, और चौथा यकमाम।

20 उज्जीएल के पुत्रों में से मुख्य तो मीका और दूसरा यिश्शिय्याह था।

21 मरारी के पुत्र: महली और मूशी। महली के पुत्र: एलीआजर और कीश।

22 एलीआजर पुत्रहीन मर गया, उसके केवल बेटियाँ हुई; अतः कीश के पुत्रों ने जो उनके भाई थे उन्हें ब्याह लिया।

23 मूशी के पुत्र: महली; एदेर और यरेमोत यह तीन थे।

24 लेवीय पितरों के घरानों के मुख्य पुरुष ये ही थे, ये नाम ले लेकर, एक-एक पुरुष करके गिने गए, और बीस वर्ष की या उससे अधिक अवस्था के थे और यहोवा के भवन में सेवा टहल करते थे।

25 क्योंकि दाऊद ने कहा, “इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने अपनी प्रजा को विश्राम दिया है, कि वे यरूशलेम में सदैव रह सकें।

26 और लेवियों को निवास और उसकी उपासना का सामान फिर उठाना न पड़ेगा।”

27 क्योंकि दाऊद की पिछली आज्ञाओं[fn] * के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक अवस्था के लेवीय गिने गए।

28 क्योंकि उनका काम तो हारून की सन्तान की सेवा टहल करना था, अर्थात् यह कि वे आँगनों और कोठरियों में, और सब पवित्र वस्तुओं के शुद्ध करने में और परमेश्वर के भवन की उपासना के सब कामों में सेवा टहल करें;

29 और भेंट की रोटी का, अन्नबलियों के मैदे का, और अख़मीरी पपड़ियों का, और तवे पर बनाए हुए और सने हुए का, और मापने और तौलने के सब प्रकार का काम करें।

30 और प्रति भोर और प्रति सांझ को यहोवा का धन्यवाद और उसकी स्तुति करने के लिये खड़े रहा करें।

31 और विश्रामदिनों और नये चाँद के दिनों, और नियत पर्वों में गिनती के नियम के अनुसार नित्य यहोवा के सब होमबलियों को चढ़ाएँ[fn] *;

32 और यहोवा के भवन की उपासना के विषय मिलापवाले तम्बू और पवित्रस्थान की रक्षा करें, और अपने भाई हारूनियों के सौंपे हुए काम को चौकसी से करें।

याजकों की जिम्मेदारियां

24  1 फिर हारून की सन्तान के दल ये थे। हारून के पुत्र तो नादाब, अबीहू, एलीआजर और ईतामार थे।

2 परन्तु नादाब और अबीहू अपने पिता के सामने पुत्रहीन मर गए, इसलिए याजक का काम एलीआजर और ईतामार करते थे।

3 और दाऊद ने एलीआजर के वंश के सादोक और ईतामार के वंश के अहीमेलेक की सहायता से[fn] * उनको अपनी-अपनी सेवा के अनुसार दल-दल करके बाँट दिया।

4 एलीआजर के वंश के मुख्य पुरुष, ईतामार के वंश के मुख्य पुरुषों से अधिक थे, और वे ऐसे बाँटे गए: अर्थात् एलीआजर के वंश के पितरों के घरानों के सोलह, और ईतामार के वंश के पितरों के घरानों के आठ मुख्य पुरुष थे।

5 तब वे चिट्ठी डालकर बराबर-बराबर बाँटे गए, क्योंकि एलीआजर और ईतामार दोनों के वंशों में पवित्रस्थान के हाकिम और परमेश्वर के हाकिम नियुक्त हुए थे।

6 और नतनेल के पुत्र शमायाह जो शास्त्री और लेवीय था, उनके नाम राजा और हाकिमों और सादोक याजक, और एब्यातार के पुत्र अहीमेलेक और याजकों और लेवियों के पितरों के घरानों के मुख्य पुरुषों के सामने लिखे[fn] *; अर्थात् पितरों का एक घराना तो एलीआजर के वंश में से और एक ईतामार के वंश में से लिया गया।

7 पहली चिट्ठी तो यहोयारीब के, और दूसरी यदायाह,

8 तीसरी हारीम के, चौथी सोरीम के,

9 पाँचवीं मल्किय्याह के, छठवीं मिय्यामीन के,

10 सातवीं हक्कोस के, आठवीं अबिय्याह के, (लूका 1:5)

11 नौवीं येशुअ के, दसवीं शकन्याह के,

12 ग्यारहवीं एल्याशीब के, बारहवीं याकीम के,

13 तेरहवीं हुप्पा के, चौदहवीं येसेबाब के,

14 पन्द्रहवीं बिल्गा के, सोलहवीं इम्मेर के,

15 सत्रहवीं हेजीर के, अठारहवीं हप्पित्सेस के,

16 उन्‍नीसवीं पतह्याह के, बीसवीं यहेजकेल के,

17 इक्कीसवीं याकीन के, बाईसवीं गामूल के,

18 तेईसवीं दलायाह के, और चौबीसवीं माज्याह के नाम पर निकलीं।

19 उनकी सेवकाई के लिये उनका यही नियम ठहराया गया कि वे अपने उस नियम के अनुसार जो इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार उनके मूलपुरुष हारून ने चलाया था, यहोवा के भवन में जाया करें।

अन्य लेवी

20 बचे हुए लेवियों में से अम्राम के वंश में से शूबाएल, शूबाएल के वंश में से येहदयाह।

21 बचा रहब्याह, अतः रहब्याह, के वंश में से यिश्शिय्याह मुख्य था।

22 यिसहारियों में से शलोमोत और शलोमोत के वंश में से यहत।

23 हेब्रोन के वंश में से मुख्य तो यरिय्याह, दूसरा अमर्याह, तीसरा यहजीएल, और चौथा यकमाम।

24 उज्जीएल के वंश में से मीका और मीका के वंश में से शामीर।

25 मीका का भाई यिश्शिय्याह, यिश्शिय्याह के वंश में से जकर्याह।

26 मरारी के पुत्र महली और मूशी और याजिय्याह का पुत्र बिनो था।

27 मरारी के पुत्रः याजिय्याह से बिनो और शोहम, जक्कूर और इब्री थे।

28 महली से, एलीआजर जिसके कोई पुत्र न था।

29 कीश से कीश के वंश में यरहमेल।

30 और मूशी के पुत्र, महली, एदेर और यरीमोत। अपने-अपने पितरों के घरानों के अनुसार ये ही लेवीय सन्तान के थे।

