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लैव्यव्यवस्था

होमबलि की विधि

1  1 \zaln-s | x-strong="" x-lemma="" x-morph="" x-occurrence="1" x-occurrences="1" x-content="מוֹעֵ֖ד"\*यहोवा\zaln-e\* ने मिलापवाले तम्बू में से मूसा को बुलाकर उससे कहा 2 इस्राएलियों से कह कि तुम में से यदि कोई मनुष्य यहोवा के लिये पशु का चढ़ावा चढ़ाए तो उसका बलिपशु गाय-बैलों या भेड़-बकरियों में से एक का हो। 3 यदि वह गाय-बैलों में से होमबलि करे तो निर्दोष नर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर चढ़ाए कि यहोवा उसे ग्रहण करे। 4 वह अपना हाथ होमबलि पशु के सिर पर रखे और वह उनके लिये प्रायश्चित करने को ग्रहण किया जाएगा। 5 तब वह उस बछड़े को यहोवा के सामने बलि करे; और हारून के पुत्र जो याजक हैं वे लहू को समीप ले जाकर उस वेदी की चारों ओर छिड़के जो मिलापवाले तम्बू के द्वार पर है। 6 फिर वह होमबलि पशु की खाल निकालकर उस पशु को टुकड़े-टुकड़े करे; 7 तब हारून याजक के पुत्र वेदी पर आग रखें और आग पर लकड़ी सजा कर रखे; 8 और हारून के पुत्र जो याजक हैं वे सिर और चर्बी समेत पशु के टुकड़ों को उस लकड़ी पर जो वेदी की आग पर होगी सजा कर रखें; 9 और वह उसकी अंतड़ियों और पैरों को जल से धोए। तब याजक सबको वेदी पर जलाए कि वह होमबलि यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे। 10 यदि वह भेड़ों या बकरों का होमबलि चढ़ाए तो निर्दोष नर को चढ़ाए। 11 और वह उसको यहोवा के आगे वेदी के उत्तरी ओर बलि करे; और हारून के पुत्र जो याजक हैं वे उसके लहू को वेदी के चारों ओर छिड़कें। 12 और वह उसको सिर और चर्बी समेत टुकड़े-टुकड़े करे और याजक इन सबको उस लकड़ी पर सजा कर रखे जो वेदी की आग पर होगी; 13 वह उसकी अंतड़ियों और पैरों को जल से धोए। और याजक वेदी पर जलाए कि वह होमबलि हो और यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे। 14 यदि वह यहोवा के लिये पक्षियों का होमबलि चढ़ाए तो पंडुको या कबूतरों का चढ़ावा चढ़ाए। 15 याजक उसको वेदी के समीप ले जाकर उसका गला मरोड़कर सिर को धड़ से अलग करे और वेदी पर जलाए; और उसका सारा लहू उस वेदी के बाजू पर गिराया जाए; 16 और वह उसकी गल-थैली को मल सहित निकालकर वेदी के पूरब की ओर से राख डालने के स्थान पर फेंक दे; 17 और वह उसको पंखों के बीच से फाड़े पर अलग-अलग न करे। तब याजक उसको वेदी पर उस लकड़ी के ऊपर रखकर जो आग पर होगी जलाए कि वह होमबलि और यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे।

अन्नबलि की विधि

2  1 जब कोई यहोवा के लिये अन्नबलि का चढ़ावा चढ़ाना चाहे तो वह मैदा चढ़ाए; और उस पर तेल डालकर उसके ऊपर लोबान रखे; 2 और वह उसको हारून के पुत्रों के पास जो याजक हैं लाए। और अन्नबलि के तेल मिले हुए मैदे में से इस तरह अपनी मुट्ठी भरकर निकाले कि सब लोबान उसमें आ जाए; और याजक उन्हें स्मरण दिलानेवाले भाग के लिये वेदी पर जलाए कि यह यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धित हवन ठहरे। 3 और अन्नबलि में से जो बचा रहे वह हारून और उसके पुत्रों का ठहरे; यह यहोवा के हवनों में से परमपवित्र भाग होगा। 4 जब तू अन्नबलि के लिये तंदूर में पकाया हुआ चढ़ावा चढ़ाए तो वह तेल से सने हुए अख़मीरी मैदे के फुलकों या तेल से चुपड़ी हुई अख़मीरी रोटियाँ का हो। 5 और यदि तेरा चढ़ावा तवे पर पकाया हुआ अन्नबलि हो तो वह तेल से सने हुए अख़मीरी मैदे का हो; 6 उसको टुकड़े-टुकड़े करके उस पर तेल डालना तब वह अन्नबलि हो जाएगा। 7 और यदि तेरा चढ़ावा कढ़ाही में तला हुआ अन्नबलि हो तो वह मैदे से तेल में बनाया जाए। 8 और जो अन्नबलि इन वस्तुओं में से किसी का बना हो उसे यहोवा के समीप ले जाना; और जब वह याजक के पास लाया जाए तब याजक उसे वेदी के समीप ले जाए। 9 और याजक अन्नबलि में से स्मरण दिलानेवाला भाग निकालकर वेदी पर जलाए कि वह यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे; 10 और अन्नबलि में से जो बचा रहे वह हारून और उसके पुत्रों का ठहरे; वह यहोवा के हवनों में परमपवित्र भाग होगा। 11 कोई अन्नबलि जिसे तुम यहोवा के लिये चढ़ाओ ख़मीर मिलाकर बनाया न जाए; तुम कभी हवन में यहोवा के लिये ख़मीर और मधु न जलाना। 12 तुम इनको पहली उपज का चढ़ावा करके यहोवा के लिये चढ़ाना पर वे सुखदायक सुगन्ध के लिये वेदी पर चढ़ाए न जाएँ। 13 फिर अपने सब अन्नबलियों को नमकीन बनाना; और अपना कोई अन्नबलि अपने परमेश्‍वर के साथ बंधी हुई वाचा के नमक से रहित होने न देना; अपने सब चढ़ावों के साथ नमक भी चढ़ाना। 14 यदि तू यहोवा के लिये पहली उपज का अन्नबलि चढ़ाए तो अपनी पहली उपज के अन्नबलि के लिये आग में भुनी हुई हरी-हरी बालें अर्थात् हरी-हरी बालों को मींजकर निकाल लेना तब अन्न को चढ़ाना। 15 और उसमें तेल डालना और उसके ऊपर लोबान रखना; तब वह अन्नबलि हो जाएगा। 16 और याजक मींजकर निकाले हुए अन्न को और तेल को और सारे लोबान को स्मरण दिलानेवाला भाग करके जला दे; वह यहोवा के लिये हवन ठहरे।

मेलबलि की विधि

3  1 यदि उसका चढ़ावा मेलबलि का हो और यदि वह गाय-बैलों में से किसी को चढ़ाए तो चाहे वह पशु नर हो या मादा पर जो निर्दोष हो उसी को वह यहोवा के आगे चढ़ाए। 2 और वह अपना हाथ अपने चढ़ावे के पशु के सिर पर रखे और उसको मिलापवाले तम्बू के द्वार पर बलि करे; और हारून के पुत्र जो याजक हैं वे उसके लहू को वेदी के चारों ओर छिड़कें। 3 वह मेलबलि में से यहोवा के लिये हवन करे अर्थात् जिस चर्बी से अंतड़ियाँ ढपी रहती हैं और जो चर्बी उनमें लिपटी रहती है वह भी 4 और दोनों गुर्दे और उनके ऊपर की चर्बी जो कमर के पास रहती है और गुर्दों समेत कलेजे के ऊपर की झिल्ली इन सभी को वह अलग करे। 5 तब हारून के पुत्र इनको वेदी पर उस होमबलि के ऊपर जलाएँ जो उन लकड़ियों पर होगी जो आग के ऊपर है कि यह यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे। 6 यदि यहोवा के मेलबलि के लिये उसका चढ़ावा भेड़-बकरियों में से हो तो चाहे वह नर हो या मादा पर जो निर्दोष हो उसी को वह चढ़ाए। 7 यदि वह भेड़ का बच्चा चढ़ाता हो तो उसको यहोवा के सामने चढ़ाए 8 और वह अपने चढ़ावे के पशु के सिर पर हाथ रखे और उसको मिलापवाले तम्बू के आगे बलि करे; और हारून के पुत्र उसके लहू को वेदी के चारों ओर छिड़कें। 9 तब मेलबलि को यहोवा के लिये हवन करे और उसकी चर्बी भरी मोटी पूँछ को वह रीढ़ के पास से अलग करे और जिस चर्बी से अंतड़ियाँ ढपी रहती हैं और जो चर्बी उनमें लिपटी रहती है 10 और दोनों गुर्दे और जो चर्बी उनके ऊपर कमर के पास रहती है और गुर्दों समेत कलेजे के ऊपर की झिल्ली इन सभी को वह अलग करे। 11 और याजक इन्हें वेदी पर जलाए; यह यहोवा के लिये हवन रूपी भोजन ठहरे। 12 यदि वह बकरा या बकरी चढ़ाए तो उसे यहोवा के सामने चढ़ाए। 13 और वह अपना हाथ उसके सिर पर रखे और उसको मिलापवाले तम्बू के आगे बलि करे; और हारून के पुत्र उसके लहू को वेदी के चारों ओर छिड़के। 14 तब वह उसमें से अपना चढ़ावा यहोवा के लिये हवन करके चढ़ाए और जिस चर्बी से अंतड़ियाँ ढपी रहती हैं और जो चर्बी उनमें लिपटी रहती है वह भी 15 और दोनों गुर्दे और जो चर्बी उनके ऊपर कमर के पास रहती है और गुर्दों समेत कलेजे के ऊपर की झिल्ली इन सभी को वह अलग करे। 16 और याजक इन्हें वेदी पर जलाए; यह हवन रूपी भोजन है जो सुखदायक सुगन्ध के लिये होता है; क्योंकि सारी चर्बी यहोवा की है। 17 यह तुम्हारे निवासों में तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी के लिये सदा की विधि ठहरेगी कि तुम चर्बी और लहू कभी न खाओ।

पापबलि की विधि

4  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 इस्राएलियों से यह कह कि यदि कोई मनुष्य उन कामों में से जिनको यहोवा ने मना किया है किसी काम को भूल से करके पापी हो जाए; 3 और यदि अभिषिक्त याजक ऐसा पाप करे जिससे प्रजा दोषी ठहरे तो अपने पाप के कारण वह एक निर्दोष बछड़ा यहोवा को पापबलि करके चढ़ाए। 4 वह उस बछड़े को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के आगे ले जाकर उसके सिर पर हाथ रखे और उस बछड़े को यहोवा के सामने बलि करे। 5 और अभिषिक्त याजक बछड़े के लहू में से कुछ लेकर मिलापवाले तम्बू में ले जाए; 6 और याजक अपनी उँगली लहू में डुबो-डुबोकर और उसमें से कुछ लेकर पवित्रस्‍थान के बीचवाले पर्दे के आगे यहोवा के सामने सात बार छिड़के। 7 और याजक उस लहू में से कुछ और लेकर सुगन्धित धूप की वेदी के सींगों पर जो मिलापवाले तम्बू में है यहोवा के सामने लगाए; फिर बछड़े के सब लहू को वेदी के पाए पर होमबलि की वेदी जो मिलापवाले तम्बू के द्वार पर है उण्डेल दे। 8 फिर वह पापबलि के बछड़े की सब चर्बी को उससे अलग करे अर्थात् जिस चर्बी से अंतड़ियाँ ढपी रहती हैं और जितनी चर्बी उनमें लिपटी रहती है 9 और दोनों गुर्दे और उनके ऊपर की चर्बी जो कमर के पास रहती है और गुर्दों समेत कलेजे के ऊपर की झिल्ली इन सभी को वह ऐसे अलग करे 10 जैसे मेलबलिवाले चढ़ावे के बछड़े से अलग किए जाते हैं और याजक इनको होमबलि की वेदी पर जलाए। 11 परन्तु उस बछड़े की खाल पाँव सिर अंतड़ियाँ गोबर 12 और सारा माँस अर्थात् समूचा बछड़ा छावनी से बाहर शुद्ध स्थान में जहाँ राख डाली जाएगी ले जाकर लकड़ी पर रखकर आग से जलाए; जहाँ राख डाली जाती है वह वहीं जलाया जाए। 13 यदि इस्राएल की सारी मण्डली अज्ञानता के कारण पाप करे और वह बात मण्डली की आँखों से छिपी हो और वे यहोवा की किसी आज्ञा के विरुद्ध कुछ करके दोषी ठहरे हों; 14 तो जब उनका किया हुआ पाप प्रगट हो जाए तब मण्डली एक बछड़े को पापबलि करके चढ़ाए। वह उसे मिलापवाले तम्बू के आगे ले जाए 15 और मण्डली के वृद्ध लोग अपने-अपने हाथों को यहोवा के आगे बछड़े के सिर पर रखें और वह बछड़ा यहोवा के सामने बलि किया जाए। 16 तब अभिषिक्त याजक बछड़े के लहू में से कुछ मिलापवाले तम्बू में ले जाए; 17 और याजक अपनी उँगली लहू में डुबो-डुबोकर उसे बीचवाले पर्दे के आगे सात बार यहोवा के सामने छिड़के। 18 और उसी लहू में से वेदी के सींगों पर जो यहोवा के आगे मिलापवाले तम्बू में है लगाए; और बचा हुआ सब लहू होमबलि की वेदी के पाए पर जो मिलापवाले तम्बू के द्वार पर है उण्डेल दे। 19 और वह बछड़े की कुल चर्बी निकालकर वेदी पर जलाए। 20 जैसे पापबलि के बछड़े से किया था वैसे ही इससे भी करे; इस भाँति याजक इस्राएलियों के लिये प्रायश्चित करे तब उनका पाप क्षमा किया जाएगा। 21 और वह बछड़े को छावनी से बाहर ले जाकर उसी भाँति जलाए जैसे पहले बछड़े को जलाया था; यह तो मण्डली के निमित्त पापबलि ठहरेगा। 22 जब कोई प्रधान पुरुष पाप करके अर्थात् अपने परमेश्‍वर यहोवा कि किसी आज्ञा के विरुद्ध भूल से कुछ करके दोषी हो जाए 23 और उसका पाप उस पर प्रगट हो जाए तो वह एक निर्दोष बकरा बलिदान करने के लिये ले आए; 24 और बकरे के सिर पर अपना हाथ रखे और बकरे को उस स्थान पर बलि करे जहाँ होमबलि पशु यहोवा के आगे बलि किये जाते हैं; यह पापबलि ठहरेगा। 25 तब याजक अपनी उँगली से पापबलि पशु के लहू में से कुछ लेकर होमबलि की वेदी के सींगों पर लगाए और उसका लहू होमबलि की वेदी के पाए पर उण्डेल दे। 26 और वह उसकी कुल चर्बी को मेलबलि की चर्बी के समान वेदी पर जलाए; और याजक उसके पाप के विषय में प्रायश्चित करे तब वह क्षमा किया जाएगा। 27 यदि साधारण लोगों में से कोई अज्ञानता से पाप करे अर्थात् कोई ऐसा काम जिसे यहोवा ने मना किया हो करके दोषी हो और उसका वह पाप उस पर प्रगट हो जाए 28 तो वह उस पाप के कारण एक निर्दोष बकरी बलिदान के लिये ले आए; 29 और वह अपना हाथ पापबलि पशु के सिर पर रखे और होमबलि के स्थान पर पापबलि पशु का बलिदान करे। 30 और याजक उसके लहू में से अपनी उँगली से कुछ लेकर होमबलि की वेदी के सींगों पर लगाए और उसके सब लहू को उसी वेदी के पाए पर उण्डेल दे। 31 और वह उसकी सब चर्बी को मेलबलि पशु की चर्बी के समान अलग करे तब याजक उसको वेदी पर यहोवा के निमित्त सुखदायक सुगन्ध के लिये जलाए; और इस प्रकार याजक उसके लिये प्रायश्चित करे तब उसे क्षमा मिलेगी। 32 यदि वह पापबलि के लिये एक मेमना ले आए तो वह निर्दोष मादा हो 33 और वह अपना हाथ पापबलि पशु के सिर पर रखे और उसको पापबलि के लिये वहीं बलिदान करे जहाँ होमबलि पशु बलि किया जाता है। 34 तब याजक अपनी उँगली से पापबलि के लहू में से कुछ लेकर होमबलि की वेदी के सींगों पर लगाए और उसके सब लहू को वेदी के पाए पर उण्डेल दे। 35 और वह उसकी सब चर्बी को मेलबलिवाले मेमने की चर्बी के समान अलग करे और याजक उसे वेदी पर यहोवा के हवनों के ऊपर जलाए; और इस प्रकार याजक उसके पाप के लिये प्रायश्चित करे और वह क्षमा किया जाएगा।

दोषबलि की विधि

5  1 यदि कोई साक्षी होकर ऐसा पाप करे कि शपथ खिलाकर पूछने पर भी कि क्या तूने यह सुना अथवा जानता है और वह बात प्रगट न करे तो उसको अपने अधर्म का भार उठाना पड़ेगा। 2 अथवा यदि कोई किसी अशुद्ध वस्तु को अज्ञानता से छू ले तो चाहे वह अशुद्ध जंगली पशु की चाहे अशुद्ध घरेलू पशु की चाहे अशुद्ध रेंगनेवाले जीव-जन्तु की लोथ हो तो वह अशुद्ध होकर दोषी ठहरेगा। 3 अथवा यदि कोई मनुष्य किसी अशुद्ध वस्तु को अज्ञानता से छू ले चाहे वह अशुद्ध वस्तु किसी भी प्रकार की क्यों न हो जिससे लोग अशुद्ध हो जाते हैं तो जब वह उस बात को जान लेगा तब वह दोषी ठहरेगा। 4 अथवा यदि कोई बुरा या भला करने को बिना सोचे समझे शपथ खाए चाहे किसी प्रकार की बात वह बिना सोचे-विचारे शपथ खाकर कहे तो ऐसी बात में वह दोषी उस समय ठहरेगा जब उसे मालूम हो जाएगा। 5 और जब वह इन बातों में से किसी भी बात में दोषी हो तब जिस विषय में उसने पाप किया हो वह उसको मान ले 6 और वह यहोवा के सामने अपना दोषबलि ले आए अर्थात् उस पाप के कारण वह एक मादा भेड़ या बकरी पापबलि करने के लिये ले आए; तब याजक उस पाप के विषय उसके लिये प्रायश्चित करे। 7 पर यदि उसे भेड़ या बकरी देने की सामर्थ्य न हो तो अपने पाप के कारण दो पिंडुक या कबूतरी के दो बच्चे दोषबलि चढ़ाने के लिये यहोवा के पास ले आए उनमें से एक तो पापबलि के लिये और दूसरा होमबलि के लिये। 8 वह उनको याजक के पास ले आए और याजक पापबलि वाले को पहले चढ़ाए और उसका सिर गले से मरोड़ डालें पर अलग न करे 9 और वह पापबलि पशु के लहू में से कुछ वेदी के बाजू पर छिड़के और जो लहू शेष रहे वह वेदी के पाए पर उण्डेला जाए; वह तो पापबलि ठहरेगा। 10 तब दूसरे पक्षी को वह नियम के अनुसार होमबलि करे और याजक उसके पाप का प्रायश्चित करे और तब वह क्षमा किया जाएगा। 11 यदि वह दो पिंडुक या कबूतरी के दो बच्चे भी न दे सके तो वह अपने पाप के कारण अपना चढ़ावा एपा का दसवाँ भाग मैदा पापबलि करके ले आए; उस पर न तो वह तेल डाले और न लोबान रखे क्योंकि वह पापबलि होगा 12 वह उसको याजक के पास ले जाए और याजक उसमें से अपनी मुट्ठी भर स्मरण दिलानेवाला भाग जानकर वेदी पर यहोवा के हवनों के ऊपर जलाए; वह तो पापबलि ठहरेगा। 13 और इन बातों में से किसी भी बात के विषय में जो कोई पाप करे याजक उसका प्रायश्चित करे और तब वह पाप क्षमा किया जाएगा। और इस पापबलि का शेष अन्नबलि के शेष के समान याजक का ठहरेगा। 14 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 15 यदि कोई यहोवा की पवित्र की हुई वस्तुओं के विषय में भूल से विश्वासघात करे और पापी ठहरे तो वह यहोवा के पास एक निर्दोष मेढ़ा दोषबलि के लिये ले आए; उसका दाम पवित्रस्‍थान के शेकेल के अनुसार उतने ही शेकेल चाँदी का हो जितना याजक ठहराए। 16 और जिस पवित्र वस्तु के विषय उसने पाप किया हो उसमें वह पाँचवाँ भाग और बढ़ाकर याजक को दे; और याजक दोषबलि का मेढ़ा चढ़ाकर उसके लिये प्रायश्चित करे तब उसका पाप क्षमा किया जाएगा। 17 यदि कोई ऐसा पाप करे कि उन कामों में से जिन्हें यहोवा ने मना किया है किसी काम को करे तो चाहे वह उसके अनजाने में हुआ हो तो भी वह दोषी ठहरेगा और उसको अपने अधर्म का भार उठाना पड़ेगा। 18 इसलिए वह एक निर्दोष मेढ़ा दोषबलि करके याजक के पास ले आए वह उतने दाम का हो जितना याजक ठहराए और याजक उसके लिये उसकी उस भूल का जो उसने अनजाने में की हो प्रायश्चित करे और वह क्षमा किया जाएगा। 19 यह दोषबलि ठहरे; क्योंकि वह मनुष्य निःसन्देह यहोवा के सम्मुख दोषी ठहरेगा।