31 इन्होंने भी अपने भाई हारून की सन्तानों की तरह दाऊद राजा और सादोक और अहीमेलेक और याजकों और लेवियों के पितरों के घरानों के मुख्य पुरुषों के सामने चिट्ठियाँ डाली, अर्थात् मुख्य पुरुष के पितरों का घराना उसके छोटे भाई के पितरों के घराने के बराबर ठहरा[fn] *।

दाऊद के संगीतकार

25  1 फिर दाऊद और सेनापतियों ने आसाप, हेमान और यदूतून के कुछ पुत्रों को सेवकाई के लिये अलग किया कि वे वीणा, सारंगी और झाँझ बजा-बजाकर नबूवत करें। और इस सेवकाई के काम करनेवाले मनुष्यों की गिनती यह थी:

2 अर्थात् आसाप के पुत्रों में से जक्कूर, यूसुफ, नतन्याह और अशरेला, आसाप के ये पुत्र आसाप ही की आज्ञा में थे, जो राजा की आज्ञा के अनुसार नबूवत करता था[fn] *।

3 फिर यदूतून के पुत्रों में से गदल्याह, सरी, यशायाह, शिमी, हशब्याह, मत्तित्याह, ये ही छः अपने पिता यदूतून की आज्ञा में होकर जो यहोवा का धन्यवाद और स्तुति कर करके नबूवत करता था, वीणा बजाते थे।

4 हेमान के पुत्रों में से, बुक्किय्याह, मत्तन्याह, उज्जीएल, शबूएल, यरीमोत, हनन्याह, हनानी, एलीआता, गिद्दलती, रोममतीएजेर, योशबकाशा, मल्लोती, होतीर और महजीओत;

5 परमेश्वर की प्रतिज्ञानुकूल जो उसका नाम बढ़ाने की थी[fn] *, ये सब हेमान के पुत्र थे जो राजा का दर्शी था; क्योंकि परमेश्वर ने हेमान को चौदह बेटे और तीन बेटियाँ दीं थीं।

6 ये सब यहोवा के भवन में गाने के लिये अपने-अपने पिता के अधीन रहकर, परमेश्वर के भवन, की सेवकाई में झाँझ, सारंगी और वीणा बजाते थे। आसाप, यदूतून और हेमान राजा के अधीन रहते थे।

7 इन सभी की गिनती भाइयों समेत[fn] * जो यहोवा के गीत सीखे हुए और सब प्रकार से निपुण थे, दो सौ अट्ठासी थी।

8 उन्होंने क्या बड़ा, क्या छोटा, क्या गुरु, क्या चेला, अपनी-अपनी बारी के लिये चिट्ठी डाली।

9 पहली चिट्ठी आसाप के बेटों में से यूसुफ के नाम पर निकली, दूसरी गदल्याह के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

10 तीसरी जक्कूर के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

11 चौथी यिस्री के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

12 पाँचवीं नतन्याह के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

13 छठीं बुक्किय्याह के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

14 सातवीं यसरेला के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

15 आठवीं यशायाह के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

16 नौवीं मत्तन्याह के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई समेत बारह थे।

17 दसवीं शिमी के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

18 ग्यारहवीं अजरेल के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

19 बारहवीं हशब्याह के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

20 तेरहवीं शूबाएल के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

21 चौदहवीं मत्तित्याह के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

22 पन्द्रहवीं यरेमोत के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

23 सोलहवीं हनन्याह के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

24 सत्रहवीं योशबकाशा के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

25 अठारहवीं हनानी के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

26 उन्‍नीसवीं मल्लोती के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

27 बीसवीं एलियातह के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

28 इक्कीसवीं होतीर के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

29 बाईसवीं गिद्दलती के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

30 तेईसवीं महजीओत; के नाम पर निकली जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

31 चौबीसवीं चिट्ठी रोममतीएजेर के नाम पर निकली, जिसके पुत्र और भाई उस समेत बारह थे।

मन्दिर के द्वारपाल

26  1 फिर द्वारपालों के दल ये थेः कोरहियों में से तो मशेलेम्याह, जो कोरे का पुत्र और आसाप के सन्तानों में से था।

2 और मशेलेम्याह के पुत्र हुए, अर्थात् उसका जेठा जकर्याह दूसरा यदीएल, तीसरा जबद्याह,

3 चौथा यातनीएल, पाँचवाँ एलाम, छठवां यहोहानान और सातवाँ एल्यहोएनै।

4 फिर ओबेदेदोम[fn] * के भी पुत्र हुए, उसका जेठा शमायाह, दूसरा यहोजाबाद, तीसरा योआह, चौथा साकार, पाँचवाँ नतनेल,

5 छठवाँ अम्मीएल, सातवाँ इस्साकार और आठवाँ पुल्लतै, क्योंकि परमेश्वर ने उसे आशीष दी थी।

6 और उसके पुत्र शमायाह के भी पुत्र उत्पन्न हुए, जो शूरवीर होने के कारण अपने पिता के घराने पर प्रभुता करते थे।

7 शमायाह के पुत्र ये थे, अर्थात् ओतनी, रपाएल, ओबेद, एलजाबाद और उनके भाई एलीहू और समक्याह बलवान पुरुष थे।

8 ये सब ओबेदेदोम की सन्तानों में से थे, वे और उनके पुत्र और भाई इस सेवकाई के लिये बलवान और शक्तिमान थे; ये ओबेदेदोमी बासठ थे।

9 मशेलेम्याह के पुत्र और भाई अठारह थे, जो बलवान थे।

10 फिर मरारी के वंश में से होसा के भी पुत्र थे, अर्थात् मुख्य तो शिम्री (जिसको जेठा न होने पर भी उसके पिता ने मुख्य ठहराया),

11 दूसरा हिल्किय्याह, तीसरा तबल्याह और चौथा जकर्याह था; होसा के सब पुत्र और भाई मिलकर तेरह थे।

12 द्वारपालों के दल इन मुख्य पुरुषों के थे, ये अपने भाइयों के बराबर ही यहोवा के भवन में सेवा टहल करते थे।

13 इन्होंने क्या छोटे, क्या बड़े, अपने-अपने पितरों के घरानों के अनुसार एक-एक फाटक के लिये चिट्ठी डाली।

14 पूर्व की ओर की चिट्ठी शेलेम्याह के नाम पर निकली। तब उन्होंने उसके पुत्र जकर्याह के नाम की चिट्ठी डाली (वह बुद्धिमान मंत्री था) और चिट्ठी उत्तर की ओर के लिये निकली।

15 दक्षिण की ओर के लिये ओबेदेदोम के नाम पर चिट्ठी निकली, और उसके बेटों के नाम पर खजाने की कोठरी के लिये।

16 फिर शुप्पीम और होसा के नामों की चिट्ठी पश्चिम की ओर के लिये निकली, कि वे शल्लेकेत नामक फाटक के पास चढ़ाई की सड़क पर आमने-सामने चौकीदारी किया करें[fn] *।

17 पूर्व की ओर तो छः लेवीय थे, उत्तर की ओर प्रतिदिन चार, दक्षिण की ओर प्रतिदिन चार, और खजाने की कोठरी के पास दो ठहरे।

18 पश्चिम की ओर के पर्बार नामक स्थान पर ऊँची सड़क के पास तो चार और पर्बार के पास दो रहे।

19 ये द्वारपालों के दल थे, जिनमें से कितने तो कोरह के और कुछ मरारी के वंश के थे।

मन्दिर के भण्डारी और अन्य सेवाएं

20 फिर लेवियों में से अहिय्याह परमेश्वर के भवन और पवित्र की हुई वस्तुओं, दोनों के भण्डारों का अधिकारी नियुक्त हुआ।

21 ये लादान की सन्तान के थे, अर्थात् गेर्शोनियों की सन्तान जो लादान के कुल के थे, अर्थात् लादान और गेर्शोनी के पितरों के घरानों के मुख्य पुरुष थे, अर्थात् यहोएली।

22 यहोएली के पुत्र ये थे, अर्थात् जेताम और उसका भाई योएल जो यहोवा के भवन के खजाने के अधिकारी थे।

23 अम्रामियों, यिसहारियों, हेब्रोनियों और उज्जीएलियों में से।

24 शबूएल जो मूसा के पुत्र गेर्शोम के वंश का था, वह खजानों का मुख्य अधिकारी था।

25 और उसके भाइयों का वृत्तान्त यह है: एलीएजेर के कुल में उसका पुत्र रहब्याह, रहब्याह का पुत्र यशायाह, यशायाह का पुत्र योराम, योराम का पुत्र जिक्री, और जिक्री का पुत्र शलोमोत था।

26 यही शलोमोत अपने भाइयों समेत उन सब पवित्र की हुई वस्तुओं के भण्डारों का अधिकारी था, जो राजा दाऊद और पितरों के घरानों के मुख्य-मुख्य पुरुषों और सहस्त्रपतियों और शतपतियों और मुख्य सेनापतियों ने पवित्र की थीं।

27 जो लूट लड़ाइयों में मिलती थी, उसमें से उन्होंने यहोवा का भवन दृढ़ करने के लिये कुछ पवित्र किया।

28 वरन् जितना शमूएल दर्शी, कीश के पुत्र शाऊल, नेर के पुत्र अब्नेर, और सरूयाह के पुत्र योआब ने पवित्र किया था, और जो कुछ जिस किसी ने पवित्र कर रखा था, वह सब शलोमोत और उसके भाइयों के अधिकार में था।

29 यिसहारियों में से कनन्याह और उसके पुत्र, इस्राएल के देश का काम अर्थात् सरदार और न्यायी का काम करने के लिये नियुक्त हुए।

30 और हेब्रोनियों में से हशब्याह और उसके भाई जो सत्रह सौ बलवान पुरुष थे, वे यहोवा के सब काम[fn] * और राजा की सेवा के विषय यरदन के पश्चिम ओर रहनेवाले इस्राएलियों के अधिकारी ठहरे।

31 हेब्रोनियों में से यरिय्याह मुख्य था, अर्थात् हेब्रोनियों की पीढ़ी-पीढ़ी के पितरों के घरानों के अनुसार दाऊद के राज्य के चालीसवें वर्ष में वे ढूँढ़े गए, और उनमें से कई शूरवीर गिलाद के याजेर में मिले।

32 उसके भाई जो वीर थे, पितरों के घरानों के दो हजार सात सौ मुख्य पुरुष थे, इनको दाऊद राजा ने परमेश्वर के सब विषयों और राजा के विषय में रूबेनियों, गादियों और मनश्शे के आधे गोत्र का अधिकारी ठहराया।

देश का प्रबन्ध

27  1 इस्राएलियों की गिनती, अर्थात् पितरों के घरानों के मुख्य-मुख्य पुरुषों और सहस्त्रपतियों और शतपतियों और उनके सरदारों की गिनती जो वर्ष भर के महीने-महीने उपस्थित होने और छुट्टी पानेवाले दलों के थे और सब विषयों में राजा की सेवा टहल करते थे, एक-एक दल में चौबीस हजार थे।

2 पहले महीने के लिये पहले दल का अधिकारी जब्दीएल का पुत्र याशोबाम[fn] * नियुक्त हुआ; और उसके दल में चौबीस हजार थे।

3 वह पेरेस के वंश का था और पहले महीने में सब सेनापतियों का अधिकारी था।

4 दूसरे महीने के दल का अधिकारी दोदै नामक एक अहोही था, और उसके दल का प्रधान मिक्लोत था, और उसके दल में चौबीस हजार थे।

5 तीसरे महीने के लिये तीसरा सेनापति यहोयादा याजक का पुत्र बनायाह था और उसके दल में चौबीस हजार थे।

6 यह वही बनायाह है, जो तीसों शूरों में वीर, और तीसों में श्रेष्ठ भी था; और उसके दल में उसका पुत्र अम्मीजाबाद था।

7 चौथे महीने के लिये चौथा सेनापति योआब का भाई असाहेल था, और उसके बाद उसका पुत्र जबद्याह था और उसके दल में चौबीस हजार थे।

8 पाँचवें महीने के लिये पाँचवाँ सेनापति यिज्राही शम्हूत था और उसके दल में चौबीस हजार थे।

9 छठवें महीने के लिये छठवाँ सेनापति तकोई इक्केश का पुत्र ईरा था और उसके दल में चौबीस हजार थे।

10 सातवें महीने के लिये सातवाँ सेनापति एप्रैम के वंश का हेलेस पलोनी था और उसके दल में चौबीस हजार थे।

11 आठवें महीने के लिये आठवाँ सेनापति जेरह के वंश में से हूशाई सिब्बकै था और उसके दल में चौबीस हजार थे।

12 नौवें महीने के लिये नौवाँ सेनापति बिन्यामीनी अबीएजेर अनातोतवासी था और उसके दल में चौबीस हजार थे।

13 दसवें महीने के लिये दसवाँ सेनापति जेरही महरै नतोपावासी था और उसके दल में चौबीस हजार थे।

14 ग्यारहवें महीने के लिये ग्यारहवाँ सेनापति एप्रैम के वंश का बनायाह पिरातोनवासी था और उसके दल में चौबीस हजार थे।

15 बारहवें महीने के लिये बारहवां सेनापति ओत्नीएल के वंश का हेल्दै नतोपावासी था और उसके दल में चौबीस हजार थे।