बेईमान लोगों की दोषबलि

6  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 यदि कोई यहोवा का विश्वासघात करके पापी ठहरे जैसा कि धरोहर या लेन-देन या लूट के विषय में अपने भाई से छल करे या उस पर अत्याचार करे 3 या पड़ी हुई वस्तु को पाकर उसके विषय झूठ बोले और झूठी शपथ भी खाए; ऐसी कोई भी बात क्यों न हो जिसे करके मनुष्य पापी ठहरते हैं 4 तो जब वह ऐसा काम करके दोषी हो जाए तब जो भी वस्तु उसने लूट या अत्याचार करके या धरोहर या पड़ी पाई हो; 5 चाहे कोई वस्तु क्यों न हो जिसके विषय में उसने झूठी शपथ खाई हो; तो वह उसको पूरा-पूरा लौटा दे और पाँचवाँ भाग भी बढ़ाकर भर दे जिस दिन यह मालूम हो कि वह दोषी है उसी दिन वह उस वस्तु को उसके स्वामी को लौटा दे। 6 और वह यहोवा के सम्मुख अपना दोषबलि भी ले आए अर्थात् एक निर्दोष मेढ़ा दोषबलि के लिये याजक के पास ले आए वह उतने ही दाम का हो जितना याजक ठहराए। 7 इस प्रकार याजक उसके लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित करे और जिस काम को करके वह दोषी हो गया है उसकी क्षमा उसे मिलेगी। 8 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 9 हारून और उसके पुत्रों को आज्ञा देकर यह कह कि होमबलि की व्यवस्था यह है: होमबलि ईंधन के ऊपर रात भर भोर तक वेदी पर पड़ा रहे और वेदी की अग्नि वेदी पर जलती रहे। 10 और याजक अपने सनी के वस्त्र और अपने तन पर अपनी सनी की जाँघिया पहनकर होमबलि की राख जो आग के भस्म करने से वेदी पर रह जाए उसे उठाकर वेदी के पास रखे। 11 तब वह अपने ये वस्त्र उतारकर दूसरे वस्त्र पहनकर राख को छावनी से बाहर किसी शुद्ध स्थान पर ले जाए। 12 वेदी पर अग्नि जलती रहे और कभी बुझने न पाए; और याजक प्रतिदिन भोर को उस पर लकड़ियाँ जलाकर होमबलि के टुकड़ों को उसके ऊपर सजा कर धर दे और उसके ऊपर मेलबलियों की चर्बी को जलाया करे। 13 वेदी पर आग लगातार जलती रहे; वह कभी बुझने न पाए। 14 अन्नबलि की व्यवस्था इस प्रकार है: हारून के पुत्र उसको वेदी के आगे यहोवा के समीप ले आएँ। 15 और वह अन्नबलि के तेल मिले हुए मैदे में से मुट्ठी भर और उस पर का सब लोबान उठाकर अन्नबलि के स्मरणार्थ इस भाग को यहोवा के सम्मुख सुखदायक सुगन्ध के लिये वेदी पर जलाए। 16 और उसमें से जो शेष रह जाए उसे हारून और उसके पुत्र खाएँ; वह बिना ख़मीर पवित्रस्‍थान में खाया जाए अर्थात् वे मिलापवाले तम्बू के आँगन में उसे खाएँ। 17 वह ख़मीर के साथ पकाया न जाए; क्योंकि मैंने अपने हव्य में से उसको उनका निज भाग होने के लिये उन्हें दिया है; इसलिए जैसा पापबलि और दोषबलि परमपवित्र हैं वैसा ही वह भी है। 18 तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में हारून के वंश के सब पुरुष उसमें से खा सकते हैं यहोवा के हवनों में से यह उनका भाग सदैव बना रहेगा; जो कोई उन हवनों को छूए वह पवित्र ठहरेगा। 19 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 20 जिस दिन हारून का अभिषेक हो उस दिन वह अपने पुत्रों के साथ यहोवा को यह चढ़ावा चढ़ाए; अर्थात् एपा का दसवाँ भाग मैदा नित्य अन्नबलि में चढ़ाए उसमें से आधा भोर को और आधा संध्या के समय चढ़ाए। 21 वह तवे पर तेल के साथ पकाया जाए; जब वह तेल से तर हो जाए तब उसे ले आना इस अन्नबलि के पके हुए टुकडे़ यहोवा के सुखदायक सुगन्ध के लिये चढ़ाना। 22 हारून के पुत्रों में से जो भी उस याजकपद पर अभिषिक्त होगा वह भी उसी प्रकार का चढ़ावा चढ़ाया करे; यह विधि सदा के लिये है कि यहोवा के सम्मुख वह सम्पूर्ण चढ़ावा जलाया जाए। 23 याजक के सम्पूर्ण अन्नबलि भी सब जलाए जाएँ; वह कभी न खाया जाए। 24 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 25 हारून और उसके पुत्रों से यह कह कि पापबलि की व्यवस्था यह है: जिस स्थान में होमबलि पशु वध किया जाता है उसी में पापबलि पशु भी यहोवा के सम्मुख बलि किया जाए; वह परमपवित्र है। 26 जो याजक पापबलि चढ़ाए वह उसे खाए; वह पवित्रस्‍थान में अर्थात् मिलापवाले तम्बू के आँगन में खाया जाए। 27 जो कुछ उसके माँस से छू जाए वह पवित्र ठहरेगा; और यदि उसके लहू के छींटे किसी वस्त्र पर पड़ जाएँ तो उसे किसी पवित्रस्‍थान में धो देना। 28 और वह मिट्टी का पात्र जिसमें वह पकाया गया हो तोड़ दिया जाए; यदि वह पीतल के पात्र में उबाला गया हो तो वह मांजा जाए और जल से धो लिया जाए। 29 याजकों में से सब पुरुष उसे खा सकते हैं; वह परमपवित्र वस्तु है। 30 पर जिस पापबलि पशु के लहू में से कुछ भी लहू मिलापवाले तम्बू के भीतर पवित्रस्‍थान में प्रायश्चित करने को पहुँचाया जाए उसका माँस कभी न खाया जाए; वह आग में जला दिया जाए।

दोषबलि

7  1 फिर दोषबलि की व्यवस्था यह है। वह परमपवित्र है; 2 जिस स्थान पर होमबलि पशु का वध करते हैं उसी स्थान पर दोषबलि पशु भी बलि करें और उसके लहू को याजक वेदी पर चारों ओर छिड़के। 3 और वह उसमें की सब चर्बी को चढ़ाए अर्थात् उसकी मोटी पूँछ को और जिस चर्बी से अंतड़ियाँ ढपी रहती हैं वह भी 4 और दोनों गुर्दे और जो चर्बी उनके ऊपर और कमर के पास रहती है और गुर्दों समेत कलेजे के ऊपर की झिल्ली; इन सभी को वह अलग करे; 5 और याजक इन्हें वेदी पर यहोवा के लिये हवन करे; तब वह दोषबलि होगा। 6 याजकों में के सब पुरुष उसमें से खा सकते हैं; वह किसी पवित्रस्‍थान में खाया जाए; क्योंकि वह परमपवित्र है। 7 जैसा पापबलि है वैसा ही दोषबलि भी है उन दोनों की एक ही व्यवस्था है; जो याजक उन बलियों को चढ़ा के प्रायश्चित करे वही उन वस्तुओं को ले-ले। 8 और जो याजक किसी के लिये होमबलि को चढ़ाए उस होमबलि पशु की खाल को वही याजक ले-ले। 9 और तंदूर में या कढ़ाही में या तवे पर पके हुए सब अन्नबलि उसी याजक की होंगी जो उन्हें चढ़ाता है। 10 और सब अन्नबलि जो चाहे तेल से सने हुए हों चाहे रूखे हों वे हारून के सब पुत्रों को एक समान मिले। 11 मेलबलि की जिसे कोई यहोवा के लिये चढ़ाए व्यवस्था यह है: 12 यदि वह उसे धन्यवाद के लिये चढ़ाए तो धन्यवाद-बलि के साथ तेल से सने हुए अख़मीरी फुलके और तेल से चुपड़ी हुई अख़मीरी रोटियाँ और तेल से सने हुए मैदे के फुलके तेल से तर चढ़ाए। 13 और वह अपने धन्यवादवाले मेलबलि के साथ अख़मीरी रोटियाँ भी चढ़ाए। 14 और ऐसे एक-एक चढ़ावे में से वह एक-एक रोटी यहोवा को उठाने की भेंट करके चढ़ाए; वह मेलबलि के लहू के छिड़कनेवाले याजक की होगी। 15 और उस धन्यवादवाले मेलबलि का माँस बलिदान चढ़ाने के दिन ही खाया जाए; उसमें से कुछ भी भोर तक शेष न रह जाए। 16 पर यदि उसके बलिदान का चढ़ावा मन्नत का या स्वेच्छा का हो तो उस बलिदान को जिस दिन वह चढ़ाया जाए उसी दिन वह खाया जाए और उसमें से जो शेष रह जाए वह दूसरे दिन भी खाया जाए। 17 परन्तु जो कुछ बलिदान के माँस में से तीसरे दिन तक रह जाए वह आग में जला दिया जाए। 18 और उसके मेलबलि के माँस में से यदि कुछ भी तीसरे दिन खाया जाए तो वह ग्रहण न किया जाएगा और न उसके हित में गिना जाएगा; वह घृणित कर्म समझा जाएगा और जो कोई उसमें से खाए उसका अधर्म उसी के सिर पर पड़ेगा। 19 फिर जो माँस किसी अशुद्ध वस्तु से छू जाए वह न खाया जाए; वह आग में जला दिया जाए। फिर मेलबलि का माँस जितने शुद्ध हों वे ही खाएँ 20 परन्तु जो अशुद्ध होकर यहोवा के मेलबलि के माँस में से कुछ खाए वह अपने लोगों में से नाश किया जाए। 21 और यदि कोई किसी अशुद्ध वस्तु को छूकर यहोवा के मेलबलि पशु के माँस में से खाए तो वह भी अपने लोगों में से नाश किया जाए चाहे वह मनुष्य की कोई अशुद्ध वस्तु या अशुद्ध पशु या कोई भी अशुद्ध और घृणित वस्तु हो। 22 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 23 इस्राएलियों से इस प्रकार कह: तुम लोग न तो बैल की कुछ चर्बी खाना और न भेड़ या बकरी की। 24 और जो पशु स्वयं मर जाए और जो दूसरे पशु से फाड़ा जाए उसकी चर्बी और अन्य काम में लाना परन्तु उसे किसी प्रकार से खाना नहीं। 25 जो कोई ऐसे पशु की चर्बी खाएगा जिसमें से लोग कुछ यहोवा के लिये हवन करके चढ़ाया करते हैं वह खानेवाला अपने लोगों में से नाश किया जाएगा। 26 और तुम अपने घर में किसी भाँति का लहू चाहे पक्षी का चाहे पशु का हो न खाना। 27 हर एक प्राणी जो किसी भाँति का लहू खाएगा वह अपने लोगों में से नाश किया जाएगा। 28 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 29 इस्राएलियों से इस प्रकार कह: जो यहोवा के लिये मेलबलि चढ़ाए वह उसी मेलबलि में से यहोवा के पास भेंट ले आए; 30 वह अपने ही हाथों से यहोवा के हव्य को अर्थात् छाती समेत चर्बी को ले आए कि छाती हिलाने की भेंट करके यहोवा के सामने हिलाई जाए। 31 और याजक चर्बी को तो वेदी पर जलाए परन्तु छाती हारून और उसके पुत्रों की होगी। 32 फिर तुम अपने मेलबलियों में से दाहिनी जाँघ को भी उठाने की भेंट करके याजक को देना; 33 हारून के पुत्रों में से जो मेलबलि के लहू और चर्बी को चढ़ाए दाहिनी जाँघ उसी का भाग होगा। 34 क्योंकि इस्राएलियों के मेलबलियों में से हिलाने की भेंट की छाती और उठाने की भेंट की जाँघ को लेकर मैंने याजक हारून और उसके पुत्रों को दिया है कि यह सर्वदा इस्राएलियों की ओर से उनका हक़ बना रहे। 35 जिस दिन हारून और उसके पुत्र यहोवा के समीप याजक पद के लिये लाए गए उसी दिन यहोवा के हव्यों में से उनका यही अभिषिक्त भाग ठहराया गया; 36 अर्थात् जिस दिन यहोवा ने उनका अभिषेक किया उसी दिन उसने आज्ञा दी कि उनको इस्राएलियों की ओर से ये भाग नित्य मिला करें; उनकी पीढ़ी-पीढ़ी के लिये उनका यही हक़ ठहराया गया। 37 होमबलि अन्नबलि पापबलि दोषबलि याजकों के संस्कार बलि और मेलबलि की व्यवस्था यही है; 38 जब यहोवा ने सीनै पर्वत के पास के जंगल में मूसा को आज्ञा दी कि इस्राएली मेरे लिये क्या-क्या चढ़ावा चढ़ाएँ तब उसने उनको यही व्यवस्था दी थी।

हारून और उसके पुत्रों का अभिषेक

8  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 तू हारून और उसके पुत्रों के वस्त्रों और अभिषेक के तेल और पापबलि के बछड़े और दोनों मेढ़ों और अख़मीरी रोटी की टोकरी को 3 मिलापवाले तम्बू के द्वार पर ले आ और वहीं सारी मण्डली को इकट्ठा कर। 4 यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार मूसा ने किया; और मण्डली मिलापवाले तम्बू के द्वार पर इकट्ठा हुई। 5 तब मूसा ने मण्डली से कहा जो काम करने की आज्ञा यहोवा ने दी है वह यह है। 6 फिर मूसा ने हारून और उसके पुत्रों को समीप ले जाकर जल से नहलाया। 7 तब उसने उनको अंगरखा पहनाया और कटिबन्द लपेटकर बागा पहना दिया और एपोद लगाकर एपोद के काढ़े हुए पट्टे से एपोद को बाँधकर कस दिया। 8 और उसने चपरास लगाकर चपरास में ऊरीम और तुम्मीम रख दिए। 9 तब उसने उसके सिर पर पगड़ी बाँधकर पगड़ी के सामने सोने के टीके को अर्थात् पवित्र मुकुट को लगाया जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी। 10 तब मूसा ने अभिषेक का तेल लेकर निवास का और जो कुछ उसमें था उन सब का भी अभिषेक करके उन्हें पवित्र किया। 11 और उस तेल में से कुछ उसने वेदी पर सात बार छिड़का और सम्पूर्ण सामान समेत वेदी का और पाए समेत हौदी का अभिषेक करके उन्हें पवित्र किया। 12 और उसने अभिषेक के तेल में से कुछ हारून के सिर पर डालकर उसका अभिषेक करके उसे पवित्र किया। 13 फिर मूसा ने हारून के पुत्रों को समीप ले आकर अंगरखे पहनाकर कटिबन्ध बाँध के उनके सिर पर टोपी रख दी जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी। 14 तब वह पापबलि के बछड़े को समीप ले गया; और हारून और उसके पुत्रों ने अपने-अपने हाथ पापबलि के बछड़े के सिर पर रखे। 15 तब वह बलि किया गया और मूसा ने लहू को लेकर उँगली से वेदी के चारों सींगों पर लगाकर पवित्र किया और लहू को वेदी के पाए पर उण्डेल दिया और उसके लिये प्रायश्चित करके उसको पवित्र किया। 16 और मूसा ने अंतड़ियों पर की सब चर्बी और कलेजे पर की झिल्ली और चर्बी समेत दोनों गुर्दों को लेकर वेदी पर जलाया। 17 परन्तु बछड़े में से जो कुछ शेष रह गया उसको अर्थात् गोबर समेत उसकी खाल और माँस को उसने छावनी से बाहर आग में जलाया जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी। 18 फिर वह होमबलि के मेढ़े को समीप ले गया और हारून और उसके पुत्रों ने अपने-अपने हाथ मेढ़े के सिर पर रखे। 19 तब वह बलि किया गया और मूसा ने उसका लहू वेदी पर चारों ओर छिड़का। 20 तब मेढ़ा टुकड़े-टुकड़े किया गया और मूसा ने सिर और चर्बी समेत टुकड़ों को जलाया। 21 तब अंतड़ियाँ और पाँव जल से धोये गए और मूसा ने पूरे मेढ़े को वेदी पर जलाया और वह सुखदायक सुगन्ध देने के लिये होमबलि और यहोवा के लिये हव्य हो गया जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी। 22 फिर वह दूसरे मेढ़े को जो संस्कार का मेढ़ा था समीप ले गया और हारून और उसके पुत्रों ने अपने-अपने हाथ मेढ़े के सिर पर रखे। 23 तब वह बलि किया गया और मूसा ने उसके लहू में से कुछ लेकर हारून के दाहिने कान के सिरे पर और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अँगूठों पर लगाया। 24 और वह हारून के पुत्रों को समीप ले गया और लहू में से कुछ एक-एक के दाहिने कान के सिरे पर और दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अँगूठों पर लगाया; और मूसा ने लहू को वेदी पर चारों ओर छिड़का। 25 और उसने चर्बी और मोटी पूँछ और अंतड़ियों पर की सब चर्बी और कलेजे पर की झिल्ली समेत दोनों गुर्दे और दाहिनी जाँघ ये सब लेकर अलग रखे; 26 और अख़मीरी रोटी की टोकरी जो यहोवा के आगे रखी गई थी उसमें से एक अख़मीरी रोटी और तेल से सने हुए मैदे का एक फुलका और एक पापड़ी लेकर चर्बी और दाहिनी जाँघ पर रख दी; 27 और ये सब वस्तुएँ हारून और उसके पुत्रों के हाथों पर रख दी गईं और हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के सामने हिलाई गईं। 28 तब मूसा ने उन्हें फिर उनके हाथों पर से लेकर उन्हें वेदी पर होमबलि के ऊपर जलाया यह सुखदायक सुगन्ध देने के लिये संस्कार की भेंट और यहोवा के लिये हव्य था। 29 तब मूसा ने छाती को लेकर हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के आगे हिलाया; और संस्कार के मेढ़े में से मूसा का भाग यही हुआ जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी। 30 तब मूसा ने अभिषेक के तेल और वेदी पर के लहू दोनों में से कुछ लेकर हारून और उसके वस्त्रों पर और उसके पुत्रों और उनके वस्त्रों पर भी छिड़का; और उसने वस्त्रों समेत हारून को भी पवित्र किया। 31 तब मूसा ने हारून और उसके पुत्रों से कहा माँस को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर पकाओ और उस रोटी को जो संस्कार की टोकरी में है वहीं खाओ जैसा मैंने आज्ञा दी है कि हारून और उसके पुत्र उसे खाएँ। 32 और माँस और रोटी में से जो शेष रह जाए उसे आग में जला देना। 33 और जब तक तुम्हारे संस्कार के दिन पूरे न हों तब तक अर्थात् सात दिन तक मिलापवाले तम्बू के द्वार के बाहर न जाना क्योंकि वह सात दिन तक तुम्हारा संस्कार करता रहेगा। 34 जिस प्रकार आज किया गया है वैसा ही करने की आज्ञा यहोवा ने दी है जिससे तुम्हारा प्रायश्चित किया जाए। 35 इसलिए तुम मिलापवाले तम्बू के द्वार पर सात दिन तक दिन-रात ठहरे रहना और यहोवा की आज्ञा को मानना ताकि तुम मर न जाओ; क्योंकि ऐसी ही आज्ञा मुझे दी गई है। 36 तब यहोवा की इन्हीं सब आज्ञाओं के अनुसार जो उसने मूसा के द्वारा दी थीं हारून और उसके पुत्रों ने किया।