16 फिर इस्राएली गोत्रों के ये अधिकारी थे: अर्थात् रूबेनियों का प्रधान जिक्री का पुत्र एलीएजेर; शिमोनियों से माका का पुत्र शपत्याह;

17 लेवी से कमूएल का पुत्र हशब्याह; हारून की सन्तान का सादोक;

18 यहूदा का एलीहू नामक दाऊद का एक भाई, इस्साकार से मीकाएल का पुत्र ओम्री;

19 जबूलून से ओबद्याह का पुत्र यिशमायाह, नप्ताली से अज्रीएल का पुत्र यरीमोत;

20 एप्रैम से अजज्याह का पुत्र होशे, मनश्शे से आधे गोत्र का, पदायाह का पुत्र योएल;

21 गिलाद में आधे गोत्र मनश्शे से जकर्याह का पुत्र इद्दो, बिन्यामीन से अब्नेर का पुत्र यासीएल;

22 और दान से यरोहाम का पुत्र अजरेल प्रधान ठहरा। ये ही इस्राएल के गोत्रों के हाकिम थे।

23 परन्तु दाऊद ने उनकी गिनती बीस वर्ष की अवस्था के नीचे न की, क्योंकि यहोवा ने इस्राएल की गिनती आकाश के तारों के बराबर बढ़ाने के लिये कहा था।

24 सरूयाह का पुत्र योआब गिनती लेने लगा, पर निपटा न सका क्योंकि परमेश्वर का क्रोध इस्राएल पर भड़का, और यह गिनती राजा दाऊद के इतिहास में नहीं लिखी गई[fn] *।

25 फिर अदीएल का पुत्र अज्मावेत राज भण्डारों का अधिकारी था, और देहात और नगरों और गाँवों और गढ़ों के भण्डारों का अधिकारी उज्जियाह का पुत्र यहोनातान था।

26 और जो भूमि को जोतकर बोकर खेती करते थे, उनका अधिकारी कलूब का पुत्र एज्री था।

27 और दाख की बारियों का अधिकारी रामाई शिमी और दाख की बारियों की उपज जो दाखमधु के भण्डारों में रखने के लिये थी, उसका अधिकारी शापामी जब्दी था।

28 और नीचे के देश के जैतून और गूलर के वृक्षों का अधिकारी गदेरी बाल्हानान था और तेल के भण्डारों का अधिकारी योआश था।

29 और शारोन में चरनेवाले गाय-बैलों का अधिकारी शारोनी शित्रै था और तराइयों के गाय-बैलों का अधिकारी अदलै का पुत्र शापात था।

30 और ऊँटों का अधिकारी इश्माएली ओबील और गदहियों का अधिकारी मेरोनोतवासी येहदयाह।

31 और भेड़-बकरियों का अधिकारी हग्री याजीज था। ये ही सब राजा दाऊद की धन सम्पत्ति के अधिकारी थे।

32 और दाऊद का भतीजा योनातान एक समझदार मंत्री और शास्त्री था, और एक हक्मोनी का पुत्र यहीएल राजपुत्रों के संग रहा करता था।

33 और अहीतोपेल राजा का मंत्री था, और एरेकी हूशै राजा का मित्र था।

34 और अहीतोपेल के बाद बनायाह का पुत्र यहोयादा और एब्यातार मंत्री ठहराए गए। और राजा का प्रधान सेनापति योआब था।

दाऊद की अन्तिम सभा और निर्देशन

28  1 और दाऊद ने इस्राएल के सब हाकिमों, को अर्थात् गोत्रों के हाकिमों और राजा की सेवा टहल करनेवाले दलों के हाकिमों को और सहस्त्रपतियों और शतपतियों और राजा और उसके पुत्रों के पशु आदि सब धन सम्पत्ति के अधिकारियों, सरदारों और वीरों और सब शूरवीरों को यरूशलेम में बुलवाया।

2 तब दाऊद राजा खड़ा होकर कहने लगा, “हे मेरे भाइयों! और हे मेरी प्रजा के लोगों! मेरी सुनो, मेरी मनसा तो थी कि यहोवा की वाचा के सन्दूक के लिये और हम लोगों के परमेश्वर के चरणों की पीढ़ी[fn] * के लिये विश्राम का एक भवन बनाऊँ, और मैंने उसके बनाने की तैयारी की थी।

3 परन्तु परमेश्वर ने मुझसे कहा, ‘तू मेरे नाम का भवन बनाने न पाएगा, क्योंकि तू युद्ध करनेवाला है और तूने लहू बहाया है।’

4 तो भी इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने मेरे पिता के सारे घराने में से मुझी को चुन लिया, कि इस्राएल का राजा सदा बना रहूँ अर्थात् उसने यहूदा को प्रधान होने के लिये और यहूदा के घराने में से मेरे पिता के घराने को चुन लिया और मेरे पिता के पुत्रों में से वह मुझी को सारे इस्राएल का राजा बनाने के लिये प्रसन्न हुआ।

5 और मेरे सब पुत्रों में से (यहोवा ने तो मुझे बहुत पुत्र दिए हैं) उसने मेरे पुत्र सुलैमान को चुन लिया है, कि वह इस्राएल के ऊपर यहोवा के राज्य की गद्दी पर विराजे।

6 और उसने मुझसे कहा, ‘तेरा पुत्र सुलैमान ही मेरे भवन और आँगनों को बनाएगा, क्योंकि मैंने उसको चुन लिया है कि मेरा पुत्र ठहरे, और मैं उसका पिता ठहरूँगा।

7 और यदि वह मेरी आज्ञाओं और नियमों के मानने में आजकल के समान दृढ़ रहे[fn] *, तो मैं उसका राज्य सदा स्थिर रखूँगा।’

8 इसलिए अब इस्राएल के देखते अर्थात् यहोवा की मण्डली के देखते, और अपने परमेश्वर के सामने, अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाओं को मानो और उन पर ध्यान करते रहो; ताकि तुम इस अच्छे देश के अधिकारी बने रहो, और इसे अपने बाद अपने वंश का सदा का भाग होने के लिये छोड़ जाओ।

9 “हे मेरे पुत्र सुलैमान! तू अपने पिता के परमेश्वर का ज्ञान रख, और खरे मन और प्रसन्न जीव से उसकी सेवा करता रह; क्योंकि यहोवा मन को जाँचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है उसे समझता है। यदि तू उसकी खोज में रहे, तो वह तुझको मिलेगा; परन्तु यदि तू उसको त्याग दे तो वह सदा के लिये तुझको छोड़ देगा।

10 अब चौकस रह, यहोवा ने तुझे एक ऐसा भवन बनाने को चुन लिया है, जो पवित्रस्थान ठहरेगा, हियाव बाँधकर इस काम में लग जा।”

11 तब दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान को मन्दिर के ओसारे, कोठरियों, भण्डारों अटारियों, भीतरी कोठरियों, और प्रायश्चित के ढकने के स्थान का नमूना,

12 और यहोवा के भवन के आँगनों और चारों ओर की कोठरियों, और परमेश्वर के भवन के भण्डारों और पवित्र की हुई वस्तुओं के भण्डारों के, जो-जो नमूने परमेश्वर के आत्मा की प्रेरणा से उसको मिले थे, वे सब दे दिए।

13 फिर याजकों और लेवियों के दलों, और यहोवा के भवन की सेवा के सब कामों, और यहोवा के भवन की सेवा के सब सामान,

14 अर्थात् सब प्रकार की सेवा के लिये सोने के पात्रों के निमित्त सोना तौलकर, और सब प्रकार की सेवा के लिये चाँदी के पात्रों के निमित्त चाँदी तौलकर,

15 और सोने की दीवटों के लिये, और उनके दीपकों के लिये प्रति एक-एक दीवट, और उसके दीपकों का सोना तौलकर और चाँदी के दीवटों के लिये एक-एक दीवट, और उसके दीपक की चाँदी, प्रति एक-एक दीवट के काम के अनुसार तौलकर,

16 और भेंट की रोटी की मेज़ों के लिये एक-एक मेज का सोना तौलकर, और चाँदी की मेज़ों के लिये चाँदी,

17 और शुद्ध सोने के काँटों, कटोरों और प्यालों और सोने की कटोरियों के लिये एक-एक कटोरी का सोना तौलकर, और चाँदी की कटोरियों के लिये एक-एक कटोरी की चाँदी तौलकर,

18 और धूप की वेदी के लिये ताया हुआ सोना तौलकर, और रथ अर्थात् यहोवा की वाचा का सन्दूक[fn] * ढाँकनेवाले और पंख फैलाएं हुए करूबों के नमूने के लिये सोना दे दिया।

19 दाऊद ने कहा “मैंने यहोवा की शक्ति से जो मुझ को मिली, यह सब कुछ बूझकर लिख दिया है।”

20 फिर दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान से कहा, “हियाव बाँध और दृढ़ होकर इस काम में लग जा। मत डर, और तेरा मन कच्चा न हो, क्योंकि यहोवा परमेश्वर जो मेरा परमेश्वर है, वह तेरे संग है; और जब तक यहोवा के भवन में जितना काम करना हो वह न हो चुके, तब तक वह न तो तुझे धोखा देगा और न तुझे त्यागेगा।

21 और देख परमेश्वर के भवन के सब काम के लिये याजकों और लेवियों के दल ठहराए गए हैं, और सब प्रकार की सेवा के लिये सब प्रकार के काम प्रसन्नता से करनेवाले बुद्धिमान पुरुष भी तेरा साथ देंगे; और हाकिम और सारी प्रजा के लोग भी जो कुछ तू कहेगा वही करेंगे।”

मन्दिर निर्माण हेतु भेंट

29  1 फिर राजा दाऊद ने सारी सभा से कहा, “मेरा पुत्र सुलैमान सुकुमार लड़का है, और केवल उसी को परमेश्वर ने चुना है; काम तो भारी है, क्योंकि यह भवन मनुष्य के लिये नहीं, यहोवा परमेश्वर के लिये बनेगा।

2 मैंने तो अपनी शक्ति भर, अपने परमेश्वर के भवन के निमित्त सोने की वस्तुओं के लिये सोना, चाँदी की वस्तुओं के लिये चाँदी, पीतल की वस्तुओं के लिये पीतल, लोहे की वस्तुओं के लिये लोहा, और लकड़ी की वस्तुओं के लिये लकड़ी, और सुलैमानी पत्थर, और जड़ने के योग्य मणि, और पच्‍चीकारी के काम के लिये भिन्न- भिन्न रंगों के नग, और सब भाँति के मणि और बहुत सा संगमरमर इकट्ठा किया है।

3 फिर मेरा मन अपने परमेश्वर के भवन में लगा है, इस कारण जो कुछ मैंने पवित्र भवन के लिये इकट्ठा किया है, उस सबसे अधिक मैं अपना निज धन भी जो सोना चाँदी के रूप में मेरे पास है, अपने परमेश्वर के भवन के लिये दे देता हूँ[fn] *।

4 अर्थात् तीन हजार किक्कार ओपीर का सोना, और सात हजार किक्कार तपाई हुई चाँदी, जिससे कोठरियों की भीतें मढ़ी जाएँ।

5 और सोने की वस्तुओं के लिये सोना, और चाँदी की वस्तुओं के लिये चाँदी, और कारीगरों से बनानेवाले सब प्रकार के काम के लिये मैं उसे देता हूँ। और कौन अपनी इच्छा से यहोवा के लिये अपने को अर्पण कर देता है[fn] *?”

6 तब पितरों के घरानों के प्रधानों और इस्राएल के गोत्रों के हाकिमों और सहस्त्रपतियों और शतपतियों और राजा के काम के अधिकारियों ने अपनी-अपनी इच्छा से,

7 परमेश्वर के भवन के काम के लिये पाँच हजार किक्कार और दस हजार दर्कमोन सोना, दस हजार किक्कार चाँदी, अठारह हजार किक्कार पीतल, और एक लाख किक्कार लोहा दे दिया।

8 और जिनके पास मणि थे, उन्होंने उन्हें यहोवा के भवन के खजाने के लिये गेर्शोनी यहीएल के हाथ में दे दिया।

9 तब प्रजा के लोग आनन्दित हुए, क्योंकि हाकिमों ने प्रसन्न होकर खरे मन और अपनी-अपनी इच्छा से यहोवा के लिये भेंट दी थी; और दाऊद राजा बहुत ही आनन्दित हुआ।

दाऊद द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद

10 तब दाऊद ने सारी सभा के सम्मुख यहोवा का धन्यवाद किया, और दाऊद ने कहा, “हे यहोवा! हे हमारे मूल पुरुष इस्राएल के परमेश्वर! अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू धन्य है।

11 हे यहोवा! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और वैभव, तेरा ही है; क्योंकि आकाश और पृथ्वी में जो कुछ है, वह तेरा ही है; हे यहोवा! राज्य तेरा है, और तू सभी के ऊपर मुख्य और महान ठहरा है। (प्रका. 5:12, 13)