याजकीय सेवकाई बलि-अर्पण

9  1 आठवें दिन मूसा ने हारून और उसके पुत्रों को और इस्राएली पुरनियों को बुलवाकर हारून से कहा 2 पापबलि के लिये एक निर्दोष बछड़ा और होमबलि के लिये एक निर्दोष मेढ़ा लेकर यहोवा के सामने भेंट चढ़ा। 3 और इस्राएलियों से यह कह ‘तुम पापबलि के लिये एक बकरा और होमबलि के लिये एक बछड़ा और एक भेड़ का बच्चा लो जो एक वर्ष के हों और निर्दोष हों 4 और मेलबलि के लिये यहोवा के सम्मुख चढ़ाने के लिये एक बैल और एक मेढ़ा और तेल से सने हुए मैदे का एक अन्नबलि भी ले लो; क्योंकि आज यहोवा तुम को दर्शन देगा’। 5 और जिस-जिस वस्तु की आज्ञा मूसा ने दी उन सबको वे मिलापवाले तम्बू के आगे ले आए; और सारी मण्डली समीप जाकर यहोवा के सामने खड़ी हुई। 6 तब मूसा ने कहा यह वह काम है जिसके करने के लिये यहोवा ने आज्ञा दी है कि तुम उसे करो; और यहोवा की महिमा का तेज तुम को दिखाई पड़ेगा। 7 तब मूसा ने हारून से कहा यहोवा की आज्ञा के अनुसार वेदी के समीप जाकर अपने पापबलि और होमबलि को चढ़ाकर अपने और सब जनता के लिये प्रायश्चित कर और जनता के चढ़ावे को भी चढ़ाकर उनके लिये प्रायश्चित कर। 8 इसलिए हारून ने वेदी के समीप जाकर अपने पापबलि के बछड़े को बलिदान किया। 9 और हारून के पुत्र लहू को उसके पास ले गए तब उसने अपनी उँगली को लहू में डुबाकर वेदी के सींगों पर लहू को लगाया और शेष लहू को वेदी के पाए पर उण्डेल दिया; 10 और पापबलि में की चर्बी और गुर्दों और कलेजे पर की झिल्ली को उसने वेदी पर जलाया जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी। 11 और माँस और खाल को उसने छावनी से बाहर आग में जलाया। 12 तब होमबलि पशु को बलिदान किया; और हारून के पुत्रों ने लहू को उसके हाथ में दिया और उसने उसको वेदी पर चारों ओर छिड़क दिया। 13 तब उन्होंने होमबलि पशु को टुकड़े-टुकड़े करके सिर सहित उसके हाथ में दे दिया और उसने उनको वेदी पर जला दिया। 14 और उसने अंतड़ियों और पाँवों को धोकर वेदी पर होमबलि के ऊपर जलाया। 15 तब उसने लोगों के चढ़ावे को आगे लेकर और उस पापबलि के बकरे को जो उनके लिये था लेकर उसका बलिदान किया और पहले के समान उसे भी पापबलि करके चढ़ाया। 16 और उसने होमबलि को भी समीप ले जाकर विधि के अनुसार चढ़ाया। 17 और अन्नबलि को भी समीप ले जाकर उसमें से मुट्ठी भर वेदी पर जलाया यह भोर के होमबलि के अलावा चढ़ाया गया। 18 बैल और मेढ़ा अर्थात् जो मेलबलि पशु जनता के लिये थे वे भी बलि किये गए; और हारून के पुत्रों ने लहू को उसके हाथ में दिया और उसने उसको वेदी पर चारों ओर छिड़क दिया; 19 और उन्होंने बैल की चर्बी को और मेढ़े में से मोटी पूँछ को और जिस चर्बी से अंतड़ियाँ ढपी रहती हैं उसको और गुर्दों सहित कलेजे पर की झिल्ली को भी उसके हाथ में दिया; 20 और उन्होंने चर्बी को छातियों पर रखा; और उसने वह चर्बी वेदी पर जलाई 21 परन्तु छातियों और दाहिनी जाँघ को हारून ने मूसा की आज्ञा के अनुसार हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के सामने हिलाया। 22 तब हारून ने लोगों की ओर हाथ बढ़ाकर उन्हें आशीर्वाद दिया; और पापबलि होमबलि और मेलबलियों को चढ़ाकर वह नीचे उतर आया। 23 तब मूसा और हारून मिलापवाले तम्बू में गए और निकलकर लोगों को आशीर्वाद दिया; तब यहोवा का तेज सारी जनता को दिखाई दिया। 24 और यहोवा के सामने से आग निकली चर्बी सहित होमबलि को वेदी पर भस्म कर दिया; इसे देखकर जनता ने जय-जयकार का नारा लगाया और अपने-अपने मुँह के बल गिरकर दण्डवत् किया।

नादाब और अबीहू के भस्म होने का वर्णन

10  1 तब नादाब और अबीहू नामक हारून के दो पुत्रों ने अपना-अपना धूपदान लिया और उनमें आग भरी और उसमें धूप डालकर उस अनुचित आग को जिसकी आज्ञा यहोवा ने नहीं दी थी यहोवा के सम्मुख अर्पित किया। 2 तब यहोवा के सम्मुख से आग निकली और उन दोनों को भस्म कर दिया और वे यहोवा के सामने मर गए। 3 तब मूसा ने हारून से कहा यह वही बात है जिसे यहोवा ने कहा था कि जो मेरे समीप आए अवश्य है कि वह मुझे पवित्र जाने और सारी जनता के सामने मेरी महिमा करे। और हारून चुप रहा। 4 तब मूसा ने मीशाएल और एलसाफान को जो हारून के चाचा उज्जीएल के पुत्र थे बुलाकर कहा निकट आओ और अपने भतीजों को पवित्रस्‍थान के आगे से उठाकर छावनी के बाहर ले जाओ। 5 मूसा की इस आज्ञा के अनुसार वे निकट जाकर उनको अंगरखों सहित उठाकर छावनी के बाहर ले गए। 6 तब मूसा ने हारून से और उसके पुत्र एलीआजर और ईतामार से कहा तुम लोग अपने सिरों के बाल मत बिखराओ और न अपने वस्त्रों को फाड़ो ऐसा न हो कि तुम भी मर जाओ और सारी मण्डली पर उसका क्रोध भड़क उठे; परन्तु इस्राएल के सारे घराने के लोग जो तुम्हारे भाईबन्धु हैं वह यहोवा की लगाई हुई आग पर विलाप करें। 7 और तुम लोग मिलापवाले तम्बू के द्वार के बाहर न जाना ऐसा न हो कि तुम मर जाओ; क्योंकि यहोवा के अभिषेक का तेल तुम पर लगा हुआ है। मूसा के इस वचन के अनुसार उन्होंने किया। 8 फिर यहोवा ने हारून से कहा 9 जब-जब तू या तेरे पुत्र मिलापवाले तम्बू में आएँ तब-तब तुम में से कोई न तो दाखमधु पीए हो न और किसी प्रकार का मद्य कहीं ऐसा न हो कि तुम मर जाओ; तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में यह विधि प्रचलित रहे 10 जिससे तुम पवित्र और अपवित्र में और शुद्ध और अशुद्ध में अन्तर कर सको; 11 और इस्राएलियों को उन सब विधियों को सिखा सको जिसे यहोवा ने मूसा के द्वारा उनको बता दी हैं। 12 फिर मूसा ने हारून से और उसके बचे हुए दोनों पुत्र एलीआजर और ईतामार से भी कहा यहोवा के हव्य में से जो अन्नबलि बचा है उसे लेकर वेदी के पास बिना ख़मीर खाओ क्योंकि वह परमपवित्र है; 13 और तुम उसे किसी पवित्रस्‍थान में खाओ वह यहोवा के हव्य में से तेरा और तेरे पुत्रों का हक़ है; क्योंकि मैंने ऐसी ही आज्ञा पाई है। 14 तब हिलाई हुई भेंट की छाती और उठाई हुई भेंट की जाँघ को तुम लोग अर्थात् तू और तेरे बेटे-बेटियाँ सब किसी शुद्ध स्थान में खाओ; क्योंकि वे इस्राएलियों के मेलबलियों में से तुझे और तेरे बच्चों का हक़ ठहरा दी गई हैं। 15 चर्बी के हव्यों समेत जो उठाई हुई जाँघ और हिलाई हुई छाती यहोवा के सामने हिलाने के लिये आया करेंगी ये भाग यहोवा की आज्ञा के अनुसार सर्वदा की विधि की व्यवस्था से तेरे और तेरे बच्चों के लिये हैं। 16 फिर मूसा ने पापबलि के बकरे की खोजबीन की तो क्या पाया कि वह जलाया गया है इसलिए एलीआजर और ईतामार जो हारून के पुत्र बचे थे उनसे वह क्रोध में आकर कहने लगा 17 पापबलि जो परमपवित्र है और जिसे यहोवा ने तुम्हें इसलिए दिया है कि तुम मण्डली के अधर्म का भार अपने पर उठाकर उनके लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित करो तुमने उसका माँस पवित्रस्‍थान में क्यों नहीं खाया? 18 देखो उसका लहू पवित्रस्‍थान के भीतर तो लाया ही नहीं गया निःसन्देह उचित था कि तुम मेरी आज्ञा के अनुसार उसके माँस को पवित्रस्‍थान में खाते। 19 इसका उत्तर हारून ने मूसा को इस प्रकार दिया देख आज ही उन्होंने अपने पापबलि और होमबलि को यहोवा के सामने चढ़ाया; फिर मुझ पर ऐसी विपत्तियाँ आ पड़ी हैं इसलिए यदि मैं आज पापबलि का माँस खाता तो क्या यह बात यहोवा के सम्मुख भली होती? 20 जब मूसा ने यह सुना तब उसे संतोष हुआ।

शुद्ध और अशुद्ध पृथ्वी पर के पशु

11  1 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा 2 इस्राएलियों से कहो: जितने पशु पृथ्वी पर हैं उन सभी में से तुम इन जीवधारियों का माँस खा सकते हो। 3 पशुओं में से जितने चिरे या फटे खुर के होते हैं और पागुर करते हैं उन्हें खा सकते हो। 4 परन्तु पागुर करनेवाले या फटे खुरवालों में से इन पशुओं को न खाना अर्थात् ऊँट जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता इसलिए वह तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहरा है। 5 और चट्टानी बिज्जू जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है। 6 और खरगोश जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता इसलिए वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है। 7 और सूअर जो चिरे अर्थात् फटे खुर का होता तो है परन्तु पागुर नहीं करता इसलिए वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है। 8 इनके माँस में से कुछ न खाना और इनकी लोथ को छूना भी नहीं; ये तो तुम्हारे लिये अशुद्ध है। 9 फिर जितने जलजन्तु हैं उनमें से तुम इन्हें खा सकते हों अर्थात् समुद्र या नदियों के जल जन्तुओं में से जितनों के पंख और चोंयेटे होते हैं उन्हें खा सकते हो। 10 और जलचरी प्राणियों में से जितने जीवधारी बिना पंख और चोंयेटे के समुद्र या नदियों में रहते हैं वे सब तुम्हारे लिये घृणित हैं। 11 वे तुम्हारे लिये घृणित ठहरें; तुम उनके माँस में से कुछ न खाना और उनकी लोथों को अशुद्ध जानना। 12 जल में जिस किसी जन्तु के पंख और चोंयेटे नहीं होते वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है। 13 फिर पक्षियों में से इनको अशुद्ध जानना ये अशुद्ध होने के कारण खाए न जाएँ अर्थात् उकाब हड़फोड़ कुरर 14 चील और भाँति-भाँति के बाज 15 और भाँति-भाँति के सब काग 16 शुतुर्मुर्ग तखमास जलकुक्कट और भाँति-भाँति के जलकुक्कट 17 हबासिल हाड़गील उल्लू 18 राजहँस धनेश गिद्ध 19 सारस भाँति-भाँति के बगुले टिटीहरी और चमगादड़। 20 जितने पंखवाले कीड़े चार पाँवों के बल चलते हैं वे सब तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं। 21 पर रेंगनेवाले और पंखवाले जो चार पाँवों के बल चलते हैं जिनके भूमि पर कूदने फाँदने को टाँगें होती हैं उनको तो खा सकते हो। 22 वे ये हैं अर्थात् भाँति-भाँति की टिड्डी भाँति-भाँति के फनगे भाँति-भाँति के झींगुर और भाँति-भाँति के टिड्डे। 23 परन्तु और सब रेंगनेवाले पंखवाले जो चार पाँव वाले होते हैं वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं। 24 इनके कारण तुम अशुद्ध ठहरोगे; जिस किसी से इनकी लोथ छू जाए वह सांझ तक अशुद्ध ठहरे। 25 और जो कोई इनकी लोथ में का कुछ भी उठाए वह अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे। 26 फिर जितने पशु चिरे खुर के होते हैं परन्तु न तो बिलकुल फटे खुर और न पागुर करनेवाले हैं वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई उन्हें छूए वह अशुद्ध ठहरेगा। 27 और चार पाँव के बल चलनेवालों में से जितने पंजों के बल चलते हैं वे सब तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई उनकी लोथ छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे। 28 और जो कोई उनकी लोथ उठाए वह अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे; क्योंकि वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं। 29 और जो पृथ्वी पर रेंगते हैं उनमें से ये रेंगनेवाले तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं अर्थात् नेवला चूहा और भाँति-भाँति के गोह 30 और छिपकली मगर टिकटिक सांडा और गिरगिट। 31 सब रेंगनेवालों में से ये ही तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई इनकी लोथ छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे। 32 और इनमें से किसी की लोथ जिस किसी वस्तु पर पड़ जाए वह भी अशुद्ध ठहरे चाहे वह काठ का कोई पात्र हो चाहे वस्त्र चाहे खाल चाहे बोरा चाहे किसी काम का कैसा ही पात्र आदि क्यों न हो; वह जल में डाला जाए और सांझ तक अशुद्ध रहे तब शुद्ध समझा जाए। 33 और यदि मिट्टी का कोई पात्र हो जिसमें इन जन्तुओं में से कोई पड़े तो उस पात्र में जो कुछ हो वह अशुद्ध ठहरे और पात्र को तुम तोड़ डालना। 34 उसमें जो खाने के योग्य भोजन हो जिसमें पानी का छुआव हो वह सब अशुद्ध ठहरे; फिर यदि ऐसे पात्र में पीने के लिये कुछ हो तो वह भी अशुद्ध ठहरे। 35 और यदि इनकी लोथ में का कुछ तंदूर या चूल्हे पर पड़े तो वह भी अशुद्ध ठहरे और तोड़ डाला जाए; क्योंकि वह अशुद्ध हो जाएगा वह तुम्हारे लिये भी अशुद्ध ठहरे। 36 परन्तु सोता या तालाब जिसमें जल इकट्ठा हो वह तो शुद्ध ही रहे; परन्तु जो कोई इनकी लोथ को छूए वह अशुद्ध ठहरे। 37 और यदि इनकी लोथ में का कुछ किसी प्रकार के बीज पर जो बोने के लिये हो पड़े तो वह बीज शुद्ध रहे; 38 पर यदि बीज पर जल डाला गया हो और पीछे लोथ में का कुछ उस पर पड़ जाए तो वह तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहरे। 39 फिर जिन पशुओं के खाने की आज्ञा तुम को दी गई है यदि उनमें से कोई पशु मरे तो जो कोई उसकी लोथ छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे। 40 और उसकी लोथ में से जो कोई कुछ खाए वह अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे; और जो कोई उसकी लोथ उठाए वह भी अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे। 41 सब प्रकार के पृथ्वी पर रेंगनेवाले जन्तु घिनौने हैं; वे खाए न जाएँ। 42 पृथ्वी पर सब रेंगनेवालों में से जितने पेट या चार पाँवों के बल चलते हैं या अधिक पाँव वाले होते हैं उन्हें तुम न खाना; क्योंकि वे घिनौने हैं। 43 तुम किसी प्रकार के रेंगनेवाले जन्तु के द्वारा अपने आप को घिनौना न करना; और न उनके द्वारा अपने को अशुद्ध करके अपवित्र ठहराना। 44 क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ; इस कारण अपने को शुद्ध करके पवित्र बने रहो क्योंकि मैं पवित्र हूँ। इसलिए तुम किसी प्रकार के रेंगनेवाले जन्तु के द्वारा जो पृथ्वी पर चलता है अपने आप को अशुद्ध न करना। 45 क्योंकि मैं वह यहोवा हूँ जो तुम्हें मिस्र देश से इसलिए निकाल ले आया हूँ कि तुम्हारा परमेश्‍वर ठहरूँ; इसलिए तुम पवित्र बनो क्योंकि मैं पवित्र हूँ। 46 पशुओं पक्षियों और सब जलचरी प्राणियों और पृथ्वी पर सब रेंगनेवाले प्राणियों के विषय में यही व्यवस्था है 47 कि शुद्ध अशुद्ध और भक्ष्य और अभक्ष्य जीवधारियों में भेद किया जाए।

प्रसूता के विषय के नियम

12  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 इस्राएलियों से कह: जो स्त्री गर्भवती हो और उसके लड़का हो तो वह सात दिन तक अशुद्ध रहेगी; जिस प्रकार वह ऋतुमती होकर अशुद्ध रहा करती। 3 और आठवें दिन लड़के का खतना किया जाए। 4 फिर वह स्त्री अपने शुद्ध करनेवाले रूधिर में तैंतीस दिन रहे; और जब तक उसके शुद्ध हो जाने के दिन पूरे न हों तब तक वह न तो किसी पवित्र वस्तु को छूए और न पवित्रस्‍थान में प्रवेश करे। 5 और यदि उसके लड़की पैदा हो तो उसको ऋतुमती की सी अशुद्धता चौदह दिन की लगे; और फिर छियासठ दिन तक अपने शुद्ध करनेवाले रूधिर में रहे। 6 जब उसके शुद्ध हो जाने के दिन पूरे हों तब चाहे उसके बेटा हुआ हो चाहे बेटी वह होमबलि के लिये एक वर्ष का भेड़ का बच्चा और पापबलि के लिये कबूतरी का एक बच्चा या पिंडुकी मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक के पास लाए। 7 तब याजक उसको यहोवा के सामने भेंट चढ़ाकर उसके लिये प्रायश्चित करे; और वह अपने रूधिर के बहने की अशुद्धता से छूटकर शुद्ध ठहरेगी। जिस स्त्री के लड़का या लड़की उत्‍पन्‍न हो उसके लिये यही व्यवस्था है। 8 और यदि उसके पास भेड़ या बकरी देने की पूँजी न हो तो दो पिंडुकी या कबूतरी के दो बच्चे एक तो होमबलि और दूसरा पापबलि के लिये दे; और याजक उसके लिये प्रायश्चित करे तब वह शुद्ध ठहरेगी।