12 धन और महिमा तेरी ओर से मिलती हैं, और तू सभी के ऊपर प्रभुता करता है। सामर्थ्य और पराक्रम तेरे ही हाथ में हैं, और सब लोगों को बढ़ाना और बल देना तेरे हाथ में है।

13 इसलिए अब हे हमारे परमेश्वर! हम तेरा धन्यवाद और तेरे महिमायुक्त नाम की स्तुति करते हैं।

14 “मैं क्या हूँ और मेरी प्रजा क्या है? कि हमको इस रीति से अपनी इच्छा से तुझे भेंट देने की शक्ति मिले? तुझी से तो सब कुछ मिलता है, और हमने तेरे हाथ से पाकर तुझे दिया है।

15 तेरी दृष्टि में हम तो अपने सब पुरखाओं के समान पराए और परदेशी हैं; पृथ्वी पर हमारे दिन छाया के समान बीत जाते हैं, और हमारा कुछ ठिकाना नहीं। (इब्रा. 11:13, भज. 39:12, भज. 114:4)

16 हे हमारे परमेश्वर यहोवा! वह जो बड़ा संचय हमने तेरे पवित्र नाम का एक भवन बनाने के लिये किया है, वह तेरे ही हाथ से हमें मिला था, और सब तेरा ही है।

17 और हे मेरे परमेश्वर! मैं जानता हूँ कि तू मन को जाँचता है और सिधाई से प्रसन्न रहता है; मैंने तो यह सब कुछ मन की सिधाई और अपनी इच्छा से दिया है; और अब मैंने आनन्द से देखा है, कि तेरी प्रजा के लोग जो यहाँ उपस्थित हैं, वह अपनी इच्छा से तेरे लिये भेंट देते हैं।

18 हे यहोवा! हे हमारे पुरखा अब्राहम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर! अपनी प्रजा के मन के विचारों में यह बात बनाए रख और उनके मन अपनी ओर लगाए रख[fn] *।

19 और मेरे पुत्र सुलैमान का मन ऐसा खरा कर दे कि वह तेरी आज्ञाओं, चितौनियों और विधियों को मानता रहे और यह सब कुछ करे, और उस भवन को बनाए, जिसकी तैयारी मैंने की है।”

20 तब दाऊद ने सारी सभा से कहा, “तुम अपने परमेश्वर यहोवा का धन्यवाद करो।” तब सभा के सब लोगों ने अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा का धन्यवाद किया, और अपना-अपना सिर झुकाकर यहोवा को और राजा को दण्डवत् किया।

सुलैमान का राज्याभिषेक

21 और दूसरे दिन उन्होंने यहोवा के लिये बलिदान किए, अर्थात् अर्घों समेत एक हजार बैल, एक हजार मेढ़े और एक हजार भेड़ के बच्चे होमबलि करके चढ़ाए, और सब इस्राएल के लिये बहुत से मेलबलि चढ़ाए।

22 उसी दिन यहोवा के सामने उन्होंने बड़े आनन्द से खाया और पिया। फिर उन्होंने दाऊद के पुत्र सुलैमान को दूसरी बार राजा ठहराकर यहोवा की ओर से प्रधान होने के लिये उसका और याजक होने के लिये सादोक का अभिषेक किया।

23 तब सुलैमान अपने पिता दाऊद के स्थान पर राजा होकर यहोवा के सिंहासन पर विराजने लगा और समृद्ध हुआ, और इस्राएल उसके अधीन हुआ।

24 और सब हाकिमों और शूरवीरों और राजा दाऊद के सब पुत्रों ने सुलैमान राजा की अधीनता अंगीकार की।

25 और यहोवा ने सुलैमान को सब इस्राएल के देखते बहुत बढ़ाया, और उसे ऐसा राजकीय ऐश्वर्य दिया, जैसा उससे पहले इस्राएल के किसी राजा का न हुआ था।

दाऊद की मृत्यु

26 इस प्रकार यिशै के पुत्र दाऊद ने सारे इस्राएल के ऊपर राज्य किया।

27 और उसके इस्राएल पर राज्य करने का समय चालीस वर्ष का था; उसने सात वर्ष तो हेब्रोन में और तैंतीस वर्ष यरूशलेम में राज्य किया।

28 और वह पूरे बुढ़ापे की अवस्था में दीर्घायु होकर और धन और वैभव, मनमाना भोगकर मर गया; और उसका पुत्र सुलैमान उसके स्थान पर राजा हुआ।

29 आदि से अन्त तक राजा दाऊद के सब कामों का वृत्तान्त,

30 और उसके सब राज्य और पराक्रम का, और उस पर और इस्राएल पर, वरन् देश-देश के सब राज्यों पर जो कुछ बीता, इसका भी वृत्तान्त शमूएल दर्शी और नातान नबी और गाद दर्शी[fn] * की पुस्तकों में लिखा हुआ है।

Footnotes

1.28 इसहाक और इश्माएल: यद्धपि इसहाक इश्माएल से छोटा था, पर उसका नाम पहले लिखा गया है क्योंकि वह वैध सन्तान था, क्योंकि उसकी माता सारा अब्राहम की वास्तविक पत्नी थी।

2.1 इस्राएल के ये पुत्र हुए: यहाँ नामों का क्रम उनके जन्म की और वैधता की अनुरूपता में है।

2.23 ये सब .... माकीर के पुत्र थे: सगूब और याईर और उनकी सन्तानों को माकीर के पुत्र कहा गया है न कि हेस्रोन के पुत्र। इसका कारण यह प्रतीत होता है कि उन्होंने अपनी चिट्ठी मनश्शे के साथ डाली और उन्हीं के भाग में रहे।

3.19 जरुब्बाबेल: जिसे अन्य स्थानों में शलातीएल का पुत्र भी कहा गया है क्योंकि वही शलातीएल का उत्तराधिकारी और और वंशज था क्योंकि वह उसका भतीजा था उसके भाई पदायाह का पुत्र।

4.9 याबेस: यह एक विचित्र बात है कि याबेस का परिचय बिना वर्णन किया गया है जैसे कि वह एक प्रसिद्ध व्यक्ति था। याबेस के नाम का अर्थ है दुःखी और उसकी मनोकामना थी कि उसे उसके नाम का जो अर्थ है वह उस पर न घटे।

4.17 और एश्तमो का पिता यिशबह उत्पन्न हुए: वह गर्भवती हुई। माँ का नाम नहीं दिया गया है।

4.22 मोआब: दाऊद ने मोआब को जीत लिया था (2शमू 8:2) और फिर ओम्री ने उसे जीता और आहाब की मृत्यु तक वह इस्राएल के अधीन रहा। (2राजा 3:5)

5.9 वह उस जंगल की सीमा तक रहा: वह अर्थात् रूबेन। पूर्व की ओर रूबेन का गोत्र सीरिया के विशाल रेगिस्तान तक उस पर अधिकार किए हुए था जो फरात नदी से उनकी सीमा तक का था।

5.26 हाबोर: एक नगर या रेगिस्तान प्रतीत होता है। न की नदी है।

6.15 यहोसादाक: इस नाम का अर्थ है यहोवा धर्मी है।

6.32 सेवा करते थे: मन्दिर में संगीत की सेवा के आरम्भ एवं निरंतरता पर।

7.18 अबीएजेर: उसके वंशज मनश्शे की अति महत्वपूर्ण शाखा हुए। उन्हीं में से गिदोन जैसा महानतम न्यायी हुआ।

8.40 बहुत बेटे-पोते अर्थात् डेढ़ सौ हुए: शाऊल के घराने की यह वंशावली पीढ़ियों की संख्या के अनुसार है जो संभवत: हिजकिय्याह के समय की है।

9.2 अपनी-अपनी निज भूमि .... में रहते थे: बन्धुआई से लौटनेवाले पवित्र देश के प्रथम निवासी ये चार समुदायों में गिने गए - इस्राएली, पुरोहित, लेवी और मन्दिर के सेवक ।

9.10 यदायाह, यहोयारीब और याकीन: ये नाम व्यक्तियों के नहीं पुरोहितीय परिवारों के हैं।

10.6 उसके घराने के सब लोग एक संग मर गए: संपूर्ण परिवार नहीं, सब पुत्र।

10.13 विश्वासघात के कारण मर गया, जो उसने यहोवा से किया था: उसका अपराध यह था कि उसने अमालेक के संबंधित यहोवा का वचन टाल दिया था ।

11.6 सरूयाह का पुत्र योआब: उसकी प्रवीणता इस समय और दाऊद नगरी के निर्माण के समय (1 इति. 11:8) - केवल इतिहास के इस एक संदर्भ से हमें ज्ञात होती है।

11.10 राजा बनाने को जोर दिया: दाऊद को राजा बनाने के लिये संपूर्ण इस्राएल के साथ सहयोग दिया था।

12.2 बिन्यामीनी: बिन्यामिनियों की धनुष कला यहाँ व्यक्त है। (1 इति. 8:40, 2 इति 14:8) बाएं हाथ के उपयोग में उनकी दक्षता न्यायियों के वृत्तान्त में दर्शाई गई है (न्या. 3:15 तथा पार्शव टिप्पणी) और गोफन चलाने में उनकी उत्कृष्टा भी व्यक्त है।

13.1 प्रधानों: संभवत: ऐसी व्यवस्था दाऊद से पूर्व ही सभी गोत्रो में कर दी गई थी परन्तु दाऊद वह प्रथम व्यक्ति था जिसने इन प्रधानों में मनुष्यों के प्रतिनिधित्व को पहचाना था कि उनसे जनता से संबन्धित विषयों पर परामर्श खोजा जाए और उन्हें कोई राजनीतिक पद दिया जाए।

14.12 वहाँ वे अपने देवताओं को छोड़ गए: प्राचीन युग की जातियों में अपने देवताओं को लेकर युद्ध में जाना एक सामान्य प्रचलन था जो इस अंधविश्वास से आरम्भ हुआ कि मूर्तियों में कुछ गुण है और उनके द्वारा सैन्य सफलता प्राप्त होती है।

15.1 एक तम्बू खड़ा किया: मिलापवाला तम्बू तो अब भी गिबोन में था।

15.2 लेवियों को छोड़ और किसी को परमेश्वर का सन्दूक उठाना नहीं चाहिये: उज्जा पर परमेश्वर के प्रकोप (1इति. 13:11) के बाद दाऊद ने वाचा के सन्दूक को उठाने के लिये सब वैधानिक अनिवार्यताओं पर ध्यान दिया और वह उनके पालन के प्रति सतर्क था।

15.16 गवैयों: भजनगान तो बहुत पहले ही से धार्मिक संस्कारों में उचित माना गया था। (निर्ग.15:21, न्या.5:1, 1इति.13:8) परन्तु यहाँ हम पहली बार देखते है कि संगीत का आयोजन करना लैवियों का उत्तरदायित्व था।

16.8 यहोवा का धन्यवाद करो: इतिहासकार ने हमारे समक्ष जो भजन रखा है वह आराधना विधि स्वरुप आसाप और उसके भाइयों द्वारा उस समय गाया गया था जब वाचा का सन्दूक यरूशलेम में प्रवेश कर रहा था।

16.40 होमबलि की वेदी पर: होमबलि की वेदी (निर्ग.27:1-8) गिबोन में मिलापवाले तम्बू ही में थी (2इति.1:3, 2इति. 1:5) हो सकता है कि दाऊद ने यरूशलेम में बलि चढ़ाने के लिये एक नई वेदी बनाई।

17.17 ऊँचे पद का मनुष्य: अर्थात् परमेश्वर ने मेरे राज्य को सदाकालीन बनाकर मुझे अन्य मनुष्यों से ऊँचा उठा दिया है जैसे कि मैं एक ऊँचा मनुष्य हूँ।

17.24 तेरी बड़ाई सदा की जाए: तेरा नाम स्थिर रहे और प्रतिष्ठित हो।

18.2 उसने मोआबियों को भी जीत लिया: दाऊद ने बहुत अधिक मोआबियों को युद्ध में बन्दी बनाया। मोआबी तो दाऊद के मित्र थे, (1शमू. 22:3, 4) अतः उनसे युद्ध करने और उनके साथ ऐसा कठोर व्यवहार करने का कारण अज्ञात है।

19.6 एक हजार किक्कार चाँदी: उस समय पश्चिमी आसिया में सैनिकों को किराए पर लेने का प्रचलन था।

20.1 जब राजा लोग युद्ध करने को निकला करते हैं: दाऊद के राज्यकाल में ऐसे अनेक युद्ध शामिल थे।

20.4 सिब्बकै इस नाम का अर्थ है परमेश्वर सुधि लेता है, वह दाऊद की सेना के शूरवीरों में से एक था।

21.1 शैतान: यहाँ पहली बार शैतान का नाम हमारे सामने आता है। यहाँ वह मनुष्य को बाहर से हानि पहुँचाने वाला बैरी मात्र ही नहीं वरन् मन में पाप करने और विचारने के द्वारा उसके विनाश की परीक्षा लानेवाला है।

21.18 यहोवा के दूत ने: नि:सन्देह स्वर्गदूत परमेश्वर और मनुष्य के मध्य सन्देश का माध्यम नियुक्त किए गए थे। यहाँ गाद स्वर्गदूत से परमेश्वर की इच्छा जानता है।