चर्म रोग सम्बन्धित नियम

13  1 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा 2 जब किसी मनुष्य के शरीर के चर्म में सूजन या पपड़ी या दाग हो और इससे उसके चर्म में कोढ़ की व्याधि के समान कुछ दिखाई पड़े तो उसे हारून याजक के पास या उसके पुत्र जो याजक हैं उनमें से किसी के पास ले जाएँ। 3 जब याजक उसके चर्म की व्याधि को देखे और यदि उस व्याधि के स्थान के रोएँ उजले हो गए हों और व्याधि चर्म से गहरी दिखाई पड़े तो वह जान ले कि कोढ़ की व्याधि है; और याजक उस मनुष्य को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए। 4 पर यदि वह दाग उसके चर्म में उजला तो हो परन्तु चर्म से गहरा न देख पड़े और न वहाँ के रोएँ उजले हो गए हों तो याजक उसको सात दिन तक बन्द करके रखे; 5 और सातवें दिन याजक उसको देखे और यदि वह व्याधि जैसी की तैसी बनी रहे और उसके चर्म में न फैली हो तो याजक उसको और भी सात दिन तक बन्द करके रखे; 6 और सातवें दिन याजक उसको फिर देखे और यदि देख पड़े कि व्याधि की चमक कम है और व्याधि चर्म पर फैली न हो तो याजक उसको शुद्ध ठहराए; क्योंकि उसके तो चर्म में पपड़ी है; और वह अपने वस्त्र धोकर शुद्ध हो जाए। 7 पर यदि याजक की उस जाँच के पश्चात् जिसमें वह शुद्ध ठहराया गया था वह पपड़ी उसके चर्म पर बहुत फैल जाए तो वह फिर याजक को दिखाया जाए; 8 और यदि याजक को देख पड़े कि पपड़ी चर्म में फैल गई है तो वह उसको अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ ही है। 9 यदि कोढ़ की सी व्याधि किसी मनुष्य के हो तो वह याजक के पास पहुँचाया जाए; 10 और याजक उसको देखे और यदि वह सूजन उसके चर्म में उजली हो और उसके कारण रोएँ भी उजले हो गए हों और उस सूजन में बिना चर्म का माँस हो 11 तो याजक जाने कि उसके चर्म में पुराना कोढ़ है इसलिए वह उसको अशुद्ध ठहराए; और बन्द न रखे क्योंकि वह तो अशुद्ध है। 12 और यदि कोढ़ किसी के चर्म में फूटकर यहाँ तक फैल जाए कि जहाँ कहीं याजक देखे रोगी के सिर से पैर के तलवे तक कोढ़ ने सारे चर्म को छा लिया हो 13 तो याजक ध्यान से देखे और यदि कोढ़ ने उसके सारे शरीर को छा लिया हो तो वह उस व्यक्ति को शुद्ध ठहराए; और उसका शरीर जो बिलकुल उजला हो गया है वह शुद्ध ही ठहरे। 14 पर जब उसमें चर्महीन माँस देख पड़े तब तो वह अशुद्ध ठहरे। 15 और याजक चर्महीन माँस को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वैसा चर्महीन माँस अशुद्ध ही होता है; वह कोढ़ है। 16 पर यदि वह चर्महीन माँस फिर उजला हो जाए तो वह मनुष्य याजक के पास जाए 17 और याजक उसको देखे और यदि वह व्याधि फिर से उजली हो गई हो तो याजक रोगी को शुद्ध जाने; वह शुद्ध है। 18 फिर यदि किसी के चर्म में फोड़ा होकर चंगा हो गया हो 19 और फोड़े के स्थान में उजली सी सूजन या लाली लिये हुए उजला दाग हो तो वह याजक को दिखाया जाए; 20 और याजक उस सूजन को देखे और यदि वह चर्म से गहरा दिखाई पड़े और उसके रोएँ भी उजले हो गए हों तो याजक यह जानकर उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है जो फोड़े में से फूटकर निकली है। 21 परन्तु यदि याजक देखे कि उसमें उजले रोएँ नहीं हैं और वह चर्म से गहरी नहीं और उसकी चमक कम हुई है तो याजक उस मनुष्य को सात दिन तक बन्द करके रखे। 22 और यदि वह व्याधि उस समय तक चर्म में सचमुच फैल जाए तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है। 23 परन्तु यदि वह दाग न फैले और अपने स्थान ही पर बना रहे तो वह फोड़े का दाग है; याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए। 24 फिर यदि किसी के चर्म में जलने का घाव हो और उस जलने के घाव में चर्महीन दाग लाली लिये हुए उजला या उजला ही हो जाए 25 तो याजक उसको देखे और यदि उस दाग में के रोएँ उजले हो गए हों और वह चर्म से गहरा दिखाई पड़े तो वह कोढ़ है; जो उस जलने के दाग में से फूट निकला है; याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उसमें कोढ़ की व्याधि है। 26 पर यदि याजक देखे कि दाग में उजले रोएँ नहीं और न वह चर्म से कुछ गहरा है और उसकी चमक कम हुई है तो वह उसको सात दिन तक बन्द करके रखे 27 और सातवें दिन याजक उसको देखे और यदि वह चर्म में फैल गई हो तो वह उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उसको कोढ़ की व्याधि है। 28 परन्तु यदि वह दाग चर्म में नहीं फैला और अपने स्थान ही पर जहाँ का तहाँ बना हो और उसकी चमक कम हुई हो तो वह जल जाने के कारण सूजा हुआ है याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; क्योंकि वह दाग जल जाने के कारण से है। 29 फिर यदि किसी पुरुष या स्त्री के सिर पर या पुरुष की दाढ़ी में व्याधि हो 30 तो याजक व्याधि को देखे और यदि वह चर्म से गहरी देख पड़े और उसमें भूरे-भूरे पतले बाल हों तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; वह व्याधि सेंहुआ अर्थात् सिर या दाढ़ी का कोढ़ है। 31 और यदि याजक सेंहुएँ की व्याधि को देखे कि वह चर्म से गहरी नहीं है और उसमें काले-काले बाल नहीं हैं तो वह सेंहुएँ के रोगी को सात दिन तक बन्द करके रखे 32 और सातवें दिन याजक व्याधि को देखे तब यदि वह सेंहुआ फैला न हो और उसमें भूरे-भूरे बाल न हों और सेंहुआ चर्म से गहरा न देख पड़े 33 तो यह मनुष्य मूँड़ा जाए परन्तु जहाँ सेंहुआ हो वहाँ न मूँड़ा जाए; और याजक उस सेंहुएँ वाले को और भी सात दिन तक बन्द करे; 34 और सातवें दिन याजक सेंहुएँ को देखे और यदि वह सेंहुआ चर्म में फैला न हो और चर्म से गहरा न देख पड़े तो याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; और वह अपने वस्त्र धोकर शुद्ध ठहरे। 35 पर यदि उसके शुद्ध ठहरने के पश्चात् सेंहुआ चर्म में कुछ भी फैले 36 तो याजक उसको देखे और यदि वह चर्म में फैला हो तो याजक भूरे बाल न ढूँढ़े क्योंकि वह मनुष्य अशुद्ध है। 37 परन्तु यदि उसकी दृष्टि में वह सेंहुआ जैसे का तैसा बना हो और उसमें काले-काले बाल जमे हों तो वह जाने की सेंहुआ चंगा हो गया है और वह मनुष्य शुद्ध है; याजक उसको शुद्ध ही ठहराए। 38 फिर यदि किसी पुरुष या स्त्री के चर्म में उजले दाग हों 39 तो याजक देखे और यदि उसके चर्म में वे दाग कम उजले हों तो वह जाने कि उसको चर्म में निकली हुई दाद ही है; वह मनुष्य शुद्ध ठहरे। 40 फिर जिसके सिर के बाल झड़ गए हों तो जानना कि वह चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है। 41 और जिसके सिर के आगे के बाल झड़ गए हों तो वह माथे का चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है। 42 परन्तु यदि चन्दुले सिर पर या चन्दुले माथे पर लाली लिये हुए उजली व्याधि हो तो जानना कि वह उसके चन्दुले सिर पर या चन्दुले माथे पर निकला हुआ कोढ़ है। 43 इसलिए याजक उसको देखे और यदि व्याधि की सूजन उसके चन्दुले सिर या चन्दुले माथे पर ऐसी लाली लिये हुए उजली हो जैसा चर्म के कोढ़ में होता है 44 तो वह मनुष्य कोढ़ी है और अशुद्ध है; और याजक उसको अवश्य अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह व्याधि उसके सिर पर है। 45 जिसमें वह व्याधि हो उस कोढ़ी के वस्त्र फटे और सिर के बाल बिखरे रहें और वह अपने ऊपरवाले होंठ को ढाँपे हुए अशुद्ध अशुद्ध पुकारा करे। 46 जितने दिन तक वह व्याधि उसमें रहे उतने दिन तक वह तो अशुद्ध रहेगा; और वह अशुद्ध ठहरा रहे; इसलिए वह अकेला रहा करे उसका निवास स्थान छावनी के बाहर हो। 47 फिर जिस वस्त्र में कोढ़ की व्याधि हो चाहे वह वस्त्र ऊन का हो चाहे सनी का 48 वह व्याधि चाहे उस सनी या ऊन के वस्त्र के ताने में हो चाहे बाने में या वह व्याधि चमड़े में या चमड़े की बनी हुई किसी वस्तु में हो 49 यदि वह व्याधि किसी वस्त्र के चाहे ताने में चाहे बाने में या चमड़े में या चमड़े की किसी वस्तु में हरी हो या लाल सी हो तो जानना कि वह कोढ़ की व्याधि है और वह याजक को दिखाई जाए। 50 और याजक व्याधि को देखे और व्याधिवाली वस्तु को सात दिन के लिये बन्द करे; 51 और सातवें दिन वह उस व्याधि को देखे और यदि वह वस्त्र के चाहे ताने में चाहे बाने में या चमड़े में या चमड़े की बनी हुई किसी वस्तु में फैल गई हो तो जानना कि व्याधि गलित कोढ़ है इसलिए वह वस्तु चाहे कैसे ही काम में क्यों न आती हो तो भी अशुद्ध ठहरेगी। 52 वह उस वस्त्र को जिसके ताने या बाने में वह व्याधि हो चाहे वह ऊन का हो चाहे सनी का या चमड़े की वस्तु हो उसको जला दे वह व्याधि गलित कोढ़ की है; वह वस्तु आग में जलाई जाए। 53 यदि याजक देखे कि वह व्याधि उस वस्त्र के ताने या बाने में या चमड़े की उस वस्तु में नहीं फैली 54 तो जिस वस्तु में व्याधि हो उसके धोने की आज्ञा दे तब उसे और भी सात दिन तक बन्द करके रखे; 55 और उसके धोने के बाद याजक उसको देखे और यदि व्याधि का न तो रंग बदला हो और न व्याधि फैली हो तो जानना कि वह अशुद्ध है; उसे आग में जलाना क्योंकि चाहे वह व्याधि भीतर चाहे ऊपरी हो तो भी वह खा जाने वाली व्याधि है। 56 पर यदि याजक देखे कि उसके धोने के पश्चात् व्याधि की चमक कम हो गई तो वह उसको वस्त्र के चाहे ताने चाहे बाने में से या चमड़े में से फाड़कर निकाले; 57 और यदि वह व्याधि तब भी उस वस्त्र के ताने या बाने में या चमड़े की उस वस्तु में दिखाई पड़े तो जानना कि वह फूटकर निकली हुई व्याधि है; और जिसमें वह व्याधि हो उसे आग में जलाना। 58 यदि उस वस्त्र से जिसके ताने या बाने में व्याधि हो या चमड़े की जो वस्तु हो उससे जब धोई जाए और व्याधि जाती रही तो वह दूसरी बार धुलकर शुद्ध ठहरे। 59 ऊन या सनी के वस्त्र में के ताने या बाने में या चमड़े की किसी वस्तु में जो कोढ़ की व्याधि हो उसके शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की यही व्यवस्था है।

चर्म रोग शुद्धिकरण का नियम

14  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 कोढ़ी के शुद्ध ठहराने की व्यवस्था यह है। वह याजक के पास पहुँचाया जाए; 3 और याजक छावनी के बाहर जाए और याजक उस कोढ़ी को देखे और यदि उसके कोढ़ की व्याधि चंगी हुई हो 4 तो याजक आज्ञा दे कि शुद्ध ठहरानेवाले के लिये दो शुद्ध और जीवित पक्षी देवदार की लकड़ी और लाल रंग का कपड़ा और जूफा ये सब लिये जाएँ; 5 और याजक आज्ञा दे कि एक पक्षी बहते हुए जल के ऊपर मिट्टी के पात्र में बलि किया जाए। 6 तब वह जीवित पक्षी को देवदार की लकड़ी और लाल रंग के कपड़े और जूफा इन सभी को लेकर एक संग उस पक्षी के लहू में जो बहते हुए जल के ऊपर बलि किया गया है डुबा दे; 7 और कोढ़ से शुद्ध ठहरनेवाले पर सात बार छिड़ककर उसको शुद्ध ठहराए तब उस जीवित पक्षी को मैदान में छोड़ दे। 8 और शुद्ध ठहरनेवाला अपने वस्त्रों को धोए और सब बाल मुँड़वाकर जल से स्नान करे तब वह शुद्ध ठहरेगा; और उसके बाद वह छावनी में आने पाए परन्तु सात दिन तक अपने डेरे से बाहर ही रहे। 9 और सातवें दिन वह सिर दाढ़ी और भौहों के सब बाल मुँड़ाएँ और सब अंग मुण्डन कराए और अपने वस्त्रों को धोए और जल से स्नान करे तब वह शुद्ध ठहरेगा। 10 आठवें दिन वह दो निर्दोष भेड़ के बच्चे और एक वर्ष की निर्दोष भेड़ की बच्ची और अन्नबलि के लिये तेल से सना हुआ एपा का तीन दहाई अंश मैदा और लोज भर तेल लाए। 11 और शुद्ध ठहरानेवाला याजक इन वस्तुओं समेत उस शुद्ध होनेवाले मनुष्य को यहोवा के सम्मुख मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़ा करे। 12 तब याजक एक भेड़ का बच्चा लेकर दोषबलि के लिये उसे और उस लोज भर तेल को समीप लाए और इन दोनों को हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के सामने हिलाए; 13 और वह उस भेड़ के बच्चे को उसी स्थान में जहाँ वह पापबलि और होमबलि पशुओं का बलिदान किया करेगा अर्थात् पवित्रस्‍थान में बलिदान करे; क्योंकि जैसे पापबलि याजक का निज भाग होगा वैसे ही दोषबलि भी उसी का निज भाग ठहरेगा; वह परमपवित्र है। 14 तब याजक दोषबलि के लहू में से कुछ लेकर शुद्ध ठहरनेवाले के दाहिने कान के सिरे पर और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अँगूठों पर लगाए। 15 तब याजक उस लोज भर तेल में से कुछ लेकर अपने बाएँ हाथ की हथेली पर डाले 16 और याजक अपने दाहिने हाथ की उँगली को अपनी बाईं हथेली पर के तेल में डुबाकर उस तेल में से कुछ अपनी उँगली से यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के। 17 और जो तेल उसकी हथेली पर रह जाएगा याजक उसमें से कुछ शुद्ध होनेवाले के दाहिने कान के सिरे पर और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अँगूठों पर दोषबलि के लहू के ऊपर लगाए; 18 और जो तेल याजक की हथेली पर रह जाए उसको वह शुद्ध होनेवाले के सिर पर डाल दे। और याजक उसके लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित करे। 19 याजक पापबलि को भी चढ़ाकर उसके लिये जो अपनी अशुद्धता से शुद्ध होनेवाला हो प्रायश्चित करे; और उसके बाद होमबलि पशु का बलिदान करके 20 अन्नबलि समेत वेदी पर चढ़ाए: और याजक उसके लिये प्रायश्चित करे और वह शुद्ध ठहरेगा। 21 परन्तु यदि वह दरिद्र हो और इतना लाने के लिये उसके पास पूँजी न हो तो वह अपना प्रायश्चित करवाने के निमित्त हिलाने के लिये भेड़ का बच्चा दोषबलि के लिये और तेल से सना हुआ एपा का दसवाँ अंश मैदा अन्नबलि करके और लोज भर तेल लाए; 22 और दो पंडुक या कबूतरी के दो बच्चे लाए जो वह ला सके; और इनमें से एक तो पापबलि के लिये और दूसरा होमबलि के लिये हो। 23 और आठवें दिन वह इन सभी को अपने शुद्ध ठहरने के लिये मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के सम्मुख याजक के पास ले आए; 24 तब याजक उस लोज भर तेल और दोषबलिवाले भेड़ के बच्चे को लेकर हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के सामने हिलाए। 25 फिर दोषबलि के भेड़ के बच्चे का बलिदान किया जाए; और याजक उसके लहू में से कुछ लेकर शुद्ध ठहरनेवाले के दाहिने कान के सिरे पर और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अँगूठों पर लगाए। 26 फिर याजक उस तेल में से कुछ अपने बाएँ हाथ की हथेली पर डालकर 27 अपने दाहिने हाथ की उँगली से अपनी बाईं हथेली पर के तेल में से कुछ यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के; 28 फिर याजक अपनी हथेली पर के तेल में से कुछ शुद्ध ठहरनेवाले के दाहिने कान के सिरे पर और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अँगूठों पर दोषबलि के लहू के स्थान पर लगाए। 29 और जो तेल याजक की हथेली पर रह जाए उसे वह शुद्ध ठहरनेवाले के लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित करने को उसके सिर पर डाल दे। 30 तब वह पंडुक या कबूतरी के बच्चों में से जो वह ला सका हो एक को चढ़ाए 31 अर्थात् जो पक्षी वह ला सका हो उनमें से वह एक को पापबलि के लिये और अन्नबलि समेत दूसरे को होमबलि के लिये चढ़ाए; इस रीति से याजक शुद्ध ठहरनेवाले के लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित करे। 32 जिसे कोढ़ की व्याधि हुई हो और उसके इतनी पूँजी न हो कि वह शुद्ध ठहरने की सामग्री को ला सके तो उसके लिये यही व्यवस्था है। 33 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा 34 जब तुम लोग कनान देश में पहुँचो जिसे मैं तुम्हारी निज भूमि होने के लिये तुम्हें देता हूँ उस समय यदि मैं कोढ़ की व्याधि तुम्हारे अधिकार के किसी घर में दिखाऊँ 35 तो जिसका वह घर हो वह आकर याजक को बता दे कि मुझे ऐसा देख पड़ता है कि घर में मानो कोई व्याधि है। 36 तब याजक आज्ञा दे कि उस घर में व्याधि देखने के लिये मेरे जाने से पहले उसे खाली करो कहीं ऐसा न हो कि जो कुछ घर में हो वह सब अशुद्ध ठहरे; और इसके बाद याजक घर देखने को भीतर जाए। 37 तब वह उस व्याधि को देखे; और यदि वह व्याधि घर की दीवारों पर हरी-हरी या लाल-लाल मानो खुदी हुई लकीरों के रूप में हो और ये लकीरें दीवार में गहरी देख पड़ती हों 38 तो याजक घर से बाहर द्वार पर जाकर घर को सात दिन तक बन्द कर रखे। 39 और सातवें दिन याजक आकर देखे; और यदि वह व्याधि घर की दीवारों पर फैल गई हो 40 तो याजक आज्ञा दे कि जिन पत्थरों को व्याधि है उन्हें निकालकर नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान में फेंक दें; 41 और वह घर के भीतर ही भीतर चारों ओर खुरचवाए और वह खुरचन की मिट्टी नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान में डाली जाए; 42 और उन पत्थरों के स्थान में और दूसरे पत्थर लेकर लगाएँ और याजक ताजा गारा लेकर घर की जुड़ाई करे। 43 यदि पत्थरों के निकाले जाने और घर के खुरचे और पुताई जाने के बाद वह व्याधि फिर घर में फूट निकले 44 तो याजक आकर देखे; और यदि वह व्याधि घर में फैल गई हो तो वह जान ले कि घर में गलित कोढ़ है; वह अशुद्ध है। 45 और वह सब गारे समेत पत्थर लकड़ी और घर को खुदवाकर गिरा दे; और उन सब वस्तुओं को उठवाकर नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान पर फिंकवा दे। 46 और जब तक वह घर बन्द रहे तब तक यदि कोई उसमें जाए तो वह सांझ तक अशुद्ध रहे; 47 और जो कोई उस घर में सोए वह अपने वस्त्रों को धोए; और जो कोई उस घर में खाना खाए वह भी अपने वस्त्रों को धोए। 48 पर यदि याजक आकर देखे कि जब से घर लेसा गया है तब से उसमें व्याधि नहीं फैली है तो यह जानकर कि वह व्याधि दूर हो गई है घर को शुद्ध ठहराए। 49 और उस घर को पवित्र करने के लिये दो पक्षी देवदार की लकड़ी लाल रंग का कपड़ा और जूफा लाए 50 और एक पक्षी बहते हुए जल के ऊपर मिट्टी के पात्र में बलिदान करे 51 तब वह देवदार की लकड़ी लाल रंग के कपड़े और जूफा और जीवित पक्षी इन सभी को लेकर बलिदान किए हुए पक्षी के लहू में और बहते हुए जल में डूबा दे और उस घर पर सात बार छिड़के। 52 इस प्रकार वह पक्षी के लहू और बहते हुए जल और जीवित पक्षी और देवदार की लकड़ी और जूफा और लाल रंग के कपड़े के द्वारा घर को पवित्र करे; 53 तब वह जीवित पक्षी को नगर से बाहर मैदान में छोड़ दे; इसी रीति से वह घर के लिये प्रायश्चित करे तब वह शुद्ध ठहरेगा। 54 सब भाँति के कोढ़ की व्याधि और सेंहुएँ 55 और वस्त्र और घर के कोढ़ 56 और सूजन और पपड़ी और दाग के विषय में 57 शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की शिक्षा देने की व्यवस्था यही है। सब प्रकार के कोढ़ की व्यवस्था यही है।

शरीर से बहने वाले अशुद्ध स्राव

15  1 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा 2 इस्राएलियों से कहो कि जिस-जिस पुरुष के प्रमेह हो तो वह प्रमेह के कारण से अशुद्ध ठहरे। 3 वह चाहे बहता रहे चाहे बहना बन्द भी हो तो भी उसकी अशुद्धता बनी रहेगी। 4 जिसके प्रमेह हो वह जिस-जिस बिछौने पर लेटे वह अशुद्ध ठहरे और जिस-जिस वस्तु पर वह बैठे वह भी अशुद्ध ठहरे। 5 और जो कोई उसके बिछौने को छूए वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे और सांझ तक अशुद्ध ठहरा रहे। 6 और जिसके प्रमेह हो और वह जिस वस्तु पर बैठा हो उस पर जो कोई बैठे वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे और सांझ तक अशुद्ध ठहरा रहे। 7 और जिसके प्रमेह हो उससे जो कोई छू जाए वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे और सांझ तक अशुद्ध रहे। 8 और जिसके प्रमेह हो यदि वह किसी शुद्ध मनुष्य पर थूके तो वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे और सांझ तक अशुद्ध रहे। 9 और जिसके प्रमेह हो वह सवारी की जिस वस्तु पर बैठे वह अशुद्ध ठहरे। 10 और जो कोई किसी वस्तु को जो उसके नीचे रही हो छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहें; और जो कोई ऐसी किसी वस्तु को उठाए वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे और सांझ तक अशुद्ध रहे। 11 और जिसके प्रमेह हो वह जिस किसी को बिना हाथ धोए छूए वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे और सांझ तक अशुद्ध रहे। 12 और जिसके प्रमेह हो वह मिट्टी के जिस किसी पात्र को छूए वह तोड़ डाला जाए और काठ के सब प्रकार के पात्र जल से धोए जाएँ। 13 फिर जिसके प्रमेह हो वह जब अपने रोग से चंगा हो जाए तब से शुद्ध ठहरने के सात दिन गिन ले और उनके बीतने पर अपने वस्त्रों को धोकर बहते हुए जल से स्नान करे; तब वह शुद्ध ठहरेगा। 14 और आठवें दिन वह दो पंडुक या कबूतरी के दो बच्चे लेकर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के सम्मुख जाकर उन्हें याजक को दे। 15 तब याजक उनमें से एक को पापबलि; और दूसरे को होमबलि के लिये भेंट चढ़ाए; और याजक उसके लिये उसके प्रमेह के कारण यहोवा के सामने प्रायश्चित करे। 16 फिर यदि किसी पुरुष का वीर्य स्खलित हो जाए तो वह अपने सारे शरीर को जल से धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे। 17 और जिस किसी वस्त्र या चमड़े पर वह वीर्य पड़े वह जल से धोया जाए और सांझ तक अशुद्ध रहे। 18 और जब कोई पुरुष स्त्री से प्रसंग करे तो वे दोनों जल से स्नान करें और सांझ तक अशुद्ध रहें। 19 फिर जब कोई स्त्री ऋतुमती रहे तो वह सात दिन तक अशुद्ध ठहरी रहे और जो कोई उसको छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे। 20 और जब तक वह अशुद्ध रहे तब तक जिस-जिस वस्तु पर वह लेटे और जिस-जिस वस्तु पर वह बैठे वे सब अशुद्ध ठहरें। 21 और जो कोई उसके बिछौने को छूए वह अपने वस्त्र धोकर जल से स्नान करे और सांझ तक अशुद्ध रहे। 22 और जो कोई किसी वस्तु को छूए जिस पर वह बैठी हो वह अपने वस्त्र धोकर जल से स्नान करे और सांझ तक अशुद्ध रहे। 23 और यदि बिछौने या और किसी वस्तु पर जिस पर वह बैठी हो छूने के समय उसका रूधिर लगा हो तो छूनेवाले सांझ तक अशुद्ध रहे। 24 और यदि कोई पुरुष उससे प्रसंग करे और उसका रूधिर उसके लग जाए तो वह पुरुष सात दिन तक अशुद्ध रहे और जिस-जिस बिछौने पर वह लेटे वे सब अशुद्ध ठहरें। 25 फिर यदि किसी स्त्री के अपने मासिक धर्म के नियुक्त समय से अधिक दिन तक रूधिर बहता रहे या उस नियुक्त समय से अधिक समय तक ऋतुमती रहे तो जब तक वह ऐसी दशा में रहे तब तक वह अशुद्ध ठहरी रहे। 26 उसके ऋतुमती रहने के सब दिनों में जिस-जिस बिछौने पर वह लेटे वे सब उसके मासिक धर्म के बिछौने के समान ठहरें; और जिस-जिस वस्तु पर वह बैठे वे भी उसके ऋतुमती रहने के दिनों के समान अशुद्ध ठहरें। 27 और जो कोई उन वस्तुओं को छूए वह अशुद्ध ठहरे इसलिए वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे और सांझ तक अशुद्ध रहे। 28 और जब वह स्त्री अपने ऋतुमती से शुद्ध हो जाए तब से वह सात दिन गिन ले और उन दिनों के बीतने पर वह शुद्ध ठहरे। 29 फिर आठवें दिन वह दो पंडुक या कबूतरी के दो बच्चे लेकर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक के पास जाए। 30 तब याजक एक को पापबलि और दूसरे को होमबलि के लिये चढ़ाए; और याजक उसके लिये उसके मासिक धर्म की अशुद्धता के कारण यहोवा के सामने प्रायश्चित करे। 31 इस प्रकार से तुम इस्राएलियों को उनकी अशुद्धता से अलग रखा करो कहीं ऐसा न हो कि वे यहोवा के निवास को जो उनके बीच में है अशुद्ध करके अपनी अशुद्धता में फँसकर मर जाएँ। 32 जिसके प्रमेह हो और जो पुरुष वीर्य स्खलित होने से अशुद्ध हो; 33 और जो स्त्री ऋतुमती हो; और क्या पुरुष क्या स्त्री जिस किसी के धातुरोग हो और जो पुरुष अशुद्ध स्त्री के साथ प्रसंग करे इन सभी के लिये यही व्यवस्था है।

पाप से छुटकारे का दिन

16  1 जब हारून के दो पुत्र यहोवा के सामने समीप जाकर मर गए उसके बाद यहोवा ने मूसा से बातें की; 2 और यहोवा ने मूसा से कहा अपने भाई हारून से कह कि सन्दूक के ऊपर के प्रायश्चितवाले ढकने के आगे बीचवाले पर्दे के अन्दर अति पवित्रस्‍थान में हर समय न प्रवेश करे नहीं तो मर जाएगा; क्योंकि मैं प्रायश्चितवाले ढकने के ऊपर बादल में दिखाई दूँगा। 3 जब हारून अति पवित्रस्‍थान में प्रवेश करे तब इस रीति से प्रवेश करे अर्थात् पापबलि के लिये एक बछड़े को और होमबलि के लिये एक मेढ़े को लेकर आए। 4 वह सनी के कपड़े का पवित्र अंगरखा और अपने तन पर सनी के कपड़े की जाँघिया पहने हुए और सनी के कपड़े का कटिबन्ध और सनी के कपड़े की पगड़ी बाँधे हुए प्रवेश करे; ये पवित्र वस्त्र हैं और वह जल से स्नान करके इन्हें पहने। 5 फिर वह इस्राएलियों की मण्डली के पास से पापबलि के लिये दो बकरे और होमबलि के लिये एक मेढ़ा ले। 6 और हारून उस पापबलि के बछड़े को जो उसी के लिये होगा चढ़ाकर अपने और अपने घराने के लिये प्रायश्चित करे। 7 और उन दोनों बकरों को लेकर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के सामने खड़ा करे; 8 और हारून दोनों बकरों पर चिट्ठियाँ डाले एक चिट्ठी यहोवा के लिये और दूसरी अजाजेल के लिये हो। 9 और जिस बकरे पर यहोवा के नाम की चिट्ठी निकले उसको हारून पापबलि के लिये चढ़ाए; 10 परन्तु जिस बकरे पर अजाजेल के लिये चिट्ठी निकले वह यहोवा के सामने जीवित खड़ा किया जाए कि उससे प्रायश्चित किया जाए और वह अजाजेल के लिये जंगल में छोड़ा जाए। 11 हारून उस पापबलि के बछड़े को जो उसी के लिये होगा समीप ले आए और उसको बलिदान करके अपने और अपने घराने के लिये प्रायश्चित करे। 12 और जो वेदी यहोवा के सम्मुख है उस पर के जलते हुए कोयलों से भरे हुए धूपदान को लेकर और अपनी दोनों मुट्ठियों को कूटे हुए सुगन्धित धूप से भरकर बीचवाले पर्दे के भीतर ले आकर 13 उस धूप को यहोवा के सम्मुख आग में डाले जिससे धूप का धुआँ साक्षीपत्र के ऊपर के प्रायश्चित के ढकने के ऊपर छा जाए नहीं तो वह मर जाएगा; 14 तब वह बछड़े के लहू में से कुछ लेकर पूरब की ओर प्रायश्चित के ढकने के ऊपर अपनी उँगली से छिड़के और फिर उस लहू में से कुछ उँगली के द्वारा उस ढकने के सामने भी सात बार छिड़क दे। 15 फिर वह उस पापबलि के बकरे को जो साधारण जनता के लिये होगा बलिदान करके उसके लहू को बीचवाले पर्दे के भीतर ले आए और जिस प्रकार बछड़े के लहू से उसने किया था ठीक वैसा ही वह बकरे के लहू से भी करे अर्थात् उसको प्रायश्चित के ढकने के ऊपर और उसके सामने छिड़के। 16 और वह इस्राएलियों की भाँति-भाँति की अशुद्धता और अपराधों और उनके सब पापों के कारण पवित्रस्‍थान के लिये प्रायश्चित करे; और मिलापवाले तम्बू जो उनके संग उनकी भाँति-भाँति की अशुद्धता के बीच रहता है उसके लिये भी वह वैसा ही करे। 17 जब हारून प्रायश्चित करने के लिये अति पवित्रस्‍थान में प्रवेश करे तब से जब तक वह अपने और अपने घराने और इस्राएल की सारी मण्डली के लिये प्रायश्चित करके बाहर न निकले तब तक कोई मनुष्य मिलापवाले तम्बू में न रहे। 18 फिर वह निकलकर उस वेदी के पास जो यहोवा के सामने है जाए और उसके लिये प्रायश्चित करे अर्थात् बछड़े के लहू और बकरे के लहू दोनों में से कुछ लेकर उस वेदी के चारों कोनों के सींगों पर लगाए। 19 और उस लहू में से कुछ अपनी उँगली के द्वारा सात बार उस पर छिड़ककर उसे इस्राएलियों की भाँति-भाँति की अशुद्धता छुड़ाकर शुद्ध और पवित्र करे। 20 जब वह पवित्रस्‍थान और मिलापवाले तम्बू और वेदी के लिये प्रायश्चित कर चुके तब जीवित बकरे को आगे ले आए; 21 और हारून अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे पर रखकर इस्राएलियों के सब अधर्म के कामों और उनके सब अपराधों अर्थात् उनके सारे पापों को अंगीकार करे और उनको बकरे के सिर पर धरकर उसको किसी मनुष्य के हाथ जो इस काम के लिये तैयार हो जंगल में भेजके छुड़वा दे। 22 वह बकरा उनके सब अधर्म के कामों को अपने ऊपर लादे हुए किसी निर्जन देश में उठा ले जाएगा; इसलिए वह मनुष्य उस बकरे को जंगल में छोड़ दे। 23 तब हारून मिलापवाले तम्बू में आए और जिस सनी के वस्त्रों को पहने हुए उसने अति पवित्रस्‍थान में प्रवेश किया था उन्हें उतारकर वहीं पर रख दे। 24 फिर वह किसी पवित्रस्‍थान में जल से स्नान कर अपने निज वस्त्र पहन ले और बाहर जाकर अपने होमबलि और साधारण जनता के होमबलि को चढ़ाकर अपने और जनता के लिये प्रायश्चित करे। 25 और पापबलि की चर्बी को वह वेदी पर जलाए। 26 और जो मनुष्य बकरे को अजाजेल के लिये छोड़कर आए वह भी अपने वस्त्रों को धोए और जल से स्नान करे और तब वह छावनी में प्रवेश करे। 27 और पापबलि का बछड़ा और पापबलि का बकरा भी जिनका लहू पवित्रस्‍थान में प्रायश्चित करने के लिये पहुँचाया जाए वे दोनों छावनी से बाहर पहुँचाए जाएँ; और उनका चमड़ा माँस और गोबर आग में जला दिया जाए। 28 और जो उनको जलाए वह अपने वस्त्रों को धोए और जल से स्नान करे और इसके बाद वह छावनी में प्रवेश करने पाए। 29 तुम लोगों के लिये यह सदा की विधि होगी कि सातवें महीने के दसवें दिन को तुम उपवास करना और उस दिन कोई चाहे वह तुम्हारे निज देश का हो चाहे तुम्हारे बीच रहनेवाला कोई परदेशी हो कोई भी किसी प्रकार का काम-काज न करे; 30 क्योंकि उस दिन तुम्हें शुद्ध करने के लिये तुम्हारे निमित्त प्रायश्चित किया जाएगा; और तुम अपने सब पापों से यहोवा के सम्मुख पवित्र ठहरोगे। 31 यह तुम्हारे लिये परमविश्राम का दिन ठहरे और तुम उस दिन उपवास करना और किसी प्रकार का काम-काज न करना; यह सदा की विधि है। 32 और जिसका अपने पिता के स्थान पर याजक पद के लिये अभिषेक और संस्कार किया जाए वह याजक प्रायश्चित किया करे अर्थात् वह सनी के पवित्र वस्त्रों को पहनकर 33 पवित्रस्‍थान और मिलापवाले तम्बू और वेदी के लिये प्रायश्चित करे; और याजकों के और मण्डली के सब लोगों के लिये भी प्रायश्चित करे। 34 और यह तुम्हारे लिये सदा की विधि होगी कि इस्राएलियों के लिये प्रति वर्ष एक बार तुम्हारे सारे पापों के लिये प्रायश्चित किया जाए। यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार जो उसने मूसा को दी थी हारून ने किया।

निषिद्ध बलिदान

17  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 हारून और उसके पुत्रों से और सब इस्राएलियों से कह कि यहोवा ने यह आज्ञा दी है: 3 इस्राएल के घराने में से कोई मनुष्य हो जो बैल या भेड़ के बच्चे या बकरी को चाहे छावनी में चाहे छावनी से बाहर घात करके 4 मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के निवास के सामने यहोवा को चढ़ाने के निमित्त न ले जाए तो उस मनुष्य को लहू बहाने का दोष लगेगा; और वह मनुष्य जो लहू बहाने वाला ठहरेगा वह अपने लोगों के बीच से नष्ट किया जाए। 5 इस विधि का यह कारण है कि इस्राएली अपने बलिदान जिनको वे खुले मैदान में वध करते हैं वे उन्हें मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक के पास यहोवा के लिये ले जाकर उसी के लिये मेलबलि करके बलिदान किया करें; 6 और याजक लहू को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा की वेदी के ऊपर छिड़के और चर्बी को उसके सुखदायक सुगन्ध के लिये जलाए। 7 वे जो बकरों के पूजक होकर व्यभिचार करते हैं वे फिर अपने बलिपशुओं को उनके लिये बलिदान न करें। तुम्हारी पीढ़ियों के लिये यह सदा की विधि होगी। 8 तू उनसे कह कि इस्राएल के घराने के लोगों में से या उनके बीच रहनेवाले परदेशियों में से कोई मनुष्य क्यों न हो जो होमबलि या मेलबलि चढ़ाए 9 और उसको मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के लिये चढ़ाने को न ले आए; वह मनुष्य अपने लोगों में से नष्ट किया जाए। 10 फिर इस्राएल के घराने के लोगों में से या उनके बीच रहनेवाले परदेशियों में से कोई मनुष्य क्यों न हो जो किसी प्रकार का लहू खाए मैं उस लहू खानेवाले के विमुख होकर उसको उसके लोगों के बीच में से नष्ट कर डालूँगा। 11 क्योंकि शरीर का प्राण लहू में रहता है; और उसको मैंने तुम लोगों को वेदी पर चढ़ाने के लिये दिया है कि तुम्हारे प्राणों के लिये प्रायश्चित किया जाए; क्योंकि प्राण के लिए लहू ही से प्रायश्चित होता है। 12 इस कारण मैं इस्राएलियों से कहता हूँ कि तुम में से कोई प्राणी लहू न खाए और जो परदेशी तुम्हारे बीच रहता हो वह भी लहू कभी न खाए। 13 इस्राएलियों में से या उनके बीच रहनेवाले परदेशियों में से कोई मनुष्य क्यों न हो जो शिकार करके खाने के योग्य पशु या पक्षी को पकड़े वह उसके लहू को उण्डेलकर धूलि से ढाँप दे। 14 क्योंकि शरीर का प्राण जो है वह उसका लहू ही है जो उसके प्राण के साथ एक है; इसलिए मैं इस्राएलियों से कहता हूँ कि किसी प्रकार के प्राणी के लहू को तुम न खाना क्योंकि सब प्राणियों का प्राण उनका लहू ही है; जो कोई उसको खाए वह नष्ट किया जाएगा। 15 और चाहे वह देशी हो या परदेशी हो जो कोई किसी लोथ या फाड़े हुए पशु का माँस खाए वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे और सांझ तक अशुद्ध रहे; तब वह शुद्ध होगा। 16 परन्तु यदि वह उनको न धोए और न स्नान करे तो उसको अपने अधर्म का भार स्वयं उठाना पड़ेगा।

यौन नैतिकता का नियम

18  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 इस्राएलियों से कह कि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 3 तुम मिस्र देश के कामों के अनुसार जिसमें तुम रहते थे न करना; और कनान देश के कामों के अनुसार भी जहाँ मैं तुम्हें ले चलता हूँ न करना; और न उन देशों की विधियों पर चलना। 4 मेरे ही नियमों को मानना और मेरी ही विधियों को मानते हुए उन पर चलना। मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 5 इसलिए तुम मेरे नियमों और मेरी विधियों को निरन्तर मानना; जो मनुष्य उनको माने वह उनके कारण जीवित रहेगा। मैं यहोवा हूँ। 6 तुम में से कोई अपनी किसी निकट कुटुम्बिनी का तन उघाड़ने को उसके पास न जाए। मैं यहोवा हूँ। 7 अपनी माता का तन जो तुम्हारे पिता का तन है न उघाड़ना; वह तो तुम्हारी माता है इसलिए तुम उसका तन न उघाड़ना। 8 अपनी सौतेली माता का भी तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे पिता ही का तन है। 9 अपनी बहन चाहे सगी हो चाहे सौतेली हो चाहे वह घर में उत्‍पन्‍न हुई हो चाहे बाहर उसका तन न उघाड़ना। 10 अपनी पोती या अपनी नातिन का तन न उघाड़ना उनकी देह तो मानो तुम्हारी ही है। 11 तुम्हारी सोतेली बहन जो तुम्हारे पिता से उत्‍पन्‍न हुई वह तुम्हारी बहन है इस कारण उसका तन न उघाड़ना। 12 अपनी फूफी का तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे पिता की निकट कुटुम्बिनी है। 13 अपनी मौसी का तन न उघाड़ना; क्योंकि वह तुम्हारी माता की निकट कुटुम्बिनी है। 14 अपने चाचा का तन न उघाड़ना अर्थात् उसकी स्त्री के पास न जाना; वह तो तुम्हारी चाची है। 15 अपनी बहू का तन न उघाड़ना वह तो तुम्हारे बेटे की स्त्री है इस कारण तुम उसका तन न उघाड़ना। 16 अपनी भाभी का तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे भाई ही का तन है। 17 किसी स्त्री और उसकी बेटी दोनों का तन न उघाड़ना और उसकी पोती को या उसकी नातिन को अपनी स्त्री करके उसका तन न उघाड़ना; वे तो निकट कुटुम्बिनी है; ऐसा करना महापाप है। 18 और अपनी स्त्री की बहन को भी अपनी स्त्री करके उसकी सौत न करना कि पहली के जीवित रहते हुए उसका तन भी उघाड़े। 19 फिर जब तक कोई स्त्री अपने ऋतु के कारण अशुद्ध रहे तब तक उसके पास उसका तन उघाड़ने को न जाना। 20 फिर अपने भाईबन्धु की स्त्री से कुकर्म करके अशुद्ध न हो जाना। 21 अपनी सन्तान में से किसी को मोलेक के लिये होम करके न चढ़ाना और न अपने परमेश्‍वर के नाम को अपवित्र ठहराना; मैं यहोवा हूँ। 22 स्त्रीगमन की रीति पुरुषगमन न करना; वह तो घिनौना काम है। 23 किसी जाति के पशु के साथ पशुगमन करके अशुद्ध न हो जाना और न कोई स्त्री पशु के सामने इसलिए खड़ी हो कि उसके संग कुकर्म करे; यह तो उलटी बात है। 24 ऐसा-ऐसा कोई भी काम करके अशुद्ध न हो जाना क्योंकि जिन जातियों को मैं तुम्हारे आगे से निकालने पर हूँ वे ऐसे-ऐसे काम करके अशुद्ध हो गई हैं; 25 और उनका देश भी अशुद्ध हो गया है इस कारण मैं उस पर उसके अधर्म का दण्ड देता हूँ और वह देश अपने निवासियों को उगल देता है। 26 इस कारण तुम लोग मेरी विधियों और नियमों को निरन्तर मानना और चाहे देशी चाहे तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेशी हो तुम में से कोई भी ऐसा घिनौना काम न करे; 27 क्योंकि ऐसे सब घिनौने कामों को उस देश के मनुष्य जो तुम से पहले उसमें रहते थे वे करते आए हैं इसी से वह देश अशुद्ध हो गया है। 28 अब ऐसा न हो कि जिस रीति से जो जाति तुम से पहले उस देश में रहती थी उसको उसने उगल दिया उसी रीति जब तुम उसको अशुद्ध करो तो वह तुम को भी उगल दे। 29 जितने ऐसा कोई घिनौना काम करें वे सब प्राणी अपने लोगों में से नष्ट किए जाएँ। 30 यह आज्ञा जो मैंने तुम्हारे मानने को दी है उसे तुम मानना और जो घिनौनी रीतियाँ तुम से पहले प्रचलित हैं उनमें से किसी पर न चलना और न उनके कारण अशुद्ध हो जाना। मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ।