21.30 दूत की तलवार से डर गया था: यह जानते हुए कि उस वेदी पर भेंट चढ़ाने के कारण दाऊद ने स्वर्गदूत का हाथ रोक लिया, अत: वह अपनी भेंट को कहीं ओर ले जाने से डर गया था ऐसा न हो की स्वर्गदूत फिर अपना काम करे और महामारी फैल जाए।

22.1 यहोवा परमेश्वर का भवन यही है: स्वर्गदूत का प्रगट होना और स्वर्ग से आग गिरना, इन दोनों चमत्कारों ने दाऊद को विश्वास दिला दिया था कि यहोवा के घर का पूर्व निर्धारित स्थान वही है जहां उसका पुत्र भाविश्य्द्वाणी के अनुसार मन्दिर बनाएगा।

22.13 हियाव बाँध और दृढ़ हो: इस्राएलियों और यहोशू से कहे गए शब्दों का उपयोग यहाँ दाऊद कर रहा है।

22.14 अपने क्लेश के समय: दाऊद अपने राज्यकाल की अनेक कठिनाइयों को दोष दे रहा है जिनके कारण वह अधिक भण्डार एकत्र करने में सक्षम नहीं हो पाया था।

23.27 दाऊद की पिछली आज्ञाओं: कुछ के विचार में यह उसके राज्यकाल के उत्तरकालीन युग की ऐतिहासिक रचना है, संभवत: गाद या नातान द्वारा रचित (1इति. 27:24, 1इति. 29:29) अन्यों के विचार में उसने पवित्र स्थान में सेवा के निर्देशन लिख कर रख दिए थे।

23.31 नित्य यहोवा के सब होमबलियों को चढ़ाएँ: यद्यपि लेवियों को बलि चढ़ाने की अनुमति नहीं थी, अनेक अवसर ऐसे थे जब वे बलि चढ़ाने में पुरोहितों को योगदान देते थे।

24.3 सादोक और ईतामार के वंश के अहीमेलेक की सहायता से: सादोक और अहीमेलेक ने पुरोहितीयदायित्वों को तैयार करने में दाऊद की सहायता की थी, जिस प्रकार की दलों के प्रधानों ने गायकों को दलों में बाँटने में उसकी सहायता की थी।

24.6 उनके नाम .... लिखे: चिट्ठियाँ निकाल कर उनके नाम लिखे।

24.31 मुख्य पुरुष के पितरों का घराना उसके छोटे भाई के पितरों के घराने के बराबर ठहरा: अर्थात् समस्त लेवीय परिवारों की गणना चिट्ठियों के द्वारा बराबर शर्तों पर की गई कि वे क्या सेवा करेंगे। मुख्य पुरषों के घरानों को छोटे भाई के घरानों से अधिक कुछ लाभ नहीं था।

25.2 जो राजा की आज्ञा के अनुसार नबूवत करता था: अर्थात् आसाप स्वयं “ आसाप के निर्देशनाधीन “ भविष्यवाणी करता था या पवित्र सेवा करता था।

25.5 उसका नाम बढ़ाने की थी: परमेश्वर ने हेमान का वंश बढ़ाया या उसे चौदह पुत्र और तीन पुत्रियाँ देकर उसकी प्रतिष्ठा बढ़ाई।

25.7 भाइयों समेत: अर्थात् लेवी गोत्र के अन्य सदस्यों के साथ। आसाप का प्रत्येक पुत्र यदूतून और हेमान बारह बारह प्रवीण संगीतकारो के दल के मुखिया थे, इन दलों में उसके अपने पुत्र तथा अन्य परिवारों के सदस्य थे।

26.4 ओबेदेदोम: ओबेदेदोम और होसा (1इति. 26:10) द्वारपाल थे- यरूशलेम में वाचा का सन्दूक लाने के समय से ही वे द्वारपाल थे। (1इति. 15:2, 1इति.16:38)

26.16 आमने-सामने चौकीदारी किया करें: होसा के पास मन्दिर का पश्चिमी द्वार और सामने की बाहरी दीवार का शल्लेकेत द्वार का प्रभार था। इस प्रकार उसे दोहरी निगरानी करनी थी एक के ऊपर एक।

26.30 यहोवा के सब काम: जिसमें दशमांश लेना, मुक्तिदान तथा स्वैच्छिक दान शामिल थे ।

27.2 याशोबाम: वह दाऊद के वीरों का प्रधान था और यहूदा के गोत्र का सदस्य था। (1इति. 27:3)

27.24 यह गिनती राजा दाऊद के इतिहास में नहीं लिखी गई: जनगणना के परिणाम स्वरुप जो विनाश आया उससे संभवत: उनमें यह भावना उत्पन्न हुई कि सरकारी अभिलेखों में इसका ब्योरा व्यक्त करने पर परमेश्वर और अधिक क्रोधित होगा।

28.2 चरणों की पीढ़ी: दाऊद वाचा के सन्दूक को परमेश्वर के चरणों की पीढ़ी कहता है क्योंकि वह उसके ऊपर शकीना में विराजमान रहता था या उस प्रकाशमान बादल में जो दया के आसन एवं करूबों के मध्य था।

28.7 यदि वह .... दृढ़ रहे: दाऊद से जो प्रतिज्ञा की गई वह शर्त पर आधारित थी और यहूदी सिंहासन पर उसके वंश का बैठना वह शर्त पर आधारित थी (2शमू 7:14) अब स्पष्टता से घोषित किया गया।

28.18 रथ अर्थात् यहोवा की वाचा का सन्दूक: वाचा का संदूक खुद है। यहोवा करूबों पर सवारी करता है, अत: वे उसका रथ है। (भजन. 18:10, भजन. 99:1)

29.3 मैं अपना निज धन .... दे देता हूँ: वह इस दान की सार्वजनिक घोषणा करता है कि जनता भी प्रोत्साहित होकर दे।

29.5 अर्पण कर देता है: यहोवा की सेवा में सर्वांग समर्पण। इन शब्दों द्वारा जनता से स्वैच्छिक दान का आग्रह किया गया है।

29.18 उनके मन अपनी ओर लगाए रख: सहजता एवं स्वैच्छिक दान देने के लिए उनकी आत्मा को बनाए रख तथा उनके मन अपने में स्थिर रख।

29.30 शमूएल दर्शी और नातान नबी और गाद दर्शी: किसी किसी अनुवाद में गाद स्पष्टत: शमुएल का पद उच्चतर उपाधि का है जो केवल उसे और हनानी को दिया गया था।