पवित्रता का नियम

19  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 इस्राएलियों की सारी मण्डली से कह कि तुम पवित्र बने रहो; क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा पवित्र हूँ। 3 तुम अपनी-अपनी माता और अपने-अपने पिता का भय मानना और मेरे विश्रामदिनों को मानना: मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 4 तुम मूरतों की ओर न फिरना और देवताओं की प्रतिमाएँ ढालकर न बना लेना; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 5 जब तुम यहोवा के लिये मेलबलि करो तब ऐसा बलिदान करना जिससे मैं तुम से प्रसन्‍न हो जाऊँ। 6 उसका माँस बलिदान के दिन और दूसरे दिन खाया जाए परन्तु तीसरे दिन तक जो रह जाए वह आग में जला दिया जाए। 7 यदि उसमें से कुछ भी तीसरे दिन खाया जाए तो यह घृणित ठहरेगा और ग्रहण न किया जाएगा। 8 और उसका खानेवाला यहोवा के पवित्र पदार्थ को अपवित्र ठहराता है इसलिए उसको अपने अधर्म का भार स्वयं उठाना पड़ेगा; और वह प्राणी अपने लोगों में से नष्ट किया जाएगा। 9 फिर जब तुम अपने देश के खेत काटो तब अपने खेत के कोने-कोने तक पूरा न काटना और काटे हुए खेत की गिरी पड़ी बालों को न चुनना। 10 और अपनी दाख की बारी का दाना-दाना न तोड़ लेना और अपनी दाख की बारी के झड़े हुए अंगूरों को न बटोरना; उन्हें दीन और परदेशी लोगों के लिये छोड़ देना; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 11 तुम चोरी न करना और एक दूसरे से न तो कपट करना और न झूठ बोलना। 12 तुम मेरे नाम की झूठी शपथ खाके अपने परमेश्‍वर का नाम अपवित्र न ठहराना; मैं यहोवा हूँ। 13 एक दूसरे पर अंधेर न करना और न एक दूसरे को लूट लेना। मजदूर की मजदूरी तेरे पास सारी रात सवेरे तक न रहने पाए। 14 बहरे को श्राप न देना और न अंधे के आगे ठोकर रखना; और अपने परमेश्‍वर का भय मानना; मैं यहोवा हूँ। 15 न्याय में कुटिलता न करना; और न तो कंगाल का पक्ष करना और न बड़े मनुष्यों का मुँह देखा विचार करना; एक दूसरे का न्याय धार्मिकता से करना। 16 बकवादी बनके अपने लोगों में न फिरा करना और एक दूसरे का लहू बहाने की युक्तियाँ न बाँधना; मैं यहोवा हूँ। 17 अपने मन में एक दूसरे के प्रति बैर न रखना; अपने पड़ोसी को अवश्य डाँटना नहीं तो उसके पाप का भार तुझको उठाना पड़ेगा। 18 बदला न लेना और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूँ। 19 तुम मेरी विधियों को निरन्तर मानना। अपने पशुओं को भिन्न जाति के पशुओं से मेल न खाने देना; अपने खेत में दो प्रकार के बीज इकट्ठे न बोना; और सनी और ऊन की मिलावट से बना हुआ वस्त्र न पहनना। 20 फिर कोई स्त्री दासी हो और उसकी मंगनी किसी पुरुष से हुई हो परन्तु वह न तो दास से और न सेंत-मेंत स्वाधीन की गई हो; उससे यदि कोई कुकर्म करे तो उन दोनों को दण्ड तो मिले पर उस स्त्री के स्वाधीन न होने के कारण वे दोनों मार न डाले जाएँ। 21 पर वह पुरुष मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के पास एक मेढ़ा दोषबलि के लिये ले आए। 22 और याजक उसके किये हुए पाप के कारण दोषबलि के मेढ़े के द्वारा उसके लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित करे; तब उसका किया हुआ पाप क्षमा किया जाएगा। 23 फिर जब तुम कनान देश में पहुँचकर किसी प्रकार के फल के वृक्ष लगाओ तो उनके फल तीन वर्ष तक तुम्हारे लिये मानो खतनारहित ठहरे रहें; इसलिए उनमें से कुछ न खाया जाए। 24 और चौथे वर्ष में उनके सब फल यहोवा की स्तुति करने के लिये पवित्र ठहरें। 25 तब पाँचवें वर्ष में तुम उनके फल खाना इसलिए कि उनसे तुम को बहुत फल मिलें; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 26 तुम लहू लगा हुआ कुछ माँस न खाना। और न टोना करना और न शुभ या अशुभ मुहूर्त्तों को मानना। 27 अपने सिर में घेरा रखकर न मुँड़ाना और न अपने गाल के बालों को मुँड़ाना। 28 मुर्दों के कारण अपने शरीर को बिलकुल न चीरना और न उसमें छाप लगाना; मैं यहोवा हूँ। 29 अपनी बेटियों को वेश्या बनाकर अपवित्र न करना ऐसा न हो कि देश वेश्यागमन के कारण महापाप से भर जाए। 30 मेरे विश्रामदिन को माना करना और मेरे पवित्रस्‍थान का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूँ। 31 ओझाओं और भूत साधनेवालों की ओर न फिरना और ऐसों की खोज करके उनके कारण अशुद्ध न हो जाना; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 32 पक्के बालवाले के सामने उठ खड़े होना और बूढ़े का आदरमान करना और अपने परमेश्‍वर का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूँ। 33 यदि कोई परदेशी तुम्हारे देश में तुम्हारे संग रहे तो उसको दुःख न देना। 34 जो परदेशी तुम्हारे संग रहे वह तुम्हारे लिये देशी के समान हो और उससे अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 35 तुम न्याय में और परिमाण में और तौल में और नाप में कुटिलता न करना। 36 सच्चा तराजू धर्म के बटखरे सच्चा एपा और धर्म का हीन तुम्हारे पास रहें; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ जो तुम को मिस्र देश से निकाल ले आया। 37 इसलिए तुम मेरी सब विधियों और सब नियमों को मानते हुए निरन्तर पालन करो; मैं यहोवा हूँ।

प्राणदण्ड के योग्य भाँति-भाँति के पापों का वर्णन

20  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 इस्राएलियों से कह कि इस्राएलियों में से या इस्राएलियों के बीच रहनेवाले परदेशियों में से कोई क्यों न हो जो अपनी कोई सन्तान मोलेक को बलिदान करे वह निश्चय मार डाला जाए; और जनता उसको पथरवाह करे। 3 मैं भी उस मनुष्य के विरुद्ध होकर उसको उसके लोगों में से इस कारण नाश करूँगा कि उसने अपनी सन्तान मोलेक को देकर मेरे पवित्रस्‍थान को अशुद्ध किया और मेरे पवित्र नाम को अपवित्र ठहराया। 4 और यदि कोई अपनी सन्तान मोलेक को बलिदान करे और जनता उसके विषय में आनाकानी करे और उसको मार न डाले 5 तब तो मैं स्वयं उस मनुष्य और उसके घराने के विरुद्ध होकर उसको और जितने उसके पीछे होकर मोलेक के साथ व्यभिचार करें उन सभी को भी उनके लोगों के बीच में से नाश करूँगा। 6 फिर जो मनुष्य ओझाओं या भूत साधनेवालों की ओर फिरके और उनके पीछे होकर व्यभिचारी बने तब मैं उस मनुष्य के विरुद्ध होकर उसको उसके लोगों के बीच में से नाश कर दूँगा। 7 इसलिए तुम अपने आप को पवित्र करो; और पवित्र बने रहो; क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 8 और तुम मेरी विधियों को मानना और उनका पालन भी करना; क्योंकि मैं तुम्हारा पवित्र करनेवाला यहोवा हूँ। 9 कोई क्यों न हो जो अपने पिता या माता को श्राप दे वह निश्चय मार डाला जाए; उसने अपने पिता या माता को श्राप दिया है इस कारण उसका खून उसी के सिर पर पड़ेगा। 10 फिर यदि कोई पराई स्त्री के साथ व्यभिचार करे तो जिसने किसी दूसरे की स्त्री के साथ व्यभिचार किया हो तो वह व्यभिचारी और वह व्यभिचारिणी दोनों निश्चय मार डालें जाएँ। 11 यदि कोई अपनी सौतेली माता के साथ सोए वह अपने पिता ही का तन उघाड़नेवाला ठहरेगा; इसलिए वे दोनों निश्चय मार डाले जाएँ उनका खून उन्हीं के सिर पर पड़ेगा। 12 यदि कोई अपनी बहू के साथ सोए तो वे दोनों निश्चय मार डाले जाएँ; क्योंकि वे उलटा काम करनेवाले ठहरेंगे और उनका खून उन्हीं के सिर पर पड़ेगा। 13 यदि कोई जिस रीति स्त्री से उसी रीति पुरुष से प्रसंग करे तो वे दोनों घिनौना काम करनेवाले ठहरेंगे; इस कारण वे निश्चय मार डाले जाएँ उनका खून उन्हीं के सिर पर पड़ेगा। 14 यदि कोई अपनी पत्‍नी और अपनी सास दोनों को रखे तो यह महापाप है; इसलिए वह पुरुष और वे स्त्रियाँ तीनों के तीनों आग में जलाए जाएँ जिससे तुम्हारे बीच महापाप न हो। 15 फिर यदि कोई पुरुष पशुगामी हो तो पुरुष और पशु दोनों निश्चय मार डाले जाएँ। 16 यदि कोई स्त्री पशु के पास जाकर उसके संग कुकर्म करे तो तू उस स्त्री और पशु दोनों को घात करना; वे निश्चय मार डाले जाएँ उनका खून उन्हीं के सिर पर पड़ेगा। 17 यदि कोई अपनी बहन का चाहे उसकी सगी बहन हो चाहे सौतेली उसका नग्‍न तन देखे और उसकी बहन भी उसका नग्‍न तन देखे तो यह निन्दित बात है वे दोनों अपने जाति भाइयों की आँखों के सामने नाश किए जाएँ; क्योंकि जो अपनी बहन का तन उघाड़नेवाला ठहरेगा उसे अपने अधर्म का भार स्वयं उठाना पड़ेगा। 18 फिर यदि कोई पुरुष किसी ऋतुमती स्त्री के संग सोकर उसका तन उघाड़े तो वह पुरुष उसके रूधिर के सोते का उघाड़नेवाला ठहरेगा और वह स्त्री अपने रूधिर के सोते की उघाड़नेवाली ठहरेगी; इस कारण वे दोनों अपने लोगों के बीच में से नाश किए जाएँ। 19 अपनी मौसी या फूफी का तन न उघाड़ना क्योंकि जो उसे उघाड़े वह अपनी निकट कुटुम्बिनी को नंगा करता है; इसलिए इन दोनों को अपने अधर्म का भार उठाना पड़ेगा। 20 यदि कोई अपनी चाची के संग सोए तो वह अपने चाचा का तन उघाड़नेवाला ठहरेगा; इसलिए वे दोनों अपने पाप का भार को उठाए हुए निर्वंश मर जाएँगे। 21 यदि कोई अपनी भाभी को अपनी पत्‍नी बनाए तो इसे घिनौना काम जानना; और वह अपने भाई का तन उघाड़नेवाला ठहरेगा इस कारण वे दोनों निःसन्तान रहेंगे। 22 तुम मेरी सब विधियों और मेरे सब नियमों को समझ के साथ मानना; जिससे यह न हो कि जिस देश में मैं तुम्हें लिये जा रहा हूँ वह तुम को उगल दे। 23 और जिस जाति के लोगों को मैं तुम्हारे आगे से निकालता हूँ उनकी रीति-रस्म पर न चलना; क्योंकि उन लोगों ने जो ये सब कुकर्म किए हैं इसी कारण मुझे उनसे घृणा हो गई है। 24 पर मैं तुम लोगों से कहता हूँ कि तुम तो उनकी भूमि के अधिकारी होंगे और मैं इस देश को जिसमें दूध और मधु की धाराएँ बहती हैं तुम्हारे अधिकार में कर दूँगा; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ जिसने तुम को अन्य देशों के लोगों से अलग किया है। 25 इस कारण तुम शुद्ध और अशुद्ध पशुओं में और शुद्ध और अशुद्ध पक्षियों में भेद करना; और कोई पशु या पक्षी या किसी प्रकार का भूमि पर रेंगनेवाला जीवजन्तु क्यों न हो जिसको मैंने तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहराकर वर्जित किया है उससे अपने आप को अशुद्ध न करना। 26 तुम मेरे लिये पवित्र बने रहना; क्योंकि मैं यहोवा स्वयं पवित्र हूँ और मैंने तुम को और देशों के लोगों से इसलिए अलग किया है कि तुम निरन्तर मेरे ही बने रहो। 27 यदि कोई पुरुष या स्त्री ओझाई या भूत की साधना करे तो वह निश्चय मार डाला जाए; ऐसों पर पथराव किया जाए उनका खून उन्हीं के सिर पर पड़ेगा।

याजकों के लिये विशेष विधियाँ

21  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा हारून के पुत्र जो याजक हैं उनसे कह कि तुम्हारे लोगों में से कोई भी मरे तो उसके कारण तुम में से कोई अपने को अशुद्ध न करे; 2 अपने निकट कुटुम्बियों अर्थात् अपनी माता या पिता या बेटे या बेटी या भाई के लिये 3 या अपनी कुँवारी बहन जिसका विवाह न हुआ हो जिनका निकट का सम्बन्ध है; उनके लिये वह अपने को अशुद्ध कर सकता है। 4 पर याजक होने के नाते से वह अपने लोगों में प्रधान है इसलिए वह अपने को ऐसा अशुद्ध न करे कि अपवित्र हो जाए। 5 वे न तो अपने सिर मुँड़ाएँ और न अपने गाल के बालों को मुँड़ाएँ और न अपने शरीर चीरें। 6 वे अपने परमेश्‍वर के लिये पवित्र बने रहें और अपने परमेश्‍वर का नाम अपवित्र न करें; क्योंकि वे यहोवा के हव्य को जो उनके परमेश्‍वर का भोजन है चढ़ाया करते हैं; इस कारण वे पवित्र बने रहें। 7 वे वेश्या या भ्रष्टा को ब्याह न लें; और न त्यागी हुई को ब्याह लें; क्योंकि याजक अपने परमेश्‍वर के लिये पवित्र होता है। 8 इसलिए तू याजक को पवित्र जानना क्योंकि वह तुम्हारे परमेश्‍वर का भोजन चढ़ाया करता है; इसलिए वह तेरी दृष्टि में पवित्र ठहरे; क्योंकि मैं यहोवा जो तुम को पवित्र करता हूँ पवित्र हूँ। 9 और यदि याजक की बेटी वेश्या बनकर अपने आप को अपवित्र करे तो वह अपने पिता को अपवित्र ठहराती है; वह आग में जलाई जाए। 10 जो अपने भाइयों में महायाजक हो जिसके सिर पर अभिषेक का तेल डाला गया हो और जिसका पवित्र वस्त्रों को पहनने के लिये संस्कार हुआ हो वह अपने सिर के बाल बिखरने न दे और न अपने वस्त्र फाड़े; 11 और न वह किसी लोथ के पास जाए और न अपने पिता या माता के कारण अपने को अशुद्ध करे; 12 और वह पवित्रस्‍थान से बाहर भी न निकले और न अपने परमेश्‍वर के पवित्रस्‍थान को अपवित्र ठहराए; क्योंकि वह अपने परमेश्‍वर के अभिषेक का तेलरूपी मुकुट धारण किए हुए है; मैं यहोवा हूँ। 13 और वह कुँवारी स्त्री को ब्याहे। 14 जो विधवा या त्यागी हुई या भ्रष्ट या वेश्या हो ऐसी किसी से वह विवाह न करे वह अपने ही लोगों के बीच में की किसी कुँवारी कन्या से विवाह करे। 15 और वह अपनी सन्तान को अपने लोगों में अपवित्र न करे; क्योंकि मैं उसका पवित्र करनेवाला यहोवा हूँ। 16 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 17 हारून से कह कि तेरे वंश की पीढ़ी-पीढ़ी में जिस किसी के कोई भी शारीरिक दोष हो वह अपने परमेश्‍वर का भोजन चढ़ाने के लिये समीप न आए। 18 कोई क्यों न हो जिसमें दोष हो वह समीप न आए चाहे वह अंधा हो चाहे लँगड़ा चाहे नकचपटा हो चाहे उसके कुछ अधिक अंग हों 19 या उसका पाँव या हाथ टूटा हो 20 या वह कुबड़ा या बौना हो या उसकी आँख में दोष हो या उस मनुष्य के चाईं या खुजली हो या उसके अंड पिचके हों; 21 हारून याजक के वंश में से जिस किसी में कोई भी शारीरिक दोष हो वह यहोवा के हव्य चढ़ाने के लिये समीप न आए; वह जो दोषयुक्त है कभी भी अपने परमेश्‍वर का भोजन चढ़ाने के लिये समीप न आए। 22 वह अपने परमेश्‍वर के पवित्र और परमपवित्र दोनों प्रकार के भोजन को खाए 23 परन्तु उसके दोष के कारण वह न तो बीचवाले पर्दे के भीतर आए और न वेदी के समीप जिससे ऐसा न हो कि वह मेरे पवित्रस्थानों को अपवित्र करे; क्योंकि मैं उनका पवित्र करनेवाला यहोवा हूँ। 24 इसलिए मूसा ने हारून और उसके पुत्रों को तथा सब इस्राएलियों को यह बातें कह सुनाईं।

याजकीय अशुद्धता

22  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 हारून और उसके पुत्रों से कह कि इस्राएलियों की पवित्र की हुई वस्तुओं से जिनको वे मेरे लिये पवित्र करते हैं अलग रहें और मेरे पवित्र नाम को अपवित्र न करें; मैं यहोवा हूँ। 3 और उनसे कह कि तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में तुम्हारे सारे वंश में से जो कोई अपनी अशुद्धता की दशा में उन पवित्र की हुई वस्तुओं के पास जाए जिन्हें इस्राएली यहोवा के लिये पवित्र करते हैं वह मनुष्य मेरे सामने से नाश किया जाएगा; मैं यहोवा हूँ। 4 हारून के वंश में से कोई क्यों न हो जो कोढ़ी हो या उसके प्रमेह हो वह मनुष्य जब तक शुद्ध न हो जाए तब तक पवित्र की हुई वस्तुओं में से कुछ न खाए। और जो लोथ के कारण अशुद्ध हुआ हो या जिसका वीर्य स्खलित हुआ हो ऐसे मनुष्य को जो कोई छूए 5 और जो कोई किसी ऐसे रेंगनेवाले जन्तु को छूए जिससे लोग अशुद्ध हो सकते हैं या किसी ऐसे मनुष्य को छूए जिसमें किसी प्रकार की अशुद्धता हो जो उसको भी लग सकती है। 6 तो वह याजक जो इनमें से किसी को छूए सांझ तक अशुद्ध ठहरा रहे और जब तक जल से स्नान न कर ले तब तक पवित्र वस्तुओं में से कुछ न खाए। 7 तब सूर्य अस्त होने पर वह शुद्ध ठहरेगा; और तब वह पवित्र वस्तुओं में से खा सकेगा क्योंकि उसका भोजन वही है। 8 जो जानवर आप से मरा हो या पशु से फाड़ा गया हो उसे खाकर वह अपने आप को अशुद्ध न करे; मैं यहोवा हूँ। 9 इसलिए याजक लोग मेरी सौंपी हुई वस्तुओं की रक्षा करें ऐसा न हो कि वे उनको अपवित्र करके पाप का भार उठाए और इसके कारण मर भी जाएँ; मैं उनका पवित्र करनेवाला यहोवा हूँ। 10 पराए कुल का जन किसी पवित्र वस्तु को न खाने पाए चाहे वह याजक का अतिथि हो या मजदूर हो तो भी वह कोई पवित्र वस्तु न खाए। 11 यदि याजक किसी दास को रुपया देकर मोल ले तो वह दास उसमें से खा सकता है; और जो याजक के घर में उत्‍पन्‍न हुए हों चाहे कुटुम्बी या दास वे भी उसके भोजन में से खाएँ। 12 और यदि याजक की बेटी पराए कुल के किसी पुरुष से विवाह हो तो वह भेंट की हुई पवित्र वस्तुओं में से न खाए। 13 यदि याजक की बेटी विधवा या त्यागी हुई हो और उसकी सन्तान न हो और वह अपनी बाल्यावस्था की रीति के अनुसार अपने पिता के घर में रहती हो तो वह अपने पिता के भोजन में से खाए; पर पराए कुल का कोई उसमें से न खाने पाए। 14 और यदि कोई मनुष्य किसी पवित्र वस्तु में से कुछ भूल से खा जाए तो वह उसका पाँचवाँ भाग बढ़ाकर उसे याजक को भर दे। 15 वे इस्राएलियों की पवित्र की हुई वस्तुओं को जिन्हें वे यहोवा के लिये चढ़ाएँ अपवित्र न करें। 16 वे उनको अपनी पवित्र वस्तुओं में से खिलाकर उनसे अपराध का दोष न उठवाएँ; मैं उनका पवित्र करनेवाला यहोवा हूँ। 17 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 18 हारून और उसके पुत्रों से और इस्राएलियों से समझाकर कह कि इस्राएल के घराने या इस्राएलियों में रहनेवाले परदेशियों में से कोई क्यों न हो जो मन्नत या स्वेच्छाबलि करने के लिये यहोवा को कोई होमबलि चढ़ाए 19 तो अपने निमित्त ग्रहणयोग्य ठहरने के लिये बैलों या भेड़ों या बकरियों में से निर्दोष नर चढ़ाया जाए। 20 जिसमें कोई भी दोष हो उसे न चढ़ाना; क्योंकि वह तुम्हारे निमित्त ग्रहणयोग्य न ठहरेगा। 21 और जो कोई बैलों या भेड़-बकरियों में से विशेष वस्तु संकल्प करने के लिये या स्वेच्छाबलि के लिये यहोवा को मेलबलि चढ़ाए तो ग्रहण होने के लिये अवश्य है कि वह निर्दोष हो उसमें कोई भी दोष न हो। 22 जो अंधा या अंग का टूटा या लूला हो अथवा उसमें रसौली या खौरा या खुजली हो ऐसों को यहोवा के लिये न चढ़ाना उनको वेदी पर यहोवा के लिये हव्य न चढ़ाना। 23 जिस किसी बैल या भेड़ या बकरे का कोई अंग अधिक या कम हो उसको स्वेच्छाबलि के लिये चढ़ा सकते हो परन्तु मन्नत पूरी करने के लिये वह ग्रहण न होगा। 24 जिसके अंड दबे या कुचले या टूटे या कट गए हों उसको यहोवा के लिये न चढ़ाना और अपने देश में भी ऐसा काम न करना। 25 फिर इनमें से किसी को तुम अपने परमेश्‍वर का भोजन जानकर किसी परदेशी से लेकर न चढ़ाओ; क्योंकि उनमें दोष और कलंक है इसलिए वे तुम्हारे निमित्त ग्रहण न होंगे। 26 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 27 जब बछड़ा या भेड़ या बकरी का बच्चा उत्‍पन्‍न हो तो वह सात दिन तक अपनी माँ के साथ रहे; फिर आठवें दिन से आगे को वह यहोवा के हव्य चढ़ावे के लिये ग्रहणयोग्य ठहरेगा। 28 चाहे गाय चाहे भेड़ी या बकरी हो उसको और उसके बच्चे को एक ही दिन में बलि न करना। 29 और जब तुम यहोवा के लिये धन्यवाद का मेलबलि चढ़ाओ तो उसे इसी प्रकार से करना जिससे वह ग्रहणयोग्य ठहरे। 30 वह उसी दिन खाया जाए उसमें से कुछ भी सवेरे तक रहने न पाए; मैं यहोवा हूँ। 31 इसलिए तुम मेरी आज्ञाओं को मानना और उनका पालन करना; मैं यहोवा हूँ। 32 और मेरे पवित्र नाम को अपवित्र न ठहराना क्योंकि मैं इस्राएलियों के बीच अवश्य ही पवित्र माना जाऊँगा; मैं तुम्हारा पवित्र करनेवाला यहोवा हूँ 33 जो तुम को मिस्र देश से निकाल लाया है जिससे तुम्हारा परमेश्‍वर बना रहूँ; मैं यहोवा हूँ।

विशेष पर्व दिन

23  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 इस्राएलियों से कह कि यहोवा के पर्व जिनका तुम को पवित्र सभा एकत्रित करने के लिये नियत समय पर प्रचार करना होगा मेरे वे पर्व ये हैं। 3 छः दिन काम-काज किया जाए पर सातवाँ दिन परमविश्राम का और पवित्र सभा का दिन है; उसमें किसी प्रकार का काम-काज न किया जाए; वह तुम्हारे सब घरों में यहोवा का विश्रामदिन ठहरे। 4 फिर यहोवा के पर्व जिनमें से एक-एक के ठहराये हुए समय में तुम्हें पवित्र सभा करने के लिये प्रचार करना होगा वे ये हैं। 5 पहले महीने के चौदहवें दिन को सांझ के समय यहोवा का फसह हुआ करे। 6 और उसी महीने के पन्द्रहवें दिन को यहोवा के लिये अख़मीरी रोटी का पर्व हुआ करे; उसमें तुम सात दिन तक अख़मीरी रोटी खाया करना। 7 उनमें से पहले दिन तुम्हारी पवित्र सभा हो; और उस दिन परिश्रम का कोई काम न करना। 8 और सातों दिन तुम यहोवा को हव्य चढ़ाया करना; और सातवें दिन पवित्र सभा हो; उस दिन परिश्रम का कोई काम न करना। 9 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 10 इस्राएलियों से कह कि जब तुम उस देश में प्रवेश करो जिसे यहोवा तुम्हें देता है और उसमें के खेत काटो तब अपने-अपने पके खेत की पहली उपज का पूला याजक के पास ले आया करना; 11 और वह उस पूले को यहोवा के सामने हिलाए कि वह तुम्हारे निमित्त ग्रहण किया जाए; वह उसे विश्रामदिन के अगले दिन हिलाए। 12 और जिस दिन तुम पूले को हिलवाओ उसी दिन एक वर्ष का निर्दोष भेड़ का बच्चा यहोवा के लिये होमबलि चढ़ाना। 13 और उसके साथ का अन्नबलि एपा के दो दसवें अंश तेल से सने हुए मैदे का हो वह सुखदायक सुगन्ध के लिये यहोवा का हव्य हो; और उसके साथ का अर्घ हीन भर की चौथाई दाखमधु हो। 14 और जब तक तुम इस चढ़ावे को अपने परमेश्‍वर के पास न ले जाओ उस दिन तक नये खेत में से न तो रोटी खाना और न भूना हुआ अन्न और न हरी बालें; यह तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में तुम्हारे सारे घरानों में सदा की विधि ठहरे। 15 फिर उस विश्रामदिन के दूसरे दिन से अर्थात् जिस दिन तुम हिलाई जानेवाली भेंट के पूले को लाओगे उस दिन से पूरे सात विश्रामदिन गिन लेना; 16 सातवें विश्रामदिन के अगले दिन तक पचास दिन गिनना और पचासवें दिन यहोवा के लिये नया अन्नबलि चढ़ाना। 17 तुम अपने घरों में से एपा के दो दसवें अंश मैदे की दो रोटियाँ हिलाने की भेंट के लिये ले आना; वे ख़मीर के साथ पकाई जाएँ और यहोवा के लिये पहली उपज ठहरें। 18 और उस रोटी के संग एक-एक वर्ष के सात निर्दोष भेड़ के बच्चे और एक बछड़ा और दो मेढ़े चढ़ाना; वे अपने-अपने साथ के अन्नबलि और अर्घ समेत यहोवा के लिये होमबलि के समान चढ़ाए जाएँ अर्थात् वे यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्ध देनेवाला हव्य ठहरें। 19 फिर पापबलि के लिये एक बकरा और मेलबलि के लिये एक-एक वर्ष के दो भेड़ के बच्चे चढ़ाना। 20 तब याजक उनको पहली उपज की रोटी समेत यहोवा के सामने हिलाने की भेंट के लिये हिलाए और इन रोटियों के संग वे दो भेड़ के बच्चे भी हिलाए जाएँ; वे यहोवा के लिये पवित्र और याजक का भाग ठहरें। 21 और तुम उस दिन यह प्रचार करना कि आज हमारी एक पवित्र सभा होगी; और परिश्रम का कोई काम न करना; यह तुम्हारे सारे घरानों में तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में सदा की विधि ठहरे। 22 जब तुम अपने देश में के खेत काटो तब अपने खेत के कोनों को पूरी रीति से न काटना और खेत में गिरी हुई बालों को न इकट्ठा करना; उसे गरीब और परदेशी के लिये छोड़ देना; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 23 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 24 इस्राएलियों से कह कि सातवें महीने के पहले दिन को तुम्हारे लिये परमविश्राम हो; उस दिन को स्मरण दिलाने के लिये नरसिंगे फूँके जाएँ और एक पवित्र सभा इकट्ठी हो। 25 उस दिन तुम परिश्रम का कोई काम न करना और यहोवा के लिये एक हव्य चढ़ाना। 26 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 27 उसी सातवें महीने का दसवाँ दिन प्रायश्चित का दिन माना जाए; वह तुम्हारी पवित्र सभा का दिन होगा और उसमें तुम उपवास करना और यहोवा का हव्य चढ़ाना। 28 उस दिन तुम किसी प्रकार का काम-काज न करना; क्योंकि वह प्रायश्चित का दिन नियुक्त किया गया है जिसमें तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के सामने तुम्हारे लिये प्रायश्चित किया जाएगा। 29 इसलिए जो मनुष्य उस दिन उपवास न करे वह अपने लोगों में से नाश किया जाएगा। 30 और जो मनुष्य उस दिन किसी प्रकार का काम-काज करे उस मनुष्य को मैं उसके लोगों के बीच में से नाश कर डालूँगा। 31 तुम किसी प्रकार का काम-काज न करना; यह तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में तुम्हारे घराने में सदा की विधि ठहरे। 32 वह दिन तुम्हारे लिये परमविश्राम का हो उसमें तुम उपवास करना; और उस महीने के नवें दिन की सांझ से अगली सांझ तक अपना विश्रामदिन माना करना। 33 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 34 इस्राएलियों से कह कि उसी सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन से सात दिन तक यहोवा के लिये झोपड़ियों का पर्व रहा करे। 35 पहले दिन पवित्र सभा हो; उसमें परिश्रम का कोई काम न करना। 36 सातों दिन यहोवा के लिये हव्य चढ़ाया करना फिर आठवें दिन तुम्हारी पवित्र सभा हो और यहोवा के लिये हव्य चढ़ाना; वह महासभा का दिन है और उसमें परिश्रम का कोई काम न करना। 37 यहोवा के नियत पर्व ये ही हैं इनमें तुम यहोवा को हव्य चढ़ाना अर्थात् होमबलि अन्नबलि मेलबलि और अर्घ प्रत्येक अपने-अपने नियत समय पर चढ़ाया जाए और पवित्र सभा का प्रचार करना। 38 इन सभी से अधिक यहोवा के विश्रामदिनों को मानना और अपनी भेंटों और सब मन्नतों और स्वेच्छाबलियों को जो यहोवा को अर्पण करोगे चढ़ाया करना। 39 फिर सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन को जब तुम देश की उपज को इकट्ठा कर चुको तब सात दिन तक यहोवा का पर्व मानना; पहले दिन परमविश्राम हो और आठवें दिन परमविश्राम हो। 40 और पहले दिन तुम अच्छे-अच्छे वृक्षों की उपज और खजूर के पत्ते और घने वृक्षों की डालियाँ और नदी में के मजनू को लेकर अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने सात दिन तक आनन्द करना। 41 प्रति वर्ष सात दिन तक यहोवा के लिये पर्व माना करना; यह तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में सदा की विधि ठहरे कि सातवें महीने में यह पर्व माना जाए। 42 सात दिन तक तुम झोपड़ियों में रहा करना अर्थात् जितने जन्म के इस्राएली हैं वे सब के सब झोपड़ियों में रहें 43 इसलिए कि तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी के लोग जान रखें कि जब यहोवा हम इस्राएलियों को मिस्र देश से निकालकर ला रहा था तब उसने उनको झोपड़ियों में टिकाया था; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 44 और मूसा ने इस्राएलियों को यहोवा के पर्व के नियत समय कह सुनाए।

पवित्र दीपकों को सजाना

24  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 इस्राएलियों को यह आज्ञा दे कि मेरे पास उजियाला देने के लिये कूट के निकाला हुआ जैतून का निर्मल तेल ले आना कि दीपक नित्य जलता रहे। 3 हारून उसको मिलापवाले तम्बू में साक्षीपत्र के बीचवाले पर्दे से बाहर यहोवा के सामने नित्य सांझ से भोर तक सजा कर रखे; यह तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी के लिये सदा की विधि ठहरे। 4 वह दीपकों को सोने की दीवट पर यहोवा के सामने नित्य सजाया करे। 5 तू मैदा लेकर बारह रोटियाँ पकवाना प्रत्येक रोटी में एपा का दो दसवाँ अंश मैदा हो। 6 तब उनकी दो पंक्तियाँ करके एक-एक पंक्ति में छः छ: रोटियाँ स्वच्छ मेज पर यहोवा के सामने रखना। 7 और एक-एक पंक्ति पर शुद्ध लोबान रखना कि वह रोटी स्मरण दिलानेवाली वस्तु और यहोवा के लिये हव्य हो। 8 प्रति विश्रामदिन को वह उसे नित्य यहोवा के सम्मुख क्रम से रखा करे यह सदा की वाचा की रीति इस्राएलियों की ओर से हुआ करे। 9 और वह हारून और उसके पुत्रों की होंगी और वे उसको किसी पवित्रस्‍थान में खाएँ क्योंकि वह यहोवा के हव्यों में से सदा की विधि के अनुसार हारून के लिये परमपवित्र वस्तु ठहरी है। 10 उन दिनों में किसी इस्राएली स्त्री का बेटा जिसका पिता मिस्री पुरुष था इस्राएलियों के बीच चला गया; और वह इस्राएली स्त्री का बेटा और एक इस्राएली पुरुष छावनी के बीच आपस में मार पीट करने लगे 11 और वह इस्राएली स्त्री का बेटा यहोवा के नाम की निन्दा करके श्राप देने लगा। यह सुनकर लोग उसको मूसा के पास ले गए। उसकी माता का नाम शलोमीत था जो दान के गोत्र के दिब्री की बेटी थी। 12 उन्होंने उसको हवालात में बन्द किया जिससे यहोवा की आज्ञा से इस बात पर विचार किया जाए। 13 तब यहोवा ने मूसा से कहा 14 तुम लोग उस श्राप देनेवाले को छावनी से बाहर ले जाओ; और जितनों ने वह निन्दा सुनी हो वे सब अपने-अपने हाथ उसके सिर पर रखें तब सारी मण्डली के लोग उस पर पथराव करें। 15 और तू इस्राएलियों से कह कि कोई क्यों न हो जो अपने परमेश्‍वर को श्राप दे उसे अपने पाप का भार उठाना पड़ेगा। 16 यहोवा के नाम की निन्दा करनेवाला निश्चय मार डाला जाए; सारी मण्डली के लोग निश्चय उस पर पथराव करें; चाहे देशी हो चाहे परदेशी यदि कोई यहोवा के नाम की निन्दा करें तो वह मार डाला जाए। 17 फिर जो कोई किसी मनुष्य को जान से मारे वह निश्चय मार डाला जाए। 18 और जो कोई किसी घरेलू पशु को जान से मारे वह उसका बदला दे अर्थात् प्राणी के बदले प्राणी दे। 19 फिर यदि कोई किसी दूसरे को चोट पहुँचाए तो जैसा उसने किया हो वैसा ही उसके साथ भी किया जाए 20 अर्थात् अंग-भंग करने के बदले अंग-भंग किया जाए आँख के बदले आँख दाँत के बदले दाँत जैसी चोट जिसने किसी को पहुँचाई हो वैसी ही उसको भी पहुँचाई जाए। 21 पशु का मार डालनेवाला उसका बदला दे परन्तु मनुष्य का मार डालनेवाला मार डाला जाए। 22 तुम्हारा नियम एक ही हो जैसा देशी के लिये वैसा ही परदेशी के लिये भी हो; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 23 अतः मूसा ने इस्राएलियों को यह समझाया; तब उन्होंने उस श्राप देनेवाले को छावनी से बाहर ले जाकर उस पर पथराव किया। और इस्राएलियों ने वैसा ही किया जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।

भूमि के लिये विश्राम का वर्ष

25  1 फिर यहोवा ने सीनै पर्वत के पास मूसा से कहा 2 इस्राएलियों से कह कि जब तुम उस देश में प्रवेश करो जो मैं तुम्हें देता हूँ तब भूमि को यहोवा के लिये विश्राम मिला करे। 3 छः वर्ष तो अपना-अपना खेत बोया करना और छहों वर्ष अपनी-अपनी दाख की बारी छाँट छाँटकर देश की उपज इकट्ठी किया करना; 4 परन्तु सातवें वर्ष भूमि को यहोवा के लिये परमविश्रामकाल मिला करे; उसमें न तो अपना खेत बोना और न अपनी दाख की बारी छाँटना। 5 जो कुछ काटे हुए खेत में अपने आप से उगें उसे न काटना और अपनी बिन छाँटी हुई दाखलता की दाखों को न तोड़ना; क्योंकि वह भूमि के लिये परमविश्राम का वर्ष होगा। 6 भूमि के विश्रामकाल ही की उपज से तुम को और तुम्हारे दास-दासी को और तुम्हारे साथ रहनेवाले मजदूरों और परदेशियों को भी भोजन मिलेगा; 7 और तुम्हारे पशुओं का और देश में जितने जीवजन्तु हों उनका भी भोजन भूमि की सब उपज से होगा। 8 सात विश्रामवर्ष अर्थात् सातगुना सात वर्ष गिन लेना सातों विश्रामवर्षों का यह समय उनचास वर्ष होगा। 9 तब सातवें महीने के दसवें दिन को अर्थात् प्रायश्चित के दिन जय-जयकार के महाशब्द का नरसिंगा अपने सारे देश में सब कहीं फुँकवाना। 10 और उस पचासवें वर्ष को पवित्र करके मानना और देश के सारे निवासियों के लिये छुटकारे का प्रचार करना; वह वर्ष तुम्हारे यहाँ जुबली कहलाए; उसमें तुम अपनी-अपनी निज भूमि और अपने-अपने घराने में लौटने पाओगे। 11 तुम्हारे यहाँ वह पचासवाँ वर्ष जुबली का वर्ष कहलाए; उसमें तुम न बोना और जो अपने आप उगें उसे भी न काटना और न बिन छाँटी हुई दाखलता की दाखों को तोड़ना। 12 क्योंकि वह तो जुबली का वर्ष होगा; वह तुम्हारे लिये पवित्र होगा; तुम उसकी उपज खेत ही में से ले लेकर खाना। 13 इस जुबली के वर्ष में तुम अपनी-अपनी निज भूमि को लौटने पाओगे। 14 और यदि तुम अपने भाईबन्धु के हाथ कुछ बेचो या अपने भाईबन्धु से कुछ मोल लो तो तुम एक दूसरे पर उपद्रव न करना। 15 जुबली के बाद जितने वर्ष बीते हों उनकी गिनती के अनुसार दाम ठहराके एक दूसरे से मोल लेना और शेष वर्षों की उपज के अनुसार वह तेरे हाथ बेचे। 16 जितने वर्ष और रहें उतना ही दाम बढ़ाना और जितने वर्ष कम रहें उतना ही दाम घटाना क्योंकि वर्ष की उपज की संख्या जितनी हो उतनी ही वह तेरे हाथ बेचेगा। 17 तुम अपने-अपने भाईबन्धु पर उपद्रव न करना; अपने परमेश्‍वर का भय मानना; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 18 इसलिए तुम मेरी विधियों को मानना और मेरे नियमों पर समझ बूझकर चलना; क्योंकि ऐसा करने से तुम उस देश में निडर बसे रहोगे। 19 भूमि अपनी उपज उपजाया करेगी और तुम पेट भर खाया करोगे और उस देश में निडर बसे रहोगे। 20 और यदि तुम कहो कि सातवें वर्ष में हम क्या खाएँगे न तो हम बोएँगे न अपने खेत की उपज इकट्ठा करेंगे? 21 तो जानो कि मैं तुम को छठवें वर्ष में ऐसी आशीष दूँगा कि भूमि की उपज तीन वर्ष तक काम आएगी। 22 तुम आठवें वर्ष में बोओगे और पुरानी उपज में से खाते रहोगे और नवें वर्ष की उपज जब तक न मिले तब तक तुम पुरानी उपज में से खाते रहोगे। 23 भूमि सदा के लिये बेची न जाए क्योंकि भूमि मेरी है; और उसमें तुम परदेशी और बाहरी होंगे। 24 लेकिन तुम अपने भाग के सारे देश में भूमि को छुड़ाने देना। 25 यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल होकर अपनी निज भूमि में से कुछ बेच डाले तो उसके कुटुम्बियों में से जो सबसे निकट हो वह आकर अपने भाईबन्धु के बेचे हुए भाग को छुड़ा ले। 26 यदि किसी मनुष्य के लिये कोई छुड़ानेवाला न हो और उसके पास इतना धन हो कि आप ही अपने भाग को छुड़ा सके 27 तो वह उसके बिकने के समय से वर्षों की गिनती करके शेष वर्षों की उपज का दाम उसको जिसने उसे मोल लिया हो फेर दे; तब वह अपनी निज भूमि का अधिकारी हो जाए। 28 परन्तु यदि उसके पास इतनी पूँजी न हो कि उसे फिर अपनी कर सके तो उसकी बेची हुई भूमि जुबली के वर्ष तक मोल लेनेवालों के हाथ में रहे; और जुबली के वर्ष में छूट जाए तब वह मनुष्य अपनी निज भूमि का फिर अधिकारी हो जाए। 29 फिर यदि कोई मनुष्य शहरपनाह वाले नगर में बसने का घर बेचे तो वह बेचने के बाद वर्ष भर के अन्दर उसे छुड़ा सकेगा अर्थात् पूरे वर्ष भर उस मनुष्य को छुड़ाने का अधिकार रहेगा। 30 परन्तु यदि वह वर्ष भर में न छुड़ाए तो वह घर जो शहरपनाह वाले नगर में हो मोल लेनेवाले का बना रहे और पीढ़ी-पीढ़ी में उसी में वंश का बना रहे; और जुबली के वर्ष में भी न छूटे। 31 परन्तु बिना शहरपनाह के गाँवों के घर तो देश के खेतों के समान गिने जाएँ; उनका छुड़ाना भी हो सकेगा और वे जुबली के वर्ष में छूट जाएँ। 32 फिर भी लेवियों के निज भाग के नगरों के जो घर हों उनको लेवीय जब चाहें तब छुड़ाएँ। 33 और यदि कोई लेवीय अपना भाग न छुड़ाए तो वह बेचा हुआ घर जो उसके भाग के नगर में हो जुबली के वर्ष में छूट जाए; क्योंकि इस्राएलियों के बीच लेवियों का भाग उनके नगरों में वे घर ही हैं। 34 पर उनके नगरों के चारों ओर की चराई की भूमि बेची न जाए; क्योंकि वह उनका सदा का भाग होगा। 35 फिर यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल हो जाए और उसकी दशा तेरे सामने तरस योग्य हो जाए तो तू उसको संभालना; वह परदेशी या यात्री के समान तेरे संग रहे। 36 उससे ब्याज या बढ़ती न लेना; अपने परमेश्‍वर का भय मानना; जिससे तेरा भाईबन्धु तेरे संग जीवन निर्वाह कर सके। 37 उसको ब्याज पर रुपया न देना और न उसको भोजनवस्तु लाभ के लालच से देना। 38 मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ; मैं तुम्हें कनान देश देने के लिये और तुम्हारा परमेश्‍वर ठहरने की मनसा से तुम को मिस्र देश से निकाल लाया हूँ। 39 फिर यदि तेरा कोई भाईबन्धु तेरे सामने कंगाल होकर अपने आप को तेरे हाथ बेच डाले तो उससे दास के समान सेवा न करवाना। 40 वह तेरे संग मजदूर या यात्री के समान रहे और जुबली के वर्ष तक तेरे संग रहकर सेवा करता रहे; 41 तब वह बाल-बच्चों समेत तेरे पास से निकल जाए और अपने कुटुम्ब में और अपने पितरों की निज भूमि में लौट जाए। 42 क्योंकि वे मेरे ही दास हैं जिनको मैं मिस्र देश से निकाल लाया हूँ; इसलिए वे दास की रीति से न बेचे जाएँ। 43 उस पर कठोरता से अधिकार न करना; अपने परमेश्‍वर का भय मानते रहना। 44 तेरे जो दास-दासियाँ हों वे तुम्हारे चारों ओर की जातियों में से हों और दास और दासियाँ उन्हीं में से मोल लेना। 45 जो यात्री लोग तुम्हारे बीच में परदेशी होकर रहेंगे उनमें से और उनके घरानों में से भी जो तुम्हारे आस-पास हों और जो तुम्हारे देश में उत्‍पन्‍न हुए हों उनमें से तुम दास और दासी मोल लो; और वे तुम्हारा भाग ठहरें। 46 तुम अपने पुत्रों को भी जो तुम्हारे बाद होंगे उनके अधिकारी कर सकोगे और वे उनका भाग ठहरें; उनमें से तुम सदा अपने लिये दास लिया करना परन्तु तुम्हारे भाईबन्धु जो इस्राएली हों उन पर अपना अधिकार कठोरता से न जताना। 47 फिर यदि तेरे सामने कोई परदेशी या यात्री धनी हो जाए और उसके सामने तेरा भाई कंगाल होकर अपने आप को तेरे सामने उस परदेशी या यात्री या उसके वंश के हाथ बेच डाले 48 तो उसके बिक जाने के बाद वह फिर छुड़ाया जा सकता है; उसके भाइयों में से कोई उसको छुड़ा सकता है 49 या उसका चाचा या चचेरा भाई तथा उसके कुल का कोई भी निकट कुटुम्बी उसको छुड़ा सकता है; या यदि वह धनी हो जाए तो वह आप ही अपने को छुड़ा सकता है। 50 वह अपने मोल लेनेवाले के साथ अपने बिकने के वर्ष से जुबली के वर्ष तक हिसाब करे और उसके बिकने का दाम वर्षों की गिनती के अनुसार हो अर्थात् वह दाम मजदूर के दिवसों के समान उसके साथ होगा। 51 यदि जुबली के वर्ष के बहुत वर्ष रह जाएँ तो जितने रुपयों से वह मोल लिया गया हो उनमें से वह अपने छुड़ाने का दाम उतने वर्षों के अनुसार फेर दे। 52 यदि जुबली के वर्ष के थोड़े वर्ष रह गए हों तो भी वह अपने स्वामी के साथ हिसाब करके अपने छुड़ाने का दाम उतने ही वर्षों के अनुसार फेर दे। 53 वह अपने स्वामी के संग उस मजदूर के समान रहे जिसकी वार्षिक मजदूरी ठहराई जाती हो; और उसका स्वामी उस पर तेरे सामने कठोरता से अधिकार न जताने पाए। 54 और यदि वह इन रीतियों से छुड़ाया न जाए तो वह जुबली के वर्ष में अपने बाल-बच्चों समेत छूट जाए। 55 क्योंकि इस्राएली मेरे ही दास हैं; वे मिस्र देश से मेरे ही निकाले हुए दास हैं; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ।

आशीष का वाचा

26  1 तुम अपने लिये मूरतें न बनाना और न कोई खुदी हुई मूर्ति या स्‍तम्‍भ अपने लिये खड़ा करना और न अपने देश में दण्डवत् करने के लिये नक्काशीदार पत्थर स्थापित करना; क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। 2 तुम मेरे विश्रामदिनों का पालन करना और मेरे पवित्रस्‍थान का भय मानना; मैं यहोवा हूँ। 3 यदि तुम मेरी विधियों पर चलो और मेरी आज्ञाओं को मानकर उनका पालन करो 4 तो मैं तुम्हारे लिये समय-समय पर मेंह बरसाऊँगा तथा भूमि अपनी उपज उपजाएगी और मैदान के वृक्ष अपने-अपने फल दिया करेंगे; 5 यहाँ तक कि तुम दाख तोड़ने के समय भी दाँवनी करते रहोगे और बोने के समय भी भर पेट दाख तोड़ते रहोगे और तुम मनमानी रोटी खाया करोगे और अपने देश में निश्चिन्त बसे रहोगे। 6 और मैं तुम्हारे देश में सुख चैन दूँगा और तुम सोओगे और तुम्हारा कोई डरानेवाला न होगा; और मैं उस देश में खतरनाक जन्तुओं को न रहने दूँगा और तलवार तुम्हारे देश में न चलेगी। 7 और तुम अपने शत्रुओं को मार भगा दोगे और वे तुम्हारी तलवार से मारे जाएँगे। 8 तुम में से पाँच मनुष्य सौ को और सौ मनुष्य दस हजार को खदेड़ेंगे; और तुम्हारे शत्रु तलवार से तुम्हारे आगे-आगे मारे जाएँगे; 9 और मैं तुम्हारी ओर कृपादृष्‍टि रखूँगा और तुम को फलवन्त करूँगा और बढ़ाऊँगा और तुम्हारे संग अपनी वाचा को पूर्ण करूँगा। 10 और तुम रखे हुए पुराने अनाज को खाओगे और नये के रहते भी पुराने को निकालोगे। 11 और मैं तुम्हारे बीच अपना निवास-स्थान बनाए रखूँगा और मेरा जी तुम से घृणा नहीं करेगा। 12 और मैं तुम्हारे मध्य चला फिरा करूँगा और तुम्हारा परमेश्‍वर बना रहूँगा और तुम मेरी प्रजा बने रहोगे। 13 मैं तो तुम्हारा वह परमेश्‍वर यहोवा हूँ जो तुम को मिस्र देश से इसलिए निकाल ले आया कि तुम मिस्रियों के दास न बने रहो; और मैंने तुम्हारे जूए को तोड़ डाला है और तुम को सीधा खड़ा करके चलाया है। 14 यदि तुम मेरी न सुनोगे और इन सब आज्ञाओं को न मानोगे 15 और मेरी विधियों को निकम्मा जानोगे और तुम्हारी आत्मा मेरे निर्णयों से घृणा करे और तुम मेरी सब आज्ञाओं का पालन न करोगे वरन् मेरी वाचा को तोड़ोगे 16 तो मैं तुम से यह करूँगा; अर्थात् मैं तुम को बेचैन करूँगा और क्षयरोग और ज्वर से पीड़ित करूँगा और इनके कारण तुम्हारी आँखें धुंधली हो जाएँगी और तुम्हारा मन अति उदास होगा। और तुम्हारा बीज बोना व्यर्थ होगा क्योंकि तुम्हारे शत्रु उसकी उपज खा लेंगे; 17 और मैं भी तुम्हारे विरुद्ध हो जाऊँगा और तुम अपने शत्रुओं से हार जाओगे; और तुम्हारे बैरी तुम्हारे ऊपर अधिकार करेंगे और जब कोई तुम को खदेड़ता भी न होगा तब भी तुम भागोगे। 18 और यदि तुम इन बातों के उपरान्त भी मेरी न सुनो तो मैं तुम्हारे पापों के कारण तुम्हें सातगुणी ताड़ना और दूँगा 19 और मैं तुम्हारे बल का घमण्ड तोड़ डालूँगा और तुम्हारे लिये आकाश को मानो लोहे का और भूमि को मानो पीतल की बना दूँगा; 20 और तुम्हारा बल अकारथ गँवाया जाएगा क्योंकि तुम्हारी भूमि अपनी उपज न उपजाएगी और मैदान के वृक्ष अपने फल न देंगे। 21 यदि तुम मेरे विरुद्ध चलते ही रहो और मेरा कहना न मानो तो मैं तुम्हारे पापों के अनुसार तुम्हारे ऊपर और सात गुणा संकट डालूँगा। 22 और मैं तुम्हारे बीच वन पशु भेजूँगा जो तुम को निर्वंश करेंगे और तुम्हारे घरेलू पशुओं को नाश कर डालेंगे और तुम्हारी गिनती घटाएँगे जिससे तुम्हारी सड़कें सूनी पड़ जाएँगी। 23 फिर यदि तुम इन बातों पर भी मेरी ताड़ना से न सुधरो और मेरे विरुद्ध चलते ही रहो 24 तो मैं भी तुम्हारे विरुद्ध चलूँगा और तुम्हारे पापों के कारण मैं आप ही तुम को सात गुणा मारूँगा। 25 और मैं तुम पर एक ऐसी तलवार चलवाऊँगा जो वाचा तोड़ने का पूरा-पूरा पलटा लेगी; और जब तुम अपने नगरों में जा जाकर इकट्ठे होंगे तब मैं तुम्हारे बीच मरी फैलाऊँगा और तुम अपने शत्रुओं के वश में सौंप दिए जाओगे। 26 जब मैं तुम्हारे लिये अन्न के आधार को दूर कर डालूँगा तब दस स्त्रियाँ तुम्हारी रोटी एक ही तंदूर में पकाकर तौल-तौलकर बाँट देंगी; और तुम खाकर भी तृप्त न होंगे। 27 फिर यदि तुम इसके उपरान्त भी मेरी न सुनोगे और मेरे विरुद्ध चलते ही रहोगे 28 तो मैं अपने न्याय में तुम्हारे विरुद्ध चलूँगा और तुम्हारे पापों के कारण तुम को सातगुणी ताड़ना और भी दूँगा। 29 और तुम को अपने बेटों और बेटियों का माँस खाना पड़ेगा। 30 और मैं तुम्हारे पूजा के ऊँचे स्थानों को ढा दूँगा और तुम्हारे सूर्य की प्रतिमाएँ तोड़ डालूँगा और तुम्हारी लोथों को तुम्हारी तोड़ी हुई मूरतों पर फेंक दूँगा; और मेरी आत्मा को तुम से घृणा हो जाएगी। 31 और मैं तुम्हारे नगरों को उजाड़ दूँगा और तुम्हारे पवित्रस्थानों को उजाड़ दूँगा और तुम्हारा सुखदायक सुगन्ध ग्रहण न करूँगा। 32 और मैं तुम्हारे देश को सूना कर दूँगा और तुम्हारे शत्रु जो उसमें रहते हैं वे इन बातों के कारण चकित होंगे। 33 और मैं तुम को जाति-जाति के बीच तितर-बितर करूँगा और तुम्हारे पीछे-पीछे तलवार खींचे रहूँगा; और तुम्हारा देश सुना हो जाएगा और तुम्हारे नगर उजाड़ हो जाएँगे। 34 तब जितने दिन वह देश सूना पड़ा रहेगा और तुम अपने शत्रुओं के देश में रहोगे उतने दिन वह अपने विश्रामकालों को मानता रहेगा। तब ही वह देश विश्राम पाएगा अर्थात् अपने विश्रामकालों को मानता रहेगा। 35 जितने दिन वह सूना पड़ा रहेगा उतने दिन उसको विश्राम रहेगा अर्थात् जो विश्राम उसको तुम्हारे वहाँ बसे रहने के समय तुम्हारे विश्रामकालों में न मिला होगा वह उसको तब मिलेगा। 36 और तुम में से जो बचा रहेंगे और अपने शत्रुओं के देश में होंगे उनके हृदय में मैं कायरता उपजाऊँगा; और वे पत्ते के खड़कने से भी भाग जाएँगे और वे ऐसे भागेंगे जैसे कोई तलवार से भागे और किसी के बिना पीछा किए भी वे गिर पड़ेंगे। 37 जब कोई पीछा करनेवाला न हो तब भी मानो तलवार के भय से वे एक दूसरे से ठोकर खाकर गिरते जाएँगे और तुम को अपने शत्रुओं के सामने ठहरने की कुछ शक्ति न होगी। 38 तब तुम जाति-जाति के बीच पहुँचकर नाश हो जाओगे और तुम्हारे शत्रुओं की भूमि तुम को खा जाएगी। 39 और तुम में से जो बचे रहेंगे वे अपने शत्रुओं के देशों में अपने अधर्म के कारण गल जाएँगे; और अपने पुरखाओं के अधर्म के कामों के कारण भी वे उन्हीं के समान गल जाएँगे। 40 पर यदि वे अपने और अपने पितरों के अधर्म को मान लेंगे अर्थात् उस विश्वासघात को जो उन्होंने मेरे विरुद्ध किया और यह भी मान लेंगे कि हम यहोवा के विरुद्ध चले थे 41 इसी कारण वह हमारे विरुद्ध होकर हमें शत्रुओं के देश में ले आया है। यदि उस समय उनका खतनारहित हृदय दब जाएगा और वे उस समय अपने अधर्म के दण्ड को अंगीकार करेंगे; 42 तब जो वाचा मैंने याकूब के संग बाँधी थी उसको मैं स्मरण करूँगा और जो वाचा मैंने इसहाक से और जो वाचा मैंने अब्राहम से बाँधी थी उनको भी स्मरण करूँगा और इस देश को भी मैं स्मरण करूँगा। 43 पर वह देश उनसे रहित होकर सूना पड़ा रहेगा और उनके बिना सूना रहकर भी अपने विश्रामकालों को मानता रहेगा; और वे लोग अपने अधर्म के दण्ड को अंगीकार करेंगे इसी कारण से कि उन्होंने मेरी आज्ञाओं का उल्लंघन किया था और उनकी आत्माओं को मेरी विधियों से घृणा थी। 44 इतने पर भी जब वे अपने शत्रुओं के देश में होंगे तब मैं उनको इस प्रकार नहीं छोड़ूँगा और न उनसे ऐसी घृणा करूँगा कि उनका सर्वनाश कर डालूँ और अपनी उस वाचा को तोड़ दूँ जो मैंने उनसे बाँधी है; क्योंकि मैं उनका परमेश्‍वर यहोवा हूँ; 45 परन्तु मैं उनकी भलाई के लिये उनके पितरों से बाँधी हुई वाचा को स्मरण करूँगा जिन्हें मैं अन्यजातियों की आँखों के सामने मिस्र देश से निकालकर लाया कि मैं उनका परमेश्‍वर ठहरूँ; मैं यहोवा हूँ। 46 जो-जो विधियाँ और नियम और व्यवस्था यहोवा ने अपनी ओर से इस्राएलियों के लिये सीनै पर्वत पर मूसा के द्वारा ठहराई थीं वे ये ही हैं।

विशेष संकल्प की विधि

27  1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 इस्राएलियों से यह कह कि जब कोई विशेष संकल्प माने तो संकल्प किया हुआ मनुष्य तेरे ठहराने के अनुसार यहोवा के होंगे; 3 इसलिए यदि वह बीस वर्ष या उससे अधिक और साठ वर्ष से कम अवस्था का पुरुष हो तो उसके लिये पवित्रस्‍थान के शेकेल के अनुसार पचास शेकेल का चाँदी ठहरे। 4 यदि वह स्त्री हो तो तीस शेकेल ठहरे। 5 फिर यदि उसकी अवस्था पाँच वर्ष या उससे अधिक और बीस वर्ष से कम की हो तो लड़के के लिये तो बीस शेकेल और लड़की के लिये दस शेकेल ठहरे। 6 यदि उसकी अवस्था एक महीने या उससे अधिक और पाँच वर्ष से कम की हो तो लड़के के लिये तो पाँच और लड़की के लिये तीन शेकेल ठहरे। 7 फिर यदि उसकी अवस्था साठ वर्ष की या उससे अधिक हो और वह पुरुष हो तो उसके लिये पन्द्रह शेकेल और स्त्री हो तो दस शेकेल ठहरे। 8 परन्तु यदि कोई इतना कंगाल हो कि याजक का ठहराया हुआ दाम न दे सके तो वह याजक के सामने खड़ा किया जाए और याजक उसकी पूँजी ठहराए अर्थात् जितना संकल्प करनेवाले से हो सके याजक उसी के अनुसार ठहराए। 9 फिर जिन पशुओं में से लोग यहोवा को चढ़ावा चढ़ाते है यदि ऐसों में से कोई संकल्प किया जाए तो जो पशु कोई यहोवा को दे वह पवित्र ठहरेगा। 10 वह उसे किसी प्रकार से न बदले न तो वह बुरे के बदले अच्छा और न अच्छे के बदले बुरा दे; और यदि वह उस पशु के बदले दूसरा पशु दे तो वह और उसका बदला दोनों पवित्र ठहरेंगे। 11 और जिन पशुओं में से लोग यहोवा के लिये चढ़ावा नहीं चढ़ाते ऐसों में से यदि वह हो तो वह उसको याजक के सामने खड़ा कर दे 12 तब याजक पशु के गुण-अवगुण दोनों विचार कर उसका मोल ठहराए; और जितना याजक ठहराए उसका मोल उतना ही ठहरे। 13 पर यदि संकल्प करनेवाला उसे किसी प्रकार से छुड़ाना चाहे तो जो मोल याजक ने ठहराया हो उसमें उसका पाँचवाँ भाग और बढ़ाकर दे। 14 फिर यदि कोई अपना घर यहोवा के लिये पवित्र ठहराकर संकल्प करे तो याजक उसके गुण-अवगुण दोनों विचार कर उसका मोल ठहराए; और जितना याजक ठहराए उसका मोल उतना ही ठहरे। 15 और यदि घर का पवित्र करनेवाला उसे छुड़ाना चाहे तो जितना रुपया याजक ने उसका मोल ठहराया हो उसमें वह पाँचवाँ भाग और बढ़ाकर दे तब वह घर उसी का रहेगा। 16 फिर यदि कोई अपनी निज भूमि का कोई भाग यहोवा के लिये पवित्र ठहराना चाहे तो उसका मोल इसके अनुसार ठहरे कि उसमें कितना बीज पड़ेगा; जितना भूमि में होमेर भर जौ पड़े उतनी का मोल पचास शेकेल ठहरे। 17 यदि वह अपना खेत जुबली के वर्ष ही में पवित्र ठहराए तो उसका दाम तेरे ठहराने के अनुसार ठहरे; 18 और यदि वह अपना खेत जुबली के वर्ष के बाद पवित्र ठहराए तो जितने वर्ष दूसरे जुबली के वर्ष के बाकी रहें उन्हीं के अनुसार याजक उसके लिये रुपये का हिसाब करे तब जितना हिसाब में आए उतना याजक के ठहराने से कम हो। 19 और यदि खेत को पवित्र ठहरानेवाला उसे छुड़ाना चाहे तो जो दाम याजक ने ठहराया हो उसमें वह पाँचवाँ भाग और बढ़ाकर दे तब खेत उसी का रहेगा। 20 और यदि वह खेत को छुड़ाना न चाहे या उसने उसको दूसरे के हाथ बेचा हो तो खेत आगे को कभी न छुड़ाया जाए; 21 परन्तु जब वह खेत जुबली के वर्ष में छूटे तब पूरी रीति से अर्पण किए हुए खेत के समान यहोवा के लिये पवित्र ठहरे अर्थात् वह याजक ही की निज भूमि हो जाए। 22 फिर यदि कोई अपना मोल लिया हुआ खेत जो उसकी निज भूमि के खेतों में का न हो यहोवा के लिये पवित्र ठहराए 23 तो याजक जुबली के वर्ष तक का हिसाब करके उस मनुष्य के लिये जितना ठहराए उतना ही वह यहोवा के लिये पवित्र जानकर उसी दिन दे-दे। 24 जुबली के वर्ष में वह खेत उसी के अधिकार में जिससे वह मोल लिया गया हो फिर आ जाए अर्थात् जिसकी वह निज भूमि हो उसी की फिर हो जाए। 25 जिस-जिस वस्तु का मोल याजक ठहराए उसका मोल पवित्रस्‍थान ही के शेकेल के हिसाब से ठहरे: शेकेल बीस गेरा का ठहरे। 26 परन्तु घरेलू पशुओं का पहलौठा जो पहलौठा होने के कारण यहोवा का ठहरा है उसको कोई पवित्र न ठहराए; चाहे वह बछड़ा हो चाहे भेड़ या बकरी का बच्चा वह यहोवा ही का है। 27 परन्तु यदि वह अशुद्ध पशु का हो तो उसका पवित्र ठहरानेवाला उसको याजक के ठहराए हुए मोल के अनुसार उसका पाँचवाँ भाग और बढ़ाकर छुड़ा सकता है; और यदि वह न छुड़ाया जाए तो याजक के ठहराए हुए मोल पर बेच दिया जाए। 28 परन्तु अपनी सारी वस्तुओं में से जो कुछ कोई यहोवा के लिये अर्पण करे चाहे मनुष्य हो चाहे पशु चाहे उसकी निज भूमि का खेत हो ऐसी कोई अर्पण की हुई वस्तु न तो बेची जाए और न छुड़ाई जाए; जो कुछ अर्पण किया जाए वह यहोवा के लिये परमपवित्र ठहरे। 29 मनुष्यों में से जो कोई मृत्यु दण्ड के लिये अर्पण किया जाए वह छुड़ाया न जाए; निश्चय वह मार डाला जाए। 30 फिर भूमि की उपज का सारा दशमांश चाहे वह भूमि का बीज हो चाहे वृक्ष का फल वह यहोवा ही का है; वह यहोवा के लिये पवित्र ठहरे। 31 यदि कोई अपने दशमांश में से कुछ छुड़ाना चाहे तो पाँचवाँ भाग बढ़ाकर उसको छुड़ाए। 32 और गाय-बैल और भेड़-बकरियाँ अर्थात् जो-जो पशु गिनने के लिये लाठी के तले निकल जानेवाले हैं उनका दशमांश अर्थात् दस-दस पीछे एक-एक पशु यहोवा के लिये पवित्र ठहरे। 33 कोई उसके गुण-अवगुण न विचारे और न उसको बदले; और यदि कोई उसको बदल भी ले तो वह और उसका बदला दोनों पवित्र ठहरें; और वह कभी छुड़ाया न जाए। 34 जो आज्ञाएँ यहोवा ने इस्राएलियों के लिये सीनै पर्वत पर मूसा को दी थीं वे ये ही हैं।